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मैन बुकर पुरस्कार विजेताओं के नाम, वर्ष और उनके देश की सूची (1969-2017)

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मैन बुकर पुरस्कार विजेताओं के नाम, वर्ष और उनके देश की सूची (1969-2017)

मैन बुकर पुरस्कार विजेताओं के नाम, वर्ष और उनके देश (1969-2017) (List of Man Booker Prize Winners in Hindi)

मैन बुकर पुरस्कार:

मैन बुकर पुरस्कार फ़ॉर फ़िक्शन जिसे लघु रूप में मैन बुकर पुरस्कार या बुकर पुरस्कार भी कहा जाता है, राष्ट्रकुल (कॉमनवैल्थ) या आयरलैंड के नागरिक द्वारा लिखे गए मौलिक अंग्रेजी उपन्यास के लिए हर वर्ष दिया जाता है। इजराइल के लेखक डेविड ग्रॉसमैन को 14 जून 2017 को उनके नवीनतम उपन्यास ‘ए हार्स वॉक्स इनटू ए बार’ के लिए लंदन में 2017 का प्रतिष्ठित मैन बुकर इंटरनेशनल पुरस्कार हेतु चयनित किया गया। सन् 1969 से अब तक भारतीय मूल के 7 लेखकों को मैन बुकर पुरस्कार से सम्मनित किया जा चुका है।

यह भी पढ़ें: विश्व में दिए जाने वाले प्रमुख पुरस्कारो व सम्मानों के नाम एवं संबंधित क्षेत्र

बुकर पुरस्कार का इतिहास:

बुकर पुरस्कार की स्थापना सन् 1969 में इंगलैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी। इसमें 60 हज़ार पाउण्ड की राशि विजेता लेखक को दी जाती है। इस पुरस्कार के लिए पहले उपन्यासों की एक लंबी सूची तैयार की जाती है और फिर पुरस्कार वाले दिन की शाम के भोज में पुरस्कार विजेता की घोषणा की जाती है।

वर्ष 1969 से 2017 तक मैन बुकर पुरस्कार विजेताओं की सूची:

वर्ष लेखकों के नाम  शीर्षक शैली देश
2017 डेविड ग्रॉसमैन ए हार्स वॉक्स इनटू ए बारट उपन्यास इजराइल
2016 पॉल बेट्टी द सेलआउट व्यंग्य उपन्यास संयुक्त राज्य अमरीका
2015 मार्लोन जेम्स ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ़ सेवन किल्लिंग्स ऐतिहासिक/प्रयोगात्मक उपन्यास जमैका
2014 रिचर्ड फ्लानागन द नैरो रोड टू द डीप नार्थ ऐतिहासिक उपन्यास ऑस्ट्रेलिया
2013 एलिनॉर कैटन ‘द लुमिनरीज ऐतिहासिक उपन्यास न्यूजीलैंड
2012 हिलेरी मेंटल ब्रिंग अप  द बॉडीज ऐतिहासिक उपन्यास संयुक्त राजशाही
2011 जूलियन बार्न्स द सेंस ऑफ़ एन एंडिंग उपन्यास संयुक्त राजशाही
2010 हॉवर्ड जैकबसन द फिंकलेर क्वेश्चन हास्य उपन्यास संयुक्त राजशाही
2009 हिलेरी मेंटल वुल्फ हॉल ऐतिहासिक उपन्यास संयुक्त राजशाही
2008 अरविन्द अडिगा द व्हाइट टाइगर उपन्यास भारत
2007 एनी एनराइट द गैदरिंग उपन्यास आयरलैंड
2006 किरण देसाई द इनहैरिटैंस ऑफ लॉस उपन्यास भारत
2005 जॉन बनविल्ले द सी उपन्यास आयरलैंड
2004 एलन हॉलिंगहुरस्ट द लाइन ऑफ़ ब्यूटी ऐतिहासिक उपन्यास संयुक्त राजशाही
2003 डीबीसी पियरे वेर्नोन गॉड लिटिल ब्लैक कॉमेडी ऑस्ट्रेलिया/मेक्सिको
2002 यान मार्टल लाइफ़ ऑफ़ पाइ काल्पनिक और रोमांचक उपन्यास कनाडा
2001 पीटर केरी ट्रू हिस्ट्री ऑफ़ द केली गैंग ऐतिहासिक उपन्यास ऑस्ट्रेलिया
2000 मार्गरेट ऐटवुड द ब्लाइंड एसेसिन ऐतिहासिक उपन्यास कनाडा
1999 जे. एम. कोएट्जी डिस्ग्रेस उपन्यास दक्षिण अफ्रीका/ऑस्ट्रेलिया
1998 इयान मैकइवान एम्स्टर्डम उपन्यास संयुक्त राजशाही
1997 अरुंधति राय द गॉड ऑफ़ स्माल थिंग्स उपन्यास भारत
1996 ग्राहम स्विफ्ट लास्ट ऑर्डर्स उपन्यास संयुक्त राजशाही
1995 पैट बार्कर द घोस्ट रोड युद्ध के उपन्यास संयुक्त राजशाही
1994 जेम्स केलमन हाउ लेट आईटी वाज, हाउ लेट चेतना की धारा संयुक्त राजशाही
1993 रोडी डोयल पैडी क्लार्क हा हा हा उपन्यास आयरलैंड
1992 माइकल ऑनडॉटजे द इंग्लिश पेशेंट हिस्टोरियोग्राफिक मेटाफिक्शन श्रीलंका/कनाडा
1992 बैरी उन्वर्थ सेक्रेड हंगर ऐतिहासिक उपन्यास संयुक्त राजशाही
1991 बेन ओकरी द फॅमिशेड रोड जादुई यथार्थवाद नाइजीरिया में
1990 ए. एस. बयत्त पोजेशन: ए रोमांस ऐतिहासिक उपन्यास संयुक्त राजशाही
1989 काज़ुओ इशिगुरो द रिमेंस ऑफ़ हा डे ऐतिहासिक उपन्यास संयुक्त राजशाही/जापान
1988 पीटर केरी ऑस्कर एंड लुकींदा ऐतिहासिक उपन्यास ऑस्ट्रेलिया
1987 पेनेलोप लिवली मून टाइगर उपन्यास संयुक्त राजशाही
1986 किंग्सले एमिस द ओल्ड डेविल्स हास्य उपन्यास संयुक्त राजशाही
1985 केरी हुलमे द बोन  पीपल रहस्यभरा उपन्यास न्यूजीलैंड
1984 अनीता बरूकनेर होटल दू लक उपन्यास संयुक्त राजशाही
1983 जे. एम. कोएट्जी लाइफ एंड टाइम्स ऑफ़ माइकल के उपन्यास दक्षिण अफ्रीका/ऑस्ट्रेलिया
1982 थॉमस केनैल्ली सचिन्दलेरस आरक जीवनी उपन्यास ऑस्ट्रेलिया
1981 सलमान रुश्दी मिडनाइटस चिल्ड्रन जादुई यथार्थवाद संयुक्त राजशाही/भारत
1980 विलियम गोल्डिंग राइट्स ऑफ़ पैसेज उपन्यास संयुक्त राजशाही
1979 पेनेलोप फिजराल्ड़ ऑफशोर उपन्यास संयुक्त राजशाही
1978 आइरिस मर्डोक द सी, द सी दार्शनिक उपन्यास आयरलैंड/संयुक्त राजशाही
1977 पॉल स्कॉट स्टेइंग ऑन उपन्यास संयुक्त राजशाही
1976 डेविड स्टोरी सविल्ले उपन्यास संयुक्त राजशाही
1975 रुथ प्रवेर  झाबवाला हीट  एंड  डस्ट ऐतिहासिक उपन्यास संयुक्त राजशाही/जर्मनी
1974 नादिन गोर्डिमर द कांसेर्वेशनिस्ट उपन्यास दक्षिण अफ्रीका
1974 स्टेनली मिडलटन हॉलिडे उपन्यास संयुक्त राजशाही
1973 जे जी फैरेल द सीवेज ऑफ़ कृष्णापुर उपन्यास संयुक्त राजशाही
1972 जॉन बर्जर प्रायोगिक उपन्यास संयुक्त राजशाही
1971 वी. एस. नाइपॉल इन ए फ़्री स्टेट लघु कथा ट्रिनिडाड और टोबेगो/संयुक्त राजशाही
1970 बर्निस रूबेंस द इलेक्टेड मेम्बर उपन्यास संयुक्त राजशाही
1969 पी. एच. न्यूबी समथिंग टू आंसर फॉर उपन्यास संयुक्त राजशाही

