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यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल भारतीय धरोहर स्‍थलों की सूची

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भारत में मौजूद यूनेस्को के विश्व धरोहर स्‍थलों की सूची- World Heritage Sites of india in Hindi

यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल भारतीय धरोहर स्‍थलों की सूची: (List of World Heritage Sites in India in Hindi)

युनेस्को विश्व विरासत स्थल ऐसे खास स्थानों (जैसे वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन, या शहर इत्यादि) को कहा जाता है, जो विश्व विरासत स्थल समिति द्वारा चयनित होते हैं; और यही समिति इन स्थलों की देखरेख युनेस्को के तत्वाधान में करती है।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुछ खास परिस्थितियों में ऐसे स्थलों को इस समिति द्वारा आर्थिक सहायता भी दी जाती है।

विश्व धरोहर या विश्व विरासत स्‍थलों से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्‍य:

  • विश्व धरोहर स्‍थल या विश्व विरासत स्‍थल दुनिया में मौजूद कुछ विशेष स्थान होते है जो अंतरराष्ट्रीय संस्था यूनेस्को  द्वारा संरक्षित होते है।
  • विश्व में मौजूद ये स्थान बहुमूल्य ,प्राचीन एवं दुर्लभ होते है जो विश्व संस्कृति के लिए महत्त्वपुर्ण होते है। ये स्थान वन क्षेत्र , पर्वत , झील , मरुस्थल , स्मारक , भवन या शहर हो सकते है।
  • इन स्थानों का चयन यूनेस्को के तत्वाधान में विश्व विरासत समिति द्वारा किया जाता है।
  • यूनेस्को द्वारा इन स्थानों के प्रति लोगो में जागरूकता के लिये प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को विश्व विरासत दिवस मनाया जाता है।
  • विश्व में लगभग 2031 से ज्यादा स्थल को विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया गया है।
  • भारत में यूनेस्को द्वारा संरक्षित 32 स्थल है , वर्ष 2016 में भारत के तीन नए स्थलों को इस सूची में शामिल होने की मंजूरी मिल गई है , जिससे इनकी संख्या 35 हो गयी है।
  •  वर्ष 2016 में शामिल किये जाने वाले स्थल है- चंडीगढ़ के केपिटल काम्प्लेक्स , कंचनजंघा पार्क एवं नालंदा विश्व विद्यालय का पुरातात्विक स्थल।
  • भारत की ओर से सर्वप्रथम 1983 को अजंता एलोरा की गुफाये एवं आगरे का किला विश्व विरासत की सूची में शामिल किया गया था।

इन्हें भी पढे: भारत के प्रसिद्ध मंदिरों के नाम एवं उनके स्थान

यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत घोषित किए गए भारतीय सांस्‍कृतिक और प्राकृतिक स्‍थलों की सूची:

स्‍थलों के नाम राज्यो के नाम साल
ताजमहल उत्तर प्रदेश 1983
आगरा का किला उत्तर प्रदेश 1983
अजंता की गुफाएं महाराष्ट्र 1983
एलोरा की गुफाएं महाराष्ट्र 1983
कोणार्क का सूर्य मंदिर ओडिशा 1984
महाबलिपुरम् का स्मारक समूह तमिलनाडू 1984
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान असम 1985
मानस वन्य जीव अभयारण्य असम 1985
केवला देव राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान 1985
पुराने गोवा के चर्च व मठ गोवा 1986
मुगल सिटी, फतेहपुर सिकरी उत्तर प्रदेश 1986
हम्पी स्मारक समूह कर्नाटक 1986
खजुराहो मंदिर मध्यप्रदेश 1986
एलीफेंटा की गुफाएं महाराष्ट्र 1987
पट्टदकल स्मारक समूह कर्नाटक 1987
सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान पश्चिम बंगाल 1987
वृहदेश्वर मंदिर तंजावुर तमिलनाडू 1987
नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड 1988
सांची का बौद्ध स्मारक मध्यप्रदेश 1989
हुमायूँ का मकबरा दिल्ली 1993
दार्जिलिंग हिमालयन रेल पश्चिम बंगाल 1999
महाबोधी मंदिर, गया बिहार 2002
भीमबेटका की गुफाएँ मध्य प्रदेश 2003

गंगई कोड़ा चोलपुरम् मन्दिर तमिलनाडु 2004
एरावतेश्वर मन्दिर तमिलनाडु 2004
छत्रपति शिवाजी टर्मिनल महाराष्ट्र 2004
नीलगिरि माउंटेन रेलवे तमिलनाडु 2005
फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड 2005
दिल्ली का लाल किला दिल्ली 2007
कालका शिमला रेलवे हिमाचल प्रदेश 2008
सिमलीपाल अभ्यारण्य ओडिशा 2009
नोकरेक अभ्यारण्य मेघालय 2009
भितरकनिका उद्यान ओडिशा 2010
जयपुर का जंतर-मन्तर राजस्थान 2010
पश्चिम घाट कर्नाटक, केरल, महाराष्‍ट्र, तमिलनाडु 2012
आमेर का किला राजस्थान 2013
रणथंभोर किला राजस्थान 2013
कुंभलगढ़ किला राजस्थान 2013
सोनार किला राजस्थान 2013
चित्तौड़गढ़ किला राजस्थान 2013
गागरोन किला राजस्थान 2013
रानी का वाव गुजरात 2014
ग्रेट हिमालय राष्ट्रीय उद्यान हिमाचल प्रदेश 2014
चंडीगढ़ के केपिटल काम्प्लेक्स चंडीगढ़ 2016
कंचनजंघा पार्क सिक्किम 2016
नालंदा विश्व विद्यालय का पुरातात्विक स्थल बिहार 2016

और जानिये : यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल भारतीय धरोहर स्‍थलों की सूची


यूरोपीय कंपनियों का भारत में आगमन और उनसे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

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भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन- Arrival of European Trading Companies in India

भारत में यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों के आगमन: (Arrival of European Trading Companies in India in Hindi)

भारत के सामुद्रिक रास्तों की खोज 15वीं सदी के अन्त में हुई जिसके बाद यूरोपीयों का भारत आना आरंभ हुआ। यद्यपि यूरोपीय भारत के अलावे भी बहुत स्थानों पर अपने उपनिवेश बनाने में कामयाब हुए पर इनमें से कइयों का मुख्य आकर्षण भारत ही था। भारत में यूरोप से विदेशियों का आगमल प्राचीन काल से ही हो रहा था। यहाँ की व्यापारिक सम्पदा से आकर्षित होकर समय-समय पर अनेक यूरोपीय जातियों का आगमन होता रहा।  इसी प्रयास के अन्तर्गत कोलम्बस स्पेन से भारत के समुद्री मार्ग की खोज में निकला और चलकर अमेरिका पहुँच गया। ‘बार्थोलेम्यू डायज’ 1487 ई. में ‘आशा अन्तरीप’ पहुँचा। 17 मई, 1498 को वास्कोडिगामा ने भारत के पश्चिमी तट पर स्थित बन्दरगाह कालीकट पहुँच कर भारत के नये समुद्र मार्ग की खोज की थी।

पुर्तग़ालियों भारत में कब हुआ था?

आधुनिक काल में भारत आने वाले यूरोपीय के रूप के पुर्तग़ाली सर्वप्रथम रहे। पोप अलेक्जेण्डर षष्ठ ने एक आज्ञा पत्र द्वारा पूर्वी समुद्रों में पुर्तग़ालियों को व्यापार करने का एकाधिकार प्रदान कर दिया। प्रथम पुर्तग़ीज तथा प्रथम यूरोपीय यात्री वास्कोडिगामा 90 दिन की समुद्री यात्रा के बाद ‘अब्दुल मनीक’ नामक गुजरात के पथ प्रदर्शक की सहायता से 1498 ई. में कालीकट (भारत) के समुद्री तट पर उतरा।

09 मार्च, 1500 को 13 जहाज़ों के एक बेड़े का नायक बनकर ‘पेड्रों अल्वारेज केब्राल’ जलमार्ग द्वारा लिस्बन से भारत के लिए रवाना हुआ। वास्कोडिगामा के बाद भारत आने वाला यह दूसरा पुर्तग़ाली यात्री था। पुर्तग़ाली व्यापारियों ने भारत में कालीकट, गोवा, दमन, दीव एवं हुगली के बंदरगाहों में अपनी व्यापारिक कोठियाँ स्थापित कीं। पूर्वी जगत के काली मिर्च और मसालों के व्यापार पर एकाधिकार प्राप्त करने के उद्देश्य से पुर्तग़ालियों ने 1503 ई. में कोचीन (भारत) में अपने पहले दुर्ग की स्थापना की।

1505 ई. में ‘फ़्राँसिस्कों द अल्मेड़ा’ भारत में प्रथम पुर्तग़ाली वायसराय बन कर आया। उसने सामुद्रिक नीति को अधिक महत्व दिया तथा हिन्द महासागर में पुर्तग़ालियों की स्थिति को मजबूत करने का प्रयत्न किया। 1509 में अल्मेड़ा ने मिस्र, तुर्की और गुजरात की संयुक्त सेना को पराजित कर दीव पर अधिकार कर लिया। इस सफलता के बाद हिन्द महासागर पुर्तग़ाली सागर के रूप में परिवर्तित हो गया। अल्मेड़ा 1509 ई. तक भारत में रहा।

डच का भारत में आगमन कब हुआ था?

पुर्तगालियों की समृद्धि देख कर डच भी भारत और श्रीलंका की ओर आकर्षित हुए। डच पहली बार भारत में में आये थे। 1602 ई. में डच संसद के आदेश अनुसार डच ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना हुई। सन् 1602 में डचों ने अम्बोयना पर पुर्तगालियों को हरा कर अधिकार कर लिया। इसके बाद 1612 में श्रीलंका में भी डचों ने पुर्गालियों को खदेड़ दिया। उन्होंने पुलीकट (1610), सूरत (1616), चिनसुरा (1653), क़ासिम बाज़ार, बड़ानगर, पटना, बालेश्वर (उड़ीसा), नागापट्टनम् (1659) और कोचीन (1653) में अपनी कोठियाँ स्थापित कर लीं। डच भारत से नील, शोरा, सूती वस्त्र, रेशम, अफीम आदि महत्वपूर्ण वस्तुओं का निर्यात करते थे। 18 वी शताब्दी में डच शक्ति अंग्रेजों के सामने कमजोर पड़ने लगी । अंग्रेजों एवं डच के बीच 1759 ई. में बेदरा का युद्ध हुआ जिसमें डच शक्ति पूरी तरह ध्वस्त हो गई 1795 तक अंग्रेजों ने उन्हें भारत से बाहर निकाल दिया।

अंग्रेजो का भारत में आगमन कब हुआ था?

यूरोप से आने वाली सभी व्यापारिक कंपनियों में अंग्रेज सबसे अधिक प्रभावशाली थे। इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम द्वारा 31 दिसंबर 1600 को ईस्ट इंडिया कम्पनी को अधिकार-पत्र प्रदान किया जिसके तहत वह 15 वर्षों तक भारत से व्यापार कर सकते थे।
1615 ई. में जेम्स प्रथम ने सर टॅामस रो को अपना राजदूत बनाकर जहांगीर के दरबार में पहुंचाया। टॅामस रो का एकमात्र उद्देश्य था जहाँगीर से व्यापारिक संधि करना और विभिन्न भागों में व्यापारिक कोठी खोलना। अंग्रेजों द्वारा भारत में पहली कोठी ( फैक्ट्री ) सूरत में खोली गई थी एवं दक्षिण पश्चिम समुद्रतट पर पहली व्यापारिक कोठी 1611 को मसूलीपट्टनम में स्थापित की गई। पुर्तगालियो से दहेज में प्राप्त मुंबई को 1668 में चार्ल्स द्वितीय ने कम्पनी को 10 पौंड वार्षिक किराये पर दे दिया। 1698 ई. में सुतानती, कालीकट तथा गोविन्दपुर की जमींदारी अंग्रेजों ने 1200 रुपए में प्राप्त की  जो बाद में विकसित होकर कलकत्ता के रुप में उभरें जिसे फोर्ट विलियम कहा गया। 1700 ई. में फोर्ट विलियम का पहला अध्यक्ष सर चार्ल्स आयर बना।

डेनिस का भारत में आगमन कब हुआ था?
डेनमार्क की डेनिस ईस्ट इंडिया कम्पनी 1616 ई. में स्थापित हुई। यह कम्पनी भारत में अपनी स्थिति मजबूत करने में असफल रही और अन्ततः 1845 तक अपनी सारी संपत्ति अंग्रेजों को बेच कर चले गये। डेनिसों ने 1620 ई. में त्रोंकोबार ( तमिलनाडु  ) तथा 1676 ई. सेरामपुर ( बंगाल ) में अपनी कुछ फैक्टरी और बस्ती बसाईं थी जिसमें सेरामपुर प्रमुख थी।

फ्रांसिसियों का भारत में आगमन कब हुआ था?
फ्रांसीसी सम्राट लुई चौदहवें के मंत्री कोलबर्ट के प्रयासों से 1664 ई. में प्रथम फ्रेंच कम्पनी की स्थापना हुई इसे ‘ कम्पनें देस इण्डेस ओरियंटलेस ‘ कहा जाता था। 1668 ई. में फ्रैंको कैरो ने औरंगजेब से फरमान प्राप्त कर सूरत में पहला कारखाना खोला। फ्रांसीसी द्वारा दूसरी कोठी मसूलीपट्टनम में 1669 ई. में खोली गई। फ्रांसिस मार्टिन ने 1673 में वलिकोंडापुर के सूबेदार शेर खां से पुर्दुचरी गांव प्राप्त किया जिससे पांडिचेरी की नींव पड़ी। मार्टिन ने पांडिचेरी की स्थापना की थी और वह इसके पहले प्रमुख थे।


 यूरोपीय कंपनियों का भारत में आगमन से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्‍य:
  • 20 मई, 1498 ई. में वास्कोडिगामा ने भारत के पश्चिमी तट पर स्थित कालीकट बन्दरगाह पहुंचकर भारत एवं यूरोप के बीच नए समुद्री मार्ग की खोज की।
  • 1505 ई. में फ्रांसिस्को द अल्मोडा भारत में प्रथम पुर्तगाली वायसराय बनकर बनकर आया।
  • 1509 ई. में अलफांसो द अल्बुर्क भारत में पुर्तगालियों का वायसराय बना।
  • अल्बुकर्क ने 1510 ई. में बीजापुर के युसुफ आदिल शाह से गोवा को जीता।
  • पुर्तगालियों ने अपनी पहली व्यापारिक कोठी कोचीन में खोली।
  • 1596 ई. में भारत आनेवाला प्रथम डच नागरिक था- कारनेलिस डॅहस्तमान।
  • डचों को भारत में अन्तिम रूप से पतन 1759 ई. को अंग्रेजों एवं डचों के मध्य हुए वेदरा युद्ध से हुआ।
  • 31 दिसम्बर, 1600 ई. को इंग्लैण्ड की रानी एलिजाबेथ प्रथम ने ईस्ट इंडिया कम्पनी को अधिकार पत्र प्रदान किया।
  • प्रारंभ में ईस्ट इंडिया कम्पनी में 217 साझीदार थे और पहला गवर्नर टॉमस स्मिथ था।
  •  मुगल दरबार में जाने वाला प्रथम अंग्रेज कैप्टन हॉकिन्स था। जो जेम्स प्रथम के राजदूत के रूप में 1609 ई. में जहॉंगीर के दरबार में गया था।
  • 1615 ई. में सम्राट जेम्स प्रथम ने सर टॉमस रो को अपना राजदूत बनाकर मुगल सम्राट जहांगीर के दरबार में भेजा।
  • अंग्रेजों की प्रथम व्यापारिक कोठी (फैक्ट्री) सूरत में 1608 ई. में खोली गई.
  • 1611 ई. में दक्षिण पूरब समुद्रतट पर सर्वप्रथम अंग्रेजों ने मुसलीपट्टम में व्यापारिक कोठी की स्थापना की।
  • 1668 ई. में इंग्लैंड के सम्राट् चार्ल्स-2 का विवाह पुर्तगाल की राजकुमारी केथरीन से होने के कारण चार्ल्स को दहेज के रूप में बम्बई प्राप्त हुआ था। जिसे उन्होनें पौंड के किराये पर ईस्ट इंडिया कम्पनी को दे दिया।
  • 1698 ई. में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी ने तीन गाँव- सूतानुती, कालीकट एवं गोबिन्दपुर की जमींदारी 1200 रुपये भुगतान पर प्राप्त की और यहां पर फोर्ट विलियम का निर्माण किया। कालान्तर में यही कलकत्ता (कोलकाता) नगर कहलाया, जिसकी नींव जॉर्ज चारनौक ने रखी।
  • भारत में फ्रांसीसियों की प्रथम कोठी फैंको कैरों के द्वारा सूरत में 1668 ई. में स्थापित की गई.
  • 1674 ई. में फ्रांसिस मार्टिन ने पांडिचेरी की स्थापना की।
  • प्रथम कर्नाटक युद्ध 1746-48 ई. में आस्ट्रिया के उत्तराधिकार युद्ध से प्रभावित था। 1748 ई. में हुई ए-ला शापल की संधि के द्वारा ऑस्ट्रिया का उत्तराधिकार युद्ध समाप्त हो गया और इसी संधि के तहत प्रथम कर्नाटक युद्ध समाप्त हुआ।
  • दूसरा कर्नाटक युद्ध 1749-1754 ई. में हुआ। इस युद्ध में फ्रांसीसी गवर्नर डूप्ले की हार हुई. उसे वापस बुला लिया गया और उसकी जगह पर गोडेहू को भारत में अगला फ्रांसीसी गवर्नर बनाया गया। पांडिचेरी की संधि (जनवरी, 1755 ई.) के साथ युद्धविराम हुआ।
  • कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756-1763 ई. के बीच हुआ जो 1756 ई. में शुरू हुए सप्तवर्षीय युद्ध का ही एक अंश था। पेरिस की संधि होने पर यह युद्धसमाप्त हुआ।
  • 1760 ई. में अंग्रेजी सेना ने सर आयरकूट के नेतृत्व में वांडिवाश की लड़ाई में फ्रांसीसियों को बुरी तरह हराया।
  • 1761 ई. में अंग्रेजों ने पांडिचेरी को फ्रांसीसियों से छीन लिया।
  • 1763 ई. में हुई पेरिस संधि के द्वारा अंग्रेजों ने चन्द्रनगर को छोड़कर शेष अन्य प्रदेशों को लौटा दिया, जो 1749 ई. तक फ्रांसीसी कब्जे में थे, ये प्रदेश भारत की आजादी तक फ्रंसीसियों के कब्जे में रहे।

इन्हें भी पढे: भारत की प्रमुख ऐतिहासिक गुफाएं तथा उनके स्थान की सूची

और जानिये : यूरोपीय कंपनियों का भारत में आगमन और उनसे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

भारत के प्रमुख शोध संस्थानों के नाम और उनके स्थान की सूची

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भारत के प्रमुख शोध संस्थानों के नाम और उनके स्थान की सूची

भारत के प्रमुख शोध संस्थानों के नाम और उनके स्थान: (List of Leading Indian Research Institutions in Hindi)

इस पोस्ट में आप भारत के प्रमुख प्रमुख शोध संस्थानों के बारे में नवीनतम जानकारी प्राप्त करेंगे। भारत के प्रमुख प्रमुख शोध संस्थानों के आधार पर हर परीक्षा में दो या तीन प्रश्न अवश्य पूछे जाते है। यह आपकी सभी प्रकार की सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं विशेषकर बैंक पीओ व क्लर्क, यूपीएससी, एसएससी, आईएएस, पीसीएस, केट, भारतीय रेलवे, गेट आदि के लिए अत्यंत उपयोगी है।

भारत के प्रमुख शोध संस्थानों की सूची: 

