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राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार 2017 के विजेताओं के नाम और राज्यों की सूची

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राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार 2017 विजेताओं की सूची: (2017 National Bravery Award Winners in Hindi)

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 जनवरी 2017 को देश के विभिन्न भागों से चुने गए 25 बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्रदान किए। इन बालकों का चयन भारतीय बाल कल्याण परिषद (आईसीसीडब्ल्यू) ने देश भर से इस सम्मान के लिए किया था। राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार योजना की शुरुआत आईसीसीडब्ल्यू ने 1957 में की थी, जिससे उन बच्चों को पहचान दी जा सके जिन्होंने अपने असाधारण वीरता भरे कार्यो और सराहनीय सेवा से खुद को अलग साबित किया है। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष 25 भारतीय बच्चों को सभी बाधाओं के खिलाफ बहादुरी के मेहनती कृत्यों के लिए दिया जाता है। इन बच्चों की उम्र 06 साल से लेकर 18 वर्ष के बीच होती है।

राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार 2017 विजेताओं की सूची:

  • तुषार वर्मा (छत्तीसगढ़): बापू गायधनी पुरस्कार
  • रोलाहपुई (मिजोरम): बापू गायधनी पुरस्कार
  • लालहरीतपुई (मिजोरम): बापू गायधनी पुरस्कार
  • तार पेजु (अरुणाचल प्रदेश): भारत पुरस्कार
  • तेजस्विद् प्रधान (पश्चिम बंगाल): गीता चोपड़ा पुरस्कार
  • शिवानी गोंड (पश्चिम बंगाल): गीता चोपड़ा पुरस्कार
  • सुमित ममैन (उत्तराखंड): संजय चोपड़ा पुरस्कार
  • नीलम ध्रुव (छत्तीसगढ़)
  • सोनू माली (राजस्थान)
  • मोहन सेठी (ओडिशा)
  • सिया बामंसा खोड
  • थांगलीन मंगळंकीम
  • प्रफुल्ल शर्मा
  • मोइरंगटेम सदानानंद सिंह (मणिपुर)
  • आदित्य पिल्लई (केरल)
  • अंग्शि पांडे (उत्तर प्रदेश)
  • विनिल मंजीली (केरल)
  • अक्षत शर्मा (दिल्ली)
  • अक्षता शर्मा (दिल्ली)
  • अखिल के. सिबू (केरल)
  • नमन (दिल्ली)
  • निशा दिलीप पाटील
  • बदरुणिसा केपी केरल
  • पेल देवी (जम्मू और कश्मीर)

राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार में पांच श्रेणियां शामिल हैं:

  1. भारत पुरस्कार 1987 से
  2. संजय चोपड़ा पुरस्कार 1978 से
  3. गीता चोपड़ा पुरस्कार 1978 से
  4. बापू गायधनी पुरस्कार 1988 के बाद से
  5. सामान्य राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार 1957 से

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और जानिये : राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार 2017 के विजेताओं के नाम और राज्यों की सूची


मानव शरीर के अंग तंत्रो के नाम, कार्य एवं महत्‍वपूर्ण तथ्यों की सूची

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शरीर के अंग तंत्रो के नाम, कार्य एवं महत्‍वपूर्ण तथ्य: (Systems of Human Body and Important Facts in Hindi)

शरीर के तंत्र:

विभिन्न प्रकार के ऊतक मिलकर शरीर के विभिन्न अंगों का निर्माण करते हैं। इसी प्रकार, एक प्रकार के कार्य करनेवाले विभिन्न अंग मिलकर एक अंग तंत्र का निर्माण करते हैं। कई अंग तंत्र मिलकर जीव (जैसे, मानव शरीर) की रचना करते हैं।

मानव शरीर के विभिन्न तंत्र:

मानव शरीर का निर्माण निम्नलिखित तंत्रों द्वारा होता है :

  • कंकाल तंत्र।
  • संधि तंत्र।
  • पेशीय तंत्र।
  • रुधिर परिसंचरण तंत्र।
  • आशय तंत्र :
  • (क) श्वसन तंत्र।
  • (ख) पाचन तंत्र।
  • (ग) मूत्र एवं जनन तंत्र।
  • तंत्रिका तंत्र।
  • ज्ञानेन्द्रिय तंत्र।

इन अंगों के अलग अलग कार्य होते हैं लेकिन ये एक दूसरे से अलग होकर स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकते हैं| ये मानव शरीर में एक दूसरे से संपर्क में रहते हैं और अपने काम जैसे शरीर में हार्मोन्स के उत्पादन को विनियमित करने, शरीर की रक्षा और गतिशीलता प्रदान करने, शरीर के तापमान को नियंत्रित करने आदि के लिए एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं।

शरीर के अंगों को उनकी क्रियाओं के अनुसार कुछ प्रमुख तंत्रों में निम्नलिखित प्रकार से विभाजित किया गया है:-

  1. पाचन तंत्र: पाचन तंत्र में मुख, ग्रासनली, आमाशय, पक्वाशय, यकृत, छोटी आँत, बड़ी आँत इत्यादि होते हैं। पाचन तंत्र में भोजन के पचने की क्रिया होती है। भोजन में हम मुख्य  रूप से प्रोटीन, कार्बोहाइ़ड़्रेट और वसा लेते हैं। इनका पाचन पाचन तंत्र में उपस्थिति एन्जाइम व अम्ल के द्वारा होता है।
  2. श्वसन तंत्र: श्वसन तंत्र में नासा कोटर कंठ, श्वासनली, श्वसनी, फेंफड़े आते हैं। सांस के माध्यम से शरीर के प्रत्येक भाग में ऑक्सीजन पहुँचता है तथा कार्बन डाईऑक्साइड बाहर निकलती है। रक्त श्वसन तंत्र में में सहायता करता है। शिराएं अशुद्ध रक्त का वहन करती हैं और धमनी शुद्ध रक्त विभिन्न अंगों में पहुँचाती है।
  3. उत्सर्जन तंत्र: उत्सर्जन तंत्र में मलाशय, फुफ्फुस, यकृत, त्वचा तथा वृक्क होते हैं। शारीरिक क्रिया में उत्पन्न उत्कृष्टï पदार्थ और आहार का बिना पचा हुआ भाग उत्सर्जन तंत्र द्वारा शरीर के बाहर निकलते रहते हैं। मानव शरीर में जो पथरी बनती है वह सामान्यत: कैल्शियम ऑक्सलेट से बनती है। फुफ्फुस द्वारा हानिकारक गैसें निकलती हैं। त्वचा के द्वारा पसीने की ग्रंथियों से पानी तथा लवणों का विसर्जन होता है। किडनी में मूत्र का निर्माण होता है।
  4. परिसंचरण तंत्र: शरीर के विभिन्न भागों में रक्त का विनिमय परिसंचरण तंत्र के द्वारा होता है। रक्त परिसंचरण तंत्र में हृदय, रक्तवाहिनियां नलियां, धमनी, शिराएँ, केशिकाएँ  आदि सम्मिलित हैं। हृदय में रक्त का शुद्धीकरण होता है। हृदय की धड़कन से रक्त का संचरण होता है। रक्त संचरण की खोज सन 628 में विलियम हार्वे ने किया था। सामान्य व्यक्ति में एक मिनट में 72 बार हृदय में धकडऩ होती है।
  5. अंत:स्रावी तंत्र: शरीर के विभिन्न भागों में उपस्थित नलिका विहीन ग्रंथियों को अंत:स्रावी तंत्र कहते हैं। इनमें हार्मोन बनते हैं और शरीर की सभी रासायनिक क्रियाओं का नियंत्रण इन्हीं हार्मोनों द्वारा होता है। उदाहरण- अवटु ग्रंथि, अग्न्याशय (Pancreas), पीयूष ग्रंथि,  अधिवृक्क इत्यादि। पीयूष ग्रन्थि को मास्टर ग्रन्थि भी कहते हैं। यह परावटु ग्रंथि को छोड़कर अन्य ग्रंथियों को नियंत्रित करती है।
  6. कंकाल तंत्र: मानव शरीर कुल 206 हड्डिïयों से मिलकर बना है। हड्डिïयों से बने ढांचे को कंकाल-तंत्र कहते हैं। हड्डिïयां आपस में संधियों से जुड़ी रहती हैं। सिर की हड़्डी को को कपाल गुहा कहते हैं।
  7. लसीका तंत्र: लसीका ग्रंथियाँ विषैले तथा हानिकारक पदार्थों को नष्टï कर देती हैं और शुद्ध रक्त में मिलने से रोकती हैं। लसीका तंत्र छोटी-छोटी पतली वाहिकाओं का जाल होता है। लिम्फोसाइट्स ग्रंथियां विषैले तथा हानिकारक पदार्र्थों को नष्ट कर देती हैं और शुद्ध रक्त को मिलने से रोकती है।
  8. त्वचीय तंत्र: शरीर की रक्षा के लिए सम्पूर्ण शरीर त्वचा से ढंका रहता है। त्वचा का बाहरी भाग स्तरित उपकला के कड़े स्तरों से बना होता है। बाह्म संवेदनाओं को अनुभव करने के लिए तंत्रिका के स्पर्शकण होते हैं।
  9. पेशी तंत्र: पेशियाँ त्वचा के नीचे होती हैं। सम्पूर्ण मानव शरीर में 500 से अधिक पेशियाँ होती हैं। ये दो प्रकार की होती हैं। ऐच्छिक पेशियाँ मनुष्य के इच्छानुसार संकुचित हो जाती हैं। अनैच्छिक पेशियों का संकुचन मनुष्य की इच्छा द्वारा नियंत्रित नहीं होता है।
  10. तंत्रिका तंत्र: तंत्रिका तंत्र विभिन्न अंगों एवं सम्पूर्ण जीव की क्रियाओं का नियंत्रण करता है। पेशी संकुचन, ग्रंथि स्राव, हृदय कार्य, उपापचय तथा जीव में निरंतर घटने वाली अनेक क्रियाओं का नियंत्रण तंत्रिका तंत्र करता है। इसमें मस्तिष्क, मेरू रज्जु और तंत्रिकाएँ आती हैं।
  11. प्रजनन तंत्र: सभी जीवों में अपने ही जैसी संतान उत्पन्न करने का गुण होता है। पुरुष और स्त्री का प्रजनन तंत्र भिन्न-भिन्न अंगों से मिलकर बना होता है।
  12. विशिष्ट ज्ञानेन्द्रिय तंत्र: देखने के लिए आँखें, सुनने के लिए कान, सूँघने के लिए नाक, स्वाद के लिए जीभ तथा संवेदना के लिए त्वचा ज्ञानेन्द्रियों का काम करती हैं। इनका सम्बंध मस्तिष्क से बना रहता है।

इन्हें भी पढ़े: बैक्टीरिया से होने वाले रोग, लक्षण एवं प्रभावित अंगों की सूची

और जानिये : मानव शरीर के अंग तंत्रो के नाम, कार्य एवं महत्‍वपूर्ण तथ्यों की सूची

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार, कारण व प्रभाव एवं महत्वपूर्ण तथ्य

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पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार, कारण व प्रभाव एवं महत्वपूर्ण तथ्य (Environmental Pollution Types, Major Causes and Effects in Hindi)

पर्यावरण प्रदूषण किसे कहते है?

प्रदूषण, पर्यावरण में दूषक पदार्थों के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में पैदा होने वाले दोष को कहते हैं। प्रदूषक पर्यावरण को और जीव-जन्तुओं को नुकसान पहुंचाते हैं। प्रदूषण का अर्थ है – ‘हवा, पानी, मिट्टी आदि का अवांछित द्रव्यों से दूषित होना’, जिसका सजीवों पर प्रत्यक्ष रूप से विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान द्वारा अन्य अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ते हैं। विज्ञान के इस युग में मानव को जहाँ कुछ वरदान मिले है, वहीं कुछ अभिशाप भी मिले हैं। ‘प्रदूषण’ एक ऐसा अभिशाप हैं, जो विज्ञान की गर्भ से जन्मा हैं और आज जिसे सहने के लिए विश्व की अधिकांश जनता मजबूर हैं। पर्यावरण प्रदूषण में मानव की विकास प्रक्रिया तथा आधुनिकता का महत्वपूर्ण योगदान है। यहाँ तक मानव की वे सामान्य गतिविधियाँ भी प्रदूषण कहलाती हैं, जिनसे नकारात्मक फल मिलते हैं। उदाहरण के लिए उद्योग द्वारा उत्पादित नाइट्रोजन ऑक्साइड प्रदूषक हैं। हालाँकि उसके तत्व प्रदूषक नहीं हैं। यह सूर्य की रोशनी की ऊर्जा है, जो कि उसे धुएँ और कोहरे के मिश्रण में बदल देती है।

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • जल प्रदूषण
  • वायु प्रदूषण
  • ध्वनि प्रदूषण
  • भूमि प्रदूषण
  • प्रकाश प्रदूषण
  • रेडियोधर्मी प्रदूषण

इन्हें भी पढे: भारत के प्रमुख जैव विविधता/पर्यावरण/ वन्यजीव संरक्षण सम्मेलन

1. जल प्रदूषण:

जल में किसी बाहरी पदार्थ की उपस्थिति, जो जल के स्वाभाविक गुणों को इस प्रकार परिवर्तित कर दे कि जल स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो जाए या उसकी उपयोगिता कम हो जाए जल प्रदूषण कहलाता है। अन्य शब्दों में ऐसे जल को नुकसानदेह तथा लोक स्वास्थ्य को या लोक सुरक्षा को या घरेलू, व्यापारिक, औद्योगिक, कृषीय या अन्य वैद्यपूर्ण उपयोग को या पशु या पौधों के स्वास्थ्य तथा जीव-जन्तु को या जलीय जीवन को क्षतिग्रस्त करें, जल प्रदूषण कहलाता है।

जल प्रदूषण के कारण:

जल प्रदूषण के विभिन्न कारण निम्नलिखित हैः

  • मानव मल का नदियों, नहरों आदि में विसर्जन।
  • सफाई तथा सीवर का उचित प्रबंध्न न होना।
  • विभिन्न औद्योगिक इकाइयों द्वारा अपने कचरे तथा गंदे पानी का नदियों, नहरों में विसर्जन।
  • कृषि कार्यों में उपयोग होने वाले जहरीले रसायनों तथा खादों का पानी में घुलना।
  • नदियों में कूड़े-कचरे, मानव-शवों और पारम्परिक प्रथाओं का पालन करते हुए उपयोग में आने वाले प्रत्येक घरेलू सामग्री का समीप के जल स्रोत में विसर्जन।

जल प्रदूषण के प्रभाव:

जल प्रदूषण के निम्नलिखित प्रभाव हैः

  • इससे मनुष्य, पशु तथा पक्षियों के स्वास्थ्य को खतरा उत्पन्न होता है। इससे टाईफाइड, पीलिया, हैजा, गैस्ट्रिक आदि बीमारियां पैदा होती हैं।
  • इससे विभिन्न जीव तथा वानस्पतिक प्रजातियों को नुकसान पहुँचता है।
  • इससे पीने के पानी की कमी बढ़ती है, क्योंकि नदियों, नहरों यहाँ तक कि जमीन के भीतर का पानी भी प्रदूषित हो जाता है।

2. वायु प्रदूषण:

वायु विभिन्न गैसों का मिश्रण है जिसमें नाइट्रोजन की मात्रा सर्वाधिक 78 प्रतिशत होती है, जबकि 21 प्रतिशत ऑक्सीजन तथा 0.03 प्रतिशत कार्बन डाइ ऑक्साइड पाया जाता है तथा शेष 0.97 प्रतिशत में हाइड्रोजन, हीलियम, आर्गन, निऑन, क्रिप्टन, जेनान, ओज़ोन तथा जल वाष्प होती है। वायु में विभिन्न गैसों की उपरोक्त मात्रा उसे संतुलित बनाए रखती है। इसमें जरा-सा भी अन्तर आने पर वह असंतुलित हो जाती है और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होती है। श्वसन के लिए ऑक्सीजन जरूरी है। जब कभी वायु में कार्बन डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन के ऑक्साइडों की वृद्धि हो जाती है, तो ऐसी वायु को प्रदूषित वायु तथा इस प्रकार के प्रदूषण को वायु प्रदूषण कहते हैं।

वायु प्रदूषण के कारण:

वायु प्रदूषण के कुछ सामान्य कारण हैं:

  • वाहनों से निकलने वाला धुआँ।
  • औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला धुँआ तथा रसायन।
  • आणविक संयत्रों से निकलने वाली गैसें तथा धूल-कण।
  • जंगलों में पेड़ पौधें के जलने से, कोयले के जलने से तथा तेल शोधन कारखानों आदि से निकलने वाला धूआँ।

वायु प्रदूषण का प्रभाव:

वायु प्रदूषण हमारे वातावरण तथा हमारे ऊपर अनेक प्रभाव डालता है। उनमें से कुछ निम्नलिखित है :

  • हवा में अवांछित गैसों की उपस्थिति से मनुष्य, पशुओं तथा पंक्षियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इससे दमा, सर्दी-खाँसी, अँधापन, श्रवण शक्ति का कमजोर होना, त्वचा रोग जैसी बीमारियाँ पैदा होती हैं। लंबे समय के बाद इससे जननिक विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं और अपनी चरमसीमा पर यह घातक भी हो सकती है।
  • वायु प्रदूषण से सर्दियों में कोहरा छाया रहता है, जिसका कारण धूएँ तथा मिट्टी के कणों का कोहरे में मिला होना है। इससे प्राकृतिक दृश्यता में कमी आती है तथा आँखों में जलन होती है और साँस लेने में कठिनाई होती है।
  • ओजोन परत, हमारी पृथ्वी के चारों ओर एक सुरक्षात्मक गैस की परत है। जो हमें सूर्य से आनेवाली हानिकारक अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती है। वायु प्रदूषण के कारण जीन अपरिवर्तन, अनुवाशंकीय तथा त्वचा कैंसर के खतरे बढ़ जाते हैं।
  • वायु प्रदुषण के कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ता है, क्योंकि सूर्य से आने वाली गर्मी के कारण पर्यावरण में कार्बन डाइ आक्साइड, मीथेन तथा नाइट्रस आक्साइड का प्रभाव कम नहीं होता है, जो कि हानिकारक हैं।
  • वायु प्रदूषण से अम्लीय वर्षा के खतरे बढ़े हैं, क्योंकि बारिश के पानी में सल्फर डाई आक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड आदि जैसी जहरीली गैसों के घुलने की संभावना बढ़ी है। इससे फसलों, पेड़ों, भवनों तथा ऐतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुँच सकता है।