यह भी पढ़ें: पद्म पुरस्कार 2017 के विजेताओं की सूची

और जानिये : मैन बुकर पुरस्कार विजेताओं के नाम, वर्ष और उनके देश की सूची (1969-2017)


मानव शरीर के अंगो के नाम, संख्या और महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

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मानव शरीर के अंगो के नाम, संख्या और महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

मानव शरीर से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची: (Important Facts related to Human Body in Hindi)

मानव शरीर:

मानव शरीर एक मानव जीव की संपूर्ण संरचना है, जिसमें एक सिर, गर्दन, धड़, दो हाथ और दो पैर होते हैं। किसी मानव के वयस्क होने तक उसका शरीर लगभग 50 ट्रिलियन कोशिकाओं, जो कि जीवन की आधारभूत इकाई हैं, से मिल कर बना होता है। इन कोशिकाओं के जीववैज्ञानिक संगठन से अंतत: पूरे शरीर की रचना होती है।

रासायनिक स्तर:

रासायनिक स्तर पर मानव शरीर विभिन्न जैव-रसायनों का संगठनात्मक तथा क्रियात्मक रूप होता है जिसमें विभिन्न तत्वों के परमाणु यौगिकों के रूप में संगठित होकर जैविक क्रियाओं को संचालित करते हैं। इन तत्वों में कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं सल्फर मुख्य होते हैं।

जब दो या दो से अधिक परमाणु परस्पर मिलते हैं, तो वे एक अणु की संरचना करते हैं, उदाहरणार्थ जब ऑक्सीजन के दो परमाणु परस्पर मिलते हैं, तो वे एक ऑक्सीजन का अणु बनाते हैं, जिसे O2 लिखा जाता है। एक अणु में एक से अधिक परमाणु हो तो उसे यौगिक कहते हैं। जल (H2O) एवं कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की तरह ही कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन्स एवं लिपिड (वास) भी ऐसे यौगिक हैं जो कि मानव शरीर के लिए महत्त्वपूर्ण है।

मानव शरीर के अंगो के नाम, संख्या और महत्वपूर्ण तथ्य:

अस्थियों की कुल संख्या 206
सबसे छोटी अस्थि स्टेपिज़ (मध्य  कर्ण  में)
सबसे बड़ी अस्थि फिमर  (जंघा  में)
कशेरुकाओं की कुल संख्या 33
पेशियों की कुल संख्या 639
सबसे लम्बी पेशी सर्टोरियास
बड़ी आंत्र की लम्बाई 1.5 मीटर
छोटी आंत्र की लम्बाई 6.25  मीटर
यकृत का भार(पुरुष में) 1.4 -1.8  कि.ग्रा.
यकृत का भार(महिला में) 1.2 -1.4 कि.ग्रा.
सबसे बड़ी ग्रंथि यकृत
सर्वाधिक पुनरुदभवन की क्षमता यकृत में
सबसे कम पुनरुदभवन की क्षमता मस्तिष्क में
शरीर का सबसे कठोर भाग दांत  का इनेमल
सबसे बड़ी लार ग्रंथि पैरोटिड ग्रंथि
शरीर का सामान्य तापमान 98 .4*F (37*C)
शरीर में रुधिर की मात्रा 5.5 लीटर
हीमोग्लोबिन की औसत मात्रा:
पुरुष में 13-16 g/dl
महिला में 11.5-14 g /dl
WBCs की संख्या 5000-10000/cu mm.
सबसे छोटी WBC लिम्फोसाइट
सबसे बड़ी WBC मोनोसाइट
RBCs  का जीवन काल 120 दिन
रुधिर का थक्का बनाने का समय 2-5 मिनट
सर्वग्राही रुधिर वर्ग AB
सर्वदाता रुधिर वर्ग O
सामान्य रुधिर दाब 120/80 Hg
सामान्य नब्ज़ गति
जन्म के समय 140 बार -मिनट
1 वर्ष की आयु में 120 बार -मिनट
10 वर्ष की आयु में 90 बार -मिनट
व्यस्क में 70 बार -मिनट
हृदय गति 72 बार -मिनट
सबसे बड़ी शिरा एन्फिरियर
सबसे बड़ी धमनी 42-45 से.मी
वृक्क का भार 42-45 से.मी
मस्तिष्क का भार 42-45 से.मी
मेरु दंड की लम्बाई 42-45 से.मी

हम अपने शरीर के बारे में आवश्यक बातें तो जानते हैं, लेकिन मानव शरीर से ही संबंधित कुछ वैज्ञानिक सच ऐसे हैं, जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं। मानव शरीर से जुड़े ये तथ्य हमें हैरान कर देंगे, आइये जानते है, ऐसे ही महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जिनसे से एक आम इंसान अनजान रहता हैं।

मानव शरीर से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों से सम्बंधित सामान्य ज्ञान:

  • हमारी 1 आंख में 12,00,000 फाइबर होते हैं। अगर आप जिंदगी भर पलक झपकने का वक्त जोड़ेंगे, तो 1.2 साल का अंधेरा मिलेगा।हमारे घरों में मौजूद धूल के ज्यादातर कण हमारी डेड स्किन के होते हैं।
  • आंतों में इतने बैक्टीरिया मौजूद होते हैं कि उनको निकालकर एक कॉफी मग भरा जा सकता है।
  • आंख अकेला ऐसा मल्टीफोकस लेंस है, जो सिर्फ 2 मिली सेकेंड में एडजस्ट हो जाता है।
  • त्वचा में कुल 72 किलोमीटर नर्व होती है।
  • 75 फीसदी लिवर, 80 फीसदी आंत और एक किडनी बगैर भी इंसान जिंदा रह सकता है।
  • अगर आप जिंदगी भर पलक झपकने का वक्त जोड़ेंगे, तो 1.2 साल का अंधेरा मिलेगा।हमारे घरों में मौजूद धूल के ज्यादातर कण हमारी डेड स्किन के होते हैं।
  • व्यक्ति खाना खाए बिना कई हफ्ते गुजार सकता है, लेकिन सोए बिना केवल 11 दिन रह सकता है।
  • हाथ की 1 वर्ग इंच त्वचा में 72 फीट नर्व फाइबर होता है।
  • इंसान के कान 20,000 हर्ट्ज तक की फ्रीक्वेंसी सुन सकते हैं।
  • शरीर में दर्द350 फीट प्रति सेकेंड की रफ्तार से आगे बढ़ता है।
  • वयस्कों के बालों को उनकी लंबाई से 25 फीसदी ज्यादा तक खींचा जा सकता है।
  • जिस हाथ से आप लिखते हैं, उसकी उंगलियों के नाखून ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं।
  • मानव शरीर में 3-4 दिन में नई स्टमक (पेट) लाइनिंग बनने लगती है।
  • नवजात शिशु एक मिनट में 60 बार सांस लेता है। किशोर 20 बार और युवा केवल सोलह बार।
  • जब कोई मनुष्य छींकता है तो बाहर निकलने वाली हवा का वेग 160 किलोमीटर प्रति घंटा होता है मतलब एक्प्रेस गा़डी़ से भी अधिक स्पीड़।
  • किसी भी दुर्घटना होने पर हड्डियाँ ही सबसे अधिक टूटती हैं, पर जबड़े की हड्डी बड़ी मजबूत होती है। वह लगभग 280 किलो वजन भी सहन कर सकती है|
  • एक स्वस्थ युवा शरीर का मस्तिष्क 20 वाट विद्युत पैदा कर सकता है|
  • जब एक नवजात शिशु रोता है तो उसके आंसू नहीं आते क्यों कि तब तक उसकी अश्रुग्रंथियाँ विकसित नहीं होती है।
  • हमें हँसाने के लिए 17 स्नायुं का प्रयोग करना पड़ता है जबकि रोने के लिए 43 स्नायु काम में लेने पड़ते हैं।
  • हमारे शरीर में लोहा भी होता है इतना कि एक शरीर से प्राप्त लोहे से एक इंच की कील भी तैयार की जा सकती है।
  • शरीर में एपेंडिक्स कशेरुका की बेकार हुई पूंछ कानों में कुलबुलाने वाली मांसपेशियां आदि किसी काम नहीं आते हैं।
  • खाना खाते समय जो अतिरिक्त हवा पेट में चली जाती है वह डकार बन कर वह आवाज करती है। कई लोग जम्हाई बड़ी आवाज़ के साथ लेते हैं।जब शरीर को पूरी आक्सीजन नहीं मिलती है तो जम्हाई ले कर शरीर में वह आक्सीजन की कमी पूरी की जाती है।हमारे पेट में हवा, पानी होते हैं जो गुड गुड आवाज करते रहते हैं इन्हें स्टोमेक ग्राउल कहा जाता है।
  • हिचकी भी एक बाडी नाईस है। डायफाम में यानी मध्य पट में तनाव की वजह से हिचकी आती है या एक मसल होती है जो फेफडों की हवा को बाहर भीतर भेजती है जब किसी कारण यह प्रोसेस रुक जाता है तो भीतर की हवा बाहर आने के लिए धक्का देती है तो ठिक्क की आवाज आती है।
  • एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में 206 हड्डियाँ होती हैं जबकि बच्चे के शरीर में 300 हड्डियाँ होती हैं (क्योंकि उनमें से कुछ गल जाती हैं और कुछ आपस में मिल जाती हैं)।
  • मनुष्य के शरीर में सबसे छोटी हड्डी स्टेप्स या स्टिरुप होती है जो कि कान के बीच में होती है तथा जिसकी लंबाई लगभग 11 इंच (.28 से.मी.) होती है।
  • मनुष्य के शरीर में मोटोर न्यूरोन्स सबसे लंबी सेल होती है जो कि रीढ़ की हड्डी से शुरू होकर पैर के टखने तक जाती है और जिसकी लंबाई 4.5 फुट (1.37 मीटर) तक हो सकती है।
  • मनुष्य की जाँघों की हड्डियाँ कंक्रीट से भी अधिक मजबूत होती हैं।
  • मनुष्य की आँखों का आकार जन्म से लेकर मृत्यु तक एक ही रहता है जबकि नाक और कान के आकार हमेशा बढ़ते रहते हैं।
  • आदमी एक साल में औसतन 62,05,000 बार पलकें झपकाता है।
  • खाए गए भोजन को पचने में लगभग 12 घण्टे लगते हैं।
  • मनुष्य के जबड़ों की पेशियाँ दाढ़ों में 200 पौंड (90.8 कि.ग्रा.) के बराबर शक्ति उत्पन्न करती हैं।
  • अभी तक प्राप्त आँकड़ों के अनुसार सबसे भारी मानव मस्तिष्क का वजन 5 पौंड 1.1 औंस. (2.3 कि.ग्रा..) पाया गया है।
  • एक सामान्य मनुष्य अपने पूरे जीवनकाल में भूमध्य रेखा के पाँच बार चक्कर लगाने जितना चलता है।
  • मनुष्य की मृत्यु हो जाने के बाद भी बाल और नाखून बढ़ते ही रहते हैं।
  • मनुष्य की चमड़ी के भीतर लगभग45 मील (72 कि.मी.) लंबी तंत्रिकाएँ (नसें) होती हैं।

इन्हें भी पढे: मानव शरीर के अंग तंत्रो के नाम, कार्य एवं महत्‍वपूर्ण तथ्यों की सूची

नोट: प्रिय पाठकगण यदि आपको इस पोस्ट में कंही भी कोई त्रुटि (गलती) दिखाई दे, तो कृपया कमेंट के माध्यम से उस गलती से हमे अवगत कराएं, हम उसको तुरंत सही कर देंगे।

और जानिये : मानव शरीर के अंगो के नाम, संख्या और महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

आग्नेय चट्टाने और अवसादी चट्टाने के बारे में महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

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आग्नेय चट्टाने और अवसादी चट्टाने के बारे में महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

आग्नेय चट्टाने और अवसादी चट्टाने के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:- (Important Facts about Rocks in Hindi)

चट्टान किसे कहते हैं?