शोध संस्थान का नाम कहाँ पर स्थित है
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली
इंडियन इंस्टीट्युट ऑफ़ जियोमैगनेटिज्म मुंबई
इन्डियन सिक्योरिटी प्रेस पुणे
उच्च अक्षांश अनुसन्धान संस्थान प्रयोगशाला गुलमर्ग
औद्योगिक विष विज्ञान अनुसन्धान केंद्र लखनऊ
केन्द्रीय आलू  अनुसन्धान संस्थान शिमला
केन्द्रीय ईंधन अनुसन्धान संस्थान जादूगोड़ा
केन्द्रीय औषधीय अनुसन्धान संस्थान लखनऊ
केन्द्रीय खनन अनुसन्धान केंद्र धनबाद
केन्द्रीय गन्ना अनुसन्धान संस्थान कोयम्बटूर
केन्द्रीय चमड़ा अनुसन्धान संस्थान चेन्नई
केन्द्रीय चावल अनुसन्धान संस्थान कटक
केन्द्रीय चिकित्सकीय और सुगन्धित वनस्पति संस्थान लखनऊ
केन्द्रीय जूट प्रोद्योगिकी अनुसन्धान संस्थान कोलकाता
केन्द्रीय ट्रेक्टर संस्थान नई दिल्ली
केन्द्रीय तम्बाकू अनुसन्धान संस्थान राजमुंदरी
केन्द्रीय नमक और समुद्री रसायन अनुसन्धान संस्थान भाव नगर
केन्द्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसन्धान संस्थान नागपुर
केन्द्रीय भवन निर्माण अनुसन्धान संस्थान रूडकी
केन्द्रीय यांत्रिक इंजीनियरिंग अनुसन्धान संस्थान दुर्गापुर
केन्द्रीय लीची अनुसन्धान केंद्र मुजफ्फरपुर
केन्द्रीय वन अनुसन्धान संस्थान देहरादून
केन्द्रीय विद्युत् रासायनिक अनुसन्धान संस्थान कराईकुड़ी
केन्द्रीय सड़क अनुसन्धान संस्थान नई दिल्ली
कोशकीय तथा आणविक जीवविज्ञान केंद्र हैदराबाद
जीवाणु प्रोद्योगिकी संस्थान चंडीगढ़
टाटा इंस्टीट्युट ऑफ़ फंडामेंटल रिसर्च मुंबई
बीरबल साहनी पुरावनस्पति संस्थान लखनऊ
भाभा परमाणु अनुसन्धान केंद्र ट्राम्बे

भारत इलेक्ट्रानिक लिमिटेड जलाहली
भारतीय उष्णं मौसम विज्ञान संस्थान पुणे
भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान नई दिल्ली
भारतीय खगोल संस्थान बंगलुरु
भारतीय चीनी तकनीकी संस्थान कानपुर
भारतीय तकनीकी अनुसन्धान संस्थान लखनऊ
भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग कोलकाता
भारतीय पेट्रोलियम संस्थान देहरादून
भारतीय मौसम विज्ञान संस्थान नई दिल्ली
भारतीय मौसम वेधशाला पुणे
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण नई दिल्ली
भारतीय लाख अनुसन्धान संस्थान रांची
भारतीय सर्वेक्षण विभाग देहरादून
भारतीय  रासायनिक जैविकी संस्थान कोलकाता
रमण अनुसन्धान संस्थान बंगलुरु
राष्ट्रीय डेयरी अनुसन्धान केंद्र करनाल
राष्ट्रीय धातु विज्ञान प्रयोगशाला जमशेदपुर
राष्ट्रीय प्रतिरोधक विज्ञान संस्थान नई दिल्ली
राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला नई दिल्ली
राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला पुणे
राष्ट्रीय वनस्पति विज्ञान संस्थान लखनऊ
राष्ट्रीय वैमानिकीय प्रयोगशाला बंगलुरु
राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान पणजी

इन्हें भी पढ़े:  भारत के प्रमुख शिक्षा संस्थानों की सूची

और जानिये : भारत के प्रमुख शोध संस्थानों के नाम और उनके स्थान की सूची

भारत के प्रमुख शिक्षा संस्थानों के नाम और उनके स्थान की सूची

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भारत के प्रमुख शिक्षा संस्थानों के नाम और स्थान- Leading Indian Educational Institutions in Hindi

भारत के प्रमुख शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों की सूची: (List of Leading Indian Education Institutions in Hindi)

भारतीय शिक्षा का इतिहास:

भारतीय शिक्षा का इतिहास भारतीय सभ्यता का भी इतिहास है। भारतीय समाज के विकास और उसमें होने वाले परिवर्तनों की रूपरेखा में शिक्षा की जगह और उसकी भूमिका को भी निरंतर विकासशील पाते हैं। सूत्रकाल तथा लोकायत के बीच शिक्षा की सार्वजनिक प्रणाली के पश्चात हम बौद्धकालीन शिक्षा को निरंतर भौतिक तथा सामाजिक प्रतिबद्धता से परिपूर्ण होते देखते हैं। बौद्धकाल में स्त्रियों और शूद्रों को भी शिक्षा की मुख्य धारा में सम्मिलित किया गया।

आजादी के बाद राधाकृष्ण आयोग (१९४८-४९), माध्यमिक शिक्षा आयोग (मुदालियर आयोग) 1953, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (१९५३), कोठारी शिक्षा आयोग (१९६४), राष्ट्रीय शिक्षा नीति (१९६८) एवं नवीन शिक्षा नीति (१९८६) आदि के द्वारा भारतीय शिक्षा व्यवस्था को समय-समय पर सही दिशा देनें की गंभीर कोशिश की गयी।

1948-49 में विश्वविद्यालयों के सुधार के लिए भारतीय विश्वविद्यालय आयोग की नियुक्ति हुई। आयोग की सिफारिशों को बड़ी तत्परता के साथ कार्यान्वित किया गया। उच्च शिक्षा में पर्याप्त सफलता प्राप्त हुई। पंजाब, गौहाटी, पूना, रुड़की, कश्मीर, बड़ौदा, कर्णाटक, गुजरात, महिला विश्वविद्यालय, विश्वभारती, बिहार, श्रीवेकंटेश्वर, यादवपुर, वल्लभभाई, कुरुक्षेत्र, गोरखपुर, विक्रम, संस्कृत वि.वि. आदि अनेक नए विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई। 1952-53 में माध्यमिक शिक्षा आयोग ने माध्यमिक शिक्षा की उन्नति के लिए अनेक सुझाव दिए। माध्यमिक शिक्षा के पुनर्गठन से शिक्षा में पर्याप्त सफलता प्राप्त हुई।

भारत के प्रमुख शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों की सूची:

शिक्षा संस्थान का नाम स्थान किस राज्य में स्थित है
एडमिनिसट्रेटिव स्टाफ कॉलेज हैदराबाद आंध्र प्रदेश
इंडियन इंस्टीट्युट ऑफ़ मास कम्युनिकेशन नई दिल्ली दिल्ली
एडमिनिसट्रेटिव ट्रेनिंग इंस्टीट्युट नैनीताल उत्तराखंड
इंस्टीट्युट ऑफ़ सोशल स्टडीज लखनऊ उत्तर प्रदेश
नेशनल डिफेन्स एकेडमी खडगवासला महाराष्ट्र
इंडियन मिलिट्री एकेडमी देहरादून उत्तराखंड
कॉलेज ऑफ़ मिलिट्री एकेडमी इंजीनियरिंग किरकी महाराष्ट्र
लाल बहादुर शास्त्री एकेडमी ऑफ़ एडमिनिसट्रेटिव मसूरी उत्तराखंड
कॉलेज ऑफ़ सैटेलाइट कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी अहमदाबाद गुजरात
हिमाचल माउंटेनियरिंग इंस्टीट्युट दार्जलिंग पश्चिम बंगाल
इंडियन इंस्टीट्युट ऑफ़ पब्लिक एडमिनिसट्रेशन नई दिल्ली दिल्ली
लक्ष्मीबाई नेशनल कॉलेज ऑफ़ फिजिकल एजुकेशन ग्वालियर मध्य प्रदेश
नेशनल पुलिस एकेडमी हैदराबाद आंध्र प्रदेश
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस इंस्टीट्युट ऑफ़ स्पोर्ट्स पटियाला पंजाब
एयरफ़ोर्स एडमिनिसट्रेटिव स्टाफ कॉलेज पेरम्बूदूर तमिलनाडु
एयरफोर्स फ़्लाइंग कॉलेज जोधपुर राजस्थान
डिफेन्स सर्विसेज स्टाफ कॉलेज वेलिंग्टन तमिलनाडु
सेन्ट्रल इन्सटीट्युट ऑफ़ संस्कृत तिरुपति आंध्र प्रदेश
नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा नई दिल्ली दिल्ली
पैराटूप ट्रेनिंग कॉलेज आगरा उत्तर प्रदेश

स्कूल ऑफ़ फॉरेन लेंग्वेज नई दिल्ली दिल्ली
भारतीय फिल्म तथा टेलिविज़न संस्थान पुणे महाराष्ट्र
भारतीय फिल्म संग्रहालय नई दिल्ली दिल्ली
नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ़ इंडिया नई दिल्ली दिल्ली
नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट नई दिल्ली दिल्ली
ललित कला अकादमी नई दिल्ली दिल्ली
संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली दिल्ली
साहित्य अकादमी नई दिल्ली दिल्ली
राष्ट्रिय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् नई दिल्ली दिल्ली
एशियाटिक सोसाइटी कोलकाता पश्चिम बंगाल
इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल मध्य प्रदेश
राम कृष्ण मिशन सांस्कृतिक संस्थान कोलकाता पश्चिम बंगाल
केन्द्रीय चलचित्र प्रमाणन बोर्ड मुंबई महाराष्ट्र
नेशनल इंस्टीट्युट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी नई दिल्ली दिल्ली
संजय गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान लखनऊ उत्तर प्रदेश

इन्हें भी पढ़े: भारत के प्रमुख संस्थान एवं उनके मुख्यालयों की सूची

और जानिये : भारत के प्रमुख शिक्षा संस्थानों के नाम और उनके स्थान की सूची

भारत के प्रमुख दर्रो के नाम उनके स्थान और महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

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भारत के प्रमुख दर्रे और महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची- Main Passes of India key facts in Hindi

भारत के प्रमुख दर्रे और महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची- (Important Facts about Main Passes of India in Hindi)

दर्रा किसे कहते है?

दर्रा का अर्थ: पहाडियों एव पर्वतिय क्षेत्रों मे पाए जाने वाले आवागमन के प्राकृतिक मार्गों को दर्रा कहा जाता हैं।

भारत में हिमालय पर कई खुबसूरत लेकिन परिवहन के लिए खतरनाक दर्रे हैं। ये दर्रे व्यापार, यात्रा, युद्ध और प्रवास में एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस पोस्ट में भारत के प्रमुख दर्रो के बारे में महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान जानकारी दी गयी है। आइये जानते है कौन सा दर्रा कहाँ स्थित है:-

  • आफिल दर्रा: काराकोरम श्रेणी में K 2 के उत्तर लगभग 5306 मी. की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा लद्दाख को चीन के झिंजियांग (सिकियांग) प्रान्त से जोड़ता है। शीत ऋतु में यह नवंबर से मई के प्रथम सप्ताह तक बंद रहता है।
  • इमिस ला: समुद्र तल से 5271 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा लद्दाख को तिब्बत से जोड़ने का आसान रास्ता उपलब्ध कराता है। दुरूह भू-भाग और खड़ी ढाल वाला यह दर्रा शीत ऋतु में बर्फ से ढक जाने के कारण बंद रहता है।
  • काराताघ दर्रा: काराकोरम पर्वत श्रेणी में समुद्र तल से लगभग 5295 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा प्राचीन रेशम मार्ग की एक शाखा थी। शीतकाल में यह बर्फ से ढका रहता है।
  • खारदुंग ला: समुद्र तल से 5602 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा से का परिवहन योग्य भारत और संभवतः दुनिया का सबसे ऊँचा दर्रा है। परन्तु इसकी यह ऊँचाई विवादित भी है। लद्दाख क्षेत्र में लेह के पास स्थित यह दर्रा श्योक और नुब्रा घाटियों जोड़ता है।
  • खुन्जेराब दर्रा: समुद्र तल से 4,693 मीटर की ऊँचाई पर स्थित काराकोरम श्रेणी का यह दर्रा लद्दाख और चीन के सिक्यांग प्रान्त को जोड़ने वाल परंपरागत दर्रा है। यह चीन के झिंजियांग क्षेत्र के दक्षिण पश्चिमी सीमा पर और पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान की उत्तरी सीमा पर, एक सामरिक स्थिति में काराकोरम पर्वत पर स्थित है। शीत काल में यह बर्फ से ढका रहता है।
  • चंशल दर्रा: यह दर्रा हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में दोदरा क्वार और रोहड़ू को जोड़ता है। यह शिमला की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर 4520 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
  • चांग ला: समुद्र तल से 5360 मीटर की ऊँचाई पर स्थित महान हिमालय का यह दर्रा लद्दाख को तिब्बत से जोड़ता है। यह दर्रा लेह से पांगोंग झील को जाने वाले रस्ते में पड़ता है। जो तिब्बत के एक छोटे से शहर तांगत्से से जोडता है। इसका नाम इस दर्रे में स्थित चांग-ला बाबा के मंदिर के नाम पर किया गया है। बर्फ से ढक जाने के कारण शीत ऋतु में यह बंद रहता है। यह दुनिया का तीसरा सबसे ऊँचा परिवहन योग्य दर्रा है, जो सिन्धु घाटी को पांगोंगझील के क्षेत्र से जोड़ता है।
  • जेलेप ला: जेलेप ला दर्रे 4,270 मीटर की ऊंचाई पर पूर्वी सिक्किम जिले में स्थित है। यह दर्रा सिक्किम को ल्हासा से जोड़ता है। यह चुम्बी घाटी में स्थित है।
  • जोजी ला: समुद्र तल से 3528 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा श्रीनगर को कारगिल और लेह से जोड़ता है। अत्यधिक बर्फ़बारी के कारण यह शीतकाल में बंद रहता है। सीमा सड़क संगठन द्वार इसे वर्ष की अधिकतर अवधि तक खोले रखने की कोशिश की जाती रही है। इसकी देखभाल और इस पर से बर्फ हटाने के लिए इस संगठन द्वारा एक बीकॅान फोर्स स्थापना भी की गयी है।
  • ट्रेल्स दर्रा: यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों में समुद्र तल से 5212 मी. की ऊँचाई पर स्थित है। नंदा देवी और नंदा कोट चोटियों के बीच स्थित है। पिंडारी हिमनद के कगार पर स्थित यह दर्रा पिंडारी घाटी को मिलाम घाटी से जोड़ता है। खड़ी ढाल और विषम सतह के कारण इस दर्रे को पर करना काफी कठिन है।
  • डिफू दर्रा: यह दर्रा 4587 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित यह दर्रा इस राज्य को मंडाले (म्यांमार) तक का आसान और सबसे छोटा रास्ता (दिहांग की तुलना में) उपलब्ध कराता है। यह भारत और म्यांमार के बीच का एक परंपरागत दर्रा है, जो व्यापार और परिवहन के लिए वर्ष भर खुला रहता है।
  • थांग ला (लद्दाख):  समुद्र तल से  लगभग 5,328 मीटर की ऊँचाई पर लद्दाख क्षेत्र में यह दर्रा स्थित है, खारदुंग ला के बाद परिवहन योग्य यह भारत का दूसरा सबसे ऊँचा दर्रा है।
  • दिहांग दर्रा: यह दर्रा अरुणाचलचल प्रदेश राज्य में समुद्र तल से लगभग 1220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह अरुणांचल प्रदेश को मंडाले (म्यांमार) से जोड़ता है।
  • देब्सा दर्रा: समुद्र तल से 5360 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह हिमांचल प्रदेश के कुल्लू और स्पीति जिलों के मध्य यह दर्रा महान हिमालय पर स्थित है। कुल्लू और स्पीति को जोड़ने वाले पिन-परवती दर्रे की तुलना में यह एक असान और कम दूरी का विकल्प है। सुंदर स्पीति घाटी हिमालय के पहाड़ों में हिमाचल प्रदेश के उत्तर-पूर्वी भाग में तिब्बत और भारत के बीच एक रेगिस्तानी पहाड़ भूमि है। यह दर्रा कुल्लू में पार्वती नदी घाटी से होकर गुजरता है।
  • नाथू ला: यह भारत चीन सीमा पर तिब्बत क्षेत्र को सिक्किम से जोड़ता है।  समुद्र तल से लगभग 4,310 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा प्राचीन रेशम मार्ग की एक शाखा है। यह भारत और चीन के बीच खुले तीन व्यापारिक मार्गों में से एक है, अन्य दो हिमांचल प्रदेश में स्थित शिपकी-ला और उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख है। भारत चीन युद्ध (1962) के पश्चात् इस वर्ष 2006 में पहली बार खोला गया था।
  • निति दर्रा: समुद्र तल से 5068 मी. की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है। शीतकाल में यह बर्फ से ढके होने के कारण नवंबर से मध्य मई तक बंद रहता है। धौलीगंगा नदी उत्तराखंड के चमोली जिले में निति दर्रे से 5,070 मीटर (16,630 फीट) की ऊँचाई से निकलती है।

  • पंगसान दर्रा: समुद्र तल से 4000 मी. से भी अधिक ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा अरुणाचल प्रदेश को मंडले (म्यांमार) से जोड़ता है।
  • पीर-पंजाल दर्रा: जम्मू को श्रीनगर से जोड़ने वाला यह पारंपरिक दर्रा ‘मुग़ल रोड’ पर स्थित है। पीर की गली के नाम से विख्यात यह मुगल सड़क के माध्यम से राजौरी और पुंछ के साथ कश्मीर घाटी को जोड़ता है। जम्मू कश्मीर को घाटी  से जोड़ने वाला यह सबसे सरल और छोटा एवं पक्का मार्ग है। पीर की गली में मुगल रोड का उच्चतम बिंदु है 11500 फुट के लगभग है। यहाँ का निकटम शहर सोपियां है, जिसे सेबों की घाटी भी कहते हैं।
  • पेंजी ला: जोजी ला दर्रे के पूरब में, समुद्र तल से 4,400 मीटर की ऊँचाई पर स्थित महान हिमालय का यह दर्रा कश्मीर घाटी को कारगिल (लद्दाख) से जोड़ता है। इसे जांस्कर के लिए प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है। यह जांस्कर घाटी क्षेत्र को सुरु घाटी क्षेत्र से जोड़ता है शीतकाल में यह बर्फ से ढके होने के कारण नवंबर से मध्य मई तक आवागमन के लिए बंद रहता है। प्रसिद्द रंगदुम मठ यहाँ से लगभग 25 किमी दूर है।
  • बनिहाल दर्रा: समुद्र तल से 2832 मीटर की ऊँचाई पर पीरपंजाल श्रेणी में स्थित यह दर्रा जम्मू को श्रीनगर से जोड़ता है। शीत ऋतु में यह बर्फ से ढका रहता है। वर्ष पर्यन्त सड़क परिवहन की व्यवस्था करने के उद्देश्य से यहाँ जवाहर टनल (पंडित जवाहर लाल नेहरु के नाम पर) बने गयी, जिसका उद्घाटन 1956 में किया गया। जिसके कारण इस दर्रे का बहुत उपयोग नहीं रह गया।
  • बार लाप्चा: जम्मू कश्मीर में समुद्र तल से 4890 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह मनाली को लेह से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। शीत ऋतु में नवंबर से मध्य मई तक यह बर्फ से ढके होने के कारण आवागमन के लिये बंद रहता है।  यह जास्कर श्रेणी का सबसे ऊँचा दर्रा है।
  • बुर्जिल दर्रा: समुद्र तल बुरज़िल दर्रा 4,100 मीटर की ऊँचाई पर कश्मीर, गिलगित और श्रीनगर के बीच का एक प्राचीनमार्ग है। यह दर्रा कश्मीर घटी को लद्दाख के देवसाईं मैदानों से जोड़ता है। यह भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर स्थित है।
  • बोमाडी ला: भूटान के पूरब में अरुणाचल प्रदेश में में स्थित यह दर्रा समुद्र तल से 2217 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यह अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत की राजधानी ल्हासा से जोड़ता है।
  • बोरासु दर्रा: बोरासु दर्रा चीन के साथ सीमा के पास 5,450 मीटर  की ऊंचाई पर महान हिमालय पर्वत में स्थित है। यह उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को जोड़ता है। उच्च ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा अदभुत दून घाटी और किन्नौर घाटी के बीच एक पुराना व्यापार मार्ग था।
  • मंगशा धुरा दर्रा: समुद्र तल से लगभग 5674 मीटर की ऊँचाई पर पिथौरागढ़ स्थित यह दर्रा उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है। मानसरोवर की यात्रा लिए यात्रियों को इस दर्रे से भी गुजरना पड़ता है। पर्यटकों एवं तीर्थ यात्रियों के लिए भूस्खलन एक बड़ी समस्या है।
  • माना दर्रा:  समुद्र तल से लगभग 5545 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है। इसे दुनिया की सबसे ऊँची परिवहन योग्य सड़क भी माना जाता है। शीतकाल में यह लगभग 6 महीने बर्फ से ढका रहता है। यह उत्तराखंड में हिंदू तीर्थ बद्रीनाथ से 27 किमी दूर उत्तर में स्थित है।
  • मुनिंग ला: गंगोत्री के उत्तर स्थित यह एक मौसमी दर्रा है, जो उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है। शीतकाल में यह बर्फ से ढका रहता है तथा यहाँ से कोई आवागमन संभव नहीं होता है।
  • रुपिन दर्रा: उत्तराखंड में रुपिन नदी के पार स्थित यह दर्रा उत्तराखंड में धौला से शुरू होता है और हिमाचल प्रदेश में सांगला में खत्म होता है। निर्जन रुपिन दर्रा महान हिमालय पर्वतमाला में 4650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इस दर्रे में गहरी अंधेरी घाटियों, बर्फीले ढलानों और क्षेत्रों से होकर गुजरना पड़ता है।
  • रोहतांग दर्रा: समुद्र तल से लगभग 3,978 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा हिमांचल प्रदेश की कुल्लू, लाहुल,एवं स्पीति घाटियों को जोड़ता है। प्रसिद्ध रोहतांग दर्रा महान हिमालय की पीर पंजाल रेंज में स्थित है। सीमा सड़क संगठन यहाँ एक उच्च कोटि के सड़क मार्ग की वयवस्था की गयी है। सैनिक वाहनों, बसों, ट्रकों एवं अन्य मालवाहकों के भरी आवागमन के कारण इस पर ट्राफिक जाम एक आम समस्या है। यह मई से नवंबर तक खुला  रोहतांग दर्रा बाकी समय बर्फीले तूफानों और हिमस्खलन के कारण इसको पार करना मुश्किल है।
  • लनक ला: अक्साई चिन (लद्दाख) में 5466 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा लद्दाख को ल्हासा से जोड़ता है। चीन ने यहाँ एक सड़क का निर्माण किया है। जो उसके सिक्यांग प्रान्त को तिब्बत से जोडती है। अक्साई चिन क्षेत्र के दक्षिणी-पश्चिमी सीमा पर है।
  • लिखापनी: अरुणाचल प्रदेश में 4000 मीटर से अधिक ऊँचाई पर स्थित इस दर्रे द्वारा इस राज्य को म्यांमार से जोड़ा जाता है। व्यापार एवं  यातायात के लिए यह वर्ष पर्यन्त काम करने वाला दर्रा है।
  • लिपु लेख: पिथौरागढ़ में स्थित यह दर्रा उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है। 5,334 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा  तिब्बत में पुरंग  को उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र से जोड़ता है। कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के तीर्थयात्री दर्रे इस से होकर जाते है। यह भारत के चीन से होने वाले व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • शिपकी ला: समुद्र तल से 4300 मीटर से भी अधिक ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा, सतलज महाखड्ड से होकर हिमांचल प्रदेश को तिब्बत से सम्बद्ध करता है। यह हिमाचल प्रदेश में किन्नौर जिले में स्थित है। तिब्बत से आने वाली सतलज नदी इसी दर्रे से भारत में प्रवेश करती है। भारत के चीन से होने वाले व्यापर के लिए यह तीसरा (नाथु ला और लिपुलेख के बाद) दर्रा (राजमार्ग 22) है। शीतकाल में यह बर्फ से ढका रहता है।
  • सेला दर्रा: जमा हुआ सेला दर्रा अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में 4,170 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सेला दर्रा में सर्दियों में भारी बर्फबारी होती है, लेकिन यह साल भरखुला रहता है। यह  तेजपुर और गुवाहाटी के माध्यम से तवांग को भारत से जोड़ता है। यह तवांग और प्रसिद्द बौद्ध तवांग मठ का प्रवेश द्वार है।