3. ध्वनि प्रदूषण:

जब ध्वनि की तीव्रता अधिक हो जाती है तो वह कानों को अप्रिय लगने लगती है। इस अवांछनीय अथवा उच्च तीव्रता वाली ध्वनि को शोर कहते हैं। शोर से मनुष्यों में अशान्ति तथा बेचैनी उत्पन्न होती है। साथ ही साथ कार्यक्षमता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। वस्तुतः शोर वह अवांक्षनीय ध्वनि है जो मनुष्य को अप्रिय लगे तथा उसमें बेचैनी तथा उद्विग्नता पैदा करती हो। पृथक-पृथक व्यक्तियों में उद्विग्नता पैदा करने वाली ध्वनि की तीव्रता अलग-अलग हो सकती है। वायुमंडल में अवांछनीय ध्वनि की मौजूदगी को ही ‘ध्वनि प्रदूषण’ कहा जाता है।

ध्वनि प्रदूषण के कारण: रेल इंजन, हवाई जहाज, जनरेटर, टेलीफोन, टेलीविजन, वाहन, लाउडस्पीकर आदि आधुनिक मशीनें।

ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव: लंबे समय तक ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव से श्रवण शक्ति का कमजोर होना, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, उच्चरक्तचाप अथवा स्नायविक, मनोवैज्ञानिक दोष उत्पन्न होने लगते हैं। लंबे समय तक ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव से स्वाभाविक परेशानियाँ बढ़ जाती है।

4. भूमि प्रदूषण:

भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में कोई ऐसा अवांछनीय परिवर्तन जिसका प्रभाव मानव तथा अन्य जीवों पर पड़े या जिससे भूमि की गुणवत्त तथा उपयोगित नष्ट हो, ‘भूमि प्रदूषण’ कहलाता है। इसके अन्तर्गत घरों के कूड़ा-करकट के अन्तर्गत झाड़न-बुहारन से निकली धूल, रद्दी, काँच की शीशीयाँ, पालीथीन की थैलियाँ, प्लास्टिक के डिब्बे, अधजली लकड़ी, चूल्हे की राख, बुझे हुए, अंगारे आदि शामिल हैं।

भूमि प्रदूषण के कारण:

भूमि प्रदूषण के मुख्य कारण हैं:

  • कृषि में उर्वरकों, रसायनों तथा कीटनाशकों का अधिक प्रयोग।
  • औद्योगिक इकाईयों, खानों तथा खादानों द्वारा निकले ठोस कचरे का विसर्जन।
  • भवनों, सड़कों आदि के निर्माण में ठोस कचरे का विसर्जन।
  • कागज तथा चीनी मिलों से निकलने वाले पदार्थों का निपटान, जो मिट्टी द्वारा अवशोषित नहीं हो पाते।
  • प्लास्टिक की थैलियों का अधिक उपयोग, जो जमीन में दबकर नहीं गलती।
  • घरों, होटलों और औद्योगिक इकाईयों द्वारा निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थों का निपटान, जिसमें प्लास्टिक, कपड़े, लकड़ी, धातु, काँच, सेरामिक, सीमेंट आदि सम्मिलित हैं।

भूमि प्रदूषण का प्रभाव:

भूमि प्रदूषण के निम्नलिखित हानिकारक प्रभाव हैः

  • कृषि योग्य भूमि की कमी
  • भोज्य पदार्थों के स्रोतों को दूषित करने के कारण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
  • भूस्खलन से होने वाली हानियाँ
  • जल तथा वायु प्रदूषण में वृद्धि

5. सामाजिक प्रदूषण: सामाजिक प्रदूषण का उद्भव भौतिक एवं सामाजिक कारणों से होता है।

सामाजिक प्रदूषण को  निम्न उपभागों में विभाजित किया जा सकता है:-

  • जनसंख्या विस्फोट( जनसंख्या का बढ़ना)
  • सामाजिक प्रदूषण (जैसे सामाजिक एवं शैक्षिक पिछड़ापन, अपराध, झगड़ा फसाद, चोरी, डकैती आदि।)
  • सांस्कृतिक प्रदूषण
  • आर्थिक प्रदूषण (जैसे ग़रीबी)

6. प्रकाश प्रदूषण: यह अत्यधिक कृत्रिम प्रकाश के कारण होता है।

7. रेडियोधर्मी प्रदूषण: परमाणु उर्जा उत्पादन और परमाणु हथियारों के अनुसंधान, निर्माण और तैनाती के दौरान उत्पन्न होता है।

पर्यावरण प्रदूषण से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य:

  • वायुमण्डल में कार्बन डाई ऑक्साइड का होना भी प्रदूषण का एक बड़ा कारण है, यदि वह धरती के पर्यावरण में अनुचित अन्तर पैदा करता है।
  • ‘ग्रीन हाउस’ प्रभाव पैदा करने वाली गैसों में वृद्धि के कारण भू-मण्डल का तापमान निरन्तर बढ़ रहा है, जिससे हिमखण्डों के पिघलने की दर में वृद्धि होगी तथा समुद्री जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती क्षेत्र, जलमग्न हो जायेंगे। हालाँकि इन शोधों को पश्चिमी देश विशेषकर अमेरिका स्वीकार नहीं कर रहा है।
  • प्रदूषण के मायने अलग-अलग सन्दर्भों से निर्धारित होते हैं। परम्परागत रूप से प्रदूषण में वायु, जल, रेडियोधर्मिता आदि आते हैं। यदि इनका वैश्विक स्तर पर विश्लेषण किया जाये तो इसमें ध्वनि, प्रकाश आदि के प्रदूषण भी सम्मिलित हो जाते हैं।
  • गम्भीर प्रदूषण उत्पन्न करने वाले मुख्य स्रोत हैं- रासायनिक उद्योग, तेल रिफायनरीज़, आणविक अपशिष्ट स्थल, कूड़ा घर, प्लास्टिक उद्योग, कार उद्योग, पशुगृह, दाहगृह आदि।
  • आणविक संस्थान, तेल टैंक, दुर्घटना होने पर बहुत गम्भीर प्रदूषण पैदा करते हैं।
  • कुछ प्रमुख प्रदूषक क्लोरीनेटेड, हाइड्रोकार्बन्स, भारी तत्व लैड, कैडमियम, क्रोमियम, जिंक, आर्सेनिक, बैनजीन आदि भी प्रमुख प्रदूषक तत्व हैं।
  • प्राकृतिक आपदाओं के पश्चात भी प्रदूषण उत्पन्न हो जाता है। बड़े-बड़े समुद्री तूफानों के पश्चात जब लहरें वापिस लौटती हैं तो कचरे, कूड़े, टूटी नाव-कारें, समुद्र तट सहित तेल कारखानों के अपशिष्ट म्यूनिसपैल्टी का कचरा आदि बहाकर ले जाती हैं। समुद्र में आने वाली ‘सुनामी’ के पश्चात किये गये अध्ययन से पता चलता है कि तटवर्ती मछलियों में भारी तत्वों का प्रतिशत बहुत बढ़ गया था।
  • प्रदूषक विभिन्न प्रकार की बीमारियों को जन्म देते हैं। जैसे कैंसर, इलर्जी, अस्थमा, प्रतिरोधक बीमारियाँ आदि। जहाँ तक कि कुछ बीमारियों को उन्हें पैदा करने वाले प्रदूषक का ही नाम दे दिया गया है, जैसे- मरकरी यौगिक से उत्पन्न बीमारी को ‘मिनामटा’ कहा जाता है।

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और जानिये : पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार, कारण व प्रभाव एवं महत्वपूर्ण तथ्य

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी से संबंधित मुख्य ऐतिहासिक घटनाएं

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स्वतंत्रता सेनानी से संबंधित भारत और विश्व इतिहास की मुख्य घटनाएं/वारदात/वृत्तांत, जिन्हे जानकर आपका सामान्य ज्ञान बढ़ेगा।

भारत और विश्व इतिहास में "स्वतंत्रता सेनानी" से प्रमुख घटनाओं की सूची:

दिन/महीना/वर्षघटना/वारदात/वृत्तांत
26 सितम्बर 1820प्रसिद्ध भारतीय समाज सुधारक, शिक्षाविद् और स्वतंत्रता सेनानी ईश्वरचन्द्र विद्यासागर का जन्म हुआ। वे बंगाल के पुनर्जागरण के स्तम्भों में से एक थे। उनकी उच्चकोटि की विद्वता के कारण ही उन्हें विद्दासागर की उपाधि दी गई थी।
24 अप्रैल 1858स्वतंत्रता सेनानी कुंवर सिंह का निधन।
28 जनवरी 1865पंजाब केसरी के नाम से मशहूर स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय का पंजाब में जन्म हुआ।
12 दिसम्बर 1872स्वतंत्रता सेनानी और हिंदू महासभा के अध्यक्ष बालकृष्ण शिवराम मुंजे का जन्म हुआ।
17 फरवरी  1883महान क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता वासुदेव बल वंत फडके का अदन की जेल में निधन हुआ।
10 सितम्बर 1887भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत का जन्म अल्मोड़ा ज़िले के खोत नामक स्थान पर हुआ।
11 नवम्बर 1888स्वतंत्रता सेनानी मौलाना अबुल कलाम आजाद का सऊदी अरब में जन्म हुआ।
23 जनवरी 1897भारत के स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म उड़ीसा के कटक में हुआ था।
03 अप्रैल 1903समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी कमलादेवी चट्टोपाध्याय का जन्म कर्नाटक के मैंगलोर जिले में हुआ था।
05 मार्च 1905महान स्वतंत्रता सेनानी सुशीला दीदी का पंजाब में जन्म हुआ। उन्हें भगत सिंह की क्रांतिकारी गतिविधियों में सहयोग करने के लिये याद किया जाता है।
06 अगस्त 1906प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी चितरंजन दास और अन्य कांग्रेसी नेताओं ने मिलकर ‘वंदेमातरम्’ समाचार पत्र का प्रकाशन प्रारंभ किया।
28 सितम्बर 190723 साल की उम्र में फांसी पर चढ़े भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी सरदार भगत सिंह का जन्म हुआ।
23 मार्च 1910महान स्वतंत्रता सेनानी एवं प्रख्यात समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया का उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जनपद में जन्म हुआ।
01 नवम्बर 1913स्वतंत्रता सेनानी तारकनाथ दास ने कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को शहर में गदर आंदोलन की शुरुआत की।
19 फरवरी  1915स्वतंत्रता सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले का निधन हुआ।
22 अप्रैल 1921स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देश सेवा के लिए भारतीय सिविल सेवा की नौकरी से इस्तीफा दिया।
27 फरवरी  1931क्रांतिकारी एवं स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद ने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में ब्रिटिश पुलिस के साथ मुठभेड़ में गिरफ्तारी से बचने के लिए खुद को गोली मार ली।
30 अगस्त 1936स्वतंत्रता सेनानी भीकाजी कामा का निधन हुआ।
03 मई 1939भारतीय स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष बोस ने फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की।
17 जनवरी 1941स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस कलकत्ता से जर्मनी के लिए रवाना हुए।
09 अगस्त 1942स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने मलाया (अब मलेशिया) में जापान की मदद से इंडियन नेशनल आर्मी की स्थापाना की।
13 जून 1943स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने पनडुब्बी के द्वारा जर्मनी से टोक्यो की यात्रा शुरू की।
30 दिसम्बर 1943स्वतंत्रता सेनानी सुभाषचंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में भारत की आजादी का झंडा लहराया।
08 फरवरी  1943स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस जर्मनी के केल से एक नौका के जरिये जापान के लिये रवाना हुये।
29 जून 1961प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ एवं प्रथम रक्षा मंत्री सरदार बलदेव सिंह का निधन।
07 मार्च 1961प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और वरिष्ठ नेता गोविंद बल्लभ पंत का निधन हुआ।
16 फरवरी  1966भारत के शिक्षाविद् एवं स्वतंत्रता सेनानी साधु वासवानी का निधन हुआ।
26 फरवरी  1966स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामाेदर सावरकर का निधन हुआ।
01 दिसम्बर 1974भारतीय स्वतंत्रता सेनानी एवं भारत में पहली महिला मुख्यमंत्री (उत्तर प्रदेश) सुचेता कृपलानी का निधन हुआ।
26 अगस्त 1975स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार और पद्मभूषण से सम्मानित डॉ. नारायण सुब्बाराव हार्दिकर का निधन हुआ।

और जानिये : भारतीय स्वतंत्रता सेनानी से संबंधित मुख्य ऐतिहासिक घटनाएं

विश्व के प्रमुख देश, राजधानी एवं उनकी मुद्राओं की सूची

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विश्व के प्रमुख देश, राजधानी एवं उनकी मुद्राओं की सूची: (World’s Countries, Capitals & Currencies List in Hindi)

मुद्रा किसे कहते है?

मुद्रा की परिभाषा: मुद्रा (Currency, करन्सी) पैसे के उस रूप को कहते हैं जिससे दैनिक जीवन में सभी प्रकार की वस्तुअो और सामानों की ख़रीद और बिक्री होती है। इसमें सिक्के और काग़ज़ के नोट दोनों आते हैं। किसी देश में प्रयोग की जाने वाली मुद्रा उस देश की सरकारी व्यवस्था द्वारा बनाई जाती है।

मुद्रा के प्रकार (Types of Money):

1. वास्तविक मुद्रा (Proper Money): किसी देश में वास्तव में प्रचलित मुद्रा अर्थात् दैनिक जीवन में प्रयुक्त होने वाली मुद्रा ही वास्तविक मुद्रा कहलाती है। यही मुद्रा देश में विनिमय के माध्यम तथा सामान्य मूल्य मापक के रूप में प्रचलित होती है। इसे यथार्थ मुद्रा या साधारण मुद्रा भी कहा जाता है। उदाहरणः भारत में प्रचलित नोट तथा सिक्के वास्तविक मुद्रा के उदाहरण हैं।

2. ऐच्छिक मुद्रा (Optional Money): यह वह मुद्रा होती है जिसे भुगतान के रूप में स्वीकार करना अथवा ना करना पूर्णता भुगतान प्राप्तकर्ता की इच्छा पर निर्भर करता है अर्थात् इस मुद्रा को भुगतान के रूप में स्वीकार करने के लिए वैधानिक रूप से बाध्य नहीं किया जा सकता। उदाहरणः हुण्डी, प्रतिज्ञा पत्र, विनिमय पत्र।

यह भी पढे: विश्व के प्रमुख देश और उनके सर्वोच्च सम्मान

यहां पर विश्व के प्रमुख देश, राजधानी एवं उनकी मुद्राओं की सूची की सूची दी गई हैं। सामान्यतः इस सूची से सम्बंधित कई प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते है। यदि आप विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे: आईएएस, शिक्षक, यूपीएससी, पीसीएस, एसएससी, बैंक, एमबीए एवं अन्य सरकारी नौकरियों के लिए तैयारी कर रहे हैं, तो आपको विश्व के प्रमुख देश, राजधानी एवं उनकी मुद्राओं के बारे में अवश्य पता होना चाहिए।

विश्व के प्रमुख देश, राजधानी एवं उनकी मुद्राओं की सूची:

देश राजधानी मुद्राएं
एशिया
भारत दिल्ली रुपया
पाकिस्तान इस्लामाबाद रुपया
नेपाल कांठमांडू नेपाली रुपया
श्रीलंका श्री जयवर्धनापुरा-कोट्टी, कोलम्बो श्रीलंकाई रुपया
बांग्लादेश ढाका टका
भूटान थिम्पू गुलटुम
म्यांमार नेपयिडाव क्यात
अफ़ग़ानिस्तान काबुल अफगानी
तुर्कमेनिस्तान (तुर्कमेनिया) अश्गाबात मानात
चीन बीजिंग युआन
मंगोलिया उलानबटोर तुगरिक
जापान टोक्यो येन
ताइवान ताइपे डॉलर
थाईलैंड बैंकॉक थाईबेहत
वियतनाम हनोई डोंग
कम्बोडिया नाम पेन्ह रिएल
उतरी कोरिया प्योंगयांग वॉन
दक्षिण कोरिया सियोल वॉन
हॉंग कांग विक्टोरिया डॉलर
फिलीपींस मनीला पेसो
सिंगापुर सिंगापुर सिंगापुरी डॉलर
इंडोनेशिया जकार्ता रुपया
मलेशिया क्वालालम्पुर मलेशियाई रिंग्गिट
ईरान तेहरान रियाल
इराक बगदाद इराकी दिनार
तुर्की अंकारा लीरा
संयुक्त अरब  अमीरात आबूधाबी दिरहम
सऊदी अरब रियाद सऊदी रियाल
कुवैत कुवैत सिटी कुवैती दिनार
सीरिया दमिश्क सीरियन पॉउण्ड
लेबनान बेरुत पाउंड
कजाकिस्तान अस्ताना रूबल
जॉर्डन अम्मान जॉर्डन दिनार
इजरायल जेरुसलम इजरायली नई शेकेल
क़तर दोहा रियाल
मिस्र काहिरा पाउंड
दक्षिण अफ्रीका प्रिटोरिया रैंड
लीबिया हूँ (त्रिपोली ) दिनार
मोरक्को रबात दरहम
नाइजीरिया लागोस नैरा
अंगोला लुआंडा क्वांज़ा
नामीबिया विंडहॉक रैंड
सूडान खारतूम पाउंड
दक्षिणी सूडान जुबा पाउंड
कांगो किंशासा ज़ैरे
सोमलिया मोगादिश शिलिंग
सेशेल्स विक्टोरिया रुपया
इथोपिया अदिस अबाबा बिर्र
युगांडा कम्पाला शिलिंग
बोत्सवाना गेबोरोन पुला
कीनिया नैरोबी शिलिंग
मोरिशस पोर्ट लुइस रुपया
तंजानिया दारेस्सलाम शिलिंग
जाम्बिया लुसाका क्वाचा
अल्जीरिया अल्जीयर्स दिनार
रवांडा केगाली फ्रैंक
जिम्बाब्वे हरारे डॉलर
सेनेगल डकार फ्रैंक
बुर्किनाफासो क्वागदौगो फ्रैंक
कांगो ब्राजविले फ्रैंक
माली बमाको फ्रैंक
मोजाम्बिक मपूतो मेटिकल
यूरोप
ग्रीस एथेंस यूरो
बेल्जियम ब्रुसेल्स यूरो
डेनमार्क कोपेनहेगन क्रोन
फ्रांस पेरिस यूरो
स्पेन मेड्रिड यूरो
पुर्तगाल लिस्बन यूरो
इटली रोम यूरो
बुल्गारिया सोफिया लेवा
ग्रेट ब्रिटेन लन्दन पाउंड स्टर्लिंग
रूस मास्को रूबल
पोलैंड वारसा जिलोटी
हंगरी बुडापेस्ट फ्रोरिंट
नॉर्वे ओस्लो क्रौन
जर्मनी बर्लिन यूरो
नीदरलैंड एम्स्टरडम यूरो
चेक गणराज्य प्राग कोरुना
स्वीडन स्टॉकहोम क्रोना
स्विट्ज़रलैंड बर्न फ्रैंक
यूक्रेन कीव हिरविनिया
जॉर्जिया तिब्लिसी रूबल
साइप्रस निकसिया यूरो
ऑस्ट्रिया वियना यूरो
स्लोवाक गणराज्य ब्रातिस्लावा यूरो
रोमानिया बुखारेस्ट ल्यू
आयरलैंड डबलिन यूरो
वेटिकन सिटी वेटिकन सिटी यूरो
उतरी अमेरिका एवं कैस्पियन सागर के देश
संयुक्त राज्य अमेरिका वांशिगटन डॉलर
कनाडा ओटावा डॉलर
मैक्सिको मैक्सिको सिटी पीसो
क्यूबा हवाना पीसो
ग्रीनलैंड रुक (गड्याव) क्रोन
पनामा पनामा सिटी वाल्बोआ
बारबाडोस ब्रिजटाउन डॉलर
अलसल्वाडोर सान सल्वाडोर कोलन
हैती पोटओ प्रिंस गौर्ड
जमैका किंग्स्टन डॉलर
त्रिनिदाद एंड टोबैगो पोर्ट ऑफ़ स्पेन डॉलर
दक्षिण अमेरिका
अर्जेंटीना ब्यूनस आयर्स आस्ट्रल
ब्राजील ब्रासीलिया ब्राजीली रियल
चिली सेंटियागो पीसो
कोलम्बिया बोगोटा पीसो
फ्रेंच गुयाना कोयेन्ने फ्रैंक
पराग्वे असंस्यान गुआरानी
पेरू लीमा न्यवोसोल
उरुग्वे मोंटेवीडियो पीसो
वेनेजुएला कराकस बोलिवर
ऑस्ट्रेलिया कैनबरा डॉलर
फिजी सूवा डॉलर
न्यूजीलैंड वेलिंग्टन डॉलर
सामोआ अपिया समोअन टाला
तंजानिया डोडोमा तंजानिया शिलिंग
बहरीन मनामा बहरीनी दीनार

नोट: प्रिय पाठकगण यदि आपको इस पोस्ट में कंही भी कोई त्रुटि (गलती) दिखाई दे, तो कृपया कमेंट के माध्यम से उस गलती से हमे अवगत कराएं, हम उसको तुरंत सही कर देंगे।

और जानिये : विश्व के प्रमुख देश, राजधानी एवं उनकी मुद्राओं की सूची

भारत के मुख्य चुनाव आयुक्तों के नाम एवं उनका कार्यकाल (1950 से 2017 तक)

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भारत के मुख्य चुनाव आयुक्तों की सूची: (List of Chief Election Commissioners of India in Hindi)

मुख्य चुनाव आयुक्त:

मुख्य चुनाव आयुक्त अथवा मुख्य निर्वाचन आयुक्त भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से राष्ट्र और राज्य के चु्नाव करवाने का जिम्मेदार होता हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भारत का राष्ट्रपति करता है। चुनाव आयोग के प्रमुख के रूप में वर्तमान में एक मुख्य चुनाव आयुक्त/मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त/निर्वाचन आयुक्त होते हैं।

भारत के वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त कौन है?

अचल कुमार ज्योति भारत के वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त है। अचल कुमार ज्योति ने 06 जुलाई 2017 से पदभार ग्रह्ण किया है। उनका कार्यकाल 6 महीने तक रहेगा। उन्होंने नसीम जैदी का स्थान लिया है। डॉ. नसीम जैदी 19 अप्रैल 2015  से 05 जुलाई 2017 तक मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर कार्यरत रहे।

मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल:

मुख्य चुनाव आयुक्त/मुख्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है। पहले ये 65 साल की उम्र तक होती थी। प्रोटोकाल में चुनाव आयुक्त/निर्वाचन आयुक्त का सम्मान और वेतन भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के सामान होता है। मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा महाभियोग के द्वारा ही हटाया जा सकता हैं।

1950 से अब तक भारत के मुख्य चुनाव आयुक्तों की सूची:

मुख्य चुनाव आयुक्त का नाम कार्यकाल का प्रारंभ कार्यकाल समाप्ति
सुकुमार सेन 21 मार्च 1950 19 दिसंबर 1958
के. वी. के. सुंदरम 20 दिसंबर 1958 30 सितंबर 1967
एस. पी. सेन वर्मा 1 अक्तूबर 1967 30 सितंबर 1972
डा. नागेन्द्र सिंह 1 अक्तूबर 1972 6 फरवरी 1973
टी. स्वामीनाथन 7 फरवरी 1973 17 जून 1977
एस. एल. शकधर 18 जून 1977 17 जून 1982
आर. के. त्रिवेदी 18 जून 1982 31 दिसंबर 1985
आर. वी. एस शास्त्री 1 जनवरी 1986 25 नवंबर 1990
वी. एस. रमादेवी 26 नवंबर 1990 11 दिसंबर 1990
टी. एन. शेषन 12 दिसंबर 1990 11 दिसंबर 1996
एम. एस. गिल 12 दिसंबर 1996 13 जून 2001
जे. एम. लिंगदोह 14 जून 2001 7 फरवरी 2004
टी. एस. कृष्णमूर्ति 8 फरवरी 2004 15 मई 2005
बी. बी. टंडन 16 मई 2005 28 जून 2006
एन. गोपालस्वामी 29 जून 2006 20 अप्रैल 2009
नवीन चावला 21 अप्रैल 2009 29 जुलाई 2010
शाहबुद्दीन याकूब कुरैशी 30 जुलाई 2010 10 जून 2012
वी. एस. संपत 11 जून 2012 15 जनवरी 2015
हरि शंकर ब्रह्मा 16 जनवरी 2015 18 अप्रैल 2015
डॉ. नसीम जैदी 19 अप्रैल 2015 06 जुलाई 2017
अचल कुमार ज्योति 06 जुलाई 2017 वर्तमान

इन्हें भी पढ़े: भारत के मुख्य न्यायाधीशों की सूची

और जानिये : भारत के मुख्य चुनाव आयुक्तों के नाम एवं उनका कार्यकाल (1950 से 2017 तक)

दिल्ली सल्तनत काल के प्रमुख राजवंश, शासकों के नाम एवं महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

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दिल्ली सल्तनत काल के प्रमुख राजवंश एवं शासकों की सूची: (Delhi Saltnat Rulers and History in Hindi)

दिल्ली सल्तनत काल का इतिहास:

दिल्ली सल्तनत (1210 से 1526 तक) भारत पर शासन करने वाले 5 वंश के सुल्तानों के शासनकाल को कहा जाता है। दिल्ली सल्तनत पर राज पाँच वंशों में चार वंश मूल रूप तुर्क थे जबकि अंतिम वंश अफगान था। ये पाँच वंश गुलाम वंश (1206-1290), ख़िलजी वंश (1290- 1320), तुग़लक़ वंश (1320-1423), सैय्यद वंश (1424-1452), तथा लोदी वंश (1452-1526) हैं।

मोहम्मद ग़ौरी का गुलाम कुतुब-उद-दीन ऐबक इस वंश का पहला सुल्तान था। ऐबक का साम्राज्य पूरे उत्तर भारत तक फैला था। इसके बाद ख़िलजी वंश ने मध्य भारत पर कब्ज़ा किया परन्तु भारतीय उपमहाद्वीप को संगठित करने में असफल रहा।

इस सल्तनत ने न केवल बहुत से दक्षिण एशिया के मंदिरों का विनाश किया साथ ही अपवित्र भी किया, पर इसने भारतीय-इस्लामिक वास्तुकला के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दिल्ली सल्तनत मुस्लिम इतिहास के कुछ कालखंडों में है जहां किसी महिला ने सत्ता संभाली। 1526 में मुगल सल्तनत द्वारा इस इस साम्राज्य का अंत हुआ।

गुलाम वंश के शासक एवं उनका शासनकाल:

गुलाम वंश के शासक शासनकाल
कुतुबुद्दीन ऐबक 1206 -1210
आरामशाह 1210
इल्तुतमिस 1210 – 1236
रुकनुद्दीन 1236
रजिया 1236 – 1240
बहरामशाह 1240 – 1242
मसूदशाह 1242 – 1246
नसीरुद्दीन महमूद 1246 – 1266
ग्यासुद्दीन बलबन 1266 – 1287
कैकुबाद 1287 – 1290

गुलाम वंश के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • गुलाम वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक था, वह मोहम्मद गौरी का गुलाम था।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक को उसकी उदारता के लिए लाख बख्श ( लाखो दान करने वाला ) कहा जाता था ।
  • कुतुबमीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने सूफी संत ‘शेख ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी‘ की याद में प्रारंभ कराया था जिसे बाद में इल्तुतमिस ने पूर्ण कराया।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने अजमेर में अढाई दिन का झोपडा नामक मस्जिद का निर्माण कराया था।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु चोगम खेलते समय घोड़े से गिरने से हुई थी।
  • इल्तुतमिस ने अपनी राजधानी लाहौर से दिल्ली स्थानांतरित किया।
  • इल्तुतमिस ने कुतुबमीनार की ऊपर की दो मंजिल का निर्माण पूर्ण कराया था।
  • इल्तुतमिस ने 40 गुलाम सरदारों का संगठन बनाया था जिसे ‘तुर्कान-ए-चिहलगानी’ कहा गया।
  • रजिया दिल्ली की के सिंहासन पर बैठने वाली पहली महिला सुल्तान थी।
  • रजिया सुल्तान का विवाह अल्तुनिया से हुआ था।
  • नसीरुद्दीन मुहम्मद ऐसा सुल्तान था जो अपनी रोजी रोटी कुरान की नकल करके बेचकर एवं टोपी सीकर चलाता है।
  • ग्यासुद्दीन बलवन दिल्ली सल्तनत का क्रूर शासक था उससे अपने विरोधियों के साथ ‘लोह एवं रक्त’ की नीति अपनाई।
  • बलवन ने सिजदा प्रथा ( झुककर नमस्कार ) एवं पाबौस प्रथा ( सुल्तान के पांव छूना ) प्रारंभ किया। तथा फारसी परम्परा का ‘नवरोज उत्सव’ आरंभ किया।

खिलजी वंश के शासक एवं उनका शासनकाल:

खिलजी वंश के शासक शासनकाल
जलालुद्दीन फिरोज खिलजी 1290-1296
अलाउद्दीन खिलजी 1296- 1316
कुतुबुद्दीन मुबारक शाह 1316- 1320
नासिरुद्दीन खुसरो शाह 1320

ख़िलजी वंश के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • गुलाम वंश के अंतिम शासक को मारकर जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की।
  • फिरोज खिलजी की हत्या उसके भतीजे व दमाद अलाउद्दीन खिलजी ने की।
  • अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी सफलता से प्रोत्साहित होकर ‘सिकंदर – ए – सानी’ या सिकंदर द्वितीय की उपाधि धारण कर लिया था।
  • अलाउद्दीन खिलजी द्वारा जजिया कर ( गैर मुस्लिम से ), जकात कर ( धार्मिक कर सम्पत्ति का 40 वा हिस्सा ) एवं आवास और चराईं कर भी लिया जाता था।
  • अलाउद्दीन ने बाजार नियंत्रण के लिए दीवान- ए-रियासत नामक अधिकारी नियुक्त किया।
  • अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के बाद मलिक काफूर नामक हिजडे ने 6 वर्षीय बालक शहाबुद्दीन उमर को गद्दी पर बैठाया।
  • मलिक काफूर ने सत्ता के लालच में शहावुद्दीन को अंधा करवा कर स्वयं शासन करने लगा ।
  • मलिक काफूर सत्ता का सुख मात्र 35 दिन तक ही भोग सका,  मुबारक शाह खिलजी ने उसकी हत्या करवा दिया।
  • कुतुबुद्दीन मुबारक शाह सुल्तान बनने के बाद आलस्य, विलासिता, वासना आदि दुर्गुणों का शिकार हो गया।
  • मुबारक शाह नग्न स्त्री पुरुष के साथ दरबार में आता था एवं कभी कभी स्वयं नग्न होकर दरबार में दौड़ता था।
  • खुसरो शाह हिन्दू धर्म परिवर्तित करके मुसलमान बना था तथा उसने स्वयं ‘पैगंबर का सेनापति’ की उपाधि धारण की।
  • गाजी मलिक तुगलक ने खुसरो को युद्ध में परास्त कर तुगलक वंश की स्थापना की।

इन्हे भी पढ़े: भारतीय इतिहास के प्रमुख राजवंशो की सूची

तुगलक वंश के शासक एवं उनका शासनकाल:

तुगलक वंश के शासक शासनकाल
ग्यासुद्दीन तुगलक शाह 1320 – 1325
मुहम्मद बिन तुगलक 1325- 1351
फिरोज तुगलक 1351- 1388
ग्यासुद्दीन तुगलक द्वितीय 1388 – 1389
अबू वक्र 1389
नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह 1390 – 1394
अलाउद्दीन सिकंदर शाह 1394
नसीरुद्दीन महमूदशाह 1394 – 1414

तुगलक वंश के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • तुगलक वंश के संस्थापक ग्यासुद्दीन तुगलक ने अपने नाम के साथ गाजी ( काफिरों का धातक ) शब्द का प्रयोग किया था।
  • ग्यासुद्दीन तुगलक ने सिंचाई के लिए कुंओं व नहरों का निर्माण करवाया। संभवतः यह पहला सुल्तान था जिसने नहरों का निर्माण कराया।
  • ग्यासुद्दीन तुगलक की मृत्यु के बाद उसका पुत्र जौना खां मुहम्मद बिन तुगलक गद्दी पर बैठा।
  • मुहम्मद बिन तुगलक दिल्ली के सभी सुल्तानो मे सबसे ज्यादा शिक्षित तथा विद्वान था।
  • मुहम्मद बिन तुगलक ने शासन चलाने के विभिन्न विवादास्पद नीतियों बनाईं जो असफल रही।
  • मुहम्मद बिन तुगलक की प्रमुख असफल नीतियां – 1. दोआब क्षेत्र में कर की वृद्धि, 2.राजधानी परिवर्तन दिल्ली से देवगिरी, 3.सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन, 4. खुरासान एवं कराचिल का अभियान।
  • मुहम्मद बिन तुगलक के काल में ही हरिहर एवं बुक्का नामक दो भाइयों ने विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की थी।
  • अफ्रिकी यात्री इब्नबतूता मुहम्मद बिन तुगलक के काल में भारत आया था।
  • मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु पर इतिहासकार बदायूनी ने लिखा – ‘राजा को अपनी प्रजा से और प्रजा को अपने राजा से मुक्ति मिल गई’।
  • फिरोजशाह तुगलक ने अपने शासन काल में 24 कष्टदायक करों को समाप्त कर केवल चार कर खराच ( लगान ) , खुम्स ( युद्ध में लूट का माल ) , जजिया , जकात वसूल किए।
  • फिरोजशाह तुगलक ब्राह्मणों पर भी जजिया कर लगाने वाला पहला सुल्तान था ।
  • फिरोजशाह तुगलक ने खिज्राबाद ( टोपरा ) एवं मेरठ से अशोक स्तंभ को लाकर दिल्ली में स्थापित कराया।
  • फिरोजशाह तुगलक ने जाजनगर ( उड़ीसा ) के शासक भानुदेव को हराया तथा जगन्नाथ मंदिर को ध्वस्त किया ।
  • फिरोजशाह ने नगरकोट स्थित ज्वालामुखी मंदिर को ध्वस्त कर 1300 ग्रंथों लूटकर कुछ का फारसी अनुवाद करवाया जिसे दलायते – फिरोजशाही नाम दिया।
  • फिरोजशाह तुगलक ने अपनी आत्मकथा ‘फतूहात -ए – फिरोजशाही’ लिखी थी।
  • तुगलक वंश का अंतिम शासक नसीरुद्दीन महमूद शाह था
  • नसीरुद्दीन महमूद शाह शासन काल में तैमूरलंग ने दिल्ली में आक्रमण किया था।

सैय्यद वंश के शासक एवं उनका शासनकाल:

सैय्यद वंश के शासक शासनकाल
खिज्र खां 1414- 1421
मुबारक खां 1421- 1434
मुहम्मद शाह 1434- 1445
अलाउद्दीन आलमशाह 1445 – 1450

सैय्यद वंश के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

  • सैय्यद वंश का संस्थापक खिज्र खां ने सुल्तान की उपाधि ग्रहण नहीं की वह ‘रैयत- ए – आला’ के नाम से संतुष्ट रहा।
  • खिज्र खां की मृत्यु के बाद उसका पुत्र मुबारक खां गद्दी पर बैठा तथा शाह उपाधि धारण की।
  • मुबारक शाह के दरबार में प्रसिद्ध लेखक सरहिन्दी था जिसने ‘तारीख – ए – मुबारक शाही’ लिखी थी।
  • यमुना के तट पर मुबारक शाह ने मुबारकबाद नामक एक नगर बसाया था।

लोदी वंश के शासक एवं उनका शासनकाल:

लोदी वंश के शासक शासनकाल
बहलोल लोदी 1451 – 1489
सिकंदर लोदी 1489 – 1517
इब्राहिम लोदी 1517 – 1526