पृथ्वी की ऊपरी परत या भू-पटल (क्रस्ट) में मिलने वाले पदार्थ चाहे वे ग्रेनाइट तथा बालुका पत्थर की भांति कठोर प्रकृति के हो या चाक या रेत की भांति कोमल; चाक एवं लाइमस्टोन की भांति प्रवेश्य हों या स्लेट की भांति अप्रवेश्य हों, चट्टान अथवा शैल (रॉक) कहे जाते हैं। इनकी रचना विभिन्न प्रकार के खनिजों का सम्मिश्रण हैं। चट्टान कई बार केवल एक ही खनिज द्वारा निर्मित होती है, किन्तु सामान्यतः यह दो या अधिक खनिजों का योग होती हैं।

यहां पर आग्नेय चट्टाने और अवसादी चट्टाने के बारे में महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची दी गयी है। आग्नेय चट्टाने और अवसादी चट्टानों के आधार पर हर परीक्षा में कुछ प्रश्न अवश्य पूछे जाते है, इसलिए यह आपकी सभी प्रकार की परीक्षा की तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

चट्टानों के प्रकार:

(1.) आग्नेय चट्टाने: अवसादी चट्टान से तात्पर्य है कि, प्रकृति के कारकों द्वारा निर्मित छोटी-छोटी चट्टानें किसी स्थान पर जमा हो जाती हैं, और बाद के काल में दबाव या रासायनिक प्रतिक्रिया या अन्य कारकों के द्वारा परत जैसी ठोस रूप में निर्मित हो जाती हैं। इन्हें ही ‘अवसादी चट्टान’ कहते हैं। अवसादी शैलों का निर्माण जल, वायु या हिमानी, किसी भी कारक द्वारा हो सकता है। इसी आधार पर अवसादी शैलें ‘जलज’, ‘वायूढ़’ तथा ‘हिमनदीय’ प्रकार की होती हैं।

  • आग्नेय शब्द लैटिन भाषा के ‘इग्निस’ से लिया गया है, जिसका सामान्य अर्थ अग्नि होता है।
  • आग्नेय चट्टान स्थूल परतरहित, कठोर संघनन एवं जीवाश्मरहित होती हैं।
  • ये चट्टानें आर्थिक रूप से बहुत ही सम्पन्न मानी गई हैं।
  • इन चट्टानों में चुम्बकीय लोहा, निकिल, ताँबा, सीसा, जस्ता, क्रोमाइट, मैंगनीज, सोना तथा प्लेटिनम आदि पाए जाते हैं।
  • झारखण्ड, भारत में पाया जाने वाला अभ्रक इन्हीं शैलों में मिलता है।
  • आग्नेय चट्टान कठोर चट्टानें हैं, जो रवेदार तथा दानेदार भी होती है।
  • इन चट्टानों पर रासायनिक अपक्षय का बहुत कम प्रभाव पड़ता है।
  • इनमें किसी भी प्रकार के जीवाश्म नहीं पाए जाते हैं।
  • आग्नेय चट्टानों का अधिकांश विस्तार ज्वालामुखी क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • आग्नेय चट्टानों में लोहा, निकिल, सोना, शीशा, प्लेटिनम भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
  • बेसाल्ट चट्टान में लोहे की मात्रा अधिक होती है।
  • काली मिटटी बेसाल्ट चट्टान के टूटने से बनती है।
  • बिटुमिनस कोयला आग्नेय चट्टान है।
  • कोयला, ग्रेफाइट और हीरे को कार्बन का अपररूप कहा जाता है।
  • ग्रेफाइट को पेंसिल लैड भी कहा जाता है।

ताप, दवाब, और रासायनिक क्रियाओं के कारण ये चट्टाने आगे चलकर कायांतरित होती है।

आग्नेय चट्टानों के कुछ उदाहरण:-

  • ग्रेनाइट – नीस
  • ग्रेवो – सरपेंटाइट
  • बेसाल्ट – सिस्ट
  • बिटुमिनस – ग्रेफाइट

(2). अवसादी चट्टाने: अवसादी चट्टान से तात्पर्य है कि, प्रकृति के कारकों द्वारा निर्मित छोटी-छोटी चट्टानें किसी स्थान पर जमा हो जाती हैं, और बाद के काल में दबाव या रासायनिक प्रतिक्रिया या अन्य कारकों के द्वारा परत जैसी ठोस रूप में निर्मित हो जाती हैं। इन्हें ही ‘अवसादी चट्टान’ कहते हैं। अवसादी शैलों का निर्माण जल, वायु या हिमानी, किसी भी कारक द्वारा हो सकता है। इसी आधार पर अवसादी शैलें ‘जलज’, ‘वायूढ़’ तथा ‘हिमनदीय’ प्रकार की होती हैं। बलुआ पत्थर, चुना पत्थर, स्लेट, संगमरमर, लिग्नाइट, एन्थ्रासाइट ये अवसादी चट्टाने है।

  • अवसादी चट्टान परतदार होती है।
  • अवसादी चट्टानों में जीवाश्म पाया जाता है।
  • अवसादी चट्टानों में खनिज तेल पाया जाता है।
  • एन्थ्रासाइट कोयले में 90 % से ज्यादा कार्बन होता है।
  • लिग्नाइट को कोयले की सबसे उत्तम किस्म माना जाता है।
  • अवसादी चट्टानें अधिकांशत: परतदार रूप में पाई जाती हैं।
  • इनमें वनस्पति एवं जीव-जन्तुओं के जीवाश्म बड़ी मात्रा में पाये जाते हैं।
  • इन चट्टानों में लौह अयस्क, फ़ॉस्फ़ेट, कोयला, पीट, बालुका पत्थर एवं सीमेन्ट बनाने की चट्टान पाई जाती हैं।
  • खनिज तेल अवसादी चट्टानों में पाया जाता है।
  • अप्रवेश्य चट्टानों की दो परतों के बीच यदि प्रवेश्य शैल की परत आ जाए, तो खनिज तेल के लिए अनुकूल स्थिति पैदा हो जाती है।
  • दामोदर, महानदी तथा गोदावरी नदी बेसिनों की अवसादी चट्टानों में कोयला पाया जाता है।
  • आगरा क़िला तथा दिल्ली का लाल क़िला बलुआ पत्थर नामक अवसादी चट्टानों से ही बना है।
    प्रमुख अवसादी शैलें हैं- बालुका पत्थर, चीका शेल, चूना पत्थर, खड़िया, नमक आदि।

अवसादी चट्टाने कायांतरित होकर क्वार्टजाइट बनती है।

3. कायांतरित चट्टाने (शैल):

आग्नेय एवं अवसादी शैलों में ताप और दाब के कारण परिर्वतन या रूपान्तरण हो जाने से कायांतरित शैल (metamorphic rock) का निमार्ण होता हैं। रूपांतरित चट्टानों (कायांतरित शैल) पृथ्वी की पपड़ी के एक बड़े हिस्सा से बनी होती है और बनावट, रासायनिक और खनिज संयोजन द्वारा इनको वर्गीकृत किया जाता है|

अवसादी चट्टानों के कुछ उदाहरण

  • शैल – स्लेट
  • चुना पत्थर – संगमरमर
  • लिग्नाइट-एन्थ्रासाइट
  • स्लेट – फाइलाइट
  • फाइलाइट – सिस्ट

और जानिये : आग्नेय चट्टाने और अवसादी चट्टाने के बारे में महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

मानव शरीर की कोशिका सरंचना एवं उनके मुख्य कार्यो की सूची

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मानव शरीर की कोशिका सरंचना एवं उनके मुख्य कार्यो की सूची

मानव शरीर की कोशिका सरंचना एवं उनके कार्यो की सूची: (Human Body’s Cell Structure and their Functions in Hindi)

कोशिका किसे कहते है?