और जानिये : भारत के प्रमुख दर्रो के नाम उनके स्थान और महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

शुंग वंश का इतिहास एवं महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

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शुंग वंश का इतिहास एवं महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची- Shung Dynasty History in Hindi

शुंग वंश का इतिहास एवं महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची: (Important History and Facts about Shung Dynasty in Hindi)

शुंग वंश:

शुंग वंश प्राचीन भारत का एक शासकीय वंश था जिसने मौर्य राजवंश के बाद शासन किया। इसका शासन उत्तर भारत में 187 ईसा पूर्व से 75 ईसा पूर्व तक यानि 112 वर्षों तक रहा था। पुष्यमित्र शुंग इस राजवंश का प्रथम शासक था।

शुंग वंश का इतिहास:

मौर्य साम्राज्य के पतन के उपरान्त इसके मध्य भाग में सत्ता शुंग वंश के हाथ में आ गई। इस वंश की उत्पत्ति के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है। शुंग उज्जैन प्रदेश के थे, जहाँ इनके पूर्वज मौर्यों की सेवा में थे। शुंगवंशीय पुष्यमित्र अन्तिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ का सेनापति था। उसने अपने स्वामी की हत्या करके सत्ता प्राप्त की थी। इस नवोदित राज्य में मध्य गंगा की घाटी एवं चम्बल नदी तक का प्रदेश सम्मिलित था। पाटलिपुत्र, अयोध्या, विदिशा आदि इसके महत्त्वपूर्ण नगर थे। दिव्यावदान एवं तारनाथ के अनुसार जलंधर और साकल नगर भी इसमें सम्मिलित थे। पुष्यमित्र शुंग को यवन आक्रमणों का भी सामना करना पड़ा। शुंग वंश का अंतिम सम्राट देवहूति था, उसके साथ ही शुंग साम्राज्य समाप्त हो गया था। शुग-वंश के शासक वैदिक धर्म के मानने वाले थे। इनके समय में भागवत धर्म की विशेष उन्नति हुई।

शुंग वंश के शासकों की सूची इस प्रकार है:

  • पुष्यमित्र शुंग (185-149 ईसा पूर्व)
  • अग्निमित्र (149-141 ईसा पूर्व)
  • वसुज्येष्ठ (141-131 ईसा पूर्व)
  • वसुमित्र (131-124 ईसा पूर्व)
  • अन्धक (124-122 ईसा पूर्व)
  • पुलिन्दक (122-119 ईसा पूर्व)
  • घोष शुंग
  • वज्रमित्र
  • भगभद्र
  • देवभूति (83-73 ईसा पूर्व)

शुंग वंश के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • मौर्य वंश का अंतिम शासक वृहदत था।
  • वृहदत की हत्या पुष्यमित्र शुंग ने की थी।
  • शुंग वंश की स्थापना 185 ईसा पूर्व में हुई थी।
  • पुष्यमित्र शुंग वृहदत का सेनापति था।
  • पुष्यमित्र शुंग ब्राह्मण जाती का था।
  • पुष्यमित्र शुंग ने वृहदत की हत्या सभी सैनिको के सामने 185 ईसा पूर्व में की थी।

  • मौर्य साम्राज्य का कार्यकाल 322-185 ईसा पूर्व तक रहा।
  • शुंग वंश की स्थापना पुष्यमित्र शुंग ने की थी।
  • वैदिक धर्म का पुनः उद्धारकरने वाला पुष्यमित्र शुंग को माना जाता है।
  • शुंग वंश के शासको ने अपनी राजधानी विदिशा में स्थापित की थी।
  • इन्दो-युनानी शासक मिनांडर को पुष्यमित्र शुंग ने पराजित किया था।
  • पुष्यमित्र शुंग ने दो बार अश्वमेघ यज्ञ कराया था।
  • पंतजलि पुष्यमित्र शुंग के दरबार में रहते थे।
  • पुष्यमित्र ने पंतजलि के द्वारा अश्वमेघ यज्ञ कराया था।
  • भरहुत स्तूप का निर्माण पुष्यमित्र ने कराया था।
  • पुष्यमित्र शुंग के बेटे का अग्निमित्र था, जो उसका उतराधिकारी बना था।
  • शुंग वंश का अंतिम शासक देवभूति था।
  • शुंग वंश के अंतिम शासक देवभूति की हत्या वासुदेव ने की थी।
  • वासुदेव ने शुंग वंश की हत्या 73 ईसा पूर्व में की थी।
  • शुंग वंश का कार्यकाल 185-73 ईसा पूर्व तक रहा।
  • शुंग वंश के बाद कण्व वंश का उदय हुआ।
  • कण्व वंश का संस्थापक वासुदेव था।

इन्हें भी पढ़े: नंद वंश का इतिहास एवं महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

और जानिये : शुंग वंश का इतिहास एवं महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय महत्वपूर्ण दिवस और तिथियों की सूची

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national and international days and dates

यहाँ महत्वपूर्ण दिवस की सूची दी गयी है और इसमें अति महत्वपूर्ण दिनों के बारे में जरूरी जानकारी दी गई है जबकि पृष्ठ पर सभी महत्वपूर्ण दिनों (राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय) को एक पंक्ति में सूचीबद्ध किया गया है

दिवस तारीख राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय दिवस
जनवरी माह की मुख्य तिथियाँ
वैश्विक परिवार दिवस (यूएसए) 1 जनवरी अंतराष्ट्रीय दिवस
लुई ब्रेल दिवस 4 जनवरी अंतराष्ट्रीय दिवस
प्रवासी भारतीय दिवस 9 जनवरी राष्ट्रीय दिवस
विश्व लाफ्टर दिवस 10 जनवरी अंतराष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रीय युवा दिवस (स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन) 12 जनवरी राष्ट्रीय दिवस
थल सेना दिवस (भारत), 15 जनवरी राष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रीय लड़की दिन 24 जनवरी राष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रीय मतदाता दिवस 25 जनवरी राष्ट्रीय दिवस
पर्यटन दिवस (भारत), 25 जनवरी राष्ट्रीय दिवस
अंतर्राष्ट्रीय सीमा शुल्क दिवस 26 जनवरी अंतराष्ट्रीय दिवस
गणतंत्र दिवस (भारत), 26 जनवरी राष्ट्रीय दिवस
डेटा संरक्षण दिवस 28 जनवरी राष्ट्रीय दिवस
शहीदों का दिवस 30 जनवरी राष्ट्रीय दिवस
कुष्ठ निवारण दिवस 30 जनवरी राष्ट्रीय दिवस
सर्वोदय दिवस 30 जनवरी अंतराष्ट्रीय दिवस
फरवरी माह की मुख्य तिथियाँ
विश्व आर्द्रभमि दिवस 2 फ़रवरी अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व कैंसर दिवस 4 फ़रवरी अंतराष्ट्रीय दिवस
गुलाब दिवस 12 फ़रवरी राष्ट्रीय दिवस
वेलेंटाइन दिवस 14 फ़रवरी अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व सामाजिक न्याय दिवस 20 फ़रवरी अंतराष्ट्रीय दिवस
अंतरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस 21 फ़रवरी अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व स्काउट दिवस 21 फ़रवरी अंतराष्ट्रीय दिवस
सेंट्रल एक्साइज टेक्स दिवस 24 फ़रवरी राष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फ़रवरी राष्ट्रीय दिवस
मार्च माह की मुख्य तिथियाँ
विश्व वन्य जीव दिवस 3 मार्च अंतराष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रीय रक्षा दिवस 3 मार्च राष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस (औद्योगिक संस्थानों की सुरक्षा) 4 मार्च राष्ट्रीय दिवस
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च अंतराष्ट्रीय दिवस
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल का स्थापना दिवस (सीआईएसएफ) 9 मार्च राष्ट्रीय दिवस
विश्व गुर्दा दिवस 13 मार्च अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 15 मार्च अंतराष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस 16 मार्च राष्ट्रीय दिवस
आयुध विनिर्माण दिवस 18 मार्च राष्ट्रीय दिवस
विश्व विक्लांग दिवस 20 मार्च अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व वानिकी दिवस 21 मार्च अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व जल दिवस 22 मार्च अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व मौसम विज्ञान दिवस 23 मार्च अंतराष्ट्रीय दिवस
राम मनोहर लोहिया का जन्म दिवस (वर्षगांठ) 23 मार्च राष्ट्रीय दिवस
भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु फांसी दिवस 23 मार्च राष्ट्रीय दिवस
विश्व टीबी दिवस (क्षय रोग) 24 मार्च अंतराष्ट्रीय दिवस
ग्रामीण डाक जीवन बीमा दिवस 24 मार्च राष्ट्रीय दिवस
गणेश शंकर विद्यार्थी का बलिदान दिवस 25 मार्च राष्ट्रीय दिवस
बांग्लादेश राष्ट्रीय दिवस 26 मार्च राष्ट्रीय दिवस
विश्व थियेटर दिवस 27 मार्च अंतराष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रीय शिप परिवहन दिवस 29 मार्च राष्ट्रीय दिवस
अप्रैल माह की मुख्य तिथियाँ
विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस 2 अप्रैल अंतराष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रीय समुद्री दिवस 5 अप्रैल राष्ट्रीय दिवस
विकास एवं शांति के लिए अंतर्राष्ट्रीय खेल दिवस 6 अप्रैल अंतराष्ट्रीय दिवस
विशेष सुरक्षा समूह स्थापना दिवस (एसपीजी) 7 अप्रैल राष्ट्रीय दिवस
विश्व स्वास्थ्य दिवस 7 अप्रैल अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व होम्योपैथी दिवस 10 अप्रैल अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व एयरोनॉटिक्स और ब्रह्माण्ड विज्ञान दिवस 14 अप्रैल अंतराष्ट्रीय दिवस
अम्बेडकर की जयंती 14 अप्रैल राष्ट्रीय दिवस
विश्व हीमोफिलिया दिवस 17 अप्रैल अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व विरासत दिवस 18 अप्रैल अंतराष्ट्रीय दिवस
भारतीय सिविल सेवा दिवस 21 अप्रैल राष्ट्रीय दिवस
अंतर्राष्ट्रीय मातृ पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस 23 अप्रैल अंतराष्ट्रीय दिवस
पंचायती राज दिवस 24 अप्रैल राष्ट्रीय दिवस
विश्व मलेरिया दिवस 25 अप्रैल अंतराष्ट्रीय दिवस
मई माह की मुख्य तिथियाँ
अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस 1 मई अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व अस्थमा दिवस 2 मई अंतराष्ट्रीय दिवस
मई मातृ दिवस 2 मई अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 3 मई अंतराष्ट्रीय दिवस
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा दिवस 3 मई अंतराष्ट्रीय दिवस
वैश्विक पहुंच-जागरूकता दिवस 3 मई अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व लाफ्टर दिवस 7 मई अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व रेड क्रॉस दिवस 8 मई अंतराष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 11 मई राष्ट्रीय दिवस
अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस 12 मई अंतराष्ट्रीय दिवस
अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस 15 मई अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व दूरसंचार दिवस 17 मई अंतराष्ट्रीय दिवस
आतंकवाद विरोधी दिवस 21 मई राष्ट्रीय दिवस
विश्व जैव विविधता 23 मई अंतराष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रमंडल दिवस 24 मई अंतराष्ट्रीय दिवस
जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि 27 मई अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व तंबाकू विरोधी 31 मई अंतराष्ट्रीय दिवस
जून माह की मुख्य तिथियाँ
वर्ल्ड मिल्क डे 1 जून अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून अंतराष्ट्रीय दिवस
अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक संघ स्थापना दिवस 6 जून अंतराष्ट्रीय दिवस
फादर्स दिवस 18 जून अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व शरणार्थी दिवस 20 जून अंतराष्ट्रीय दिवस
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व मधुमेह दिवस 27 जून अंतराष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रिय सांखियकी दिवस 29 जून राष्ट्रीय दिवस
जुलाई माह की मुख्य तिथियाँ
डॉक्टर दिवस (डॉ बिधान चंद्र राय का जन्मदिन) 1 जुलाई राष्ट्रीय दिवस
भारतीय स्टेट बैंक स्थापना दिवस 1 जुलाई राष्ट्रीय दिवस
अमेरिकी स्वतंत्रता दिवस 4 जुलाई अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई अंतराष्ट्रीय दिवस
अंतर्राष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस 18 जुलाई अंतराष्ट्रीय दिवस
कारगिल स्मृति दिवस 26 जुलाई राष्ट्रीय दिवस
विश्व प्रकृति सरंक्षण दिवस 28 जुलाई अंतराष्ट्रीय दिवस
अगस्त माह की मुख्य तिथियाँ
विश्व स्तन दूध दिवस 1 अगस्त अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व शांति दिवस, हिरोशिमा दिवस 6 अगस्त अंतराष्ट्रीय दिवस
भारत छोड़ो दिवस, नागासाकी दिवस 9 अगस्त राष्ट्रीय दिवस
अंतराष्ट्रीय युवा दिवस 10 अगस्त अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व युवा दिवस 12 अगस्त अंतराष्ट्रीय दिवस
पाकिस्तान स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त राष्ट्रीय दिवस
स्वतंत्रता दिवस (भारत), 15 अगस्त राष्ट्रीय दिवस
विश्व फोटोग्राफी दिवस 19 अगस्त अंतराष्ट्रीय दिवस
सद्भावना दिवस 20 अगस्त राष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रीय खेल दिवस (ध्यानचंद का जन्म दिवस) 29 अगस्त राष्ट्रीय दिवस
छोटे उद्योग दिवस 30 अगस्त राष्ट्रीय दिवस
सितंबर माह की मुख्य तिथियाँ
शिक्षक दिवस (डॉक्टर राधाकृष्ण जन्म दिवस) 5 सितंबर राष्ट्रीय दिवस
विश्व साक्षरता दिवस 8 सितंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व भाईचारे और क्षमा दिवस 14 सितंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
हिन्दी गोता दिवस 14 सितंबर राष्ट्रीय दिवस
अभियंता दिवस 15 सितंबर राष्ट्रीय दिवस
विश्व ओजोन दिवस 16 सितंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
रेलवे पुलिस बल स्थापना दिवस (आरपीएफ) 20 सितंबर राष्ट्रीय दिवस
अंतराष्ट्रीय शांति दिवस 21 सितंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
अल्जाइमर दिवस 21 सितंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व बधिर दिवस 23 सितंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व पर्यटन दिवस 27 सितंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व हृदय दिवस 29 सितंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
अक्टूबर माह की मुख्य तिथियाँ
अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस 1 अक्टूबर अंतराष्ट्रीय दिवस
अंतर्राष्ट्रीय गैर हिंसा दिवस 2 अक्टूबर अंतराष्ट्रीय दिवस
महात्मा गांधी जन्म दिवस 2 अक्टूबर राष्ट्रीय दिवस
लाल बहादुर शास्त्री जन्म दिन 2 अक्टूबर राष्ट्रीय दिवस
विश्व पर्यावास दिवस 3 अक्टूबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व पशु कल्याण दिवस 4 अक्टूबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व जंगली जानवर दिवस 6 अक्टूबर अंतराष्ट्रीय दिवस
भारतीय वायु सेना दिवस 8 अक्टूबर राष्ट्रीय दिवस
विश्व डाक दिवस 9 अक्टूबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व डाक दिवस 10 अक्टूबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 10 अक्टूबर अंतराष्ट्रीय दिवस
लोकनायक जय प्रकाश नारायण जन्मदिन 11 अक्टूबर राष्ट्रीय दिवस
प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय दिवस 13 अक्टूबर अंतराष्ट्रीय दिवस
संयुक्त राष्ट्र प्राकृतिक आपदा दिवस 13 अक्टूबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व मानक दिवस 14 अक्टूबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व खाद्य दिवस 16 अक्टूबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व एलर्जी जागरूकता दिवस 16 अक्टूबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व आयोडीन कमी दिवस 21 अक्टूबर अंतराष्ट्रीय दिवस
संयुक्त राष्ट्र दिवस (यूएन) 24 अक्टूबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व बचत दिवस 30 अक्टूबर अंतराष्ट्रीय दिवस
इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि 31 अक्टूबर राष्ट्रीय दिवस
नवंबर माह की मुख्य तिथियाँ
विश्व सेवा दिवस 9 नवंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
अंतराष्ट्रीय मलाला दिवस 10 नवंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रिय पक्षी दिवस 12 नवंबर राष्ट्रीय दिवस
बाल दिवस (जवाहर लाल नेहरू की जयंती) 14 नवंबर राष्ट्रीय दिवस
डायबिटीज दिवस 14 नवंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
धीरज अंतर्राष्ट्रीय दिवस 16 नवंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व छात्रों दिवस 17 नवंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस 17 नवंबर राष्ट्रीय दिवस
विश्व प्रौढ़ दिवस 18 नवंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व नागरिक दिवस 19 नवंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
यूनिवर्सल बाल दिवस 20 नवंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
वर्ल्ड टेलीविजन दिवस 21 नवंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व मांसाहारी रोकथाम दिवस 25 नवंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस 26 नवंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
नेशनल लॉ दिवस 26 नवंबर राष्ट्रीय दिवस
विश्व पर्यावरण सरंक्षण दिवस 26 नवंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रिय दुग्ध दिवस (स्वेत क्रांति के पिता वर्गीज कुरियन के जन्म दिवस के अवसर पर) 26 नवंबर राष्ट्रीय दिवस
दिसंबर माह की मुख्य तिथियाँ
विश्व एड्स दिवस 1 दिसंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
गुलामी के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2 दिसंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व विकलांग दिवस 3 दिसम्बर अंतराष्ट्रीय दिवस
रासायनिक दुर्घटनाओं रोकथाम दिवस 4 दिसंबर राष्ट्रीय दिवस
नौसेना दिवस 4 दिसंबर राष्ट्रीय दिवस
अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवकों दिवस 5 दिसंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन दिवस 7 दिसंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
सशस्त्र सेना झंडा दिवस 7 दिसंबर राष्ट्रीय दिवस
बालिका दिवस 9 दिसंबर राष्ट्रीय दिवस
अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस 10 दिसंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व बाल कोष दिवस 11 दिसंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
विश्व अस्थमा दिवस 11 दिसंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस 14 दिसंबर राष्ट्रीय दिवस
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस (भारत) 18 दिसंबर राष्ट्रीय दिवस
गोवा मुक्ति दिवस 19 दिसंबर राष्ट्रीय दिवस
किसान गोते दिवस (जन्मदिन चरण सिंह) 23 दिसंबर राष्ट्रीय दिवस
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 24 दिसंबर राष्ट्रीय दिवस
क्रिसमस दिवस 25 दिसंबर अंतराष्ट्रीय दिवस
केद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) स्थापना दिवस 26 दिसंबर राष्ट्रीय दिवस