लोदी वंश के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • बहलोल लोदी दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाला पहला अफगान शासक था। उसने ‘बहलोल शाह गाजी’ नामक उपाधि धारण की।
  • बहलोल लोदी का पुत्र निजाम खां ‘सुल्तान सिकंदर शाह लोदी’ उपाधि के साथ गद्दी पर बैठा।
  • सिकंदर लोदी ने 1504 ई. में आगरा शहर की स्थापना की तथा उसे अपनी राजधानी बनाया।
  • सिकंदर शाह लोदी द्वारा माप का एक पैमाना ‘ गज-ए-सिकंदरी’ प्रचलित कराया।
  • सिकंदर लोदी ने ज्वालामुखी मंदिर की मूर्तियों तुडवाकर कसाइयों को मांस तौलने के लिए दे दिया था।
  • सिकंदर लोदी के आदेश पर संस्कृत ग्रंथ ‘ आयुर्वेद ‘ का फारसी अनुवाद ‘ फरहंगे – सिकंदरी ‘ नाम से किया गया।
  • गले के कैंसर से सिकंदर लोदी की मृत्यु होने के बाद उसका पुत्र इब्राहिम लोदी गद्दी पर बैठा।
  • इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खां तथा पंजाब के शासक दौलत खां लोदी ने काबुल के शासक बाबर को दिल्ली पर आक्रमण का निमंत्रण दिया था
  • बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच 21 अप्रैल 1526 में पानीपथ का प्रथम युद्ध हुआ जिसमें इब्राहिम लोदी बुरी तरह हार गया
  • इब्राहिम लोदी उसी युद्ध में मारा गया और दिल्ली के सल्तनत काल का अंत हो गया।
  • बाबर ने इब्राहिम लोदी को मारकर दिल्ली में मुगल साम्राज्य की स्थापना की।

और जानिये : दिल्ली सल्तनत काल के प्रमुख राजवंश, शासकों के नाम एवं महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

परमवीर चक्र से सम्मानित व्यक्तियों के नाम एवं वर्ष की सूची

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परमवीर चक्र हासिल करने वाले विजेताओं की सूची: (Recipients of Param Vir Chakra  in Hindi)

परमवीर चक्र:

परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गयी थी। भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी इस पुरस्कार के पात्र होते हैं एवं इसे देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है। इससे पहले जब भारतीय सेना ब्रिटिश सेना के तहत कार्य करती थी तो सेना का सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रास हुआ करता था।

परमवीर चक्र का अर्थ:

‘परमवीर चक्र’ का शाब्दिक अर्थ है “वीरता का चक्र”। संस्कृति के शब्द “परम”, “वीर” एवं “चक्र” से मिलकर यह शब्द बना है।

लेफ्टीनेंट या उससे कमतर पदों के सैन्य कर्मचारी को यह पुरस्कार मिलने पर उन्हें (या उनके आश्रितों को) नकद राशि या पेंशन देने का भी प्रावधान है। हालांकि पेंशन की न्यून राशि जो सैन्य विधवाओं को उनके पुनर्विवाह या मरने से पहले तक दी जाती है अभी तक विवादास्पद रही है। मार्च 1999 में यह राशि बढ़ाकर 1500 रुपये प्रतिमाह कर दी गयी थी। जबकि कई प्रांतीय सरकारों ने परमवीर चक्र से सम्मानित सैन्य अधिकारी के आश्रितों को इससे कहीं अधिक राशि की पेंशन मुहैय्या करवाती है।

परमवीर चक्र हासिल करने वाले शूरवीरों में सूबेदार मेजर बन्ना सिंह ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो कारगिल युद्ध तक जीवित थे। सूबेदार सिंह जम्मू कश्मीर लाइट इनफेन्ट्री के आठवें रेजीमेंट में कार्यरत थे।

परमवीर चक्र हासिल करने वाले विजेताओं की सूची:

सम्मानित व्यक्ति का नाम वर्ष टिप्पणी
मेजर सोमनाथ शर्मा 03 नवंबर, 1947 मरणोपरांत
लांस नायक करम सिंह 13 अक्टूबर, 1948
सेकेंड लेफ़्टीनेंट राम राघोबा राणे 08 अप्रैल, 1948
नायक यदुनाथ सिंह फरवरी 1948 मरणोपरांत
कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह 17-18 जुलाई, 1948 मरणोपरांत
कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया 5 दिसम्बर, 1961 मरणोपरांत
मेजर धनसिंह थापा 20 अक्टूबर, 1962
सूबेदार जोगिंदर सिंह 23 अक्टूबर, 1962 मरणोपरांत
मेजर शैतान सिंह 18 नवंबर, 1962 मरणोपरांत
कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हामिद 10 सितंबर, 1965 मरणोपरांत
लेफ्टीनेंट कर्नल आर्देशिर तारापोर 15 अक्टूबर, 1965 मरणोपरांत
लांस नायक अलबर्ट एक्का 03 दिसम्बर, 1971 मरणोपरांत
फ्लाईंग आफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों 14 दिसम्बर, 1971 मरणोपरांत
लेफ्टीनेंट अरुण क्षेत्रपाल 16 दिसम्बर, 1971 मरणोपरांत
मेजर होशियार सिंह 17 दिसम्बर, 1971
नायब सूबेदार बन्ना सिंह 23 जून, 1987
मेजर रामास्वामी परमेश्वरन 25 नवंबर, 1987 मरणोपरांत
लेफ्टीनेंट मनोज कुमार पांडे 03 जुलाई, 1999 मरणोपरांत
ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव 04 जुलाई, 1999
राइफलमैन संजय कुमार 05 जुलाई, 1999
कैप्टन विक्रम बत्रा 06 जुलाई, 1999 मरणोपरांत

इन्हें भी पढे: अशोक चक्र (पदक) से सम्मानित व्यक्तियों की सूची

और जानिये : परमवीर चक्र से सम्मानित व्यक्तियों के नाम एवं वर्ष की सूची


गरीबी एवं बेरोजगारी उन्मूलन योजनाओं से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी

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गरीबी एवं बेरोजगारी उन्मूलन योजनाएं – महत्त्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक कार्यक्रम/योजनाएं: List of Poverty and Unemployment Alleviation Programmes of India in Hindi)

बेरोजगारी उन्मूलन अभियान किसे कहते है?

बेरोजगारी उन्मूलन अभियान (Unemployment Abolition Campaign/UAC) का उद्देश्य लोगो को उनकी क्षमता के अनुशार रोजगार उपलब्ध करना है और यदि किसी के अंदर क्षमताओं की कमी है तो उसकी क्षमताओं को निःशुल्क विकसित किया जाएगा।

गरीबी एवं बेरोजगारी उन्मूलन योजनाएं एवं स्थापना वर्ष:

कार्यक्रम/योजना वर्ष
अंत्योदय अन्न योजना 2000 ईसवी
अंत्योदय योजना कार्यक्रम 1977-1978 ईसवी
अन्नपूर्णा योजना 2000 ईसवी
आश्रय बीमा योजना 2000-2002 ईसवी
इन्दिरा आवास योजना 1985-1986 ईसवी
एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम 1980 ईसवी
काम के बदले अनाज कार्यक्रम 1977-1978 ईसवी
जनश्री बीमा योजना 2000-2001 ईसवी
जवाहर ग्राम समृद्धि योजना 1999 ईसवी
जवाहर रोजगार योजना 1989 ईसवी
जे पी रोजगार गारंटी योजना 2003-2004
ट्रायसेम 1979 ईसवी
ड्वाकरा योजना 1982 ईसवी
दस लाख कुआँ योजना 1988-1989 ईसवी
नेहरू रोजगार योजना 1989 ईसवी
प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना 2000-2001 ईसवी
प्रधानमंत्री रोजगार योजना 1993 ईसवी
भारत निर्माण कार्यक्रम 2005-2006 ईसवी
मरूभूमि विकास कार्यक्रम 1977-1978 ईसवी
महिला सवयं सिद्धि योजना 2001 ईसवी
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना 2005-2006 ईसवी
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन 2005-2006 ईसवी
रोजगार आश्वासन योजना 1993 ईसवी
स्वजलधारा कार्यक्रम 2002 ईसवी
स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना 1999 ईसवी
स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना 1997 ईसवी

इन्हें भी पढ़े: भारतीय अर्थव्यवस्था से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

और जानिये : गरीबी एवं बेरोजगारी उन्मूलन योजनाओं से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी

भारत और विश्व के महत्वपूर्ण कार्यालयों/कंपनियों और संगठनों के प्रमुखों के नाम 2017

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नवीनतम कौन क्या है 2017 की सूची: (Latest Who is Who 2017 in India and World in Hindi)

इस पोस्ट में आप भारत और विश्व के महत्वपूर्ण कार्यालयों/कंपनियों और संगठनों के प्रमुखों के बारे में नवीनतम जानकारी प्राप्त करेंगे। वर्तमान में महत्वपूर्ण कार्यालयों/कंपनियों और संगठनों के प्रमुखों के आधार पर हर परीक्षा में दो या तीन प्रश्न अवश्य पूछे जाते है।

इस तरह के सवाल कौन क्या है की श्रेणी में आते हैं। महत्वपूर्ण व्यक्तियों और उनके पद बदलते रहते हैं, तो यह पोस्ट अपने आप को देश और दुनिया के मुख्य संगठनों या कार्यालयों के क्षेत्र की नवीनतम जानकारी से अवगत रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह आपकी सभी प्रकार की सरकारी प्रतियोगी परीक्षाओं विशेषकर बैंक पीओ व क्लर्क, यूपीएससीएसएससीआईएएस, पीसीएस, केट, भारतीय रेलवे, गेट आदि के लिए अत्यंत उपयोगी है। आइये जाने वर्तमान में कौन-सा व्यक्ति किस कार्यालय/कंपनी और संगठन के प्रमुख पद पर कार्यरत है:-

वर्तमान में भारत और विश्व के महत्वपूर्ण कार्यालयों/कंपनियों और संगठनों के प्रमुख की सूची:-

पद/कार्यालय/संगठन का नाम व्यक्ति का नाम
भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद
भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी
लोक सभा अध्यक्ष सुश्री सुमित्रा महाजन
राज्य सभा के उप-सभापति श्री पी. जे. कुरियन
लोकसभा के डिप्टी स्पीकर डॉ. एम. थम्बीदुरई
विपक्ष के नेता (राज्य सभा) गुलाम नबी आजाद
नीति आयोग के उपाध्यक्ष (वाइस चेयरमैन) डॉ. राजीव कुमार (सितम्बर 2017)
मुख्य चुनाव आयुक्त श्री अचल कुमार ज्योति
चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा
चुनाव आयुक्त डॉ. नसीम जैदी
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, अध्यक्ष न्यायमूर्ति एच एल दत्तु
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) राजीव महर्षि (24 सि‍तम्‍बर 2017)
पिछड़ा वर्ग के लिए राष्ट्रीय आयोग, अध्यक्ष जस्टिस वंगाला ऐशवारया
दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य कुमार पटनायक
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अध्यक्ष डेविड आर. सिम्लिह (04 जनवरी, 2017)
राष्ट्रीय किसान आयोग (एनसीएफ), अध्यक्ष डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन
मुख्य सूचना आयुक्त (सीआईसी) आर. के. माथुर
एस.एस.सी के अध्यक्ष श्री असीम खुराना
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड,अध्यक्ष श्री मुकेश अंबानी
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान की परिषद, महानिदेशक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन
भारत की महापंजीयक और जनगणना आयुक्त श्री शैलेश
21वें विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति बलबीर सिंह चौहान
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर श्री उर्जित पटेल
प्रधानमंत्री के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विशेष सलाहकार (आंतरिक सुरक्षा) श्री अजीत डोभाल

इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग, अध्यक्ष डॉ. बी.एन. सुरेश
ऑडिट ब्यूरो सर्कुलेशन (एबीसी), अध्यक्ष शशिधर सिन्हा
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), अध्यक्ष रानी सिंह नायर
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), अध्यक्ष अजय त्‍यागी
राष्ट्रीय आयोग महिला, अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम
लोक वित्त एवं नीति के राष्ट्रीय संस्थान (एनआईपीएफपी),अध्यक्ष डॉ. विजय केलकर लक्ष्मण
प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ए. सूर्य प्रकाश (दिसम्बर 2017)
प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) शशि शेखर वेमपति (02 जून, 2017)
भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) अनुपम खेर (11 अक्टूबर 2017)
निवेश आयोग, अध्यक्ष श्री रतन टाटा
संयुक्त राष्ट्र, उपमहासचिव जेन एलिअसन
विश्व बैंक के राष्ट्रपति डॉ. जिम योंग किम
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), प्रबंध निदेशक अं क्रिस्टीन लगार्डे
एशियाई रग्बी के अध्यक्ष आगा हुसैन (नवम्बर 2017)
यूनेस्को की महानिदेशक (प्रमुख) ऑद्रे आजोले (नवम्बर 2017)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेडरोस अदानाम गिबेरेसस
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गाए राइडर
युक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बाल आपात कोष (यूनिसेफ) के कार्यकारी निदेशक अन्थोनी लेक
संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन व्यापार पर और विकास (अंकटाड), महासचिव श्री मुखिसा किचयी
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) के महासचिव जोस एंजेल गुर्रिया
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय  के न्यायमूर्ति रोनी इब्राहीम
एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के अध्यक्ष ताकेहिको  नाकाओ
अफ्रीकी विकास बैंक के अध्यक्ष एकिनवुमी अदेसिना
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थामस बाक
राष्ट्रमंडल के महासचिव माननीय पेट्रीसिया
अफ्रीकी संघ के विधानसभा अध्यक्ष डॉ. नकोसज़ाना दलामिनी जुमा
विश्व व्यापार संगठन निर्देशक – जनरल रॉबर्टो एजेवेडो
मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायोग के उच्चायुक्त ज़ेईड राड अल हुसैन
यूरोपीय परिषद के राष्ट्रपति डोनाल्ड टस्क
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के अध्यक्ष जहीर अब्बास
यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ज्यां क्लाड जंकर
यूनिडो के निर्देशक-जनरल ली योंग
खाड़ी सहयोग परिषद के महासचिव अब्दुल्लतीफ बिन राशिद अल-जायनी
इस्लामिक सहयोग संगठन के महासचिव डॉ.यूसुफ बिन अहमद अल-ओथिमीन
उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग
यूएनएफपीए कार्यकारी के निदेशक डॉ. बाबाटुंडे ओसोटिमेहिन
आसियान के महासचिव ली लुओंग मिन्ह
सार्क के महासचिव अमजद हुसैन बी. सियाल (01 मार्च, 2017)
इंटरनेशनल एमेच्योर एथलेटिक महासंघ (आईएएएफ) के अध्यक्ष सेबेस्टियन कोए
भारतीय भारोत्तोलन महासंघ (आईडब्ल्यूएलएफ) के अध्यक्ष बीरेन्द्र प्रसाद वैश्य (नवम्बर 2017)
नासा के चीफ (यूएसए) चार्ल्स एफ बोल्डेन जूनियर
राज्य सभा के महासचिव श्री दीपक वर्मा (01 सितम्बर, 2017 से प्रभावी)
लोकसभा के महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव (01 दिसंबर 2017 से प्रभावी)
इंटेलिजेंस (खुफिया) ब्यूरो (आईबी) के चीफ राजीव जैन (जनवरी 2017)
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) निदेशक श्री आलोक कुमार वर्मा
रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) निदेशक अनिल धस्माना(जनवरी 2017)
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक राजीव राय भटनागर
केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के महानिदेशक श्री ओ. पी. सिंह
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के महानिदेशक श्री धमेंद्र कुमार
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के महानिदेशक श्री आर. के. पचनंदा
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रो. वेद प्रकाश
रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार श्री जी. एस. रेड्डी
इसरो के अध्यक्ष श्री ए. एस. किरण कुमार
परमाणु ऊर्जा आयोग और सचिव, परमाणु ऊर्जा विभाग के अध्यक्ष डॉ. शेखर बसु
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद ग़य्यूर-उल-हसन रिज़वी
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष डॉ. प्रणब सेन
सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के महानिदेशक श्रीमती अर्चना रामासुंदरम
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (एसबीआई) के अध्यक्ष रजनीश कुमार (07 अक्टूबर 2017)
फेसबुक सीईओ मार्क जुकरबर्ग
इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष नंद कुमार साय
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के अध्यक्ष श्री सैम पित्रोदा
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के अध्यक्ष प्रो. रामशंकर कठेरिया (31 मई, 2017)
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के महानिदेशक श्री शरद कुमार
भारतीय तटरक्षक के महानिदेशक राजेंद्र सिंह
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष विनोद राय (सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित बीसीसीआई के चार सदस्यीय प्रशासनिक समिति के अध्यक्ष)
चुनाव आयुक्त श्री ओम प्रकाश रावत
भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा (28 अगस्त 2017)
भारत के महा अधिवक्ता (सॉलिसिटर जनरल) श्री रंजीत कुमार
संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष श्री शेखर सेन
वाणिज्य इंटरनेशनल चैंबर (आईसीसी) भारत के अध्यक्ष श्री सुनील भारती मित्तल
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष डॉ. नौशाद फोर्ब्स
भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत
भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लंबा
भारतीय वायुसेना प्रमुख एअर मार्शल बी.एस. धनोआ
भारत के महान्यायवादी (अटॉर्नी जनरल) श्री के. के. वेणुगोपाल
बाल अधिकार के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष सुश्री स्तुति कक्कड़
14वें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. वाई. वी. रेड्डी
15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह
सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक (बीएसएफ) श्री के.के. शर्मा
विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्लूएफपी) के कार्यकारी निदेशक एर्थरिन चचेरा
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के अध्यक्ष श्री जे सत्यनारायण
यूआईडीएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डॉ. ए. बी. पी. पांडे
दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) बोर्ड के अध्यक्ष श्री डीएस मिश्रा
पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के महानिदेशक डॉ. एम. सी. बोरवांकर
विदेश सचिव श्री एस. जयशंकर
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक श्री चंद्रजीत बनर्जी
नीति आयोग के अध्यक्ष नरेन्द्र मोदी
नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के अध्यक्ष श्री देवेन्द्र कुमार सीकरी
भारतीय चैंबर के वाणिज्य एवं उद्योग (फिक्की) के अध्यक्ष डॉ. संजय बारु
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के अध्यक्ष जस्टिस डी.के. जैन
राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक पी. मधुसूदन
वित्तीय योजना मानक बोर्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष न्यायमूर्ति बी एन श्रीकृष्णा
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अध्यक्ष श्री दीपक कुमार (27 जून, 2017)
सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ एक्साइज एंड कस्टम्स (सीबीईसी) के अध्यक्ष श्री नजीब शाह
भारत के अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री अमिताभ वर्मा
राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन इंडिया लिमिटेड के महासंघ (नेफेड) के अध्यक्ष श्री वी. आर. पटेल
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के अध्यक्ष डॉ. गुरुप्रसाद महापात्र
बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) के अध्यक्ष श्री टी. एस. विजयन
अंतरराष्ट्रीय उर्वरक संघ (आईएफए) का अध्यक्ष राकेश कपूर
भारतीय किसान उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको) के अध्यक्ष श्री बी. एस. नकई
भारतीय पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) के अध्यक्ष उमंग नरूला
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री योगेन्द्र त्रिपाठी
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के अध्यक्ष श्री वी. के. शर्मा
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) के अध्यक्ष श्री डी. के. सर्राफ (दिसम्बर 2017)
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के अध्यक्ष राम सेवक शर्मा
भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन (आईटीपीओ) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री एल. सी. गोयल
भारतीय मर्चेंट चैंबर के महानिदेशक श्री अरविंद प्रधान
केंद्रीय बिजली नियामक आयोग (सीईआरसी) के अध्यक्ष गिरीश बी प्रधान
भारतीय जहाजरानी निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक कैप्टन अनूप कुमार शर्मा
भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री अनुपम श्रीवास्तव
तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री दिनेश कुमार सर्राफ
भारतीय महिला बैंक के कार्यकारी निदेशक सुश्री एस. एम. स्वाति
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के चेयरमैन शशांक मनोहर
ग्रामीण विद्युतीकरण निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री राजीव शर्मा
पावर फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री राजीव शर्मा
रेलवे बोर्ड के चेयरमेन श्री अश्विनी लोहानी
केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड या भारतीय सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी
राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. हनुमांथू पुरुषोतम
केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) श्री के. वी. चौधरी
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग (डीआरडीओ) के सचिव डॉ. एस क्रिस्टोफर

राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के निदेशक डॉ एम. सी. बोरवांकर
फीफा अध्यक्ष गिआनी इन्फैनटिनों
केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष जस्टिस प्रमोद कोहली
नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के महानिदेशक श्री कुमार राजेश चंद्र
भारतीय मर्चेंट चैंबर (आईएमसी) के अध्यक्ष सुश्री राधिका नाथ
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया (एनएसई) के अध्यक्ष श्री अशोक चावला
खनिज और धातु व्यापार निगम (एमएमटीसी) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री वेद प्रकाश
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के अध्यक्ष डॉ. हर्ष कुमार भानवाला
विश्व व्यापार संगठन का भारतीय राजदूत श्रीमती अंजलि प्रसाद
प्रतिस्पर्धा अपीलीय न्यायाधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति जी. एस. सिंघवी
बाल अधिकार के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष स्तुति नारायण कक्कड़
भारतीय निर्यातकों के संगठन संघ (एफआईईओ) के अध्यक्ष एस. सी. रल्हन
दिल्ली मेट्रो रेल निगम के एमडी डा. मंगू सिंह
भारत के विज्ञापन एजेंसियों एसोसिएशन के अध्यक्ष नकुल चोपड़ा
हिंदुस्तान चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष श्री वी मुरली
नेशनल इंश्योरेंस कंपनी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सनत कुमार
भारत की औद्योगिक वित्त निगम (आईएफसीआई) के अध्यक्ष श्री एस.वी. रंगनाथ
सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (सीबीईसी) के अध्यक्ष नजीब शाह
परमाणु ऊर्जा निगम ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक एस. के. शर्मा
राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. बुद्ध रश्मि मणि
सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ सेकेंडरी एज़ुकेशन (सीबीएसई) अध्यक्ष अनीता करावल
खेल प्राधिकरण ऑफ इंडिया (साई) के डायरेक्टर जनरल श्री इंजेती श्रीनिवास
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक श्री ओ. पी. सिंह
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अध्यक्ष श्री देवेन्द्र कुमार सिंह
संयुक्त राष्ट्र संगठन (संयुक्त राष्ट्र संघ) के महासचिव एंटोनी गुटरेज़
ब्रिक्स के नए विकास बैंक के अध्यक्ष के.वी. कामथ

इन्हें भी पढे: भारत के उच्च न्यायालयों के नाम, स्थापना वर्ष और उनका स्थान

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और जानिये : भारत और विश्व के महत्वपूर्ण कार्यालयों/कंपनियों और संगठनों के प्रमुखों के नाम 2017

जीवधारियों के लक्षण, वर्गीकरण एवं मुख्य प्राणी संघो की सूची

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जीवधारियों के लक्षण, वर्गीकरण एवं मुख्य प्राणी संघो की सूची: (Living Organisms Symptoms and Classifications in Hindi)

जीव विज्ञान किसे कहते है?

जीव विज्ञान जीवधारियों का अध्ययन है, जिसमें सभी पादप और जीव-जंतु शामिल हैं। विज्ञान के रूप में जीव विज्ञान का अध्ययन अरस्तू के पौधों और पशुओं के अध्ययन से शुरू हुआ, जिसकी वजह से उन्हें जीव विज्ञान का जनक कहा जाता है। लेकिन बायोलॉजी शब्द का प्रथम बार प्रयोग फ्रांसीसी प्रकृति विज्ञानी जीन लैमार्क ने किया।

जीव विज्ञान प्राकृतिक विज्ञान की तीन विशाल शाखाओं में से एक है। यह विज्ञान जीव, जीवन और जीवन के प्रक्रियाओं के अध्ययन से सम्बन्धित है। इस विज्ञान में हम जीवों की संरचना, कार्यों, विकास, उद्भव, पहचान, वितरण एवं उनके वर्गीकरण के बारे में पढ़ते हैं। आधुनिक जीव विज्ञान एक बहुत विस्तृत विज्ञान है, जिसकी कई शाखाएँ हैं।

जीव विज्ञान शब्द का प्रयोग सबसे पहले लैमार्क और ट्रविरेनस नाम के वैज्ञानिको ने 1802 ई० मे किया। विज्ञान कि वह शाखा जो जीवधारियों से सम्बन्धित है, जीवविज्ञान कहलाती है।

जीवधारियों के लक्षण:

जिन वस्तुओं की उत्पत्ति किसी विशेष अकृत्रिम जातीय प्रक्रिया के फलस्वरूप होती है, जीव कहलाती हैँ। इनका एक परिमित जीवनचक्र होता है। हम सभी जीव हैँ। जीवों में कुछ मौलिक प्रक्रियाऐं होती हैं:

  • संगठन: सभी जीवों का निर्धारित आकार व भौतिक एवं रासायनिक संगठन होता है।
  • उपापचय: पशु, जीवाणु, कवक आदि अपना आहार कार्बनिक पदार्थों से ग्रहण करते हैं। हरे पादप अपना आहार पर्यावरण से जल, कार्बन-डाइऑक्साइड और कुछ खनिजों के रूप में लेकर उन्हें प्रकाश संश्लेषण के द्वारा संश्लेषित करते हैं।
  • श्वसन: इसमें प्राणी महत्वपूर्ण गैसोँ का परिवहन करता है।
  • संवेदनशीलता: जीवोँ में वाह्य अनुक्रियाओँ के प्रति संवेदनशीलता पायी जाती है।
  • वृद्धि व परिवर्धन: जीवधारियों में कोशिका के  विभाजन और पुनर्विभाजन से ढेर सारी कोशिकाएं बनती हैं, जो शरीर के विभिन्न अंगों में विभेदित हो जाती हैं।
  • प्रजनन: निर्जीवों की तुलना में जीवधारी अलैंगिक अथवा लैंगिक जनन द्वारा अपना वंश बढ़ाने की क्षमता द्वारा पहचाने जाते हैं।

जीवधारियों का वर्गीकरण:

द्विपाद नाम पद्धति के अनुसार हर जीवधारी के नाम में दो शब्द होते हैं। पहला पद है वंश नाम जो उसके संबंधित रूपों से साझा होता है और दूसरा पद एक विशिष्ट शब्द होता है जाति पद। दोनों पदों के मिलने से जाति का नाम बनता है। 1969 में आर. एच. व्हीटेकर ने जीवों को 5 जगतों में विभाजित किया। ये पाँच जगत निम्नलिखित हैं:-

  • मोनेरा: इस जगत के जीवों में केंद्रक विहीन प्रोकेरिओटिक  कोशिका होती है। ये एकल कोशकीय जीव होते हैं, जिनमें अनुवांशिक पदार्थ तो होता है, किन्तु इसे कोशिका द्रव्य से पृथक रखने के लिए केंद्रक नहीं होता। इसके अंतर्गत जीवाणु तथा नीलरहित शैवाल आते हैं।
  • प्रोटिस्टा: ये एकल कोशकीय जीव होते हैं, जिसमें विकसित केंद्रक वाली यूकैरियोटिक कोशिका होती है। उदाहरण- अमीबा, यूग्लीना, पैरामीशियम, प्लाज्मोडियम इत्यादि।
  • कवक: ये यूकैरियोटिक जीव होते हैं। क्योंकि हरित लवक और वर्णक के अभाव में इनमें  प्रकाश संश्लेषण नहीं होता। जनन लैंगिक व अलैंगिक दोनों तरीके से होता है।
  • प्लान्टी: ये बहुकोशकीय पौधे होते है। इनमें प्रकाश संश्लेषण होता है। इनकी कोशिकाओं में रिक्तिका पाई जाती है। जनन मुख्य रूप से लैंगिक होता है। उदाहरण- ब्रायोफाइटा, लाइकोपोडोफाइटा, टेरोफाइटा, साइकेडोफाइटा, कॉनिफरोफाइटा, एन्थ्रोफाइटा इत्यादि।
  • एनीमेलिया: ये बहुकोशिकीय यूकैरियोटिक जीव होते हैं जिनकी कोशिकाओं में दृढ़ कोशिका भित्ति और प्रकाश संश्लेषीय तंत्र नहीं होता। यह दो मुख्य उप जगतों में विभाजित हैं, प्रोटोजुआ व मेटाजुआ।

मुख्य प्राणी संघ निम्न हैं:

  • प्रोटोजुआ: यह सूक्ष्मजीव एककोशकीय होते हैं। उदाहरण- ट्रिपैनोसोमा, यूग्लीना, पैरामीशियम, प्लाज्मोडियम आदि।
  • पोरीफेरा: इनका शरीर बेलनाकार होता है। उदाहरण- साइकॉन, यूस्पंजिया, स्पंजिला।
  • सीलेनट्रेटा: यह पहले बहुकोशकीय अरीय सममिति वाले प्राणी हैं। इनमें ऊतक और एक पाचक गुहा होती है। उदाहरण- हाइड्रा, जैली फिश आदि।
  • प्लेटीहेल्मिन्थीज: इन प्राणियों का शरीर चपटा, पतला व मुलायम होता है। यह कृमि जैसे जीव होते हैं। उदाहरण- फेशिओला लिवर फ्लूक, शिस्टोजोमा रक्त फ्लूक आदि।
  • एश्स्केलमिन्थीज: यह एक कृमि है जिनका गोल शरीर दोनों ओर से नुकीला होता है। उदाहरण- एस्केरिस गोलकृमि, ऑक्सियूरिस पिनकृमि, ऐन्साइलोस्टोमा अंकुशकृमि आदि।
  • ऐनेलिडा: इन कृमियों का गोल शरीर बाहर से वलयों या खंडों में बंटा होता है। उदाहरण- फेरेटिमा केंचुआ, हिरूडिनेरिका जोंक आदि।
  • आर्थोपोडा: शरीर खण्डों में विभक्त होता है जो बाहर से एक सख्त काइटिन खोल से ढंका होता है। उदाहरण- क्रस्टेशिआन झींगा, पैरीप्लेनेटा कॉकरोच, पैपिलियो तितली, क्यूलेक्स मच्छर, बूथस बिच्छू, लाइकोसा वुल्फ मकड़ी, स्कोलोपेन्ड्रा कनखजूरा, जूलस मिलीपीड आदि।
  • मोलास्का: इन प्राणियों की देह मुलायम खण्डहीन होती है और उपांग ड्डश्चश्चद्गठ्ठस्रड्डद्दद्गह्य नहीं होते। उदाहरण- लाइमेक्स स्लग, पटैला लिम्पेट, लॉलिगो स्क्विड आदि।
  • एकाइनोडर्मेटा: इसमें शूलीय चर्म वाले प्राणी शामिल हैं। ये कई मुलायम नलिका जैसी संरचनाओं से चलते हैं, जिन्हें नाल पाद ट्यूबफीट कहते हैं। उदाहरण- एस्ट्रोपैक्टेन तारामीन, एकाइनस समुद्री अर्चिन आदि।
  • कॉर्डेटा: संघ कॉर्डेटा पाँच उपसंघों में विभाजित किये जाते हैं-
  • हेमीकॉर्डेटा: इनमें ग्रसनी, क्लोम, विदर और पृष्ठïीय खोखली तंत्रिका रज्जु पाई जाती है। उदाहरण- बैलेनोग्लोसस टंग वार्म।
  • यूरोकॉर्डेटा: इन थैली जैसे स्थिर जीवों में वयस्क अवस्था में तंत्रिका रज्जु और पृष्ठï रज्जु नोटोकार्ड नहीं होता। उदाहरण- हर्डमेनिया, डोलियोलम कंचुकी आदि।
  • सिफेलोकॉर्डेटा: इन प्राणियों में कॉर्डेटा संघ के विशिष्टï लक्षण मौजूदा रहते हैं। उदाहरण- ब्रेंकियोस्टोमा ऐम्फिऑक्सस आदि।
  • ऐग्नेथा: यह कशेरूकियों का एक छोटा सा समूह है जिसमें चूषण मुख होता है। ऐसे प्राणियों को चक्रमुखी साइक्लोस्टोम कहते हैं।
  • नैथोस्टोमाटा: इसमें मछलियाँ, उभयचर एम्फीबिया, सरीसृप, पक्षी तथा स्तनधारी प्राणी शामिल हैं। यह उप संघ पाँच वर्गों में विभाजित किया जाता है:-
  • (i) पिसीज: ये जलीय, असमतापी, जबड़े वाले कशेरुकी है जो जीवन भर जल में रहने के लिए अनुकूलित हैं। इनके शरीर शल्कों से ढंके रहते हैं, क्लोमो द्वारा ये श्वसन करती हैं और पंखों द्घद्बठ्ठ की मदद से चलते हैं। उदाहरण – लैबियो रोहू, कतला कटला, हिप्पोकैम्पस समुद्री घोड़ा आदि।
  • (ii) ऐम्फीबिया: यह असमतापी कशेरूकी हैं जिनमें चार टांगें और शल्कहीन चर्म होते हैं जो ज्यादातर गीला रहता है। उदाहरण- राना टिगरीना मेंढक, बुफो टोड, सैलेमेन्ड्रा सलामेन्डर आदि।
  • (iii) रेप्टीलिया: इन असमतापी कशेरूकियों में सख्त शल्कीय त्वचा होती है। उदाहरण- टेस्टूडो कछुआ, हेनीडैक्टाइलस छिपकली, क्रोकोडाइलस मगरमच्छ आदि।
  • (iv) एवीज पक्षीवर्ग: पक्षी ही ऐसे जीव हैं जिनका शरीर पंखों से ढंका रहता है। इनके अग्रपाद पंखों में रूपांतरित होकर उड़ान में काम आते हैं। उदाहरण पैसर गौरैया, कोर्वस कौआ, कोलंबा कबूतर, पावो मोर आदि।
  • (v) मैमेलिया स्तनी वर्ग: ये समतापी कशेरूकी सबसे उच्च वर्ग के हैं। इनका शरीर बालों से ढंका रहता है। इनमें दुग्ध-ग्रंथियाँ होती हैं जिससे वे नन्हें बच्चों का पोषण करते हैं। उदाहरण- डक बिल्ड प्लैटिपस और स्पाइनी चींटीखोर, फैलिस बिल्ली, कैनिस कुत्ता, पैन्थरा शेर, चीता, बाघ मकाका बंदर, ऐलिफस हाथी, बैलीना व्हेल, होमो सेपिएन्स मानव आदि।

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भारत के प्रसिद्ध व्यक्तियों के नाम और उनके गुरुओं की सूची

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प्रसिद्ध भारतीय व्यक्ति एवं उनके गुरूओ की सूची (List of Famous Indian Persons and their Masters in Hindi)

यहां पर भारत के प्रसिद्ध व्यक्तियों के नाम और उनके गुरुओं की सूची दी गई हैं। सामान्यतः इस सूची से सम्बंधित प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते है। यदि आप विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे: आईएएस, शिक्षक, यूपीएससी, पीसीएस, एसएससी, बैंक, एमबीए एवं अन्य सरकारी नौकरियों के लिए तैयारी कर रहे हैं, तो आपको भारत के प्रसिद्ध व्यक्तियों के नाम और उनके गुरुओं के बारे में अवश्य पता होना चाहिए।

प्रसिद्ध भारतीय व्यक्ति एवं उनके गुरूओ की सूची:

प्रसिद्ध भारतीय व्यक्ति उनके गुरुओं के नाम
अरस्तू प्लेटो
कबीर रामानंद
गोपालकृष्ण गोखले महादेव गोविंद रानाडे
चंद्रगुप्त मौर्य चाणक्य
तुलसीदास बाबा नरहरि
प्लेटो सुकरात
बिरसा मुण्डा आनंद पाण्डेय
महात्मा गांधी गोपालकृष्ण गोखले (राजनीतिक गुरु), श्रीमद राजचंद्र (आध्यात्मिक मार्गदर्शक)
मीराबाई रैदास
शिवाजी कोण्डदेव
सिकंदर महान अरस्तू
सुभाषचन्द्र बोस चित्तरंजन दास
सूरदास महाप्रभु वल्ल्भाचार्य
स्वामी दयानंद सरस्वती स्वामी ब्रजानंद
स्वामी विवेकानंद स्वामी रामकृष्ण परमहंस