कोशिका की परिभाषा: कोशिका सजीवों के शरीर की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है और प्राय: स्वत: जनन की सामर्थ्य रखती है। यह विभिन्न पदार्थों का वह छोटे-से-छोटा संगठित रुप है जिसमें वे सभी क्रियाएँ होती हैं जिन्हें सामूहिक रूप से हम जीवन कहतें हैं। इसकी खोज रॉबर्ट हुक ने 1665 ई. में की थी। एक ही कोशिका वाले जीवों, जैसे- जीवाणु, प्रोटोज़ोआ और यीस्ट्स, आदि को एककोशिकीय प्राणी और एक से अधिक कोशिका वाले जटिल जीवों को बहुकोशिकीय जीव कहा जाता है।

कोशिका की संरचना:

कोशिकाएँ सजीव होती हैं तथा वे सभी कार्य करती हैं, जिन्हें सजीव प्राणी करते हैं। इनका आकार अतिसूक्ष्म तथा आकृति गोलाकार, अंडाकार, स्तंभाकार, रोमकयुक्त, कशाभिकायुक्त, बहुभुजीय आदि प्रकार की होती है। ये जेली जैसी एक वस्तु द्वारा घिरी होती हैं। इस आवरण को कोशिकावरण (cell membrane) या कोशिका-झिल्ली कहते हैं यह झिल्ली अवकलीय पारगम्य (selectively permeable) होती है जिसका अर्थ है कि यह झिल्ली किसी पदार्थ (अणु या ऑयन) को मुक्त रूप से पार होने देती है, सीमित मात्रा में पार होने देती है या बिल्कुल रोक देती है। इसे कभी-कभी ‘जीवद्रव्य कला’ (plasma membrane) भी कहा जाता है। इसके भीतर निम्नलिखित संरचनाएँ पाई जाती हैं:-

  • केंद्रक एवं केंद्रिका
  • जीवद्रव्य
  • गोल्गी सम्मिश्र या गोल्गी यंत्र
  • कणाभ सूत्र
  • अंतर्प्रद्रव्य डालिका
  • गुणसूत्र (पितृसूत्र) एवं जीन
  • राइबोसोम तथा सेन्ट्रोसोम
  • लवक

कोशिका की बाहरी सतह प्लाज्मा झिल्ली होती है, जिसके अन्दर केन्द्रक द्रव्य/साइटोप्लाज्म पाया जाता है। प्लाज्मा में 90-92% जल,  1.2% अकार्बनिक लवण, 6-7% प्लाज्मा प्रोटीन और 1-2% कार्बनिक यौगिक पाये जाते है। माइटोकांड्रिया (Mitochondria), क्लोरोप्लास्ट (Chloroplasts) आदि विभिन्न कोशिकांग साइटोप्लाज्म में ही तैरते हुए पाए जाते हैं।

कोशिकीय प्रक्रियाएँ:

  • स्वत:भोजिता (Autophagy)
  • आसंजन (Adhesion)
  • जनन
  • कोशिका संगमन
  • कोशिका संकेतन (Cell signaling)
  • डीएनए पुनर्निर्माण तथा कोशिका की मृत्यु
  • चयापचय

कोशिका का विभाजन:

कोशिका के प्रत्येक विभाजन के पूर्व उसके केंद्रक का विभाजन होता है। केंद्रक विभाजन रीत्यनुसार होने वाली सुतथ्य घटना है, जिसे कई अवस्थाओं में विभाजित किया जा सकता है। ये अवस्थाएँ निम्नलिखित हैं:

  • पूर्वावस्था (Prophase)
  • मध्यावस्था (Metaphase)
  • पश्चावस्था (Anaphase)
  • अंत्यावस्था (Telophase)

पूर्वावस्था में केंद्रक के भीतर पतले पतले सूत्र दिखाई पड़ते हैं, जिनको केंद्रकसूत्र कहते हैं। ये केंद्रकसूत्र क्रमश: सर्पिलीकरण (spiralization) के कारण छोटे और मोटे हो जाते हैं। मध्यावस्था आते समय तक ये पूर्वावस्था की अपेक्षा कई गुने छोटे और मोटे हो जाते हैं। मध्यावस्था आने तक कोशिका के भीतर कुछ और महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। केंद्रक का आवरण नष्ट हो जाता है और उसकी जगह एक तर्कुवत्‌ उपकरण (spindle apparatus) उत्पन्न होता है। अधिकांश प्राणियों की उन कोशिकाओं में, जिनमें विभाजन की क्षमता बनी रहती है, एक विशेष उपकरण होता है जिस सेंट्रोसोम (Centrosomo) कहते हैं और जिसके मध्य में एक कणिका होती हैं, जिसे ताराकेंद्र (Centriole) कहते हैं।

पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी जीवों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है:

  1. अकोशिकीय जैव अर्थात् ऐसे जीव जिनमें कोई कोशिका नहीं पाई जाती है, जैसे- विषाणु (Virus)।
  2. कोशिकीय जीव अर्थात् ऐसे जीव जिनमें एक या एक से अधिक कोशिकाएं पाई जाती हैं

कोशिकीय प्राणियों को पुनः प्रोकैरियोटिक और यूकैरियोटिक नामक दो भागों में बाँटा जाता है।

  • प्रोकैरियोटिक जीव
  • यूकैरियोटिक जीव

प्रोकैरियोटिक जीवों की विशेषताएं निम्नलिखित है :

  1. इन जीवों में अविकसित और आदिम कोशिकाएं पाई जाती हैं।
  2. इनका आकार छोटा होता है।
  3. केन्द्रक नहीं पाया जाता है।
  4. केन्द्रक द्रव्य भी नहीं पाया जाता है।
  5. केवल एक क्रोमोसोम पाया जाता है।
  6. कोशिकांग भी कोशिका भित्ति से घिरे हुए नहीं पाए जाते हैं।
  7. कोशिका विभाजन असूत्री विभाजन द्वारा होता है।
  8. जीवाणु व नील-हरित शैवाल जैसे साइनोबैक्टीरिया  प्रोकैरियोटिक जीवों के उदाहरण हैं।