और जानिये : राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय महत्वपूर्ण दिवस और तिथियों की सूची

भारत में प्रथम प्रसिद्ध महिलाओं के नाम और उनकी उपलब्धियॉ (विभिन्न क्षेत्रों में)

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भारत में प्रथम महिला, प्रथम भारतीय महिलाओं के नाम और उनकी उपलब्धियों की सूची

भारत में प्रथम महिलाओं के नाम और उनकी उपलब्धियॉ: (First Woman personalities in India in Hindi)

यहां भारत में प्रथम प्रसिद्ध भारतीय महिलाओं के नाम और उनकी उपलब्धियों की सूची दी गयी है,जिन्होंने भारत में सबसे पहले अपना प्रभुत्व स्थापित किया है। भारतीय महिलाओं ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में जैसे:- इतिहास, समाजशास्त्र, साहित्य, खेल, राजनीति, पुरस्कार और सम्मान, मनोरंजन, क्षेत्रों में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है।भारत में प्रथम महिलाओं के आधार पर हर परीक्षा में कुछ प्रश्न अवश्य पूछे जाते है, इसलिए यह आपकी सभी प्रकार की परीक्षा की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइये जाने ऐसी ही भारत में प्रथम 142 प्रभावशाली महिलाओं के नाम और उनकी उपलब्धियों के बारे में:-

इन्हें भी पढे: विश्व में प्रथम महिलाओं की सूची

भारत में प्रथम प्रसिद्ध महिलाओं के नाम और उनकी उपलब्धियों की सूची: (विभिन्न क्षेत्रों में)

उपलब्धि महिलाओं का नाम
बीसीसीआई लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड के लिए नामांकित होने वाली पहली महिला क्रिकेटर शांता रंगास्वामी
भारत की पहली महिला अध्यापिका (शिक्षिका) सावित्री बाई फूले
अखिल भारतीय टेनिस संघ की पहली महिला अध्यक्ष प्रवीण महाजन (2017)
भारत की पहली दृष्टिहीन महिला डॉक्टर कृतिका पुरोहित
आईसीसी वूमेंस टीम ऑफ द ईयर में शामिल होने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी स्मृति मंधाना
ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट टूर्नामेंट बिग बैश लीग में खेलने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हरमनप्रीत कौर
उच्च न्यायालय की प्रथम भारतीय महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति अन्ना चांडी (केरल)
भारत में प्रथम महिला चीफ इंजीनियर श्रीमती पी.के.गेसिया
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष सरोजिनी नायडू
कॉमनवेल्थ खेलों में कुश्ती में स्वर्ण पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला पहलवान गीता देवी (2010 कॉमनवेल्थ खेलों में)
पैरालंपिक खेलों में पदक (मेडल) जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी (एथलीट) दीपा मलिक (2016 पैरालिम्पिक्स खेलों में रजत पदक जीता।)
भारत के किसी राज्य के मंत्रिमण्डल में प्रथम महिला मंत्री विजय लक्ष्मी पंडित (संयुक्त प्रांत, 1937)
भारत के किसी राज्य की प्रथम दलित मुख्यमंत्री मायावती (उत्तर प्रदेश)
संघ लोक सेवा आयोग की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष श्रीमती रोज मिलियन बेथ्यु
भारत रत्न से सम्मानित प्रथम महिला श्रीमती इंदिरा गाँधी
अंटार्कटिका पहुँचने वाली प्रथम महिला मेहर मूसा
मिस यूनिवर्स’ खिताब जीतने वाली प्रथम महिला सुष्मिता सेन
अंतर्राष्‍ट्रीय मैराथन में स्‍वर्ण पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला आशा अग्रवाल
प्रथम भारतीय महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी
भारत की प्रथम महिला क्रिकेट अम्‍पायर अंजली राजगोपाल
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रथम महिला आशापूर्णा देवी
प्रथम महिला राजस्व सचिव विनीता राय
ओलम्‍पिक खेलों में मुक्‍केबाजी में पदक विजेता प्रथम भारतीय महिला एम.सी. मेरीकाॅॅम(2012)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष ऐनी बेसेंट
भारतीय लागत लेखा सेवा की पहली महिला प्रमुख अरुणा सेठी
प्रथम महिला राज्यपाल सरोजनी नायडू ( उ० प्र० )
ओलम्‍पिक खेलों में बैडमिंंटन में पदक विजेता प्रथम भारतीय महिला साइना नेहवाल (2012)
प्रथम महिला लोकसभाध्यक्ष (स्पीकर) मीरा कुमार
अंंतराष्‍ट्रीय क्रिकेेट में 5000 रन बनाने वाली प्रथम भारतीय महिला मिताली राज(2015)
भारत के किसी राज्य की मुख्यमंत्री बनने वाली प्रथम महिला अभिनेत्री जानकी रामचंद्रन (तमिलनाडु 1987)
राज्यसभा की प्रथम भारतीय महिला सचिव बी. एस. रमा देवी (1993)
भारत की प्रथम महिला अधिवक्ता रेगिना गुहा
भारत में केन्द्रीय व्यवस्थापिका की प्रथम महिला सांसद राधाबाई सुबारायन (1938)
भारत में आयकर न्यायाधिकरण की प्रथम महिला सदस्य न्यायमूर्ति मीरा साहिब फातिमा बीबी
प्रथम महिला शासिका रजिया सुल्तान
एशियाई शतरंज चैम्पियनशिप जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला रोहिणी खादिलकर(1981)
अंटार्कटिका के विनसन मैसिफ पर चढ़ाई करने वाली पहली भारतीय सिविल सेवक अपर्णा कुमार
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के सदस्य पद के लिए नामांकित होने वाली पहली भारतीय महिला नीता अंबानी
प्रथम व्यावसायिक महिला पायलट प्रेमा माथुर
अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट में 100 विकेट लेने वाली भारतीय महिला डायना एडुलजी(1986)
अंतरिक्ष में सर्वाधिक समय व्यतीत करने वाली प्रथम भारतीय मूल की महिला सुनीता विलियम्स
साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रथम महिला अमृता प्रीतम
सेना मेडल प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला विमला देवी (1988)
अन्तर्राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला अंजू बार्बी जॉर्ज
अन्तर्राष्ट्रीय फ़ुटबॉल में हैट्रिक करने वाली प्रथम भारतीय महिला योलांदा डिसूजा (1978)
अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित प्रथम महिला एन. लम्सडेन ( हॉकी, 1961 )
अर्द्धसैनिक बल की पहली भारतीय महिला महानिदेशक अर्चना रामासुंदरम
अशोक चक्र से सम्मानित प्रथम महिला नीरजा मिश्रा
इंजीनियरिंग में स्नातक उपाधि प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला इला मजूमदार (1951)
इण्डियन एयरलाइन्स की प्रथम महिला अध्यक्ष सुषमा चावला
उत्तरी ध्रुव पर पहुँचने वाली प्रथम महिला प्रीति सेन गुप्ता (1993)
एवरेस्ट पर चढ़ने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की बालिका डिंकी डोल्मा
एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला कमलजीत संधु (1970, 400 मीटर दौड़)
ओलम्पिक के लिए क्‍वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट दीपा करमाकर
ओलम्पिक खेलों में पदक जीतने वाली भारतीय महिला खिलाड़ी कर्णम मल्लेश्वरी (भारोत्तोलन, सिडनी)
ओलम्पिक खेलों में भाग लेने वाली प्रथम भारतीय महिला खिलाड़ी मेरी लीला रो (1952)
चिकित्सा में स्नातक उपाधि प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला विधुमुखी बोस एवं विर्जिनिया मितर (कोलकाता मेडिकल कॉलेज)
जिब्राल्टर स्ट्रेट तैरकर पार करने वाली प्रथम भारतीय महिला आरती प्रधान

टेस्ट क्रिकेट मैच में दोहरा शतक बनाने वाली भारतीय महिला मिताली राज
तीन खेलों (क्रिकेट, हॉकी एवं बालीबॉल) में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली प्रथम भारतीय महिला शिरीन खुसरो
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय नायिका देविका रानी
दिल्ली के तख़्त पर बैठने वाली पहली महिला सुल्तान रज़िया सुल्तान
दो बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम महिला कु. संतोष यादव
नाबार्ड की प्रथम महिला अध्यक्ष रंजना कुमार
नार्मन बोरलॉग पुरस्कार से सम्मानित प्रथम महिला डॉ. अमृता पटेल
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रथम भारतीय महिला मदर टेरेसा ( शांति )
नौका द्वारा सम्पूर्ण विश्व की परिक्रमा करने वाली प्रथम महिला उज्जवला पाटिल (1988)
पहली महिला डीटीसी चालक वनकदारथ सरिता
पावर लिफ़्टिंग में विश्व कीर्तिमान बनाने वाली प्रथम भारतीय महिला सुमिता लाहा (1989)
प्रथम दूरदर्शन समाचार वाचिका प्रतिमा पुरी
प्रथम भारतीय महिला पुलिस महानिदेशक कंचन चौधरी भट्टाचार्य
प्रथम भारतीय महिला बैरिस्टर कोर्नोनिया सोराबजी (इलाहाबाद उच्च न्यायालय, 1923)
प्रथम भारतीय महिला राजदूत विजयालक्ष्मी पंडित (सोवियत रूस, 1947)
प्रथम भारतीय महिला राज्यसभा स्पीकर सन्नोदेवी
प्रथम भारतीय महिला विदेश सचिव चोकिला अय्यर
प्रथम भारतीय सर्जन महिला डॉ. प्रेमा मुखर्जी
प्रथम मर्चेंट नेवी महिला ऑफिसर सोनाली बनर्जी
प्रथम महिला एडवोकेट केमिला सोराबजी
प्रथम महिला केंद्रीय मंत्री राजकुमारी अमृत कौर
प्रथम महिला मुख्य न्यायाधीश लीला सेठ ( हि० प्र०, 1991 )
भारत के किसी राज्य की प्रथम महिला मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी ( उ० प्र० )
बोइंग 737 विमान की प्रथम भारतीय महिला कमाण्डर कैप्टन सौदामिनी देशमुख
भारत की पहली महिला विधायक डॉ. एस. मुधुलक्ष्मी रेड्डी
भारत की प्रथम आई. ए. एस. महिला अन्ना जार्ज
भारत की प्रथम आई. पी. एस. महिला किरण बेदी
भारत की प्रथम परखनली शिशु इंदिरा
भारत की प्रथम महिला एयर लाइन्स पायलट कैप्टन दुर्गा बनर्जी
भारत की प्रथम महिला चिकित्सक कादम्बिनी गांगुली
भारत की प्रथम महिला जो विदेश गयी आनंदीबाई गोपालराव जोशी
भारत की प्रथम महिला पायलट सुषमा मुखोपाध्याय
भारत की प्रथम महिला मुख्य अभियन्ता पी.के. त्रेसिया नांगुली
भारत की प्रथम महिला मुख्य सचिव निर्मला बुच
भारत की प्रथम महिला मेयर तारा चेरियन
भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल
भारतीय वायुसेना की प्रथम भारतीय महिला पैराशूटर गीता घोष
भारतीय वायुसेना के विमान की प्रथम भारतीय महिला पायलट हरिता देओल
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम महिला कु. बछेंद्री पाल
मुक्केबाजी की प्रथम महिला रेफ़री रज़िया शबनम
मूर्ति देवी पुरस्कार प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला प्रतिभा रॉय
योजना आयोग की प्रथम महिला अध्यक्ष श्रीमती इंदिरा गाँधी
राज्यसभा की प्रथम महिला उपाध्यक्ष वायलेट अल्वा (1962 ई०)
राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने वाली प्रथम भारतीय महिला कैप्टन लक्ष्मी सहगल
राष्ट्रमण्डल खेलों में पदक जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला अमी घिया एवं कंवल ठाकुर सिंह
राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रथम अध्यक्ष जयंती पटनायक
भारतीय रिजर्व बैंक की प्रथम महिला डिप्टी गवर्नर के.जे. उदेशी (2003)
लेनिन शांति पुरस्कार से अलंकृत प्रथम महिला अरुणा आसफ अली
विधान सभा की प्रथम महिला स्पीकर श्रीमती शन्नो देवी
शतरंज में ग्रैण्ड मास्टर का ख़िताब वाली प्रथम भारतीय महिला भाग्यश्री थिप्से (1986)
शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित प्रथम महिला डॉ० आशिमा चटर्जी
शान्तिस्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित प्रथम भारतीय महिला वैज्ञानिक अशीमा चटर्जी
संयुक्त राष्ट्र संघ के संगीत समारोह में भागीदारी करने वाली प्रथम भारतीय महिला एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी (1966)
संयुक्त राष्ट्र संघ में प्रथम महिला असैनिक पुलिस सलाहकार किरण बेदी
संयुक्त राष्ट्रसंघ महासभा की प्रथम महिला अध्यक्ष विजयालक्ष्मी पंडित (1953)
सार्वजनिक सेवा हेतु रेमन मैग्सेसे एवार्ड से अलंकृत प्रथम महिला किरण बेदी
‘मिस वर्ल्ड’ से सम्मानित प्रथम महिला कु० रीता फारिया
अंतराष्‍ट्रीय तैराकी मैराथन जीतने वााली प्रथम भारतीय महिला अर्चना भारत कुमार पटेल
भारत की प्रथम महिला सांसद राधाबाई सुबारायन
ग्राण्‍ड स्‍लैैम जीतने वाली प्रथम भारतीय महिला सानिया मिर्जा
स्नातक उपाधि प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला कादम्बिनी गांगुली (बोस) एवं चन्द्रमुखी बोस (कलकत्ता विश्वविद्यालय, 1883)
आई.सी.सी. क्रिकेट विश्‍व कप में शतक बनाने वाली प्रथम भारतीय महिला थिरूष कामिनी(2013)
सर्वोच्च न्यायालय में प्रथम महिला न्यायाधीश मीरा साहिब फातिमा बीबी
ऑस्कर पुरस्कार प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला भानु अथैवा (वेशभूषा सज्जा हेतु, फिल्म गांधी, 1983)
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला नरगिस दत्त (फिल्म रात और दिन, 1968)
दिल्ली के तख्त पर बैठने वाली प्रथम भारतीय(मुस्लिम) महिला रजिया सुल्तान(1236)
भारत की प्रथम अंतरिक्ष महिला वैज्ञानिक सविता रानी
देश की प्रथम महिला डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस कंचन चौधरी भट्टाचार्य
पहली फिल्म अभिनेत्री जो राज्य सभा के सदस्य के रूप में नामित की गयी नर्गिस दत्त
बुकर पुरस्कार से पुरस्कार सम्मानित प्रथम भारतीय महिला अरुंधती राय
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला मदर टेरेसा
भारत में उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की प्रथम महिला सचिव प्रिया हिमोरानी
संघीय लोक सेवा आयोग की प्रथम महिला अध्यक्ष रोज मिलियन बैथ्यू (1992)
वेनिस फिल्मोत्सव में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का गोल्डन लॉयन पुरस्कार पाने वाली प्रथम भारतीय महिला मीरा नायर फिल्म-मानसून वैडिंग(2001)
भारत की प्रथम महिला सर्जन डॉ. प्रेमा मुखर्जी
भारत में प्रथम क्रान्तिकारी महिला मैडम कामा
भारत में प्रथम महिला मजिस्ट्रेट ओमना कुंजम्मा
अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाली प्रथम भारतीय महिला अभिनेत्री नरगिस दत्त (कार्लोबी बेरी फिल्मोत्सव का सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार फिल्म मदंर इंडिया, 1958)
बर्लिन फिल्मोत्सव में पुरस्कार पाने वाली प्रथम महिला मधुर जाफरी
प्रथम भारतीय महिला रेल चालक श्रीमती सुरेखा भोंसले
प्रथम भारतीय महिला उपन्यासकार श्रीमती स्वर्ण कुमारी देवी
प्रथम भारतीय महिला विधायक मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी
प्रथम भारतीय महिला कुलपति श्रीमती हंसा मेहता
प्रथम भारतीय महिला आईएएस श्रीमती अन्ना जॉर्ज
वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (फिक्की) की अध्यक्ष निर्वाचित होने वाली पहली प्रथम भारतीय महिला नैना लाल किदवई (15 दिसंबर 2012)

और जानिये : भारत में प्रथम प्रसिद्ध महिलाओं के नाम और उनकी उपलब्धियॉ (विभिन्न क्षेत्रों में)


शिशुनाग वंश का इतिहास एवं महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

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शिशुनाग वंश का इतिहास एवं महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

शिशुनाग वंश का इतिहास एवं महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची: (Important History and Facts about Shishunag Dynasty in Hindi)

शिशुनाग वंश का इतिहास:

शिशुनाग वंश भारतीय इतिहास (मगध राज्य-दक्षिण बिहार) का एक प्राचीन राजवंश था। इस वंश का संस्थापक शिशुनाग को माना जाता है, जिसके नाम पर इस वंश का नाम शिशुनाग वंश पड़ा। शिशुनाग वंश का शासनकाल बिम्बिसार और अजातशत्रु के बाद का था। शिशुनाग वंश का शासन काल लगभग 412 ईसा पूर्व से 345 ईसा पूर्व के मध्य तक का है। शिशुनाग वंश के राजाओं ने मगध को प्राचीन राजधानी गिरिव्रज या राजगीर को राजधानी बनाया और वैशाली (उत्तर बिहार) को पुनर्स्थापित किया था।

शिशुनाग वंश के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • शिशुनाग वंश के संस्थापक शिशुनाग के प्रतिनिधि थे।
  • महावंश के अनुसार वह लिच्छवि राजा के वेश्या पत्‍नी से उत्पन्‍न पुत्र था।
  • पुराणों के अनुसार वह क्षत्रिय था।
  • शिशुनाग वंश बुद्ध के समकालीन है।
  • शिशुनाग वंश का शासनकाल बिम्बिसार और अजातशत्रु के बाद का था।
  • शिशुनाग वंश का शासन काल लगभग पाँचवीं ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी के मध्य तक का है।
  • शिशुनाग वंश के राजाओं ने मगध को प्राचीन राजधानी गिरिव्रज या राजगीर को राजधानी बनाया और वैशाली (उत्तर बिहार) को पुनर्स्थापित किया था।
  • शिशुनाग ने सर्वप्रथम मगध के प्रबल प्रतिद्वन्दी राज्य अवन्ति पर वहां के शासक अवंतिवर्द्धन के विरुद्ध विजय प्राप्त की और उसे अपने साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया।
  • इस प्रकार मगध की सीमा पश्‍चिम मालवा तक फैल गई। तदुपरान्त उसने वत्स को मगध में मिलाया।
  • वत्स और अवन्ति के मगध में विलय से, पाटलिपुत्र के लिए पश्‍चिमी देशों से, व्यापारिक मार्ग के लिए रास्ता खुल गया।
  • इस वंश के राजा मगध की प्राचीन राजधानी गिरिव्रज या राजगीर से जुड़े और वैशाली (उत्तर बिहार) को पुनर्स्थापित किया।
  • शिशुनाग का शासनकाल अपने पूर्ववर्ती शासकों की तरह मगध साम्राज्य के तीव्र विस्तार के इतिहास में एक चरण का प्रतिनिधित्व करता है।
  • उसने अवंतिवर्द्धन के विरुद्ध विजय प्राप्त की और अपने साम्राज्य में अवंति (मध्य भारत) को सम्मिलित कर लिया।
  • शिशुनाग के पुत्र कालाशोक के काल को प्रमुखत: दो महत्त्वपूर्ण घटनाओं के लिए जाना जाता है- वैशाली में दूसरी ‘बौद्ध परिषद’ की बैठक और पाटलिपुत्र (आधुनिक पटना) में मगध की राजधानी का स्थानान्तरण।
  • शिशुनाग वंश के पतन का इतिहास भी मगध के मौर्य वंश से पूर्व के इतिहास जितना ही अस्पष्ट है।
  • पारम्परिक स्रोतों के अनुसार कालाशोक के 10 पुत्र थे, परन्तु उनका कोई विवरण ज्ञात नहीं है।
  • माना जाता है कि नंद वंश के संस्थापक महापद्मनंद द्वारा कालाशोक (394 ई.पू. से 366 ई.पू.) की निर्दयतापूर्वक हत्या कर दी गई और शिशुनाग वंश के शासन का अन्त हो गया।