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और जानिये : भारत के प्रसिद्ध व्यक्तियों के नाम और उनके गुरुओं की सूची

केदार सम्मान से सम्मानित व्यक्तियों के नाम एवं वर्ष (1996 से 2017 तक)

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केदार सम्मान से सम्मानित व्यक्तियों की सूची: (Kedar Samman Awardees list in Hindi)

केदार सम्मान का इतिहास:

केदार सम्मान प्रगतिशील हिन्दी कविता के शीर्षस्थ कवि केदारनाथ अग्रवाल की स्मृति में ‘केदार शोध पीठ’ की ओर से प्रति वर्ष दिया जाने वाला एक प्रमुख साहित्य सम्मान है।

केदार सम्मान की विशेषताएं और महत्वपूर्ण तथ्य:

  • यह सम्मान मुख्यत: हिन्दी कविता के लिए है, ‘केदार शोध पीठ न्यास’, बाँदा द्वारा सन् 1996 से प्रति वर्ष प्रतिष्ठित प्रगतिशील कवि केदारनाथ अग्रवाल की स्मृति में यह सम्मान ऐसी प्रतिभाओं को दिया जाता है, जिन्होंने केदार की काव्यधारा को आगे बढ़ाने में अपनी रचनाशीलता द्वारा कोई अवदान दिया हो।
  • केदार पुरस्कार का निर्णय एक चयन तथा निर्णायक समिति द्वारा किया जाता है।
  • प्रतिवर्ष अगस्त के महीने में आयोजित एक भव्य समारोह में ‘केदार सम्मान’ दिया जाता है।
  • ‘केदार सम्मान’ का मुख्य उद्देश्य केदारनाथ अग्रवाल की परम्परा में लोकतांत्रिक, प्रगतिशील, आधुनिक, विवेकसम्मत, वैज्ञानिक चिन्तन के पक्षधर, सृजन धर्मियों को सम्मानित करना है।

केदार सम्मान से सम्मानित व्यक्तियों की सूची:

वर्ष कवि का नाम कृति/उपन्यास/काव्य
2016 केदार नाथ चौधरी आबारा नहितन
2015 मदन कश्यप दूर दूर तक चुप्पी एवं अपना ही देश
2014
2013 अनीता वर्मा रोशनी के रास्‍ते पर
2012
2011
2010 पंकज राग यह भूमंडल की रात है
2009 अष्टभुजा शुक्ल दु:स्वप्न भी आते हैं
2008 दिनेश कुमार शुक्ल लालमुनियाँ की दुनिया
2007 अनामिका (हिंदी कवयित्री) खुरदुरी हथेलियाँ
2006 बद्री नारायण शब्द पदीयम
2005 आशुतोष दुबे असंभव सारांश
2004 नीलेश रघुवंशी पानी का स्वाद
2003 हेमन्त कुकरेती चाँद पर नाव
2002 अनिल कुमार सिंह पहला उपदेश
2001 हरीशचन्द पाण्डे एक बुरुश कहीं खिलता है
2000 गगन गिल यह आकांक्षा का समय नहीं
1999 विनोद दास वर्णमाला से बाहर
1998 कुमार अंबुज क्रूरता एवं अनंतिम
1997 एकांत श्रीवास्तव अन्न हैं शब्द मेरे
1996 नासिर अहमद सिकंदर जो कुछ भी घट रहा है दुनिया में

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और जानिये : केदार सम्मान से सम्मानित व्यक्तियों के नाम एवं वर्ष (1996 से 2017 तक)

कुषाण राजवंश का इतिहास, शासकों का नाम एवं महत्‍वपूर्ण सामान्य ज्ञान तथ्य

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कुषाण राजवंश का इतिहास, शासकों का नाम एवं महत्‍वपूर्ण तथ्य: (History of Kushan dynasty, names of rulers and important facts in Hindi)

कुषाण वंश

कुषाण राजवंश भारत के प्राचीन राजवंशों में से एक था। कुछ इतिहासकार इस वंश को चीन से आए युएझ़ी लोगों के मूल का मानते है। कुछ विद्वानो इनका सम्बन्ध रबातक शिलालेख पर अन्कित शब्द गुसुर के जरिये गुर्जरो से भी बताते है। ‘युइशि जाति’, जिसे ‘यूची क़बीला’ के नाम से भी जाना जाता है, का मूल अभिजन तिब्बत के उत्तर-पश्चिम में ‘तकला मक़ान’ की मरुभूमि के सीमान्त क्षेत्र में था। हूणों के आक्रमण प्रारम्भ हो चुके थे युइशि लोगों के लिए यह सम्भव नहीं था कि वे बर्बर और प्रचण्ड हूण आक्रान्ताओं का मुक़ाबला कर सकते। वे अपने अभिजन को छोड़कर पश्चिम व दक्षिण की ओर जाने के लिए विवश हुए। उस समय सीर नदी की घाटी में शक जाति का निवास था। यूची क़बीले के लोगों ने कुषाण वंश प्रारम्भ किया।

कुषाण राजवंश का इतिहास:

कुषाण राजवंश (लगभग 30 ई. से लगभग 225 ई. तक) ई. सन् के आरंभ से शकों की कुषाण नामक एक शाखा का प्रारम्भ हुआ। विद्वानों ने इन्हें युइशि, तुरूश्क (तुखार) नाम दिया है । युइशि जाति प्रारम्भ में मध्य एशिया में थी। वहाँ से निकाले जाने पर ये लोग कम्बोज-बाह्यीक में आकर बस गये और वहाँ की सभ्यता से प्रभावित रहे। हिंदुकुश को पार कर वे चितराल देश के पश्चिम से उत्तरी स्वात और हज़ारा के रास्ते आगे बढ़ते रहे। तुखार प्रदेश की उनकी पाँच रियासतों पर उनका अधिकार हो गया। ई. पूर्व प्रथम शती में कुषाणों ने यहाँ की सभ्यता को अपनाया। कुषाण राजवंश के जो शासक थे उनके नाम इस प्रकार है-

  • कुजुल कडफ़ाइसिस: शासन काल (30 ई. से 80 ई तक लगभग)
  • विम तक्षम: शासन काल (80 ई. से 95 ई तक लगभग)
  • विम कडफ़ाइसिस: शासन काल (95 ई. से 127 ई तक लगभग)
  • कनिष्क प्रथम: शासन काल(127 ई. से 140-50 ई. लगभग)
  • वासिष्क प्रथम: शासन काल (140-50 ई. से 160 ई तक लगभग)
  • हुविष्क: शासन काल (160 ई. से 190 ई तक लगभग)
  • वासुदेव प्रथम
  • कनिष्क द्वितीय
  • वशिष्क
  • कनिष्क तृतीय
  • वासुदेव द्वितीय

नोट: इस सूची से अलग भी कुषाण वंश के राजा हुए हैं जिनका अधिक महत्त्व नहीं है और इतिहास भी स्पष्ट ज्ञात नहीं है।

कुषाण राजवंश के बारे में महत्‍वपूर्ण सामान्य ज्ञान तथ्य:

  • कुषाण चीन के पश्चिमोत्‍तर प्रदेश में निवास करने वाली यूची जाति थी।
  • यूची कबीले ने शकों से ताहिआ क्षेत्र को जीता लिया।
  • 72 ई० में कनिष्‍क कुषाण साम्रा्ज्‍य का शासक बना।
  • कनिष्‍क कुषाण वंश का सबसे प्रतापी शासक था।
  • विम कडफिसेस के बाद कनिष्‍क ने राज्‍य सभाला था।
  • कनिष्‍क का राज्‍यभिषेेक 78 ई० में हुआ था।
  • इसनेे अपनी राजधानी पुरूषपुर को बनाया था।
  • इसके राज्‍य की दूसरी राजधानी मथुरा थी।
  • शक सम्‍वत् की शुरूअत कनिष्‍क ने की थी।
  • कनिष्‍क ने कश्‍मीर को जीतकर वहॉ कनिष्‍कपुर नामक नगर की स्‍थापना की थी।
  • कनिष्‍क बौद्ध धर्म की महायान शाखा का अनुयायी था।
  • कनिष्‍क के प्रचार के लिए कनिष्‍क को द्वतीय अशोक भी कहा जाता है।
  • कनिष्‍क दरवार के महान साहित्‍यकार तथा कवि अश्‍वघोष थे।
  • अश्‍वघोष द्वारा लिखित बुद्धचरित की तुलना वाल्‍मीकी रामायण से की जाती है।
  • कनिष्‍क के दरवार में महान दार्शनिक एवं वैज्ञानिक नागार्जुन थे।
  • नागार्जुन को भारत का आइन्‍सटाइन कहा जाता है।
  • कनिष्‍क के राजवैध आयुर्वेद के महापण्डित चरक थे
  • चरक ने औषधि पर चरकसंहिता नामक ग्रंथ की रचना की थी।
  • कनिष्‍क के युग में ही गांधार कला, सारनाथ कला, मथुरा कला तथा अमरावती कला का विकास हुआ था।
  • गांधार कला में ही सबसे पहले बुद्ध की मूर्तियों का निर्माण हुआ था।
  • वासुदेव कुषाण वंश का अंतिम शासक था।

इन्हें भी पढे: भारतीय इतिहास में हुई प्रमुख क्रांति एवं उनके सम्बंधित क्षेत्रो के नाम

और जानिये : कुषाण राजवंश का इतिहास, शासकों का नाम एवं महत्‍वपूर्ण सामान्य ज्ञान तथ्य

वर्ष 2017 की प्रसिद्ध भारतीय पुस्तकें एवं उनके लेखकों की सूची

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वर्ष 2017 की प्रसिद्ध भारतीय पुस्तकें एवं उनके लेखक: (List of Important Books and Authors 2017 in Hindi)

यहाँ पर वर्ष 2017 की महत्त्वपूर्ण एवं चर्चित किताबों और उनके लेखकों के नाम की सूची दी गयी है, जो जनवरी 2017 माह में काफी सुर्ख़ियों में रहीं और जिनके आधार पर प्रतियोगी परीक्षाओं में एक या दो प्रश्न अवश्य पूछे जाते है और आगे भी पूछे जायेंगे। यदि आप सरकारी नौकरियों के लिए विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाएँ जैसे: एसएससी, यूपीएससी, रेलवे, पीएसएस, बैंक, शिक्षक, टीईटी, कैट एवं अन्य किसी प्रकार की परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं तो आप इन पुस्तकों के बारे में पता होना चाहिए।

वर्ष 2017 की 32 प्रसिद्ध भारतीय पुस्तकें एवं उनके लेखकों की सूची:

पुस्तकों का नाम लेखकों का नाम
‘1971: द फॉल ऑफ ढाका’ जी डी बख्शी [पूर्व सैनिक संगठन वेटरंस इंडिया के संरक्षक मेजर जनरल (सेवानिवृत्त)]
‘सोशल एक्सक्लूजन एण्ड जस्टिस इन इंडिया’ पी.एस.कृष्णन
‘अनस्टॉपेबल: माय लाइफ सो फार’ मारिया शारापोवा (रूस की टेनिस खिलाड़ी)
‘भारतीय कला में सलिल क्रीडाएं एवं सद्यस्नाता नायिका’ क्षेत्रपाल गंगवार और संजीब कुमार सिंह
‘टेस्टोस्टेरोन रेक्स: अनमेकिंग द मिथ्स ऑफ अवर जैनडर्ड माइंडस’ कॉर्डेलिया फाइन
‘आई डू वॉट आई डू: ऑन रिफॉर्म, रेटोरिक एंड रेसोल्व’ रघुराम राजन (आरबीआई के पूर्व गवर्नर)
‘खुशवंत सिंह-इन विजडम एंड इन जैस्ट’ विजय नारायण शंकर तथा ओंकार सिंह
‘प्रेसीडेंट प्रणब मुखर्जी-अ स्टेट्समैन’ प्रकाशन, स्टेटमैन समूह
‘द व्हील चेयर’ राजा बुंदेला
‘एम.एस. स्वामीनाथन: दी क्वेस्ट फॉर अ वर्ल्ड विदआउट हंगर’ डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन
‘चाइल्डहुड नोस्टेलजिया एंड ट्रिगरिंग टेल्स’ एपी माहेश्वरी
‘इंदिरा गांधी : ए लाइफ इन नेचर’ जयराम रमेश
‘स्वच्छ जंगल की कहानी – दादी की जुबानी” डॉ. मधु पंत
‘गांधी इन चंपारण’ दीनानाथ गोपाल तेंदुलकर
‘द अनटोल्ड वाजपेयी: पॉलिटीशियन एंड पैराडॉक्स’ उल्लेख एनपी
‘खुल्लम खुल्ला: ऋषि कपूर अनसेंसर्ड’ ऋषि कपूर एवं मीना नायर
‘जिन्नाह ऑफ्टन कैम टू ओउर हाउस’ किरण दोशी (हिंदू पुरस्कार 2016 विजेता)
‘द पीपुल्स राष्ट्रपति: डॉ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम’ एस. एम. खान
‘द आदिवासी विल नॉट डांस’ हंसदा सौवेन्द्र शेखर
‘कलकत्ता’ कुणाल बसु
‘हाफ ऑफ़ व्हाट आई से’ अनिल मेनन
‘द आइलैंड ऑफ़ लोस्ट गर्ल्स’ मंजुला पद्मनाभन
‘वीरप्पन, चेजिंग द ब्रिगैंड’ विजय कुमार
‘पाकिस्तान: कोटिंग द अबिस’ तिलक देवेशर
‘डिटेरियोरेशन इन हायर एजुकेशन’ कन्हैया प्रसाद सिन्हा
‘इंडियन रेलवे- द वैविंग ऑफ ए नेशनल टैपेस्ट्री’ बिबेक देबरॉय, संजय चड्ढा और विद्याकृष्णमूर्ति ने संयुक्त रूप से लिखी है।
‘होम ऑफ़ द ब्रेव’ नितिन ए. गोखले तथा ब्रिगेडियर एस. के. चटर्जी ने संयुक्त रूप से लिखी है।
‘भारत की दुग्ध क्रान्ति के 50 वर्ष’ राधा मोहन सिंह (लोकार्पण किया है।)
‘रेखा– द अनटोल्ड स्टोरी’ यासीर उस्मान
‘हेमा मालिनी: बियोंड द ड्रीम गर्ल’ राम कमल मुखर्जी
‘वीरप्पन, चेज़िंग द ब्रिगंड’ विजय कुमार (गृह मंत्रालय में वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार)
‘मातोश्री’ सुमित्रा महाजन

इन्हें भी पढे: वर्ष 2016 की प्रसिद्ध पुस्तकें एवं उनके लेखक

और जानिये : वर्ष 2017 की प्रसिद्ध भारतीय पुस्तकें एवं उनके लेखकों की सूची


भारत में ब्रिटिश राज का इतिहास और गवर्नर जनरल/वायसराय की सूची

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भारत में ब्रिटिश राज का इतिहास और गवर्नर जनरल/वायसराय की सूची: (History of British rule in India in Hindi)

भारत में ब्रिटिश शासन का इतिहास:

ब्रिटिश राज 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश द्वारा शासन था। क्षेत्र जो सीधे ब्रिटेन के नियंत्रण में था जिसे आम तौर पर समकालीन उपयोग में “इंडिया” कहा जाता था‌- उसमें वो क्षेत्र शामिल थे जिन पर ब्रिटेन का सीधा प्रशासन था (समकालीन, “ब्रिटिश इंडिया”) और वो रियासतें जिन पर व्यक्तिगत शासक राज करते थे पर उन पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोपरिता थी।

ब्रिटिश राज गोवा और पुदुचेरी जैसे अपवादों को छोड़कर वर्तमान समय के लगभग सम्पूर्ण भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश तक विस्तृत था। विभिन्न समयों पर इसमें अदन (1858 से 1937 तक), लोवर बर्मा (1858 से 1937 तक), अपर बर्मा (1886 से 1937 तक), ब्रितानी सोमालीलैण्ड (1884 से 1898 तक) और सिंगापुर (1858 से 1867 तक) को भी शामिल किया जाता है। बर्मा को भारत से अलग करके 1937 से 1948 में इसकी स्वतंत्रता तक ब्रितानी ताज के अधिन सीधे ही शासीत किया जाता था। फारस की खाड़ी के त्रुशल स्टेट्स को भी 1946 तक सैद्धान्तिक रूप से ब्रितानी भारत की रियासत माना जाता था और वहाँ मुद्रा के रूप में रुपया काम में लिया जाता था।

ब्रिटिश राज के गवर्नर जनरल/वायसराय की सूची:

गवर्नर जनरल/वायसराय कार्यकाल अवधि जरुरी जानकारी
वारेन हेस्टिंग्स 1774 – 1785 भारत में सबसे पहले गवर्नर जनरल (वे फोर्ट विलियम के गवर्नर जनरल नियुक्त किए गए थे पर भारत में तैनात ईस्ट इंडिया कंपनी के सभी अधिकारियों पर उनका नियंत्रण था)। उनके कुछ अनुचित कार्यों के लिए, (अर्थात् रोहिल्ला युद्ध, नंद कुमार को प्राणदण्ड, राजा चैत सिंह और अवध की बेगमों के मामले के लिए) उनके खिलाफ‌ इंग्लैंड में महाभियोग चलाया गया था।
लॉर्ड कार्नवालिस 1786 – 1793 स्थायी निपटान (पर्मानेंट सेट्टल्मेंट), ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल के जमींदारों के बीच जमीन पर लिया जाने वाला राजस्व निश्चित करने के लिए समझौता, उनकी अवधि के दौरान लागू किया गया था।
लॉर्ड वेलेस्ले 1798 – 1825 सहायक गठबंधन (सबसिडियरी अलियांस) की शुरूवात इन्होने की। इसके तहत ईस्ट इंडिया कम्पनी से प्राप्त संरक्षण के बदले में भारतीय शासक अपने राज्य क्षेत्र में ब्रिटिश सेना रखने पर सहमत हुए। सहायक गठबंधन को स्वीकार करने वाला पहला राज्य हैदराबाद था।
लार्ड विलियम बेंटिक 1828 – 1835 1828 मे भारत के पहले गवर्नर जनरल नियुक्त। उन्होंने सती प्रथा को गैरकानूनी और भारत में अंग्रेजी शिक्षा की शुरुआत की।
लॉर्ड डलहौजी 1848 – 1856 उन्होने कुख्यात डॉक्ट्रीन ऑफ लैप्स की शुरुआत की। भारत में रेलवे और टेलीग्राफ का आगमन उनकी अवधी में ही हुआ। उन्हे आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में भी जाना जाता है।
लॉर्ड कैनिंग 1856 – 1862 वे 1857 की लड़ाई के दौरान गवर्नर जनरल थे। उन्हे युद्ध के बाद पहला वायसराय नियुक्त किया गया।
लॉर्ड मेयो 1869 – 1872 वे अंडमान द्वीप समूह में एक अपराधी द्वारा मारे गए थे। भारत मे पहली जनगणना इसी अवधी में हुई थी पर इसमे सारे राज्य सम्मलित नही थे।
लॉर्ड लिटन 1876 – 1880 1 जनवरी 1877 को दिल्ली दरबार अथवा शाही दरबार, जिसमे महारानी विक्टोरिया को केसर-ए-हिंद घोषित किया गया, का आयोजन इनकी अवधि के दौरान हुआ था। भारतीय भाषा के समाचार पत्रों पर नियंत्रण रखने वाला अधिनियम वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट, 1878 इन्ही कि अवधि में पारित हुआ।
लॉर्ड रिप्पन 1880 – 1884 उन्होंने शासन की दोहरी प्रणाली की शुरुआत की। भारत की पहली सम्पूर्ण एवं समकालिक जनगणना 1881 मे आयोजित की गई। वे इल्बर्ट बिल के साथ भी जुड़े थे जिसके तहत भारतीय न्यायाधीश ब्रिटिश अपराधियों को दण्डित कर सकते थे।
लॉर्ड डफ्फरिन 1884 – 1888 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना इनकी अवधि के दौरान हुई थी।
लॉर्ड कर्जन 1899 – 1905 बंगाल का विभाजन तथा स्वदेशी आंदोलन की शुरुवात।
लॉर्ड हार्डिंगे 1910 – 1916 1911 में भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित हुई। इंगलैंड के राजा, जॉर्ज पंचम दिल्ली दरबार में उपस्थित होने के लिए 1911 मे भारत आए। राश बिहारी बोस और अन्य द्वारा उनकी हत्या का प्रयास किया गया।
लॉर्ड चेम्सफोर्ड 1916 – 1921 1919 के जलियांवाला बाग त्रासदी उनकी अवधि के दौरान हुई। मोंटेग चेम्सफोर्ड सुधार, रोलेट एक्ट, खिलाफत आंदोलन आदि घटनाएं भी इनकी अवधि से जुड़ी हैं।
लॉर्ड रीडिंग 1921 – 1926 चौरी-चौरा की घटना इनकी अवधि में घटी। इसी दौरान महात्मा गाँधी को पहली बार जेल भेजा गया।
लॉर्ड इरविन 1926 – 1931 इनकी अवधि साइमन कमीशन, गांधी इरविन समझौता, पहली गोलमेज सम्मेलन और प्रसिद्ध दांडी मार्च से जुड़ी है.
लॉर्ड विल्लिंगडन 1931 – 1936 दूसरे और तीसरे गोल मेज़ सम्मेलन का आयोजन, रामसे मैकडोनाल्ड का साम्प्रदायिक निर्णय और महात्मा गाँधी और डॉ० अम्बेडकर के बीच पूना पक्ट इस अवधि से जुड़ी घटनाएँ हैं।
लॉर्ड लिन्‌लिथगो 1936 – 1943 किर्प्स मिशन का भारत दौरा और भारत छोड़ो आंदोलन इनकी अवधि से जुड़े हैं।
लॉर्ड वावेल 1943 – 1947 शिमला सम्मेलन और कैबिनेट मिशन का भारत दौरा इसी अवधि में हुआ।

इन्हें भी पढे: भारतीय इतिहास में हुए प्रमुख सामाजिक व धार्मिक सुधार आंदोलन

भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान महत्वपूर्ण वर्ष:

वर्ष महत्व
1857 भारतीय स्वतंत्रता का प्रथम संग्राम जिसे अंग्रेजों द्वारा सिपाही विद्रोह का नाम दिया गया।
1885 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन।
1905 बंगाल का विभाजन, स्वदेशी आंदोलन।
1909 मिंटो मॉर्ले सुधार।
1911 भारत की राजधानी का कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरण।
1919 भारत सरकार अधिनियम 1919, रोलेट एक्ट, जलियांवाला बाग त्रासदी।
1920 खिलाफत आंदोलन।
1922 उत्तर प्रदेश में चौरी चौरा आक्रोश।
1928 साइमन कमीशन का भारत आना, लाला लाजपत राय का देहांत।
1929 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता का संकल्प।
1930 दांडी मार्च, नागरिक अवज्ञा आंदोलन का आरंभ।
1931 गांधी इरविन समझौता, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फाँसी।
1935 भारत सरकार अधिनियम, 1935।
1942 भारत छोड़ो आंदोलन, आजाद हिंद फौज़ की संरचना।
1943 क्रिप्स आयोग का भारत दौरा।
1946 ब्रिटिश कैबिनेट मिशन का भारत दौरा।

और जानिये : भारत में ब्रिटिश राज का इतिहास और गवर्नर जनरल/वायसराय की सूची

भारतीय राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों की राजधानी, क्षेत्रफल एवं साक्षरता दर

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भारत के राज्य और उनकी राजधानियाँ एवं साक्षरता दर: (List of Indian States and their Capitals in Hindi)

भारत सामान्य ज्ञान:

राज्यों का एक संघ भारत, संसदीय प्रणाली वाला एक संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणतंत्र है। भारत के संविधान को संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को अपनाया था और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था। भारत में 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं।

भारतीय राज्यों की सीमाओं को भाषाई आधार के साथ पुनर्गठित करने में राज्य पुनर्गठन अधिनियम ने अहम भूमिका निभाई। साथ ही इसने भारतीय संविधान में संशोधन किया जिससे तीन प्रकार के राज्य ए, बी, और सी राज्यों को एक ही प्रकार में संशोधित किया गया। हालांकि 1947 के बाद से राज्यों की सीमाओं में कई अतिरिक्त बदलाव हुए पर इस अधिनियम को भारतीय राज्यों का वर्तमान आकार और आकृति देने के लिए निर्विवाद खिलाड़ी माना जाता है। नवंबर 2000 में भारत में तीन नए राज्य बने – मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ बना, उत्तरप्रदेश से उत्तरांचल और बिहार से झारखंड बना।

संविधान ने संसद और राज्य विधानसभाओं को विधायी शक्तियां बांटी हैं। संसद दो सदनों वाली है – निचले सदन को लोकसभा और उपरी सदन को राज्यसभा कहते हैं। राज्य स्तर पर कुछ विधानसभाएं दो सदनों वाली होती हैं और राष्ट्रीय संसद की तर्ज पर काम करती हैं।

भारत में 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेश हैं। सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने आप में अनूठे हैं। अपने असाधारण इतिहास और संस्कृति के साथ भारत के यह सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सैलानियों को अपने रहस्यों और करिश्मों से आकर्षित करने में असफल नहीं होते।

भारत के राज्य और उनकी राजधानियाँ:

राज्य राजधानी क्षेत्रफल सबसे बड़े शहर साक्षरता दर
आंध्र प्रदेश हैदराबाद/अमरावती 160,205 वर्ग किमी विशाखापट्टनम, विजयवाडा, गुंटूर 67.66*
अरुणाचल प्रदेश ईटानगर 83,743 वर्ग किमी ईटानगर 66.95
असम दिसपुर 78,438 वर्ग किमी गुवाहाटी, सिलचर, डिब्रूगढ़, नगांव 73.18
बिहार पटना 94,163 वर्ग किमी पटना, गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, बिहारशरीफ 63.82
छत्तीसगढ़ रायपुर 135,191 वर्ग किमी रायपुर, भिलाई नगर, कोरबा, बिलासपुर, दुर्ग 71.04
गोवा पणजी 3,702 वर्ग किमी पणजी 87.4
गुजरात गाँधीनगर 196,024 वर्ग किमी अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, राजकोट, भावनगर 79.31
हरियाणा चण्डीगढ़ 44,212 वर्ग किमी फरीदाबाद, गुडगाँव, रोहतक, हिसार, पानीपत 76.64
हिमाचल प्रदेश शिमला 55,673 वर्ग किमी शिमला 83.78
जम्मू और कश्मीर श्रीनगर (ग्रीष्म) जम्मू (शीत) 222,236 वर्ग किमी श्रीनगर, जम्मू, अनंतनाग 68.74
झारखंड राँची 79,714 वर्ग किमी धनबाद, रांची, जमशेदपुर, बोकारो स्टील 67.63
कर्नाटक बंगलौर 191,791 वर्ग किमी बंगलोर, हुबली और धारवाड़, मैसूर, गुलबर्गा, बेलगाम 75.6
केरल तिरुवनन्तपुरम 38,863 वर्ग किमी तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, कोझीकोड, कोल्लम, त्रिशूर 93.91
मध्य प्रदेश भोपाल 308,245 वर्ग किमी इंदोर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जेन 70.63
महाराष्ट्र मुम्बई 307,713 वर्ग किमी मुंबई, पुणे, नागपुर, ठाणे, पिंपरी और चिंचवाड़ 82.91
मणिपुर इम्फाल 22,327 वर्ग किमी इंफाल 79.85
मेघालय शिलांग 22,429 वर्ग किमी शिलांग 75.48
मिजोरम आइज़ोल 21,081 वर्ग किमी आइजोल 91.58
नागालैंड कोहिमा 16,579 वर्ग किमी दीमापुर 80.11
उड़ीसा भुवनेश्वर 155,707 वर्ग किमी भुवनेश्वर, कटक, ब्रह्मपुर कस्बा, राउरकेला, पुरी कस्बा 73.45
पंजाब चण्डीगढ़ 50,362 वर्ग किमी लुधियाना, अमृतसर, जालंधर, पटियाला, बठिंडा 76.68
राजस्थान जयपुर 342,239 वर्ग किमी जयपुर, जोधपुर, कोटा, बीकानेर, अजमेर 67.06
सिक्किम गान्तोक 7,096 वर्ग किमी गंगटोक 82.2
तमिलनाडु चेन्नई 130,058 वर्ग किमी चेन्नई, कोयम्बटूर, मदुरई, तिरुचिरापल्ली, सलेम 80.33
तेलंगाना हैदराबाद 114,840 वर्ग किमी हेदराबाद, वारंगल 67.22
त्रिपुरा अगरतला 10,486 वर्ग किमी अगरतला 87.75
उत्तर प्रदेश लखनऊ 240,928 वर्ग किमी लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, आगरा, मेरठ 69.72
उत्तराखंड देहरादून 53,483 वर्ग किमी देहरादून, हरिद्वार, हल्द्वानी व काठगोदाम, रुद्रपुर 79.63
पश्चिम बंगाल कोलकाता 88,752 वर्ग किमी कोलकाता, हावड़ा, दुर्गापुर, आसनसोल, सिलीगुड़ी 77.08


इन्हें भी पढ़े: भारतीय राज्य और उनके प्रमुख लोक नृत्य

भारत के केंद्र शासित प्रदेश और उनकी राजधानियाँ:

केंद्र शासित प्रदेश राजधानी क्षेत्रफल सबसे बड़े शहर साक्षरता दर
अंडमान और निकोबार पोर्ट ब्लेयर 8,249 वर्ग किमी पोर्ट ब्लेयर 86.27
चंडीगढ़ चण्डीगढ़ 114 वर्ग किमी चंडीगढ 86.43
दादरा और नागर हवेली सिलवास 491 वर्ग किमी सिलवासा 77.65
दमन और दीव दमन 112 वर्ग किमी दमन 87.07
दिल्ली कवरत्ती 11,297 वर्ग किमी दिल्ली 86.34
लक्षद्वीप नई दिल्ली 32 वर्ग किमी कावारत्ती 92.28
पुडुचेरी पॉन्डिचेरी 479 वर्ग किमी कराईकल, पुडुचेरी 86.55

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और जानिये : भारतीय राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों की राजधानी, क्षेत्रफल एवं साक्षरता दर

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अध्यक्ष, उनके कार्य एवं भूमिकाओं की सूची

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संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्षों की सूची (1926-2017): (Union Service Commission (UPSC) Chairman’s List in Hindi):

संघ लोक सेवा आयोग (‘यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन’ अर्थात ‘यूपीएससी’) भारत के संविधान द्वारा स्थापित एक ऐसी संस्था है, जो भारत सरकार के लोक सेवा के अधिकारियों की नियुक्ति के लिए परीक्षाएँ संचालित करती है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315-323 में एक ‘संघीय लोक सेवा आयोग’ और राज्यों के लिए ‘ राज्य लोक सेवा आयोग’ के गठन का प्रावधान है। प्रथम लोक सेवा आयोग की स्थापना 1 अक्टूबर, 1926 ई. को हुई थी। संघ लोक सेवा आयोग की मुख्य भूमिका केंद्र तथा राज्यों के लिए सामान्य विभिन्न केंद्रीय सिविल सेवाओं तथा पदों एवं सेवाओं में नियुक्ति के लिए व्यक्तियों का चयन करना है।

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के वर्तमान अध्यक्ष प्रो. डेविड आर. सिम्लिह हैं। डेविड आर. सिम्लिह ने 04 जनवरी 2017 को यूपीएससी के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार ग्रहण किया और वह 21 जनवरी 2018 को सेवानिवृत्त होंगे। प्रो. डेविड आर. सिम्लिह ने अल्का सिरोही का स्थान लिया है, अल्का सिरोही 21 सितंबर 2016 को यूपीएससी की अध्यक्ष बनी थीं।

इन्हें भी पढे: भारतीय लोक सभा के स्पीकर और उनका कार्यकाल

वर्ष 1926 से अब तक के सभी संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्षों की सूची:

नाम कार्यकाल
सर रोस बार्कर 1926 से 1932 तक
सर डेविड पेट्री अगस्त 1932 से 1936 तक
सर आयरे गोर्डन 1937 से 1942 तक
सर एफ. डब्ल्यू. राबर्टसन 1942 से 1947 तक
श्री एच. के. कृपलानी 1 अप्रैल 1947 से 13 जनवरी 1949 तक
श्री आर. एन. बनर्जी 14 जनवरी 1949 से 09 मई 1955 तक
श्री एन. गोविंदराजन 10 मई 1955 से 09 दिसंबर 1955 तक
श्री वी. एस. हेजमाड़ी 10 दिसंबर 1955 से 09 दिसंबर 1961 तक
श्री बी. एन. झा 11 दिसंबर 1961 से 22 फरवरी 1967 तक
श्री के. आर. दामले 18 अप्रैल 1967 से 02 मार्च 1971 तक
श्री आर. सी. एस. सरकार 11 मई 1971 से 01 फरवरी 1973 तक
डॉ. ए. आर. किदवई 05 फरवरी 1973 से 04 फरवरी 1979 तक
डॉ. एम. एल. शहारे 16 फरवरी 1979 से 16 फरवरी 1985 तक
श्री एच. के. एल. कपूर 18 फरवरी 1985 से 05 मार्च 1990 तक
श्री जे.पी. गुप्ता 05 मार्च 1990 से 02 जून 1992 तक
श्रीमती आर.एम. बाथ्यू (खरबुली) 23 सितंबर 1992 से 23 अगस्त 1996 तक
श्री एस.जे.एस. छतवाल 23 अगस्त 1996 से 30 सितंबर 1996 तक
श्री जे.एम. कुरैशी 30 सितंबर 1996 से 11 दिसंबर 1998 तक
ले. जनरल (सेवानिवृत्त) सुरिंदर नाथ 11 दिसंबर 1998 से 25 जून 2002 तक
श्री पी.सी. होता 25 जून 2002 से 08 सितंबर 2003 तक
श्री माता प्रसाद 08 सितंबर 2003 से 04 जनवरी 2005 तक
डॉ. एस.आर. हाशिम 04 जनवरी 2005 से 01 अप्रैल 2006 तक
श्री गुरबचन जगत 01 अप्रैल 2006 से 30 जून 2007 तक
श्री सुबीर दत्ता 30 जून 2007 से 16 अगस्त 2008 तक
प्रोफेसर डीपी अग्रवाल 16 अगस्त 2008 से 16 अगस्त 2014 तक
रजनी राज़दान 16 अगस्त 2014 से 22 नवंबर 2014 तक
दीपक गुप्ता 22 नवंबर 2014 से 20 सितंबर 2016 तक
श्रीमती अल्का सिरोही 21 सितंबर 2016 से 03 जनवरी 2017 तक
प्रो. डेविड आर. सिम्लिह 04 जनवरी 2017 से अब तक

अंतिम संशोधन: 14 मार्च 2017

संघ लोक सेवा आयोग का कार्यालय स्थल:


कार्यालय स्थल भारत के संघ लोक सेवा आयोग का मुख्यालय कार्यालय स्थल धौलपुर हाउस नई दिल्ली है। कुंडलाकार की यह सुन्दर इमारत इंडिया गेट के बगल में शाहजहां रोड पर स्थित है। यह पहले धौलपुर राजघराने का निवास हुआ करता था और इसका निर्माण भी नई दिल्ली के निर्माण के दौरान 1920 के दशक में किया गया था।

संघ लोक सेवा आयोग के कार्य एवं भूमिकाएं:-
संघ लोक सेवा आयोग (‘यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन’) को संविधान के अंतर्गत निम्नलिखित कार्य एवं भूमिकाएँ सौंपी गई हैं:-

  • संघ के अधीन सेवाओं और पदों पर प्रतियोगिता परीक्षाओं के आयोजन के माध्यम से भर्ती।
  • केंद्र सरकार के अधीन सेवाओं तथा पदों पर साक्षात्कार के माध्यम से चयन द्वारा भर्ती।
  • पदोन्नति पर नियुक्ति के साथ-साथ प्रतिनियुक्ति पर स्थानांतरण के लिए अधिकारियों की उपयुक्तता पर परामर्श देना।
  • विभिन्न सेवाओं तथा पदों पर भर्ती की पद्धति से सम्बध्द सभी मामलों पर सरकार को परामर्श देना।
  • विभिन्न सिविल सेवाओं से सम्बद्ध अनुसानिक मामले।
  • असाधारण पेंशन प्रदान करने, विधिक व्यय आदि की प्रतिपूर्ति से संबंधित विविध मामले आदि।

संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों का चुनाव:
सदस्य आयोग के सदस्य भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त होते हैं। कम से कम आधे सदस्य किसी लोक सेवा के सदस्य होते हैं, जो न्यूनतम 10 वर्षों के अनुभव प्राप्त हों। इनका कार्यकाल 6 वर्षों या 65 वर्ष की उम्र तक का होता है। ये कभी भी अपना इस्तीफ़ा राष्ट्रपति को दे सकते हैं। इससे पहले राष्ट्रपति इन्हें पद की अवमानना या अवैध कार्यों में लिप्त होने के लिए बर्ख़ास्त कर सकता है।

संघ लोक सेवा आयोग द्वारा संचालित प्रमुख परीक्षाएं:
संघ लोक सेवा आयोग का मुख्य कार्य केन्द्र तथा राज्यों की लोकसेवा के लिए सदस्यों का चुनाव करना है। इसके लिए यह विभिन्न परीक्षाएं को संचालित करती है। इनमें से कुछ मुख्य परीक्षाएं निम्नलिखित है:-

  • सम्मिलित चिकित्सा सेवा परीक्षा (फरवरी में)
  • राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी परीक्षा (अप्रैल और सितम्बर में)
  • सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा (मई में)
  • भारतीय वन सेवा परीक्षा (जुलाई में)
  • इंजीनियरी सेवा परीक्षा (जुलाई में)
  • स्पेशल क्लास रेलवे अप्रेंटिसेज़ परीक्षा (अगस्त में)
  • भारतीय अर्थ सेवा/भारतीय सांख्यिकी सेवा परीक्षा (सितम्बर में)
  • सिविल सेवा (प्रधान) परीक्षा (अक्टूबर/नवम्बर में)
  • सम्मिलित रक्षा सेवा परीक्षा (मई और अक्टूबर में)
  • भू-विज्ञानी परीक्षा (दिसम्बर में)
  • अनुभाग अधिकारी/आशुलिपिक (ग्रेड ख/ग्रेड 1) सीमित विभागीय प्रतियोगिता परीक्षा (दिसम्बर में)

इसके अतिरिक्त राज्य लोक सेवा के अधिकारियों को संघ लोक सेवा से अधिकारी के रूप में भर्ती करना, भर्ती के नियम बनाना, विभागीय पदोन्नति समितियों का आयोजन करना, भारत के राष्ट्रपति द्वारा निर्दिष्ट कोई अन्य मामला सुलझाना इत्यादि कार्यो को भी संपन्न करना है।

इन्हें भी पढ़े: भारत की प्रमुख प्रतियोगी परीक्षाओं की सूची

और जानिये : संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अध्यक्ष, उनके कार्य एवं भूमिकाओं की सूची

भारत के उच्च न्यायालयों के नाम, स्थापना वर्ष और उनके स्थान की सूची

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भारतीय उच्च न्यायालयों के नाम, स्थापना और स्थान: (High Courts of India in Hindi)

भारतीय उच्च न्यायालय भारत के उच्च न्यायालय हैं। भारत में कुल 24 उच्च न्यायालय है जिनका अधिकार क्षेत्र कोई राज्य विशेष या राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के एक समूह होता हैं। उदाहरण के लिए, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, पंजाब और हरियाणा राज्यों के साथ केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को भी अपने अधिकार क्षेत्र में रखता हैं।

उच्च न्यायालय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 214, अध्याय 5 भाग 6 के अंतर्गत स्थापित किए गए हैं। न्यायिक प्रणाली के भाग के रूप में, उच्च न्यायालय राज्य विधायिकाओं और अधिकारी के संस्था से स्वतंत्र हैं।

भारत के उच्च न्यायालयों की सूची:

न्यायालय का नाम स्थापना की तिथि न्यायक्षेत्र स्थान
इलाहाबाद उच्च न्यायालय 11 जून 1866 उत्तर प्रदेश इलाहाबाद
आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय 08 जुलाई 1954 आंध्र प्रदेश हैदराबाद
मुंबई उच्च न्यायालय 14 अगस्त 1862 गोवा, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, महाराष्ट्र मुंबई
कलकत्ता उच्च न्यायालय 02 जुलाई 1862 अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पश्चिम बंगाल कलकत्ता
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय 01 नवम्बर 2000 छत्तीसगढ बिलासपुर
दिल्ली उच्च न्यायालय 31 अक्टूबर 1966 राष्ट्रीय राजधानी प्रदेश (दिल्ली) नई दिल्ली
गुवाहाटी उच्च न्यायालय 01 मार्च 1948 अरुणाचल प्रदेश, असम, मिजोरम, नगालैंड गुवाहाटी
गुजरात उच्च न्यायालय 01 मई 1960 गुजरात अहमदाबाद
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय 1971 हिमाचल प्रदेश शिमला
जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय 28 अगस्त 1943 जम्मू और कश्मीर श्रीनगर और जम्मू
झारखण्ड उच्च न्यायालय 15 नवम्बर 2000 झारखंड रांची
कर्नाटक उच्च न्यायालय 1884 कर्नाटक बंगलुरु
केरल उच्च न्यायालय 1956 केरल, लक्षद्वीप कोच्चि
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय 02 जनवरी 1936 मध्य प्रदेश जबलपुर
चेन्नई उच्च न्यायालय 15 अगस्त 1862 पुडुचेरी, तमिलनाडु चेन्नई
उड़ीसा उच्च न्यायालय 03 अप्रैल 1948 ओडिशा कटक
पटना उच्च न्यायालय 02 सितम्बर 1916 बिहार पटना
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय 15 अगस्त 1947 पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ चंडीगढ़
राजस्थान उच्च न्यायालय 21 जून 1949 राजस्थान जोधपुर
सिक्किम उच्च न्यायालय 16 मई 1975 सिक्किम गंगटोक
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय 09 नवंबर 2000 उत्तराखण्ड नैनीताल
मणिपुर उच्च न्यायालय 25 मार्च 2013 मणिपुर इम्फाल
मेघालय उच्च न्यायालय 23 मार्च 2013 मेघालय शिलांग
त्रिपुरा उच्च न्यायालय 26 मार्च 2013 त्रिपुरा इटानगर

उच्च न्यायालय का गठन कैसे होता है?
प्रत्येक उच्च न्यायालय का गठन एक मुख्य न्यायाधीश तथा ऐसे अन्य न्यायाधीशों को मिलाकर किया जाता है, जिन्हें राष्ट्रपति समय-समय पर नियुक्त करे। इस प्रकार भिन्न-भिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की संख्या भी भिन्न है।

उच्च न्यायालय न्यायाधीशों की योग्यता
अनुच्छेद 217 के अनुसार कोई व्यक्ति किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के योग्य तब होगा, जब वह–

  • भारत का नागरिक हो और 62 वर्ष की आयु पूरी न की हो।
  • कम से कम 10 वर्ष तक न्यायिक पद धारण कर चुका हो। न्यायिक पद धारण करने की अवधि की गणना करने में वह अवधि भी सम्मिलित की जाएगी, जिसके दौरान कोई व्यक्ति पद धारण करने के पश्चात किसी उच्च न्यायालय का अधिवक्ता रहा है या उसने किसी अधिकरण के सदस्य का पद धारण किया है या संघ अथवा राज्य के अधीन कोई ऐसा पद धारण किया है, जिसके लिए विधि का विशेष ज्ञान अपेक्षित है।
  • किसी उच्च न्यायालय में एक या से अधिक उच्च न्यायालयों में लगातार 10 वर्ष तक अधिवक्ता रहा हो। किसी उच्च न्यायालय का अधिवक्ता रहने की अवधि की गणना करते समय वह अवधि भी सम्मिलित की जाएगी, जिसके दौरान किसी व्यक्ति ने अधिवक्ता होने के पश्चात न्यायिक पद धारण किया है या किसी अधिकरण के सदस्य का पद धारण किया है या संघ अथवा राज्य के अधीन कोई ऐसा पद धारण किया है, जिसके लिए विधि का विशेष ज्ञान अपेक्षित है।

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति कैसे होती है?
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के अतिरिक्त अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश से, उस राज्य के राज्यपाल से तथा सम्बन्धित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करके की जाती है। इस सम्बन्ध में यह प्रक्रिया अपनाई जाती है कि उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश राज्य के राज्यपाल के पास प्रस्ताव भेजता है और राज्यपाल उस प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री से परामर्श करके उसे प्रधानमंत्री के माध्यम से राष्ट्रपति के पास भेजता है। राष्ट्रपति उस प्रस्ताव पर भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करके न्यायाधीश की नियुक्ति करता है।

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश शपथ कौन दिलाता है?
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उस राज्य, जिसमें उच्च न्यायालय स्थित है, का राज्यपाल उसके पद की शपथ दिलाता है।

भारतीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की पदावधि
उच्च न्यायालय का न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु पूरी करने तक अपना पद धारण कर सकता है। परन्तु वह किसी समय राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र दे सकता है। यदि त्यागपत्र में उस तिथि का उल्लेख किया गया है, जिस तिथि से त्यागपत्र लागू होगा, तो न्यायाधीश किसी भी समय अपना त्यागपत्र वापस ले सकता है। उदाहरणार्थ–

  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सतीश चन्द्र ने मई, 1977 में दिये अपने त्यागपत्र में लिखा था कि उनका त्यागपत्र 01 अगस्त, 1977 से लागू माना जाए, लेकिन वे 31 जुलाई, 1977 से पहले अपना त्यागपत्र वापस ले लिये थे। इसके विरुद्ध विवाद होने पर उच्चतम न्यायालय ने 4:1 के बहुमत से निर्णय दिया कि त्यागपत्र लागू होने के पूर्व वापस लिया जा सकता है।
  • इसके अतिरिक्त न्यायाधीश को साबित कदाचार तथा असमर्थता के आधार पर संसद द्वारा दो तिहाई बहुमत से पारित महाभियोग प्रस्ताव के द्वारा राष्ट्रपति द्वारा उसके पद से हटाया जा सकता है।

इन्हें भी पढे: भारत के कैबिनेट मंत्रियों के नाम और उनके विभाग

और जानिये : भारत के उच्च न्यायालयों के नाम, स्थापना वर्ष और उनके स्थान की सूची

भारत के प्रमुख राष्ट्रीय अभ्यारण्य व उद्यानों की सूची

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भारत के प्रमुख राष्ट्रीय अभ्यारण्य व उद्यानों की सूची: (National Parks and Reserves of India in Hindi)

1936 में भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान था- हेली नेशनल पार्क, जिसे अब जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है। 1970 तक भारत में केवल 5 राष्ट्रीय उद्यान थे। 1980 के दशक में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और प्रोजेक्ट टाइगर योजना के अलावा वन्य जीवों की सुरक्षार्थ कई अन्य वैधानिक प्रावधान लागू हुए. अप्रेल 2012 में देश में राष्ट्रीय उद्यानों की संख्या 102 थी, जिनका कुल क्षेत्रफल 39919 वर्गकिलोमीटर है, जो भारत के सम्पूर्ण भू क्षेत्रफल का 1.21 प्रतिशत भाग है।

भारत में 500 से अधिक अभयारण्य हैं, जिन्हें वन्य जीवन अभयारण्य कहा जाता है। कई राष्ट्रीय उद्यान पहले वन्य जीवन अभयारण्य ही थे। कुछ वन्य जीवन अभयारण्य अपनी कुछ मुख्य प्राणी प्रजातियों के संरक्षण के कारण राष्ट्रीय महत्व रखते हैं:

क्र:सं: राष्ट्रीय उद्यान/अभ्यारण्य  राज्य  प्रमुख वन्यजीव प्राणी
1 पलामू अभ्यारण्य झारखंड हाथी, हिरण, तेंदुआ, सांभर, जंगली सूअर
2 दाल्मा वन्य जीव अभ्यारण्य झारखंड हाथी, हिरण, तेंदुआ, भालू, जंगली सूअर
3 हजारीबाग वन्य जीव अभ्यारण्य झारखंड चीता, भालू, तेंदुआ, चीतल, सांभर, जंगली सूअर
4 कैमूर वन्य जीव अभ्यारण्य बिहार बाघ, नीलगाय, घड़ियाल, सांभर, जंगली सूअर
5 गिर राष्ट्रीय उद्यान गुजरात शेर, सांभर, तेंदुआ, जंगली सूअर
6 नल सरोवर अभ्यारण्य गुजरात जल-पक्षी
7 जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड हाथी, बाघ, चीता, हिरण, भालू, नीलगाय, सांभर, जंगली सूअर
8 दुधवा राष्ट्रीय उद्यान उत्तर प्रदेश हाथी, बाघ, चीता, हिरण, नीलगाय, तेंदुआ
9 चन्द्रप्रभा अभ्यारण्य उत्तर प्रदेश चीता, भालू, नीलगाय, तेंदुआ, सांभर
10 बन्दीपुर राष्ट्रीय उद्यान कर्नाटक हाथी, चीता, तेंदुआ, हिरण, चीतल, सांभर,
11 भद्रा अभ्यारण्य कर्नाटक भालू, हाथी, सांभर, तेंदुआ, हिरण
12 सोमेश्वर अभ्यारण्य कर्नाटक चीता, जंगली कुत्ता, हिरण, तेंदुआ, सांभर
13 तुंगभद्रा अभ्यारण्य कर्नाटक तेंदुआ, चीतल, काला हिरण, चौसिंगा और पक्षी
14 पाखाल वन्य जीव अभ्यारण्य आंध्र प्रदेश चीता, तेंदुआ, सांभर, भालू, जंगली सूअर
15 कावला वन्य जीव अभ्यारण्य आंध्र प्रदेश चीता, तेंदुआ, सांभर, भालू, जंगली सूअर, चीतल
16 मानस राष्ट्रीय उद्यान असम हाथी, चीता, भालू, एक सींग वाला गेंडा, लंगूर, हिरण
17 काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान असम चीता, एक सींग वाला गेंडा, हुन्गली सूअर, भैंसा
18 घाना पक्षी विहार राजस्थान सांभर, काला हिरण, जंगली सूअर, मुर्गा, घड़ियाल, साइबेरियन क्रेन.
19 रणथम्भौर अभ्यारण्य राजस्थान चीता, बाघ, शेर, तेंदुआ, लक्कड़बग्घा, भालू, नीलगाय, सांभर
20 कुंभलगढ़ अभ्यारण्य राजस्थान चीता, नीलगाय, सांभर, भालू, नीलगाय
21 पेंच राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश चीता, नीलगाय, सांभर, भालू, जंगली सूअर
22 तंसा अभ्यारण्य महाराष्ट्र तेंदुआ, सांभर, चौसिंगा, जंगली सूअर, चीतल, पक्षी
23 वोरिविली राष्ट्रीय उद्यान महाराष्ट्र लंगूर, हिरण, सांभर, तेंदुआ, जंगली सूअर
24 अबोहर अभ्यारण्य पंजाब जंगली सूअर, हिरण, नीलगाय, काला हंस, कबूतर
25 चिक्ला अभ्यारण्य ओडिशा क्रेन, जलकौवा, पेलिवन,प्रवासी पक्षी
26 सिम्लिपाल अभ्यारण्य ओडिशा हाथी, बाघ, चीता, तेंदुआ, सांभर, हिरण, मगरमच्छ, जलीय पक्षी
27 वेदांतगल अभ्यारण्य तमिलनाडु जलीय पक्षी
28 इंदिरा गांधी अभ्यारण्य तमिलनाडु हाथी, बाघ, चीतल, तेंदुआ, सांभर, रीछ, जंगली कुत्ता, लंगूर
29 मुदुमलाई अभ्यारण्य तमिलनाडु हाथी, चीता, तेंदुआ, सांभर, हिरण, जंगली कुत्ते
30 डाम्फा अभ्यारण्य मिजोरम कोबरा, चीता, बिल्ली, फीजेंट
31 पेरियार अभ्यारण्य केरल चीता, हाथी, तेंदुआ, सांभर, हिरण, भालू, नीलगाय, जंगली सूअर
32 पराम्बिकुलम अभ्यारण्य केरल चीता, हाथी, तेंदुआ, सांभर, हिरण, नीलगाय, जंगली सूअर
33 कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश बाघ, चीतल, तेंदुआ, सांभर, बारहसिंघा
34 पंचमढ़ी अभ्यारण्य मध्य प्रदेश बाघ, तेंदुआ, सांभर, नीलगाय, चीतल, हिरण, भालू, जंगली भैंसा.
35 डाचिगम राष्ट्रीय उद्यान जम्मू-कश्मीर तेंदुआ, काला भालू, लाल भालू, हिरण,
36 किश्तवार राष्ट्रीय उद्यान जम्मू-कश्मीर काला हिरण, जंगली याक, तिब्बती गधा
37 बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश बाघ, तेंदुआ, सांभर, भालू, चकोर
38 राजीव गांधी अभयारण्य (नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान) कर्नाटक चीता, हाथी, तेंदुआ, सांभर, भालू, चकोर, तीतर,
39 पखुई वन्य जीवन अभ्यारण्य अरुणाचल प्रदेश हाथी, अजगर, हिरण, सांभर
40 सुल्तानपुर झील अभ्यारण्य हरियाणा विभिन्न जल पक्षी
41 रोहिला राष्ट्रीय उद्यान हिमाचल प्रदेश कस्तूरी हिरण, भूरा भालू, पहाड़ी मुर्गा, पहाड़ी तेंदुआ
42 सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान पश्चिम बंगाल बाघ, चीता, हिरण, मगरमच्छ
43 भगवान् महावीर उद्यान गोवा हिरण, चूहा, साही, सांभर
44 नोंगखाइलेम अभ्यारण्य मेघालय हाथी, चीता, बाघ, हिरण, सांभर, भालू
45 कीबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान मणिपुर हिरण, जंगली बकरी, विभिन्न जल पक्षी
46 राजाजी राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड हाथी, हिरन, चीते, सांभर और मोर
47 ओरंग टाइगर रिज़र्व असम बाघ
48 कमलंग टाइगर रिज़र्व अरुणाचल प्रदेश
49 दिबांग वन्यजीव अभयारण्य अरुणाचल प्रदेश बाघ

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