यूकैरियोटिक जीवों की विशेषताएं निम्नलिखित है :

  1. इनमें विकसित और नवीन कोशिकाएं पाई जाती हैं।
  2. इनका आकार बड़ा होता है।
  3. केन्द्रक पाया जाता है।
  4. केन्द्रक द्रव्य भी पाया जाता है।
  5. एक से अधिक क्रोमोसोम पाए जाते हैं।
  6. कोशिकांग भी कोशिका भित्ति से घिरे हुए पाए जाते हैं।
  7. कोशिका विभाजन समसूत्री विभाजन और अर्धसूत्री विभाजन द्वारा होता है।

प्लाज्मा झिल्ली के कार्य: प्लाज्मा झिल्ली कुछ पदार्थों के कोशिका के अन्दर और बाहर जाने पर नियंत्रण रखती है। अतः प्लाज्मा झिल्ली को चयनात्मक पारगम्य झिल्ली भी कहते हैं।

  • प्रसरण: अधिक सघन पदार्थ से कम सघन पदार्थ की ओर प्रवाह प्रसरण कहलाता है। यह प्रवाह तब तक होता रहता है जब तक दोनों पदार्थों की सघनता समान न हो जाये। प्रसरण की दर गैसीय पदार्थों में द्रव व तरल पदार्थों की तुलना में अधिक होती है।
  • परासरण: आंशिक रूप से पारगम्य झिल्ली के सहारे उच्च जलीय सांद्रता वाले भाग से निम्न जलीय सांद्रता वाले भाग की ओर जल का प्रवाह परासरण कहलाता है।
  • एंडोसाइटोसिस: प्लाज्मा झिल्ली के सहारे कोशिका द्वारा पदार्थों का अंतर्ग्रहण एंडोसाइटोसिस कहलाता है।
  • एक्सोसाइटोसिस: इस प्रक्रिया में पुटिका झिल्ली प्लाज्मा झिल्ली से टकराकर अपने पदार्थों को आस-पास के माध्यम में निकाल देती है। इसे ‘कोशिका वमन कहते हैं।

इन्हें भी पढे: रक्त की संरचना, अवयव, रक्त समूह के प्रकार एवं प्रमुख कार्यो की सूची

और जानिये : मानव शरीर की कोशिका सरंचना एवं उनके मुख्य कार्यो की सूची

विश्व के प्रमुख सागरों के नाम और उनसे संबंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान

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विश्व के प्रमुख सागरों के नाम और उनसे संबंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान

विश्व के प्रमुख सागरों के नाम: ( List of Major Oceans of the World in Hindi)

सागर पृथ्वी के सभी महासागरों का समनव्य है जिसके अन्तर्गत अटलांटिक महासागर, प्रशान्त महासागर, हिन्द महासागर, और आर्कटिक महासागर आते है। हालाँकि समुद्र को एक छोटे परिपेक्ष मे भी प्रयोग किया जा सकता है जैसे कि लाल सागर, उत्तरी सागर आदि। समुद्र और महासागर के बीच कोई विशेष अंतर नहीं है। अधिकतर समुद्र भूमि के किसी टुकड़े के आस पास से गुजरते है पर ये भी हमेशा समुद्र की परिभासा मे नही आता। सर्गोसकी समुद्र किसी भी भूमि के टुकड़े को नही छूता। समुद्र झीलों से बड़े होते है और इनका पानी खारा होता है।

पृथ्वी की सतह के 70 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र में फैला, सागर, खारे पानी का एक सतत निकाय है। पृथ्वी पर जलवायु को संयमित करने, भोजन और ऑक्सीजन प्रदान करने, जैव विविधता को बनाये रखने और परिवहन के क्षेत्र में सागर अत्यावश्यक भूमिका निभाते हैं। प्राचीन काल से लोग सागर की यात्रा करने और इसके रहस्यों को जानने की कोशिश में लगे रहे हैं, परंतु माना जाता है कि सागर के वैज्ञानिक अध्ययन जिसे समुद्र विज्ञान कहते हैं की शुरुआत कप्तान जेम्स कुक द्वारा 1768 और 1779 के बीच प्रशांत महासागर के अन्वेषण के लिए की गयीं समुद्री यात्राओं से हुई।

इन्हें भी पढे: विश्व के महाद्वीपो से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

सागर के पानी की विशेषता इसका खारा या नमकीन होना है। पानी को यह खारापन मुख्य रूप से ठोस सोडियम क्लोराइड द्वारा मिलता है, लेकिन पानी में पोटेशियम और मैग्नीशियम के क्लोराइड के अतिरिक्त विभिन्न रासायनिक तत्व भी होते हैं जिनका संघटन पूरे विश्व मे फैले विभिन्न सागरों में बमुश्किल बदलता है।

विश्व के प्रमुख सागरों की सूची:

स्थान का नाम अवस्थिति क्षेत्रफल
ग्रीनलैण्ड आर्कंटिक महासागर 21,75,000
न्यूगिनी पश्चिमी प्रशान्त महासागर 7,89,000
बोर्नियो हिन्द महासागर 7,51,000
मेडागास्कर हिन्द महासागर 5,87,300
बेफिन द्वीप (कनाड़ा) उत्तरी आर्क़टिक महासागर 5,07,451
सुमात्रा (इण्डोनेशिया) हिन्द महासागर 4,22,200
होन्शब (जापान) उत्तरी-पश्चिम प्रशांत महासागर 2,30,000
ब्रिटेन (ग्रेट-ब्रिटेन) उत्तरी-अटलाण्टिक महासागर 2,29,849
विक्टोरिया द्वीप (कनाड़ा) उत्तरी ध्रुव महासागर 2,17,290
ईसयसमेरे द्वीप (कनाड़ा) उत्तरी ध्रुव महासागर 1,96,236
सुलोवेसी (इण्डोनेशिया) हिन्द महासागर 1,78,700
दक्षिण द्वीप (न्यूजीलैंड) दक्षिण—पश्चिमी प्रशांत महासागर 1,50,460
जावाद्वीप (इण्डोनेशिया) हिन्द महासागर 1,26,400
उत्तरी द्वीप (न्यूजीलैंड) दक्षिण—पश्चिमी प्रशांत महासागर 1,15,000
क्यूबा कैरीबियन सागर 1,11,000
आइसलैंड उत्तरी अटलाण्टिक महासागर 1,03,000
तस्मानिया दक्षिणी पश्चिमी प्रशांत महासागर 68,000
श्रीलंका हिन्द महासागर 65,600

विश्व के प्रमुख सागरों से संबंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान

  • विश्व का सबसे बड़ा द्वीप कौन-सा है? ग्रीनलैंड
  • विश्व के सबसे बड़े द्वीप की स्थिति क्या है/कहाँ है? आर्कटिक सागर में
  • विश्व का दूसरा बड़ा द्वीप कौन-सा है?: न्यूगिनी द्वीप
  • न्यूगिनी द्वीप कहाँ स्थित है? पश्चिमी प्रशांत महासागर में
  • विश्व का सबसे बड़ा द्वीप समूह कौन-सा है? इंडोनेशिया
  • विश्व का सबसे छोटा द्वीप कौन-सा है? मेडागास्कर
  • मेडागास्कर किस सागर में स्थित है? हिन्द महासागर
  • डियागों गार्सिया द्वीप किस सागर में स्थित है? हिन्द महासागर
  • हिन्द महासागर का सबसे बड़ा द्वीप कौन-सा है? बोर्नियो
  • किस द्वीप को अग्नि द्वीप के नाम से जाना जाता है?: आइसलैंड
  • प्रशान्त महासागर का चौराहा किस द्वीप को कहा जाता है? हवाई द्वीप
  • सैंडविच किस द्वीप का पुराना नाम है? हवाई द्वीप
  • जकार्ता किस द्वीप पर स्थित है? जावा
  • एशिया का सबसे बड़ा द्वीप कौन-सा है? बोर्निया
  • जावा एवं सुमात्रा द्वीप किस देश में स्थित है? इंडोनेशिया

और जानिये : विश्व के प्रमुख सागरों के नाम और उनसे संबंधित महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान

आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं से सम्बंधित महत्‍वपूर्ण फुल फोर्म्स की सूची

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आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं से सम्बंधित महत्‍वपूर्ण फुल फोर्म्स की सूची

प्रतियोगी परीक्षाओं से सम्बंधित महत्‍वपूर्ण फुल फॉर्म: (List of Important Full Forms or Abbreviations for all types of Competitive Exams in Hndi)

यहां पर भारत की प्रमुख आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं से सम्बंधित महत्‍वपूर्ण फुल फॉर्म के बारे में सामान्य ज्ञान जानकारी दी गयी है। सामान्यतः फुल फॉर्म से सम्बंधित प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते है। यदि आप विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे: आईएएस, शिक्षक, यूपीएससी, पीसीएस, एसएससी, बैंक, एमबीए एवं अन्य सरकारी नौकरियों के लिए तैयारी कर रहे हैं, तो आपको इन महत्‍वपूर्ण फुल फॉर्म के बारे में अवश्य पता होना चाहिए।

आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं से सम्बंधित महत्‍वपूर्ण फुल फोर्म्स:

Short Form (संक्षिप्‍त रूप) Full Form (पूर्ण रूप)
आई. आर. बी. एम. (IRBM) इंटरमिडिएट रेंज बैलास्टिक मिसाइल
आई. आर. सी. ओ. एन. (IRCON) इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन कम्पनी
आई. ए. ई. ए. (IAEA) इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी
आई. ए. ए. आई. (IAAI) इंटरनेशनल एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया
आई. ए. ए. एस. (IAAS) इंडिया ऑडिटएंड अकऊंट्स सर्विस
आई. एन. ए. (INA) इंडियन नेशनल आर्मी
आई. एन. एस. (INS) इंडियन न्यूज़पेपर सोसाइटी
आई. एन. एस. ए. टी. (INSAT) इंडियन नेशनल सेटेलाइट
आई. एन. टी. ई. एल. एस. ए. टी. (INTELSAT) इंटरनेशनल टेलीकॉम्यूनिकेशन सेटेलाइट
आई. एन. टी. यू. सी. (INTUC) इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कॉन्ग्रेस
आई. एफ. एस. (IFS) इंडियन फॉरेस्ट सर्विस
आई. एफ. सी. आई. (IFCI) इंडसट्रियल फाइनेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया
आई. एम. ए. (IMA) इंडियन मेडिकल एसोसिएशन
आई. एस. आई. (ISI) इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस
आई. एस. आर. ओ. (ISRO) इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन
आई. एस. टी. (IST) इंडियन स्टैंडर्ड टाइम
आई. क्यू. (IQ) इंटेलीजेंस क्योसेंट
आई. डी. ए. (IDA) इंटरनेशनल डिवलॉपमेंट एजेंसी
आई. डी. बी. आई. (IDBI) इंडसट्रियल डिवलॉपमेंट बैंक ऑफ इंडिया
आई. पी एल. (IPL) इंडियन प्रीमियर लीग
आई. पी. सी. (IPC) इंडियन पेनल कोड
आई. बी. आर. डी. (IBRD) इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डिवलॉपमेंट
आई. सी. आई. सी. आई. (ICICI) इंडसट्रियल क्रेडिट एंड इंवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया
आई. सी. ए. आर. (ICAR) इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च
आई. सी. एफ. ए. आई. (ICFAI) इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड फाइनेंस एनालाइसिस ऑफ इंडिया
आई. सी. डब्लयू. ए. (ICWA) इंस्टीट्यूटऑफ कॉस्ट एंड वर्क्स अकाउंट्स
आई.एस.डी. (ISD) इंटरनेशनल सब्सक्राइबर डायलिंग
आई.पी.एल. (IPL) इंडियन प्रीमियर लीग
आर. आर. बी. (RRB) रिजनल रूरल बैंक
आर. आर. सी. (RRC) रिएक्टर रिसर्च सेंटर
आर. ए. एम. (RAM) रेंडम एक्सेस मेमॉरी
आर. ए. डी. ए. आर. (RADAR) रेडियो डिटेक्टिंग एंड रेंजिंग
आर. एंड डी. (R&D) रिसर्च एंड डिवलॉपमेंट
आर. बी. आई. (RBI) रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
आर.एस.एस. (RSS) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ/ रियली सिंपल सिंडिकेशन
ई. एक्स. आई. एम. (EXIM) एक्स्पोर्ट इम्पोर्ट बैंक ऑफ इंडिया
ई. एम. आई. (EMI) इक्विटेड मंथली इंस्टालमेंट
ई. एम. एस. (EMS) यूरोपियन मॉनिटरिंग सिस्टम
ई. एस. आई. सी. (ESIC) एम्पलॉइज़ स्टेट इंश्योरेंस कोर्पोरेशन
ई. एस. सी. ए. पी. (ESCAP) इकोनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर एशिया एंड पैसिफिक
ई. पी. ज़ेड. (EPZ) एक्स्पोर्ट प्रोसेसिंग ज़ोन
ई. वी. एम. (EVM) इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन
ई. सी. जी. (ECG) इलेक्ट्रो काइडियोग्रा
ई.एम.आई. (EMI) इक्वेटेड मंथली इनस्टॉलमेंट
ई.टी.सी. (ETC) एटसेट्रा (वगैरह)
ईमेल (E-MAIL) इलेक्ट्रॉनिक मेल
ए. आई. आई. एम. एस. (AIIMS) ऑल इंडिया इन्सटीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज
ए. आई. डी. एस. (AIDS) एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिशियेंसी सिंड्रोम
ए. ए. एफ. आई. (AAFI) एमेच्योर एथ्लेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया
ए. टी. एम. (ATM) ऑटोमेटेड टेलर मशीन
ए. डी. बी. (ADB) एशियन डिवलॉपमेंट बैंक
ए. बी. एम. (ABM) एंटी बैलेस्टिक मिसाइल
ए. बी. सी. (ABC) ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन
ए.एम. (AM) एंट मेरीडियन
ए.डी. (AD) अन्नो डोमिनि
एक्स.एम.एल. (XML) एक्सटेंसिबल मार्कअप लैंग्वेज
एक्स-रे (X-RAY) एक्स-रेडिएशन
एच. ई. एल. (HEL) हैवी इलेक्ट्रीकल लिमिटिड
एच. ए. एल. (HAL) हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटिड
एच. एम. टी. (HMT) हिंदुस्तान मशीन टूल
एच. एस. एल. (HSL) हिंदुस्तान स्टील लिमिटिड
एच. एस. बी. सी. (HSBC) होंग कोंग एंड शंघाई बैंकिंग कॉर्पोरेशन लिमिटिड
एच. टी. एम. एल. (HTML) हाईपर टेक्स्ट मार्कअप लेंग्वेज
एच. डी. आई. (HDI) हयूमन डिवलॉप्मेंट इंडेक्स
एच. डी. एफ. सी. (HDFC) हाउसिंग डिवलॉपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन
एच. यू. डी. सी. ओ. (HUDCO) हाउसिंग एंड अर्बन डिवलॉपमेंट कॉर्पोरेशन
एच. वाई. वी. एस. (HYVS) हाई यील्ड वैरायटी सीड्स
एच.आर. (HR) ह्यूमन रिसोर्सेज (मानव संसाधन)
एच.टी.टी.पी. (HTTP) हाइपर-टेक्स्ट ट्रान्सफर प्रोटोकॉल
एच.टी.सी. (HTC) हाई टेक कंप्यूटर
एच.पी. (HP) हैवलेट पैकर्ड
एच.सी.एल. (HCL) हिंदुस्तान कम्प्यूटर लिमिटेड
एन. आर. बी. आई. ( NRBI) नेशनल रूरल बैंक ऑफ इंडिया
एन. ई. डी. बी. (NEDB) नोर्थ – इश्टरन डिवलॉपमेंट बैंक
एन. ई. पी. ए. (NEPA) नेशनल एन्वायरमेंट प्रोटेक्शन एथॉरिटी
एन. ए. एफ. ई. डी. (NAFED) नेशनल एग्रीकल्चर एंड कोऑप्रेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया
एन. ए. एस. ए. (NASA) नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एड्मिनिस्ट्रेशन
एन. ए. बी. ए. आर. डी. (NABARD) नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डिवलॉपमेंट
एन. एस. ए. (NSA) नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी
एन. एस. एस. ओ. (NSSO) नेशनल सैम्पल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन
एन. ओ. टी. ए. (NOTA) नॉन ऑफ द अबॉव
एन. टी. पी. सी. (NTPC) नेशनल थर्मल पॉवर कोर्पोरेशन
एन. डी. ए. (NDA) नेशनल डिफेंस एकेडमी
एन. डी. एम. ए. (NDMA) नेशनल डिजस्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी
एन. बी. एफ. सी. (NBFC) नॉन बैंकिंग फाइनेंस कम्पनीज़
एन. बी. टी. (NBT) नेशनल बूक ट्रस्ट
एन. सी. ई. आर. टी. (NCERT) नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग
एन. सी. सी. (NCC) नेशनल कैडेट कोर
एन.जी.ओ. (NGO) नॉन गवर्नमेंटल आर्गेनाइजेशन
एन.सी.आर. (NCR) नेशनल कैपिटल रीजन
एफ. आई. आर. (FIR) फर्स्ट इंफोर्मेशन रिपोर्ट
एफ. ए. टी. ए. (FATA) फेडरली एड्मिनिस्टर्ड ट्राइबल एरियाज़