इन्हें भी पढे: प्राचीन भारतीय इतिहास के प्रमुख राजवंश और उनके संस्थापक

और जानिये : शिशुनाग वंश का इतिहास एवं महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

विश्व में प्रथम प्रसिद्ध महिलाओं के नाम और उनकी उपलब्धियॉ (विभिन्न क्षेत्रों में)

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विश्व में प्रथम महिला, 105 विश्व में प्रथम महिलाएँ और उपलब्धियॉ

विश्व में प्रथम महिलाओं के नाम और उनकी उपलब्धियॉ: (List of First Woman in World in Hindi)

यहां विश्व में प्रथम प्रसिद्ध महिलाओं के नाम और उनकी उपलब्धियों की सूची दी गयी है,जिन्होंने विश्व में सबसे पहले अपना प्रभुत्व स्थापित किया है। विश्व की महिलाओं ने संसार के विभिन्न क्षेत्रों में जैसे:- इतिहास, समाजशास्त्र, साहित्य, खेल, राजनीति, पुरस्कार और सम्मान, मनोरंजन, क्षेत्रों में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। विश्व में प्रथम महिलाओं के आधार पर हर परीक्षा में कुछ प्रश्न अवश्य पूछे जाते है, इसलिए यह आपकी सभी प्रकार की परीक्षा की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइये जाने ऐसी ही विश्व में प्रथम 107 प्रसिद्ध महिलाओं के नाम और उनकी उपलब्धियों के बारे में:-

इन्हें भी पढे: भारत में प्रथम महिलाओं की सूची


विश्व में प्रथम प्रसिद्ध महिलाओं के नाम और उनकी उपलब्धियों की सूची: (विभिन्न क्षेत्रों में)
उपलब्धि महिलाओं का नाम
लगातार 4 वनडे मैचों में शतक लगाने वाली पहली महिला क्रिकेटर एमी सैटरथ्वेट, न्यूजीलैंड (26 फरवरी, 2017)
आस्ट्रेलिया के उच्च न्यायालय की प्रथम महिला मुख्य न्यायाधीश सुजैन केफेल (31 जनवरी, 2017)
अंटार्कटिका महाद्वीप पर पहुँचने वाली प्रथम महिला कैरोलिन मिकल्सन
अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम अध्यापिका शेरीन क्रिस्टा मेकोलिन मिकल्सन
अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम महिला बेलेन्टिना तेरेश्कोवा (रूस)
अंतरिक्ष में विचरण करने वाली प्रथम महिला श्वेतलाना सेवित्स्काया
अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय की प्रथम महिला न्यायाधीश रोजालीन हिग्गिन्स (ब्रिटेन)
अन्तर्राष्ट्रीय फुटबाल प्रतियोगिताओं हेतु नियुक्त की गई पहली महिला रेफरी लिंडा ब्लेक
अमरीकन थियेटर की प्रथम कही जाने वाली महिला हेलेन हेज
अमरीका की प्रथम महिला पायलट कैली फ्लिन
अमरीकी अंतरिक्ष शटल की प्रथम महिला पायलट इलिन कोलिंस (अमरीका)
अमरीकी प्रतिनिधि सभा की पहली महिला स्पीकर नैंसी पैलोसी (जनवरी 2007)
अर्जेन्टीना की प्रथम निर्वाचित महिला राष्ट्रपति क्रिस्टीना फर्नांडिस डि किर्चनर (अक्टूबर 2007)
आइसलैण्ड की प्रथम महिला राष्ट्रपति विगडिस फिन्नबोगाडोटिर (1980)
आयरलैण्ड की दूसरी महिला राष्ट्रपति मैरी मक्वेलीज (1997)
आयरलैण्ड की प्रथम महिला राष्ट्रपति मैरी रॉबिसन (1990)
इंगलिश चैनल को तैरकर पार करने वाली प्रथम महिला तैराक गैरट्रयूड एडरली
इंगलैंड की प्रथम महिला प्रधानमंत्री मार्गरेट व्ल्डि थैचर (1979)
इंगलैण्ड के चर्च ऑफ इंगलैण्ड की प्रथम पादरी महिला एंजोला बजर्स विलसन
इंग्लैंड की प्रथम महिला प्रधानमंत्री मार्गेट थैचर
इक्वेडोर की प्रथम महिला राष्ट्रपति रोसालिया अर्टेगा (1997)
इजराइल की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमती गोल्डा मेयर (1969)
इतिहास में पहली बार विश्व का प्रथम मिस अमरीका बधिर सुन्दरी हीदर ह्नाइटस्टोन
उत्तरी ध्रुव पर पहुँचने वाली प्रथम महिला मिस फ्रान फिप्स
उत्तरी ध्रुव विजेता प्रथम अमरीकी महिला एन. बैंक्राफ
एपिस्कोयल चर्च द्वारा अमरीका में नियुक्त प्रथम महिला विशप रेवरेंड मैरी एडेलियर
एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम महिला जुंको तेबई (जापान)
एवरेस्ट शिखर पार चार बार पहुँचने वाली प्रथम महिला लाकपा शेरपा
एशिया की प्रथम महिला जिसे विलियम्स फुलब्राइट पुरस्कार दिया गया कोरजोन एक्विनो (फिलीपींस)
ओलम्पिक खेल में स्वर्ण पदक जीतने वाली प्रथम महिला खिलाड़ी मारग्रेट एबोट (अमरीका)
कनाडा की प्रथम महिला प्रधानमंत्री किम कैम्पबेल (1993)
किसी अफ्रीका देश एवं लाइबेरिया में पहली निर्वाचित महिला राष्ट्रपति एलेन जॉनसन सिरलीफ (लाइबेरिया, 16 जनवरी, 2006)
किसी मुस्लिम देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बेनजीर भुटटो (पाकिस्तान)
गट निरपेक्ष आन्दोलन की प्रथम महिला अध्यक्ष एस. भण्डारनायके (श्रीलंका)
गुआन की प्रथम महिला प्रधानमंत्री जैनेट जैगेन (1997)
चिली की प्रथम महिला राष्ट्रपति मिशेल बचेलेट (जनवरी 2006)
जर्मनी की पहली महिला चांसलर एंजेला मर्केल (22 नवम्बर, 2005)
जापान की निम्न प्रतिनिधि सभा की प्रथम महिला अध्यक्ष तकाको दोई
जापान की प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री चियकी मुकाई
टर्की की प्रथम महिला प्रधानमंत्री तांसु सिलर (1993)
डेनमार्क की राज्याध्यक्ष महारानी (क्वीन) मारग्रेट द्वितीय
डोमिनिका की प्रथम महिला प्रधानमंत्री मैरी यूजीनिया चार्ल्स (1980)
ताइवान की पहली महिला राष्ट्रपति साई इंग वेन
दकोरिया की पहली महिला प्रधानमंत्री हैन म्यून-सुक (अप्रैल 2006)
दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला प्रधानमंत्री चांग सांग
दक्षिणी ध्रुव पर दिन में किमी की अकेले यात्रा करने वाली प्रथम महिला लिव अर्नेसन (नॉर्वे)
निकारागुआ की प्रथम महिला राष्ट्रपति वायलेटा बेरियोस डी कैमोरो (1990)
निर्गुट सम्मेलन की प्रथम महिला अध्यक्ष श्रीमती इंदिरा गांधी
नीदरलैण्ड की प्रथम महिला प्रधानमंत्री मारिया लिबेरिया पीटर्स एंटीलेस (1998)
नीदरलैण्ड की राज्याध्यक्ष महारानी बीयाट्रिक्स
नॉर्वे की प्रथम महिला प्रधानमंत्री ग्रो हारलेम बुन्डलैन्ड (1981)
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रथम मुस्लिम महिला शीरीन इबादी (ईरान, क्षेत्र-शांति, 2003)
न्यूजीलैण्ड की प्रथम महिला प्रधानमंत्री जैनी शिपले (1997)
पनामा देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति मिरिया मोस्कोसो (1999)
पाकिस्तान की पहली महिला स्पीकर फहमिदा मिर्जा (मार्च 2008)
पाकिस्तान की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो (1988)
पाकिस्तान की प्रथम महिला विंग कमांडर शाहिदा परवीन
पेरू की पहली महिला प्रधानमंत्री ब्रीट्रिज मेरिनो
पोलैण्ड की प्रथम महिला प्रधानमंत्री हन्ना सुचोका (1992)
फिनलैण्ड की प्रथम महिला प्रधानमंत्री एनेली जाटेनमाकी
फिलीपींस की प्रथम महिला राष्ट्रपति कोरोजन एक्विनो (1986)
फ्रांस की प्रथम महिला प्रधानमंत्री एडिथ क्रेसन (1991)
बरमुडा की प्रथम महिला प्रधानमंत्री पामेला गार्डेन (1997)
बांग्लादेश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बेग खालिदा जिया (1991)
बोलीविया की प्रथम महिला राष्ट्रपति लीडिया गैवेलर टेजाडा (1979)
ब्रिटेन की पहली महिला पोयट लॉरिएट कैरोल एन. डफी (स्कॉटलैण्ड की कवयित्री मई, 2009)

ब्रिटेन की पहली रानी जेन
ब्रिटेन की प्रथम महिला राज्याध्यक्ष महारानी एलिजाबेथ द्वितीय
भारत की प्रथम महिला जिसे पाकिस्तान का सर्वोच्च मानवता पुरस्कार ‘निशान-ए-इंसानियत’ प्रदान किया गया नीरजा मिश्रा
महिला क्रिकेट टेस्ट मैच में सर्वाधिक रनों की पारी खेलने का विश्व रिकॉर्ड किरण (पाकिस्तान, 242 रन, मार्च 2004, वेस्टइंडीज के विरुद्ध)
माल्टा की प्रथम महिला प्रधानमंत्री अगाया बारबरा (1982-87)
मिलेनियम टेक्नोलॉजी प्राइज जीतने वाली पहली महिला फ्रांसिस अर्नोल्ड
रोमानिया की प्रथम महिला राष्ट्रपति कोरोजन एक्विनो (1986)
लाइबेरिया की प्रथम महिला राष्ट्रपति रूथ पेरी (1996)
लाटविया की पहली महिला राष्ट्रपति वाई वाइक फ्रीबर्गा (1999)
लिथुआनिया की प्रथम महिला प्रधानमंत्री काजीमियेराप्रुंसकीन (1990)
लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित विश्व के किसी भी देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति विगदिस फिनवोगादोतीर (आइसलैण्ड)
वह भारतीय महिला, जिसे न्यूजीलैण्ड में प्रथम महिला महापौर होने का गौरव प्राप्त है सुखविंदर टर्नर (डुनेडिन शहर)
विदेश में भारत का ध्वज फहराने वाली प्रथम महिला मैडम कामा
विश्व की पहली सबसे कम उम्र की पहली महिला पायलट अटलांटिक पार करने वाली विकीवान मीटर (अमरीका)
विश्व की प्रथम नोबेल पुरस्कार पाने वाली महिला मैडम क्यूरी
विश्व की प्रथम महिला जिन्हें इंटर पार्लियामेन्टरी यूनियन का आजीवन अध्यक्ष नियुक्त किया गया नजमा हेपतुल्ला (भारत)
विश्व की प्रथम महिला डॉक्टर एलिजावेथ ब्लैकवेल (अमरीका)
विश्व की प्रथम महिला प्रधानमंत्री एस. भण्डारनायके (श्रीलंका)
विश्व की प्रथम महिला मुक्केबाज जिसने पहली बार पुरुष महिला मुकाबले में विजय पायी मार्गरेट मैक ग्रेगोर
विश्व की प्रथम महिला राष्ट्रपति मैरिया एसाबेल पेरॉन (अर्जेन्टीना)
विश्व की प्रथम महिला विशप किसे चुना गया रे मैरी एडेलियर (अमरीका)
विश्व की प्रथम महिला सरोद वादक शरन रानी
विश्व की प्रथम सबसे कम उम्र में इंग्लिश चैनल पार करने वाली छात्रा रूपाली रामदास
विश्व की प्रथम सम्मानित महिला ब्रिटेन की रानी एलिजाबेथ
विश्व की वह प्रथम महिला जो अन्तर्राष्ट्रीय बैडमिंटन महासंघ की अध्यक्ष चुनी गयीं ल्यू शेंगरॉग (चीन)
विश्व की वह प्रथम महिला जो पैदल चलकर उत्तरी ध्रुव पहुँचने वाली क्रिस्टीन जेनिन (फ्रांस)
विश्व की सबसे अधिक बच्चों को जन्म देने वाली महिला लयोन्विना अल्विना (चिली-55 बच्चों को जन्म दे चुकी है)
विश्व की सबसे लम्बी महिला सेन्डी एलन (कनाडा ऊँचाई 7 फीट 1/4 इंच)
विश्व की सर्वप्रथम निर्वाचित महिला राष्ट्रपति विगडिस फिन्नवोगाडोटिर (आइसलैण्ड)
विश्व मुक्केबाजी परिषद् का महिलाओं का पहला मुक्केबाजी खिताब लैला अली (11 जून, 2005, प्रसि) मुक्केबाजी मोहम्मद अली की बेटी)
विश्व में किसी भी देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री सिरिमावो भंडारनायके, श्रीलंका (1960)
विश्व में संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रथम महिला सभापति श्रीमती विजयालक्ष्मी पंडित (भारत)
श्रीलंका की प्रथम महिला राष्ट्रपति श्रीमती चंद्रिका कुमारतुंगे (1994)
संयुक्त राज्य अमरीका की प्रथम महिला सेक्रेटरी ऑफ स्टेट मैडेलीन अल्ब्राइट
संयुक्त राष्ट्र संघ की किसी एजेंसी की प्रमुख बनने वाली पहली चीनी नागरिक मारग्रेट चान (विश्व स्वास्थ्य संगठन जनवरी 2007)
संयुक्त राष्ट्र संघ की नागरिक पुलिस सलाहकार नियुक्त होने वाली विश्व की प्रथम महिला किरण बेदी (भारत)
सबसे ज्यादा अवधि (दिन) तक अंतरिक्ष में रहने वाली महिला चेलेना कोडाकोवा
साइमन बोलिवर पुरस्कार से सम्मानित प्रथम महिला आंग सान सून की (म्यांमार)
स्विट्जरलैण्ड की प्रथम महिला राष्ट्रपति रूथ ड्रायफुस (1999)
हैती की पहली महिला प्रधानमंत्री क्लाउदेते बेर्लिग (1995)
हैती की प्रथम महिला राष्ट्रपति हेरटा प्रालोप (1990)

और जानिये : विश्व में प्रथम प्रसिद्ध महिलाओं के नाम और उनकी उपलब्धियॉ (विभिन्न क्षेत्रों में)

केदार सम्मान से सम्मानित व्यक्तियों के नाम एवं वर्ष (1996 से 2017 तक)

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केदार सम्मान से सम्मानित व्यक्तियों की सूची- Kedar Samman Awardees list in Hindi

केदार सम्मान से सम्मानित व्यक्तियों की सूची: (Kedar Samman Awardees list in Hindi)

केदार सम्मान का इतिहास:

केदार सम्मान प्रगतिशील हिन्दी कविता के शीर्षस्थ कवि केदारनाथ अग्रवाल की स्मृति में ‘केदार शोध पीठ’ की ओर से प्रति वर्ष दिया जाने वाला एक प्रमुख साहित्य सम्मान है।

केदार सम्मान की विशेषताएं और महत्वपूर्ण तथ्य:

  • यह सम्मान मुख्यत: हिन्दी कविता के लिए है, ‘केदार शोध पीठ न्यास’, बाँदा द्वारा सन् 1996 से प्रति वर्ष प्रतिष्ठित प्रगतिशील कवि केदारनाथ अग्रवाल की स्मृति में यह सम्मान ऐसी प्रतिभाओं को दिया जाता है, जिन्होंने केदार की काव्यधारा को आगे बढ़ाने में अपनी रचनाशीलता द्वारा कोई अवदान दिया हो।
  • केदार पुरस्कार का निर्णय एक चयन तथा निर्णायक समिति द्वारा किया जाता है।
  • प्रतिवर्ष अगस्त के महीने में आयोजित एक भव्य समारोह में ‘केदार सम्मान’ दिया जाता है।
  • ‘केदार सम्मान’ का मुख्य उद्देश्य केदारनाथ अग्रवाल की परम्परा में लोकतांत्रिक, प्रगतिशील, आधुनिक, विवेकसम्मत, वैज्ञानिक चिन्तन के पक्षधर, सृजन धर्मियों को सम्मानित करना है।

केदार सम्मान से सम्मानित व्यक्तियों की सूची:

वर्ष कवि का नाम कृति/उपन्यास/काव्य
2016 केदार नाथ चौधरी आबारा नहितन
2015 मदन कश्यप दूर दूर तक चुप्पी एवं अपना ही देश
2014
2013 अनीता वर्मा रोशनी के रास्‍ते पर
2012
2011
2010 पंकज राग यह भूमंडल की रात है
2009 अष्टभुजा शुक्ल दु:स्वप्न भी आते हैं
2008 दिनेश कुमार शुक्ल लालमुनियाँ की दुनिया
2007 अनामिका (हिंदी कवयित्री) खुरदुरी हथेलियाँ
2006 बद्री नारायण शब्द पदीयम
2005 आशुतोष दुबे असंभव सारांश
2004 नीलेश रघुवंशी पानी का स्वाद
2003 हेमन्त कुकरेती चाँद पर नाव
2002 अनिल कुमार सिंह पहला उपदेश
2001 हरीशचन्द पाण्डे एक बुरुश कहीं खिलता है
2000 गगन गिल यह आकांक्षा का समय नहीं
1999 विनोद दास वर्णमाला से बाहर
1998 कुमार अंबुज क्रूरता एवं अनंतिम
1997 एकांत श्रीवास्तव अन्न हैं शब्द मेरे
1996 नासिर अहमद सिकंदर जो कुछ भी घट रहा है दुनिया में

इन्हें भी पढे: सरस्वती सम्मान से सम्मानित व्यक्तियों की सूची

और जानिये : केदार सम्मान से सम्मानित व्यक्तियों के नाम एवं वर्ष (1996 से 2017 तक)

89वें ऑस्कर पुरस्कार 2017 के विजेताओं पूरी की सूची

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89वें ऑस्कर पुरस्कार 2017 के विजेताओं की सूची- Oscar Awards 2017 Winners list in Hindi

89वें ऑस्कर पुरस्कार विजेताओं की सूची- (2017 Oscar Academy Awards Winners List in Hindi)

लॉस एंजेलिस, कैलिफोर्निया के डॉल्बी थिएटर में 26 फरवरी 2017 को मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज द्वारा 89वें अकाडमी फिल्म पुरस्कारों का आयोजन किया गया। 89वें अकादमी फिल्म पुरस्कारों में केसी एफ्लेक को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए ऑस्कर से सम्मानित किया गया है। उन्हें फिल्म ‘मैनचैस्टर बाय द सी’ में अपनी भूमिका के लिए यह खिताब मिला है। एमा स्टोन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए ऑस्कर से नवाजा गया है। उन्हें यह पुरस्कार फिल्म ‘ला ला लैंड’ में शानदार भूमिका निभाने के लिए दिया गया है। इस बार फिल्म ला ला लैंड को रिकॉर्ड 14 श्रेणियों में नामित किया गया था। उसे सर्वाधिक 6 श्रेणी में पुरस्कार प्रदान किया गया। उल्लेखनीय है कि महेर्शला अली अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम मुस्लिम व्यक्ति बने। इसमें कई हस्तियों का नवाजा भी जा चुका है।

इन्हें भी पढे: 63वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2016 के विजेताओं की सूची

ऑस्कर पुरस्कार 2017 के विजेताओं की सूची:

  • अडैप्टेड स्क्रीनप्ले: मूनलाइट
  • ऑरिजिनल सॉन्ग फिल्म ‘ला ला लैंड’ के गाने: सिटी ऑफ स्टार्स
  • ऑरिजिनल स्क्रीनप्ले: मैनचेस्टर बाय द सी
  • प्रोडक्शन डिजाइन: ला ला लैंड
  • बेस्ट ऐक्टर फिल्‍म “मैनचेस्टर बाय द सी” के लिए: केसी ऐफलैक
  • बेस्ट ऐक्ट्रेस फिल्‍म “ला ला लैंड” के लिए: ऐमा स्टोन
  • बेस्ट ऐनिमेटेड फीचर फिल्म: जूटोपिया
  • बेस्ट ऐनिमेटेड शॉर्ट फिल्म: पाइपर
  • बेस्ट कॉस्टयूम डिज़ाइन: कोललीन एटवुड
  • बेस्ट डायरेक्शन फिल्‍म “ला ला लैंड” के लिए: डेमियन शजैल
  • बेस्ट फिल्म ऐडिटिंग: हैकसॉ रिज
  • बेस्ट फिल्म: मूनलाइट
  • बेस्ट फॉरन लैंग्वेज कैटिगरी: द सेल्समैन
  • बेस्ट विजुअल इफेक्ट्स: द जंगल बुक
  • बेस्ट सपॉर्टिंग ऐक्टर: महरशेला अली (अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम मुस्लिम व्यक्ति)
  • बेस्ट सपॉर्टिंग ऐक्ट्रेस: वायोला डेविस
  • बेस्ट सिनिमटॉग्रफी फिल्म ला ला लैंड: लीनस सैंडग्रेन
  • मेकअप एंड हेयरस्टाइल: सुसाइट स्क्वैड
  • लाइव ऐक्शन शॉर्ट मूवी कैटिगरी: सिंग
  • शॉर्ट डॉक्युमेंट्री का अकैडमी: वाइट हेल्मेट्स
  • साउंट एडिटिंग: सिल्वैन बेलेमेयर
  • साउंड मिक्सिंग: केविन ओ’कॉनेल व एंडी राइट

इन्हें भी पढे: विश्व के प्रमुख देश और उनके सर्वोच्च सम्मान

और जानिये : 89वें ऑस्कर पुरस्कार 2017 के विजेताओं पूरी की सूची

मैन बुकर पुरस्कार प्राप्त करने वाले भारतीय लेखकों के नाम और उनकी पुस्तकों की सूची

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बुकर पुरस्कार से सम्मानित भारतीय लेखक | Indian Booker Prize Winners in Hindi

मैन बुकर पुरस्कार प्राप्तकर्ता भारतीय लेखक व उनकी पुस्तकें: (Booker Prize Winner Indian Authors List in Hindi)

मैन बुकर पुरस्कार:

मैन बुकर पुरस्कार जिसे लघु रूप में मैन बुकर पुरस्कार या बुकर पुरस्कार भी कहा जाता है, राष्ट्रकुल (कॉमनवैल्थ) या आयरलैंड के नागरिक द्वारा लिखे गए मौलिक अंग्रेजी उपन्यास के लिए हर वर्ष दिया जाता है। वर्ष 2015 में दो भारतीय लेखकों अनुराधा रॉय और ब्रिटिश-भारतीय संजीव सहोता को मैन बुकर पुरस्कार दिया गया था। लेखिका अनुराधा रॉय को उनके तीसरे उपन्यास ‘स्लीपिंग ऑन जूपिटर’ और संजीव सहोता को ‘द इयर ऑफ रनवेज’ के लिए चुना गया। अनुराधा रॉय और संजीव सहोता को मिलाकर कुल 7 बार यह पुरस्कार भारतीय मूल के लेखकों को मिला है (अन्य लेखक: वी. एस. नाइपॉल, अरुंधति राय, सलमान रश्दी किरण देसाई और अरविन्द अडिग)।

बुकर पुरस्कार से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य:

  • बुकर पुरस्कार की स्थापना सन् 1969 में इंगलैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी।
  • बुकर पुरस्कार में 60 हज़ार पाउण्ड की राशि विजेता लेखक को दी जाती है।
  • पहला मैन बुकर पुरस्कार अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को दिया गया था।

  • मैन बुकर पुरस्कार को साहित्य के क्षेत्र में ऑस्कर पुरस्कार के समान माना जाता है।
  • अब तक 7 भारतीय लेखकों को बुकर पुरस्कार मिला है।
  • वर्ष 2015 में दो भारतीय लेखकों अनुराधा रॉय और संजीव सहोता को मैन बुकर पुरस्कार दिया गया था।

यहाँ हम आपको भारतीय उपन्यासकारों के बारे में बता रहे हैं जिन्होनें बुकर पुरस्कार जीता या जिनका नाम बुकर्स पुरस्कार की संक्षिप्त सूची में शामिल हुआ। प्रख्यात भारतीय अनीता देसाई को न सिर्फ एक बार बल्कि तीन बार बुकर्स पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। पहली बार 1980 में विभाजन के बाद उनके उपन्यास “क्लीयर लाइट ऑफ डे” के लिए चुना गया। 1984 में “इन कस्टडी” के लिए जिस पर 1993 में एक फिल्म भी बनी थी।

  • वी. एस. नायपॉल: प्रसिद्ध उपन्यासकार वी. एस. नायपॉल ये मुख्य रूप से भारत के नहीं हैं परंतु मूल रूप से वे भारतीय ही है। वी. एस. नायपॉल को वर्ष 1971 में “इन अ फ्री स्टेट” के लिए मैन बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1979 में “अ बैंड इन द रिवर” के लिए उन्हें पुन: शॉर्टलिस्ट किया गया।
  • अनीता देसाई: प्रख्यात भारतीय लेखिका अनीता देसाई को न सिर्फ एक बार बल्कि तीन बार बुकर्स पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। पहली बार 1980 में विभाजन के बाद उनके उपन्यास “क्लीयर लाइट ऑफ डे” के लिए चुना गया। 1984 में “इन कस्टडी” के लिए जिस पर 1993 में एक फिल्म भी बनी थी। तीसरी और अंतिम बार 1999 में उनके द्विसांस्कृतिक उपन्यास “फास्टिंग, फीस्टिंग” के लिए चुना गया था।  भारत सरकार ने अनीता देसाई को पद्मश्री और 2014 में पद्म भूषण अलंकरण से सम्मानित किया।
  • सर अहमद सलमान रुश्दी:  प्रसिद्ध ब्रिटिश भारतीय उपन्यासकार और निबंधकार सलमान रश्दी ने न केवल चार बार बुकर के लिए चुने गए हैं बल्कि उन्होंने “बुकर ऑफ बुकर्स” और “द बेस्ट ऑफ द बुकर” भी जीता है। सलमान रश्दी को वर्ष 1981 में उनके उपन्यास ” मिड नाईट चिल्ड्रन ” के लिए मैन बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। “शेम” (1983), “द सैटेनिक वर्सेस”(1988) और “द मूर्स लास्ट साय” (1995) अन्य उपन्यास थे जिनके कारण वे फ़ाइनल सूची में शामिल हुए।
  • रोहिंतों मिस्त्री: प्रख्यात भारतीय कैनेडियन उपन्यासकार रोहिंतों मिस्त्री ने केवल तीन उपन्यास लिखे हैं, और तीनों बार बुकर्स के लिए नामांकित हुए हैं। “सच अ लांग जर्नी” जो 1991 में सूची में शामिल हुआ था वह अधिक चर्चा में रहा जब बाल ठाकरे की शिकायत पर इसे मुंबई विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम से निकाल दिया गया था। दूसरी पुस्तक “अ फाइन बैलेंस” (1996) सफलतापूर्वक प्रकाशित हुई। मिस्त्री का तीसरा और अंतिम उपन्यास “फेमिली मैटर्स” (2002) था।
  • अरुंधती रॉय: इस राजनीतिक कार्यकर्ता ने अपने पहले उपन्यास “द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स” के लिए 1997 में बुकर्स पुरस्कार जीता। यह एक गैर प्रवासी भारतीय लेखक की सबसे अधिक बिकने वाली किताब थी। अरुंधती रॉय को मैन बुकर पुरस्कार के अलावा अन्य कई पुरस्कार भी मिले हैं जिसमें 2006 में मिला हुआ साहित्य अकादमी पुरस्कार सबसे अधिक महत्वपूर्ण है।

  • किरण देसाई: किरण देसाई की बेटी अनीता देसाई ने अपने दूसरे और अंतिम उपन्यास “द इन्हेरिटेंस ऑफ लॉस” के लिए 2006 में बुकर्स पुरस्कार जीता। उनकी पहली पुस्तक “हुल्लाबलू इन द ग्वावा ऑर्चर्ड” की आलोचना सलमान रश्दी जैसे लेखकों द्वारा की गई।
  • इंद्रा सिन्हा: यह ब्रिटिश भारतीय लेखक वर्ष 2007 में भोपाल गैस कांड पर इनके द्वारा लिखे गए उपन्यास – एनीमल्स पीपल के कारण फ़ाइनल सूची में थे।
  • अरविंद अड़ीगा: वर्ष 2008 लगातार तीसरा वर्ष था जब भारतीय उपन्यासकार बुकर पुरस्कार के लिए नामांकित हुआ था – और यह चेन्नई के रहने वाले अरविंद अड़ीगा को उनके पहले उपन्यास “द व्हाईट टाइगर” के लिए मिला था। इस उपन्यास ने अड़ीगा को बुकर पुरस्कार प्राप्त करने वाला दूसरा सबसे छोटा लेखक बनाया। वे चौथे ऐसे लेखक थे जिन्हें अपने पहले उपन्यास के लिए ही बुकर पुरस्कार मिला है।
  • अमिताव घोष: वर्ष 2008 में ही बंगाली लेखक अमिताव घोष को उनके छटवें उपन्यास “सी ऑफ पोप्पिएस” के लिए सूची में नामांकित किया गया, अर्थात एक ही वर्ष में दो भारतीयों को नामांकित किया गया। वर्ष 2007 में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
  • जीत थाईल: प्रसिद्ध भारतीय उपन्यासकार, कवि और संगीतकार जीत थाईल जिन्हें 2012 में मेन बुकर पुरस्कार की सूची में शामिल किया गया। यह उनके पहले उपन्यास के लिए था जो केवल काल्पनिक था – “नार्कोपोलीस”। यह 1970 में मुंबई के एक व्यक्ति की कहानी है जो अफ़ीम के नशे में जाने और बाहर आने का वर्णन करती है। यह उपन्यास लिखने में उन्हें पांच वर्ष का समय

और जानिये : मैन बुकर पुरस्कार प्राप्त करने वाले भारतीय लेखकों के नाम और उनकी पुस्तकों की सूची

भारत के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों और शहरों की सूची

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Important Historical places and cities of India in Hindi

भारत के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों और शहरों की सूची: (List of Famous Historical Places of India in Hindi)

यहाँ आपको भारतीय इतिहास के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों और शहरों से सम्बंधित सामान्य ज्ञान जानकारी दी गयी है। भारत के प्रमुख शहरों और स्थलों के आधार पर हर परीक्षा में दो या तीन प्रश्न अवश्य पूछे जाते है। यह आपकी सभी प्रकार की सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं विशेषकर बैंक पीओ व क्लर्क, यूपीएससी, एसएससी, आईएएस, पीसीएस, केट, भारतीय रेलवे, गेट आदि के लिए अत्यंत उपयोगी है। इस पोस्ट में भारतीय इतिहास के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों और शहरों का वर्णन किया है,जो हमे भारत के इतिहास से अवगत कराते है।

  • मैसूर महल: मैसूर महल को अंबा विलास महल के नाम से भी जाना जाता है। मैसूर भारत के कर्नाटक प्रान्त का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह प्रदेश की राजधानी बंगलोर से लगभग डेढ सौ किलोमीटर दक्षिण में तमिलनाडु की सीमा पर बसा है। इस महल में इंडो-सारासेनिक, द्रविडियन, रोमन और ओरिएंटल शैली का वास्तुशिल्प देखने को मिलता है। महल के साथ-साथ यहां 44.2 मीटर ऊंचा एक पांच तल्ला टावर भी है, जिसके गुंबद को सोने से बनाया गया है।
  • लाल किला: दिल्ली के किले को लाल-किला भी कहते हैं, क्योंकि यह लाल रंग का है। यह भारत की राजधानी नई दिल्ली से लगी पुरानी दिल्ली शहर में स्थित है। लाल किला एक मुगलकालीन इमारत है, जिसे मुगल शहंशाह शाहजहाँ ने 17वीं शताब्दी में बनवाया था। यह युनेस्को विश्व धरोहर स्थल में चयनित है।

  • हवा महल: हवा महल भारतीय राज्य राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक राजसी-महल है। इसे सन 1798 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने बनवाया था और इसे किसी ‘राजमुकुट’ की तरह वास्तुकार लाल चंद उस्ता द्वारा डिजाइन किया गया था।
  • ताजमहल: भारत के आगरा शहर में स्थित एक विश्व धरोहर मक़बरा है। इसका निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने, अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में करवाया था। ताजमहल मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। इसकी वास्तु शैली फ़ारसी, तुर्क, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला के घटकों का अनोखा सम्मिलन है। सन् 1983 में, ताजमहल युनेस्को विश्व धरोहर स्थल बना।
  • कुतुबमीनार: कुतुब मीनार भारत के दक्षिणी शहर दिल्ली के महरौली भाग में स्थित है। कुतुब मीनार ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊँची मीनार है। इसकी ऊँचाई 72.5 मीटर (237.86 फीट) और व्यास 17.3 मीटर है, जो ऊपर जाकर शिखर पर 2.75 मीटर (9.02 फीट) हो जाता है। इसमें ३७९ सीढियाँ हैं। यह परिसर युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में स्वीकृत किया गया है।
  • अमरावती: अमरावती आन्ध्र प्रदेश के गुंटूर ज़िले में कृष्णा नदी के दाहिने तट पर आधुनिक विजयवाड़ा के निकट स्थित है। यह नगर सातवाहन राजाओं के शासनकाल में हिन्दू संस्कृति का केन्द्र था। इसका प्राचीन नाम धान्यघट या धान्यकटक अथवा धरणिकोट है। कृष्णा नदी के तट पर बसे होने से इस स्थान का बड़ा महत्त्व था, क्योंकि समुद्र से कृष्णा नदी से होकर व्यापारिक जहाज़ यहाँ पहुँचते थे। यहाँ से भारी मात्रा में आहत सिक्के (पंच मार्क्ड) जो सबसे पुराने हैं, मिले हैं।
  • अहिछत्र : उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में स्थित है। यह स्थान एक समय पाँचालों की राजधानी थी। महाभारत के अनुसार उत्तर पाँचाल की राजधानी अहिच्छत्र को कुरुओं ने वहाँ के राज से छीनकर द्रोण को दे दिया था। कहा जाता है, द्रोण ने द्रुपद को अपने शिष्यों की सहायता से हराकर प्रतिशेध लिया था और उसका आधा राज्य बाँट लिया था।
  • आइहोल: कर्नाटक में स्थित आइहोल चालुक्यों द्वारा बनवाए गए पाषाण के मन्दिरों के लिए प्रसिद्ध है।
  • अजंताकीगुफाएँ: अजंता की गुफाएँ अजंता नामक गांव के सन्निकट में स्थित हैं, जो कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में हैं। इसमें 29 बौद्ध गुफाएँ मौजूद हैं। यह गुफाएँ अपनी चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध हैं। इनका काल 2 सदी ई. पू. से 7 शताब्दी ई. तक है। यहां बौद्ध धर्म से सम्बंधित चित्रण एवं शिल्पकारी के उत्कृष्ट नमूने मिलते हैं।  अजंता की गुफाएं को सन 1983 से युनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित है।
  • अरिकामेडू: चोल काल के दौरान पाँडिचेरी के निकट स्थित समुद्री बंदरगाह था। अरिकामेडू को पेरिप्लस में पेडूक कहा गया है।
  • बादामीयावातापी: कर्नाटक में स्थित यह स्थान चालुक्य मूर्तिकला के  लिए प्रसिद्ध है जो कि गुहा मंदिरों में पाई जाती है। यह स्थान द्रविड़ वास्तुकला का उत्तम उदाहरण है।
  • चिदाम्बरम: यह स्थान चेन्नई के 150 मील दक्षिण में स्थित है और एक समय यह चोल राज्य की राजधानी थी। यहाँ के मंदिर भारत के प्राचीनतम मंदिरों में से हैं और वे द्रविड़स्थापत्य व वास्तुकला का बखूबी प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • बोधगया:बिहार की राजधानी पटना के दक्षिणपूर्व में लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित बोधगया गया जिले से सटा एक छोटा शहर है। कहते हैं बोधगया में बोधि पेड़़ के नीचे तपस्या कर रहे गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। तभी से यह स्थल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। वर्ष 200 में यूनेस्कोद्वारा इस शहर को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया।
  • एलीफेंटा की गुफाएं: एलीफेंटा की गुफाएं मुंबई से लगभग 11 किलोमीटर उत्तर-पूर्व की तटीय पहाडि़यों पर स्थित हैं तथा ये लगभग सात किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हैं। एलिफेंटा की गुफ़ाएँ पौराणिक देवताओं की अत्यन्त भव्य मूर्तियों के लिए विख्यात है। इस खाड़ी का नाम घारापुरी भी है जिसका अर्थ होता है गुफाओं का शहर। इस जगह पर दो प्रकार की गुफाएं हैं एक जो हिन्दू धर्म को दर्शाती हैं और दूसरी वो जो बौद्ध धर्म के मानने वालों के लिए हैं। 1987 में एलिफेंटा की गुफ़ाएँ को विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किया गया था।
  • अयोध्या: अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक अति प्राचीन धार्मिक नगर है। यह फैजाबाद जिला के अन्तर्गत आता है। यह सरयू नदी (घाघरा नदी) के दाएं तट पर बसा है। प्राचीन काल में इसे ‘कौशल देश’ कहा जाता था। अयोध्या हिन्दुओं का प्राचीन और सात पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। भगवान राम का जन्म स्थान यही है।
  • एलोरागुफायें: यह स्थान महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद जिले के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। प्रकृति की हरी-भरी वादियों में बसी, बाघेरा नदी के किनारे घोड़े की नाल के आकार में पत्थर को काटकर बनाई गईं 34 गुफाएं स्थित हैं।
  • फतेहपुरसीकरी: फतेहपुर सीकरी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में, आगरा से 23 मील की दूरी पर स्थित है। इसकी स्थापना 1569 में अकबर ने की थी। फतेहपुर सीकरी हिंदू और मुस्लिम वास्‍तुशिल्‍प के मिश्रण का सबसे अच्‍छा उदाहरण है। यहाँ पर 176 फीट ऊँचा बुलंद दरवाजा मौजूद है।
  • हड़प्पा: हड़प्पा पूर्वोत्तर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का एक पुरातात्विक स्थल है। यह साहिवाल शहर से २० किलोमीटर पश्चिम मे स्थित है। सिन्धु घाटी सभ्यता के अनेकों अवशेष यहाँ से प्राप्त हुए है। सिंधु घाटी सभ्यता को इसी शहर के नाम के कारण हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है।
  • हम्पी: हम्पी मध्यकालीन हिन्दू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी था। तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित यह नगर अब ‘हम्पी’ के नाम से जाना जाता है। यह प्राचीन शानदार नगर अब मात्र खंडहरों के रूप में ही अवशेष अंश में उपस्थित है। यहाँ के खंडहरों को देखने से यह सहज ही प्रतीत होता है कि किसी समय में हम्पी में एक समृद्धशाली सभ्यता निवास करती थी। भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित यह नगर यूनेस्को द्वारा ‘विश्व विरासत स्थलों’ की सूची में भी शामिल है।
  • आगरा: इस शहर की नींव लोदी वंश के बादशाह सिकंदर लोदी ने 1509 में रक्खी थी। बाद में मुगल सम्राटों ने इसे अपनी राजधानी बनाया। शाहजहाँ ने यहीं अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में ताजमहल का निर्माण कराया था।
  • अमृतसर: अमृतसर भारत के पंजाब राज्य का एक शहर है। अमृतसर पंजाब का सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र शहर माना जाता है, क्योंकि सिक्खों का सबसे बडा गुरूद्वारा स्वर्ण मंदिर अमृतसर में ही है। ताजमहल के बाद सबसे ज्यादा पर्यटक अमृतसर के स्वर्ण मंदिर को ही देखने आते हैं। इसका निर्माण सिक्खों के चौथे गुरू रामदास ने करवाया था।
  • अवन्ति: पुराणों में अवन्ति प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। इसके अंतर्गत आधुनिक मालवा था। उज्जैन इसकी राजधानी थी।
  • इंद्रप्रस्थ: इंद्रप्रस्थ, प्राचीन भारत के राज्यों में से एक था। महान भारतीय महाकाव्य महाभारत के अनुसार यह पांडवों की राजधानी थी। यह शहर यमुना नदी के किनारे स्थित था, जो कि भारत की वर्तमान राजधानी दिल्ली में स्थित है।
  • उज्जयिनी: वर्तमान उज्जैन नगर, जो कि भारत के मध्य प्रदेश में स्थित है, उसे प्राचीन काल में उज्जयिओनी कहा जाता था। इसी से वर्तमान नाम उज्जैन पड़ा है। यह सात मोक्षदायिनी नगरियों, सप्तपुरियों में आता है। छठी सदी ई. पू. में यह शहर उत्तरी अवन्ति की राजधानी था।
  • कन्नौज: उत्तर प्रदेश में स्थित यह शहर हर्ष की राजधानी थी। कन्नौज एक प्राचीन नगरी है एवं कभी हिंदू साम्राज्य की राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित रहा है। माना जाता है कि कान्यकुब्ज ब्राह्मण मूल रूप से इसी स्थान के हैं।
  • कन्याकुमारी: कन्याकुमारी पद्मपुराण में वर्णित तमिलनाडु प्रान्त के सुदूर दक्षिण तट पर बसा एक शहर है। यह हिन्द महासागर, बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर का संगम स्थल है, जहां भिन्न सागर अपने विभिन्न रंगो से मनोरम छटा बिखेरते हैं। भारत के सबसे दक्षिण छोर पर बसा कन्याकुमारी वर्षो से कला, संस्कृति, सभ्यता का प्रतीक रहा है।

  • कपिलवस्तु: कपिलवस्तु, शाक्य गण की राजधानी था। गौतम बुद्ध के जीवन के प्रारम्भिक काल खण्ड यहीं पर व्यथीत हुआ था। भगवान बुद्ध का जन्म इस स्थान से 10 किमी पूर्व में लुंबिनी मे हुआ था।
  • कांचीपुरम: कांचीपुरम भारत के तमिलनाडु राज्य में पलार नदी के किनारे स्थित है। यह मन्दिरों का शहर है। इसे पूर्व में कांची या काचीअम्पाठी भी कहते थे। कांचीपुरम प्राचीन चोल और पल्लव राजाओं की राजधानी थी। यहां कई बडे़ मन्दिर हैं, जैसे वरदराज पेरुमल मन्दिर भगवान विष्णु के लिये, भगवान शिव के पांच रूपों में से एक को समर्पित एकाम्बरनाथ मन्दिर, कामाक्षी अम्मा मन्दिर, कुमारकोट्टम, कच्छपेश्वर मन्दिर, कैलाशनाथ मन्दिर, इत्यादि। यह नगर अपनी रेशमी साडि़यों के लिये भी प्रसिद्ध है।
  • कुशीनगर: उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में स्थित इसी स्थान पर महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था।
  • खजुराहो: दसवीं से बारहवीं शताब्दी के मध्य चंदेल शासकों द्वारा निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध खजुराहों मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है।
  • गया: बिहार में स्थित इस नगर की गणना पवित्र नगरियों में की जाती है। यहीं पर बुद्ध को ज्ञान की प्राप्त हुई थी।
  • जयपुर: 1721 में कछवाहा शासक सवाई जयसिंह ने इस नगर की स्थापना की थी।
  • झांसी: उत्तर प्रदेश का यह नगर रानी लक्ष्मी बाई की वजह से प्रसिद्ध है।
  • दौलताबाद: प्राचीनकाल में देवगिरि के नाम से विख्यात यह नगर महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित है। मुहम्मद बिन तुगलक ने इसे अपनी राजधानी बनाया था।
  • पाटलिपुत्र: बिहार स्थित पाटलिपुत्र वर्तमान में पटना के नाम से प्रसिद्ध है। यह मौर्र्यों की राजधानी थी।
  • पूणे: मराठा सरदार शिवाजी तथा उनके पुत्र शम्भाजी की राजधानी पूणे महाराष्ट्र का एक प्रमुख शहर माना जाता है।
  • पुरूषपुर: प्रथम शताब्दी ई.पू. में कनिष्क द्वारा स्थापित पुरूषपुर पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत में स्थित है। इसे वर्तमान में पेशावर के नाम से जाना जाता है।
  • प्लासी: प्लासी 1757 में ईस्ट इंडिया कंपनी एवं बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच हुए युद्ध के लिए प्रसिद्ध है।
  • प्रयाग: तीर्थराज कहलाने वाला यह नगर गंगा:यमुना के संगम पर बसा है। प्राचीन काल से ही इस स्थली की गणना पवित्र नगरियों में की जाती है। बाद में अकबर ने इसका नाम बदलकर इलाहाबाद कर दिया था।
  • बीजापुर: युसूफ आदिलशाह द्वारा स्थापित यह नगर कर्नाटक में स्थित है। यहां गोल गुंबज मुहम्मद आदिलशाह का मकबरा है।
  • भुवनेश्वर: वर्तमान समय में उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर प्राचीन समय में उत्कल की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध था। यहाँ के मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।
  • रामेश्वरम: तमिलनाडु में स्थित यह स्थान रामनाथ स्वामी मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
  • मदुरै: पाण्ड्य राजाओं की राजधानी एवं तमिलनाडु में स्थित यह नगर मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।
  • भीतरगांव: उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित यह स्थल गुप्तकालीन ईंटों से बने मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
  • माउंटआबू: दिलवाड़ा के जैन मंदिर के लिए प्रसिद्ध यह स्थान अरावली पर्वत पर स्थित है।
  • मथुराउत्तर प्रदेश में स्थित यह नगरी भगवान श्रीकृष्ण की जन्म स्थली होने की वजह से प्रसिद्ध है।
  • मामल्लपुरम:पल्लव नरेश नरसिंह वर्मन द्वारा चेन्नई के पास निर्मित यह नगर वर्तमान में महाबलीपुरम के रुप में विख्यात है। यहां के मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं।
  • विजयनगर: इस राज्य की नींव 1336 में तुंगभद्रा नदी के तट पर हरिहर व बुक्का द्वारा रखी गई थी।
  • श्रवणबेलगोला: कर्नाटक के हसन जिले में स्थित श्रवणबेलगोला जैन धर्म के मुख्य केेंद्र के रूप में प्रसिद्ध है। यहां जैन तीर्र्थंकर बाहुबली की विशाल मूर्ति है।
  • सारनाथ: यह स्थान उत्तर प्रदेश के वाराणसी के पास स्थित है जहां बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था।
  • कोणार्क सूर्य मंदिर: कोणार्क का सूर्य मंदिर, भारत के उड़ीसा राज्य के पुरी जिले के पुरी नामक शहर में स्थित है। इसे लाल बलुआ पत्थर एवं काले ग्रेनाइट पत्थर से १२३६– १२६४ ई.पू. में गंग वंश के राजा नृसिंहदेव द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर, भारत की सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। इसे युनेस्को द्वारा सन 1984 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।

और जानिये : भारत के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों और शहरों की सूची

दिल्ली के मुख्यमंत्रियों के नाम, कार्यकाल एवं उनकी राजनीतिक पार्टी (वर्ष 1952 से 2017)

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दिल्ली के मुख्यमंत्रियों के नाम, कार्यकाल एवं उनकी राजनीतिक पार्टी (वर्ष 1952 से 2017)

दिल्ली के मुख्यमंत्रियों की सूची (1952-2017): (List of Chief Ministers of Delhi From 1952 to 2017 in Hindi)

दिल्ली:

दिल्ली आधिकारिक तौर पर दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी प्रदेश भारत का एक केंद्र-शासित प्रदेश और महानगर है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो भारत की राजधानी है। दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं। चौधरी ब्रह्म प्रकाश दिल्ली के पहले मुख्यमंत्री थे। दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों – कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं 1483 वर्ग किलोमीटर में फैला दिल्ली जनसंख्या के तौर पर भारत का दूसरा सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग 1 करोड़ 70 लाख है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषाएँ हैं : हिन्दी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेज़ी। भारत में दिल्ली का ऐतिहासिक महत्त्व है। इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है।

दिल्ली का इतिहास एवं महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान:

महाभारत काल से ही दिल्ली का विशेष उल्लेख रहा है। दिल्ली का शासन एक राजवंश से दूसरे राजवंश को हस्तांतरित होता गया। यह मौर्यों से आरंभ होकर पल्लवों तथा मध्य भारत के गुप्तों से होता हुआ 13वीं से 15वीं सदी तक तुर्क और अफ़ग़ान और अंत में 16वीं सदी में मुग़लों के हाथों में पहुँचा। 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध और 19वीं सदी के पूर्वार्द्ध में दिल्ली में अंग्रेज़ी शासन की स्थापना हुई। 1911 में कोलकाता से राजधानी दिल्ली स्थानांतरित होने पर यह शहर सभी तरह की गतिविधियों का केंद्र बन गया। 1956 में केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा प्राप्त हुआ। दिल्ली के इतिहास में 69वाँ संविधान संशोधन विधेयक एक महत्त्वपूर्ण घटना है, जिसके फलस्वरूप राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र अधिनियम 1991 में लागू हो जाने से दिल्ली में विधानसभा का गठन हुआ।

दिल्ली के मुख्यमंत्री दिल्ली सरकार व मंत्री परिषद के प्रमुख और दिल्ली विधानसभा में बहुमत दल के नेता होते हैं। मुख्यमंत्री दिल्ली सरकार की कार्यकारी शाखा का नेतृत्व करते हैं।

वर्ष 1952 से 2017 तक दिल्ली के सभी मुख्यमंत्रियों की सूची:

क्रमांक मुख्यमंत्री का नाम पद ग्रहण पद मुक्त राजनीतिक दल
1 चौधरी ब्रह्म प्रकाश 1952 1955 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2 जी एन सिंह 1955 1956 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
राज्य का अस्तित्व समाप्त कर एक केन्द्रीय प्रशासित संघ क्षेत्र बना (1956 – 1993)
3 मदन लाल खुराना 1993 1996 भारतीय जनता पार्टी
4 साहिब सिंह वर्मा 1996 1997 भारतीय जनता पार्टी
5 सुषमा स्वराज 1997 1998 भारतीय जनता पार्टी
6 शीला दीक्षित 1998 2003 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
6 शीला दीक्षित 2003 2008 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
6 शीला दीक्षित 2008 2013 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
7 अरविंद केजरीवाल 28 दिसम्बर, 2013 14 फ़रवरी, 2014 आम आदमी पार्टी
राष्ट्रपति शासन (17 फ़रवरी 2014 से 13 फ़रवरी, 2015)
7 अरविंद केजरीवाल 14 फ़रवरी, 2015 अब तक आम आदमी पार्टी

दिल्ली के महत्वपूर्ण तथ्यों पर आधारित सामान्य ज्ञान:

राजधानी नई दिल्ली
राजभाषा(एँ) हिन्दी, अंग्रेज़ी, पंजाबी और उर्दू
जनसंख्या 1,38,50,507
क्षेत्रफल 1,483 वर्ग किमी
भौगोलिक निर्देशांक 28°36′36″ उत्तर 77°13′48″ पूर्व
जलवायु दिल्ली की जलवायु उपोष्ण है। दिल्ली में गर्मी के महीने मई तथा जून बेहद शुष्क और झुलसाने वाले होते हैं।
ज़िले 11
मुख्य ऐतिहासिक स्थल इंडिया गेट, क़ुतुब मीनार, जामा मस्जिद, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, लाल क़िला आदि
मुख्य पर्यटन स्थल हुमायूँ का मक़बरा, दिल्ली हाट, जंतर मंतर, अक्षरधाम मन्दिर, राष्ट्रीय रेल संग्रहालय दिल्ली
मुख्य धर्म-सम्प्रदाय हिन्दू, इस्लाम, सिक्ख, बौद्ध, जैनएवं अन्य
साक्षरता 81.82%%
उच्च न्यायालय दिल्ली उच्च न्यायालय
उपराज्यपाल अनिल बैजल
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
विधानसभा सदस्य 70
लोकसभा क्षेत्र 7
राज्यसभा सदस्य 3
नदी यमुना
राजकीय पक्षी घरेलू गौरैया

और जानिये : दिल्ली के मुख्यमंत्रियों के नाम, कार्यकाल एवं उनकी राजनीतिक पार्टी (वर्ष 1952 से 2017)


मूर्तिदेवी पुरस्कार विजेताओं के नाम तथा वर्ष (1983 से 2017 तक)

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मूर्तिदेवी पुरस्कार विजेताओं के नाम तथा वर्ष- Moortidevi Award Winners in Hindi

मूर्तिदेवी पुरस्कार विजेताओं के नाम तथा वर्ष: (List of Moortidevi Awards Winners Since 1983-2017 in Hindi)

मूर्तिदेवी पुरस्कार भारतीय ज्ञानपीठ समिति के द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित साहित्य सम्मान है। इस पुरस्कार के तहत चार लाख रुपये की पुरस्कार राशि, सरस्वती देवी की प्रतिमा व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा 16 दिसंबर 2016 को प्रसिद्ध मलयालम लेखक एम.पी. वीरेंद्र कुमार को वर्ष 2016 का 30वां मूर्तिदेवी पुरस्कार प्रदान किए जाने की घोषणा की गई। इन्हें यह पुरस्कार उनके यात्रा वृतांत ‘हैमवथा भूमियिल के लिए दिया जा रहा है।

भारतीय ज्ञानपीठ न्यास भारतीय साहित्य के विकास के लिए स्थापित भारतीय ज्ञानपीठ भारतीय साहित्य के विकास के लिए श्री साहू शांति प्रसाद जैन तथा श्रीमती रमा जैन द्वारा स्थापित न्यास है। यह न्यास साहित्यिक पुस्तकें प्रकाशित करता है तथा ज्ञानपीठ पुरस्कार तथा मूर्ति देवी पुरस्कार नामक दो पुरस्कार प्रदान करता है, जो साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कारों में से हैं।

इन्हें भी पढे: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय व्यक्तियों की सूची

वर्ष 1983 से 2017 तक मूर्तिदेवी पुरस्कार विजेताओं की सूची:

वर्ष विजेताओं के नाम भाषा
2016 एम.पी. वीरेंद्र कुमार मलयालम
2015 प्रो. कोलकलुरी इनोच तेलगू
2014 विश्वनाथ त्रिपाठी हिन्दी
2013 सी राधाकृष्णन मलयालम
2012 हरप्रसाद दास ओड़िआ
2011 गुलाब कोठारी हिंदी
2007 वीरप्पा मोइली कन्नड़
2006 कृष्णबिहारी मिश्र हिन्दी
2005 डॉ. राममूर्ति शर्मा हिन्दी
2004 नारायन देसाई गुजराती
2003 कल्याण मल लोढा हिन्दी
2002 यशदेव शल्य हिन्दी
2001 राममूर्ति त्रिपाठी हिन्दी
2000 गोविन्दचन्द्र पांडेय हिन्दी
1995 निर्मल वर्मा हिन्दी
1994 शिवाजी सावन्त मराठी
1993 श्यामाचरण दुबे हिन्दी
1992 कुबेरनाथ राय हिन्दी
1991 डॉ. प्रतिभा राय मलयालम
1990 मुनि श्री नागराज हिन्दी
1989 विद्या निवास मिश्र हिन्दी
1988 विष्णु प्रभाकर हिन्दी
1986 कन्हैया लाल सेथिआ राजस्थानी
1985 मनुभाई पाँचोली ‘दर्शक’ गुजराती
1984 वीरेंद्र कुमार सखलेचा हिन्दी
1983 सी. के नागराज राव कन्नड़

इन्हें भी पढ़े: केदार सम्मान से सम्मानित व्यक्तियों की सूची (1996-2017)

और जानिये : मूर्तिदेवी पुरस्कार विजेताओं के नाम तथा वर्ष (1983 से 2017 तक)

बीसीसीआई पुरस्कार 2017 से सम्मानित खिलाड़ियों की पूरी सूची

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बीसीसीआई पुरस्कार 2017 से सम्मानित खिलाड़ियों की पूरी सूची

बीसीसीआई पुरस्कार (अवार्ड्स) 2017 से सम्मानित खिलाड़ियों की सूची: (List of BCCI Awards Winners 2017 in Hindi)

बीसीसीआई पुरस्कार समारोह 2017:

बीसीसीआई द्वारा 08 मार्च को आयोजित बीसीसीआई पुरस्कार समारोह 2017 में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली को ‘साल के सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर’ को मिलने वाले प्रतिष्ठित “पाली उमरीगर पुरस्कार” से सम्मानित किया गया, जबकि ऑलराउंडर रविचंद्रन अश्विन को ‘द्विपक्षीय श्रृंखला में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन’ के लिए “दिलीप सरदेसाई पुरस्कार” से सम्मानित किया गया। वर्ष 2011-12 और 2014-15 के बाद कोहली को तीसरी बार इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। विराट कोहली खेल के तीनों प्रारूपों में भारत के शीर्ष स्कोरर रहे थे। विराट कोहली इस पुरस्कार को तीसरी बार जीतने वाले पहले खिलाड़ी है। रविचंद्रन अश्विन भी दिलीप सरदेसाई पुरस्कार दूसरी बार हासिल करने वाली पहले क्रिकेटर बने है। इन पुरस्कारों में उनके अलावा कई लीजेंड्स और घरेलू सत्र में शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को भी शामिल किया गया।

बीसीसीआई द्वारा सम्मानित खिलाड़ियों की सूची इस प्रकार है:

  • कर्नल सीके नायडु लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड: राजिन्द्र गोयल, पद्माकर शिवाल्कर।
  • बीसीसीआई महिला लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड: शनथा रंगास्वामी (लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड पाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाडी)।
  • बीसीसीआई विशेष अवार्ड: वीवी कुमार, रमाकांत देसाई।
  • पोली उमरीगर अवार्ड: विराट कोहली (इस पुरस्कार को तीसरी बार जीतने वाले पहले खिलाड़ी)।
  • दिलीप सरदेसाई अवार्ड (वेस्टइंडीज सीरीज 2016 में श्रेष्ठ भारतीय क्रिकेटर के लिए): रविचंद्रन अश्विन (इस पुरस्कार को दूसरी बार हासिल करने वाले पहले खिलाड़ी)।
  • लाला अमरनाथ अवार्ड (2015-16 रणजी ट्रॉफी में श्रेष्ठ ऑलराउंडर के लिए): जलज सक्सेना, मध्य प्रदेश।
  • लाला अमरनाथ अवार्ड (घरेलू सीमित ओवर प्रतियोगिता के लिए): अक्षर पटेल, गुजरात।
  • माधवराव सिंधिया अवार्ड (2015-16 रणजी ट्रॉफी में सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी के लिए): श्रेयस अय्यर, मुंबई।
  • माधवराव सिंधिया अवार्ड (2015-16 रणजी ट्रॉफी में सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज के लिए): शाहबाज नदीम, झारखण्ड।
  • एमए चिदम्बरम ट्रॉफी (कर्नल सीके नायडु अंडर 23 ट्रॉफी 2015-16 में सर्वोच्च स्कोरर के लिए): जय बिस्ट, मुंबई।
  • एमए चिदम्बरम ट्रॉफी (कर्नल सीके नायडु अंडर 23 ट्रॉफी 2015-16 में सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज के लिए): सत्यजीत बछाव, महाराष्ट्र।
  • एनकेपी साल्वी अवार्ड (अंडर 19 कूचबिहार ट्रॉफी 2015-16 में सबसे अधिक स्कोर करने वाले खिलाड़ी के लिए): अरमान जाफर, मुंबई।
  • एनकेपी साल्वे अवार्ड (अंडर 19 कूचबिहार ट्रॉफी 2015-16 में सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज के लिए): निनद राथवा, बड़ौदा।
  • राजसिंह डूंगरपुर अवार्ड (अंडर 16 विजय मर्चेंट ट्रॉफी 2015-16 में सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज के लिए): अभिषेक शर्मा, पंजाब।
  • राजसिंह डूंगरपुर अवार्ड (अंडर 16 विजय मर्चेंट ट्रॉफी 2015-16 में सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज के लिए): अभिषेक शर्मा, पंजाब।
  • जगमोहन डालमिया अवार्ड (2015-16 में श्रेष्ठ वरिष्ठ महिला खिलाड़ी के लिए): मिताली राज, रेलवे।
  • जगमोहन डालमिया अवार्ड (2015-16 में श्रेष्ठ जूनियर महिला खिलाड़ी के लिए): दीप्ति शर्मा, उत्तर प्रदेश।
  • घरेलू क्रिकेट में श्रेष्ठ अम्पायर: नितिन मेनन।
  • बीसीसीआई के घरेलू टूर्नामेंटों में श्रेष्ठ प्रदर्शन: मुंबई क्रिकेट संघ।

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वायुमंडल संरचना, संघटन, प्रमुख 5 परतें एवं मुख्य गैसों की सूची

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वायुमंडल की संरचना, संघटन, प्रमुख 5 परतें एवं मुख्य गैसों की सूची | Atmosphere GK in Hindi

वायुमंडल संरचना, संघटन, प्रमुख परतें एवं मुख्य गैसों की सूची: (Atmosphere Structure their Layers and GK Facts in Hindi)

वायुमंडल किसे कहते है?

पृथ्वी के चारों ओर जितने स्थान में वायु रहती है उस गैसीय आवरण को वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल अनेक गैसों का मिश्रण हैं। वायुमंडल के अतिरिक्त पृथ्वी का स्थलमंडल ठोस पदार्थों से बना और जलमंडल जल से बने हैं। वायुमंडल की सबसे निचली परत क्षोभमंडल हैं। उसके ऊपर के भाग को समतापमंडल और उसके और ऊपर के भाग को आयनमंडल कहते हैं। क्षोभमंडल और समतापमंडल के बीच के बीच के भाग को “शांतमंडल” और समतापमंडल और आयनमंडल के बीच को स्ट्रैटोपॉज़ कहते हैं। साधारणतया ऊपर के तल बिलकुल शांत रहते हैं। वायुमंडल की ऊंचाई 16 से 29 हजार किमी तक बतायी जाती है परन्तु धरातल से केवल 800 किमी तक ऊंचा वायुमण्डल ही अधिक महत्त्चपूर्ण है।

वायुमंडल की मुख्य गैसें:

वायुमंडल अनेक गैसों का मिश्रण हैं। वायुमंडल में मौजूद मुख्य गैसों के नाम निम्नलिखित है:

गैस का नाम आयतन के अनुसार प्रतिशत
नाइट्रोजन 78.08
ऑक्सीजन 20.9
आर्गन 0.93
कार्बन डाईऑक्साइड 0.03
निऑन 0.0018
हीलियम 0.0005
ओज़ोन 0.00006
हाइड्रोजन 0.00005
मीथेन अल्प मात्रा
क्रिप्टन अल्प मात्रा
ज़ेनॉन अल्प मात्रा

वायुमण्डल की परतें:

वायुमण्डल का घनत्व ऊंचाई के साथ-साथ घटता जाता है। वायुमण्डल को 5 विभिन्न परतों में विभाजित किया गया है।

  • क्षोभमण्डल
  • समतापमण्डल
  • मध्यमण्डल
  • तापमण्डल
  • बाह्यमण्डल

1. क्षोभमण्डल

  • यह पृथ्वी की सतह के सबसे नजदीक होती है। इसकी ऊचाई विषुवत रेखा (16 किमी) से ध्रुवों (8 किमी) की ओर जाने पर घटती है। सभी मौसमी घटनाएँ इसी परत में सम्पन्न होती हैं।
  • यह अन्य सभी परतों से घनी है और यहाँ पर जलवाष्प, धूलकण, आर्द्रता आदि मिलते हैं। मौसम सम्बन्धी अधिकांष परिवर्तनों के लिए क्षोममण्डल ही उत्तरदायी है।
  • इस परत में ऊंचाई के साथ-साथ तापमान घटता है। प्रत्येक 165 मीटर पर 1°C तापमान की कमी हो जाती है। इसे सामान्य ताप हास दर कहते हैं।
  • तापहास दर केवल ऊंचाई से ही नहीं बल्कि अक्षांशों से भी प्रभावित होती है। इस नियम के अनुसार यह दर उच्च तापमान वाले धरातल के ऊपर उच्च तथा निम्न तापमान वाले धरातल के ऊपर निम्न होती है।
  • क्षोभमण्डल के ऊपर षीर्ष पर स्थित क्षोभमण्डल सीमा इसे समताप मण्डल से अलग करती है। इसको संवहन मंडल भी कहा जाता है।

2. समताप मण्डल:

  • इसकी ऊंचाई 50 किमी तक होती है।
  • समताप मण्डल में तापमान में ऊंचाई के साथ वष्द्धि नहीं होती है। तापमान समान रहता है।
  • यह परत वायुयान चालकों के लिए आदर्ष होती है।
  • समताप मण्डल की ऊपरी सीमा को ‘स्ट्रैटोपाज’ कहते हैं।
  • इस मण्डल में जल-वाष्प, धूलकण आदि नहीं पाये जाते हैं। इसमें बादलों का अभाव होते है।
  • इस मण्डल के निचले भाग में ओज़ोन गैस बहुतायात में पायी जाती है। इस ओज़ोन बहुल मण्डल को ओज़ोन मण्डल कहते हैं।
  • इस मण्डल में ओजोन परत होती है, जो सूर्य की पराबैंगनी किरणों का अवषोषण करती है और उन्हें भूतल तक नहीं पहुंचने देती है तथा पृथ्वी को अधिक गर्म होने से बचाती हैं।

3. मध्य मण्डल:

  • यह 80 किमी की ऊंचाई तक होता है।
  • इसमें ऊंचाई के साथ तापमान में गिरावट होती है और 80 किमी. की ऊंचाई पर तापमान दृ100°ब् तक हो जाता है।

4. आयन मंडल:

  • इसे तापमंडल भी कहा जाता है।
  • इस मंडल का फ़ैलाव 50 किमी. से लेकर 400 किमी. की ऊंचाई  तक है।
  • इस मंडल में तापमान तेजी से बढ़ता है।
  • पृथ्वी से प्रेषित रेडियों तरंगें इसी मंडल में टकराकर पुनः पृथ्वी पर वापस लौटती है।

5. बाह्य मंडल:

  • यह वायुमंडल की सबसे ऊपरी परत है।
  • इसकी बाह्य सीमा पर तापमान लगभग 5568°C तक होता है।
  • इसमें हाइड्रोजन व हीलियम गैसों की प्रधानता होती है।

वायुमंडलीय दाब किसे कहते है?

धरातल पर या सागर तल पर क्षेत्राफल की प्रति इकाई पर ऊपर स्थित वायुमंडल की समस्त परतों के पड़ने वाले भार को ही वायुदाब कहा जाता है। इसे बैरोमीटर द्वारा मापा जाता है। सागर तल पर वायु दाब अधिकतम होता है। वायुमंडल में जल वाष्प की मात्रा बढ़ने पर वायुदाब में कमी आ जाती है। कम दबाव वाले क्षेत्रों में उन स्थानों के ऊपर वायुमंडलीय द्रव्यमान कम होता है, जबकि अधिक दबाव वाले क्षेत्रों में उन स्थानों के ऊपर अधिक वायुमंडलीय द्रव्यमान होता है। इसी प्रकार, जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती जाती है उस स्तर के ऊपर वायुमंडलीय द्रव्यमान कम होता जाता है, इसलिए बढ़ती ऊंचाई के साथ दबाव घट जाता है।

वायुदाब की पेटियाँ:

1. विषुवतरेखीय निम्न वायुदाब पेटी:

  • इसका विस्तार दोनों गोलार्द्ध में 0° अक्षांश से 5° अक्षांश तक है।
  • यहाँ अधिकतम सूर्यताप प्राप्त होता है, अतः वायु गर्म होकर हल्की हो जाती है और उ$पर उठ जाती है। इससे यहाँ निम्न दाब उत्पन्न हो जाता है।
  • इस क्षेत्रा में वायु लगभग गतिहीन या षान्त होती है। अतः इसे शान्त कटिबन्ध भी कहते हैं।

2. उपोष्ण कटिबन्धीय उच्चदाब पेटी:

  • इसका विस्तार दोनों गोलाद्धों में 30° से 35° अक्षांशों तक है। अधिक तापमान रहते हुए भी यहाँ उच्च वायुदाब रहता है इसका कारण पृथ्वी दैनिक गति एवं वायु में अवकलन एवं अपसरण है।
  • भूमध्य रेखा से लगातार पवनें उठकर यहाँ एकत्रित हो जाती है एवं साथ ही उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी से भी हवाएँ एकत्रित होती है। इस कारण यहाँ वायुदाब अधिक होता है।
  • इस पेटी को अश्व अक्षांश भी कहते हैं क्योंकि प्राचीन काल के नाविकों को इस क्षेत्रा में उच्चदाब के कारण काफी कठिनाई होती थी। अतः उन्हें जलयानों का बोझ हल्का करने के लिए कुछ घोड़े समुद्र में फ़ेकने पड़ते थे।

3. उपध्रुवीय निम्न दाब पेटी:

  • इसका विस्तार दोनों गोलाद्धों में 60° से 65° अक्षांशों तक है।
  • यहाँ तापमान कम होने के बावजूद भी दाब निम्न है क्योंकि पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण यहाँ से वायु बाहर की ओर फ़ैलकर स्थानारित हो जाती है, अतः वायुदाब कम हो जाता है।
  • इसका दूसरा कारण ध्रुवों पर अत्यधिक उच्च दाब की उपस्थिति है।

4. ध्रुवीय उच्च दाब पेटी

  • अत्यधिक शीत के कारण दोनों ध्रुवों पर उच्च दाब पाया जाता है।

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भारतीय जलवायु के प्रकार, प्रमुख ऋतुएँ, कारक एवं मानसून से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

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भारतीय जलवायु, प्रमुख ऋतुएँ एवं मानसून से जुड़े तथ्य- Indian Climate GK in Hindi

भारतीय जलवायु के क्षेत्र, प्रमुख ऋतुएँ, कारक एवं मानसून से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची (Indian Climate and Important GK Facts in Hindi)

जलवायु किसे कहते है?

एक विशाल क्षेत्र में लम्बी समयावधि में मौसम की अवस्थाओं तथा विविधताओं का कुल योग ही जलवायु है (अर्थात जलवायु में परिवर्तन बहुत लम्बी समयावधि में ही घटित होते हैं जैसे वर्तमान में पृथ्वी के तमाम स्थानों पर ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति विद्यमान है जो कई वर्षों में घटित कारणों के चलते उजागर हुई है)।

भारतीय जलवायु के प्रकार:

  • विषुवतीय जलवायु
  • मौनसूनी जलवायु
  • उष्ण मरुस्थली जलवायु
  • उपोष्ण तृणभूमि जलवायु
  • भूमध्यसागरीय जलवायु
  • शीत मरुस्थलीय जलवायु
  • टुण्ड्रा जलवायु

भारतीय जलवायु को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक:

  • भारत की स्थिति और उच्चावच।
  • कर्क रेखा का भारत के मध्य से गुजरना।
  • उत्तर में हिमालय और दक्षिण में हिंद महासागर की उपस्थिति।
  • पृष्ठीय पवनें और जेट वायु धाराएँ।

मानसून की क्रियाविधि:

भारत की प्रमुख ऋतुएँ:

परंपरागत रूप से भारत में छह ऋतुएँ मानी जाती रहीं हैं परन्तु भारतीय मौसम विज्ञान विभाग चार ऋतुओं का वर्णन करता है जिन्हें हम उनके परंपरागत नामों से तुलनात्मक रूप में निम्नवत लिख सकते हैं:

1. शीत ऋतु: दिसंबर से मार्च तक, जिसमें दिसंबर और जनवरी सबसे ठंडे महीने होते हैं; उत्तरी भारत में औसत तापमान 10 से 15 डिग्री सेल्सियस होता है।

2. ग्रीष्म ऋतु: अप्रैल से जून तक जिसमें मई सबसे गर्म महीना होता है, औसत तापमान 32 से 40 डिग्री सेल्सियस होता है।

3. वर्षा ऋतु: जुलाई से सितम्बर तक, जिसमें सार्वाधिक वर्षा अगस्त महीने में होती है, वस्तुतः मानसून का आगमन और प्रत्यावर्तन (लौटना) दोनों क्रमिक रूप से होते हैं और अलग अलग स्थानों पर इनका समय अलग अलग होता है। सामान्यतः 01 जून को केरल तट पर मानसून के आगमन की तारीख होती है। इसके ठीक बाद यह पूर्वोत्तर भारत में पहुँचता है और क्रमशः पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण की ओर गतिशील होता है इलाहाबाद में मानसून के पहुँचने की तिथि 18 जून मानी जाती है और दिल्ली में 29 जून।

4. शरद ऋतु: उत्तरी भारत में अक्टूबर और नवंबर माह में मौसम साफ़ और शांत रहता है और अक्टूबर में मानसून लौटना शुरू हो जाता है जिससे तमिलनाडु के तट पर लौटते मानसून से वर्षा होती है।

मानसून किसे कहते है?

मानसून: इसकी उत्त्पत्ति अरबी के “मौसिम” शब्द से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ है “ऋतुनिष्ठ परिवर्तन”।

मानसून उत्पत्ति के प्रमुख कारण:

  • जल व थल का असमान रूप से गर्म होना।
  • ग्रीष्म ऋतु में थलीय भाग अधिक गर्म होते है जिससे थल में “निम्न दाब” का क्षेत्र बनता है। फलतः अधिक दाब की पवनें निम्न दाब की ओर प्रवाहित होने लगती है ये पवनें समुद्र की ओर से वर्षाजल लेकर आती है।

मानसून से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची:

  • मानसून का अच्छा प्रदर्शन अल नीनो की घटना पर निर्भर करता है। यह पाया जाता है कि जिस वर्ष अलनीनो का आगमन होता है उस वर्ष मानसून का प्रदर्शन कमजोर होता है। इसके अतिरिक्त जेटधारा भी भारतीय मानसून को अत्यधिक प्रभावित करती है।
  • भारत की जलवायु पर उष्णता तथा मानसून का सबसे अधिक प्रभाव है, इसलिए यहां की जलवायु को उष्ण मानसूनी जलवायु कहा गया है।
  • भारत के मानसून का स्वभाव अत्यंत ही अनिश्चित होता है, इसी अनिश्चितता के कारण इसे भारतीय किसान के साथ जुआ कहा गया है।
  • भारतीय उपमहाद्वीप पर उपोष्ण जेट तथा पूर्वी जेट हवा का प्रभाव पड़ता है और ये हवाएं भारत मेँ मानसून को नियंत्रित करती हैं।
  • उत्तरी-पूर्वी राज्यों मेँ वर्षा पर्वतीय प्रकार की होती है। यहां की गारो, खासी, जयंतिया, मिकिर, रेंगमा, बराइल आदि पहाडियोँ से टकराकर ये हवायें ऊपर उठती हैं और ठंडी होकर वर्षा करती हैं।
  • चेरापूंजी मेँ अधिक वर्षा का कारण मानसूनी हवा का शंकु के आकार मेँ गारो, खासी, जयंतिया की घाटी के बीच से ऊपर उठना एवं ठंडी होकर अत्यधिक वर्षा करना है।
  • सर्वाधिक वर्षा वाला स्थान मासिनराम है, जो चेरापूँजी से 50 किलोमीटर पश्चिम की ओर स्थित है।
  • असम के मैदानी भागोँ मे वर्षा चक्रवातीय प्रकार की होती है।
  • मरुस्थल में ताप का व्युत्क्रमण पाया जाता है।
  • बंगाल की खाड़ी मेँ गर्त नहीँ बनते हैं।

जलवायु से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:

मानसून का फटना किसे कहते है?

मानसून के फटने की परिभाषा: आद्रता से परिपूर्ण द।पश्चिमी मानसून पवन  स्थलीय भागों में पहुचकर बिजली के गर्जन के साथ तीव्र वर्षा कर देती है अचानक हुई इस प्रकार के तेज बारिश को “मानसून का फटना” कहते है।

मानसून का परिच्छेद किसे कहते है?

मानसून के परिच्छेद की परिभाषा: दक्षिण पश्चिम मानसून के वर्षा काल में जब एक या अधिक सप्ताह तक वर्षा नहीं होती तो इस घटना/अंतराल को “मानसून परिच्छेद” या “मानसून विभंगता” कहते है।

लू किसे कहते है?

लू की परिभाषा: ग्रीष्म ऋतु में भारत के उत्तरी पश्चिमी भागों में सामान्यतः दोपहर के बाद चलने वाली शुष्क एवं गर्म हवाओ को लू कहते है इसके प्रभाव से कई बार लोगों की मृत्यु भी हो जाती है।

काल बैशाखी किसे कहते है?

काल बैशाखी की परिभाषा: ग्रीष्म ऋतु में स्थलीय एवं गर्म पवन और आद्र समुद्री पवनों के मिलने से तड़ित झंझा युक्त आंधी व तूफ़ान की उत्पत्ति होती है जिसे पूर्वोत्तर भारत में “नार्वेस्टर” और पश्चिम बंगाल में “काल बैशाखी” कहा जाता है।

आम्र वृष्टि किसे कहते है?

आम्र वृष्टि की परिभाषा: ग्रीम काल में कर्नाटक में स्थलीय एवं गर्म पवन और आद्र समुद्री पवनों के मिलने से जो वर्षा होती है वह आम कि स्थानीय फसल के लिए लाभदायक होती है इसलिए इसे “आम्र वृष्टि” कहते है।

चक्रवात किसे कहते है?

चक्रवात की परिभाषा: वायुदाब में अंतर के कारण जब केंद्र में निम्न वायुदाब और बाहर उच्च वायुदाब हो तो वायु चक्राकार प्रतिरूप बनती हुई (उत्तरी गोलार्ध में) उच्च दाब से निम्न दाब की ओर चलने लगती है इसे चक्रवात कहते है।

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महाजनपद का इतिहास, उनकी राजधानी एवं क्षेत्रों की सूची

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महाजनपद का इतिहास, उनकी राजधानी एवं क्षेत्रों की सूची: History of Mahajanapadas in Hindi

महाजनपद का इतिहास, उनकी राजधानी एवं क्षेत्र: (History of Mahajanapadas and their Capitals in Hindi)

महाजनपद किसे कहते है?

प्राचीन भारत मे राज्य या प्रशासनिक इकाईयों को ‘महाजनपद’ कहते थे। उत्तर वैदिक काल में कुछ जनपदों का उल्लेख मिलता है। बौद्ध ग्रंथों में इनका कई बार उल्लेख हुआ है। बुद्ध के जन्म के पूर्व छठी शताब्दी ई. पूर्व में भारत 16 जनपदो में बंटा हुआ था।

महाजनपद का इतिहास:

प्रारंम्भिक भारतीय इतिहास में छठी शताब्दी ईसापूर्व को परिवर्तनकारी काल के रूप में महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यह काल प्राय: प्रारंम्भिक राज्यों, लोहे के बढ़ते प्रयोग और सिक्कों के विकास के लिए जाना जाता है। इसी समय में बौद्ध और जैन सहित अनेक दार्शनिक विचारधाराओं का विकास हुआ। अधिकांशतः महाजनपदों पर राजा का ही शासन रहता था परन्तु गण और संघ नाम से प्रसिद्ध राज्यों में लोगों का समूह शासन करता था, इस समूह का हर व्यक्ति राजा कहलाता था। भगवान महावीर और भगवान बुद्ध इन्हीं गणों से संबन्धित थे। वज्जि संघ की ही तरह कुछ राज्यों में ज़मीन सहित आर्थिक स्रोतों पर राजा और गण सामूहिक नियंत्रण रखते थे।

राजधानी:

हर एक महाजनपद की एक राजधानी थी जिसे क़िले से घेरा दिया जाता था। क़िलेबंद राजधानी की देखभाल, सेना और नौकरशाही के लिए भारी धन की ज़रूरत होती थी। सम्भवतः छठी शताब्दी ईसा पूर्व से ब्राह्मणों ने संस्कृत भाषा में धर्मशास्त्र ग्रंथों की रचना प्रारम्भ की। शासक किसानों, व्यापारियों और शिल्पकारों से कर तथा भेंट वसूल करते थे। संपत्ति जुटाने का एक उपाय पड़ोसी राज्यों पर आक्रमण कर धन एकत्र करना भी था। कुछ राज्य अपनी स्थायी सेनाएँ और नौकरशाही तंत्र भी रखते थे और कुछ राज्य सहायक-सेना पर निर्भर करते थे जिन्हें कृषक वर्ग से नियुक्त किया जाता था।

आइये जाने भारत के 16 महाजनपदों की राजधानी एवं क्षेत्रों के बारे में:

  • अवन्ति: आधुनिक मालवा का प्रदेश जिसकी राजधानी उज्जयिनी और महिष्मति थी।
  • अश्मक या अस्सक: दक्षिण भारत का एकमात्र महाजनपद। नर्मदा और गोदावरी नदियों के बीच अवस्थित इस प्रदेश की राजधानी पाटन थी।
  • अंग: वर्तमान के बिहार के मुंगेर और भागलपुर जिले। इनकी राजधानी चंपा थी।
  • कम्बोज: पाकिस्तान का हजारा जिला।
  • काशी: इसकी राजधानी वाराणसी थी। वर्तमान की वाराणसी व आसपास का क्षेत्र इसमें सम्मिलित रहा था।
  • कुरु: आधुनिक हरियाणा तथा दिल्ली का यमुना नदी के पश्चिम वाला अंश शामिल था। इसकी राजधानी आधुनिक दिल्ली (इन्द्रप्रस्थ) थी।
  • कोशल: उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिला, गोंडा और बहराइच के क्षेत्र शामिल थे। इसकी राजधानी श्रावस्ती थी।
  • गांधार: पाकिस्तान का पश्चिमी तथा अफ़ग़ानिस्तान का पूर्वी क्षेत्र। इसे आधुनिक कंदहार से जोड़ने की गलती कई बार लोग कर देते हैं जो कि वास्तव में इस क्षेत्र से कुछ दक्षिण में स्थित था।

  • चेदि: वर्तमान में बुंदेलखंड का इलाका।
  • वज्जि या वृजि’: यह आठ गणतांत्रिक कुलों का संघ था जो उत्तर बिहार में गंगा के उत्तर में अवस्थित था तथा जिसकी राजधानी वैशाली थी। इसमें आज के बिहार राज्य के दरभंगा, मधुबनी व मुजफ्फरपुर जिले सम्मिलित थे।
  • वत्स या वंश: आधुनिक उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद तथा मिर्ज़ापुर जिले।
  • पांचाल: पश्चिमी उत्तर प्रदेश। इसकी राजधानी अहिच्छत्र थी।
  • मगध: दक्षिण बिहार में अवस्थित। शतपथ ब्राह्मण में इसे ‘कीकट’ कहा गया है। आधुनिक पटना तथा गया जिले और आसपास के क्षेत्र।
  • मत्स्य या मच्छ: इसमें राजस्थान के अलवर, भरतपुर तथा जयपुर जिले के क्षेत्र शामिल थे।
  • मल्ल: यह भी एक गणसंघ था और पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाके इसके क्षेत्र थे।
  • सुरसेन या शूरसेन: इसकी राजधानी मथुरा थी।

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