एफ. एम. (FM) फ्रिक्वेंसी मॉड्यूलेशन
एफ. बी. आई. (FBI) फेडरल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन
एफ. सी. आई. (FCI) फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया
एम. आई. पी. (MIP) मून इम्पैक्ट प्रोब
एम. आई. बी. ओ. आर. (MIBOR) मुम्बई इंटरबैंक ऑफर रेट
एम. आर. टी. पी. सी. (MRTPC) मोनोपोली एंड रेस्ट्रिक्टिव ट्रेड प्रैक्टिसेज कमीशन
एम. एन. आर. ई. जी. ए. (MNREGA) महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना
एम. एन. सी. (MNC) मल्टी नेशनल कम्पनी
एम.एम.एस. (MMS) मल्टीमीडिया मेसेजिंग सर्विसेज
एम.डी. (MD) मैनेजिंग डायरेक्टर
एम.डी.एच. (MDH) महाशियाँ दी हट्टी
एम.बी.ए. (MBA) मास्टर ऑफ़ बिज़नस एडमिनिस्ट्रेशन
एम.बी.बी.एस. (MBBS) बैचलर ऑफ़ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ़ सर्जरी
एल. आई. बी. ओ. आर. (LIBOR) लंडन इंटर बैंक ऑफर रेट
एल. आई. सी. (LIC) लाईफ इंश्योरेंस कोर्पोरेशन
एल. ई. डी. (LED) लाइट एमिटिंग डायोड
एल. ए. एस. ई. आर. (LASER) लाइट एम्प्लीफिकेशन बाई स्टीमुलेटेड एमिशन ऑफ रेडिएशन
एल. पी. जी. (LPG) लिक्वीफाइड पेट्रोलियम गैस
एल. सी. डी. (LCD) लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले
एल.एल.बी. (LLB) बैचलर ऑफ़ लॉ
एल.ओ.सी. (LOC) लाइन ऑफ़ कंट्रोल
एस. आई. एम (SIM) सब्सक्राइबर आइडेंटिफिकेशन मॉड्यूल
एस. आई. टी. ई. (SITE) सेटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टेलिविजन एक्स्पेरिमेंट
एस. आई. डी. बी. आई (SIDBI) समाल इंडसट्रीज़ डिवलॉपमेंट बैंक ऑफ इंडिया
एस. ए. आई. (SAI) स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया
एस. ए. आई. एल. (SAIL) स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटिड
एस. एल. वी. (SLV) सेटेलाइट लॉन्च व्हिकल
एस. टी. डी. (STD) सब्सक्राइबर ट्रंक डाइलिंग
एस. डब्ल्यू. ए. एन. (SWAN) द सोसाइटी फॉर वाइल्ड लाइफ एंड नेचर
एस. बी. आई. (SBI) स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
एस.एम.एस. (SMS) शोर्ट मेसेज सर्विसेज
एस.एस.सी. (SSC) स्टाफ सिलेक्शन कमीशन
एस.टी.डी. (STD) स्टैण्डर्ड ट्रंक डायलिंग
ओ. ई. डी. (OED) ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी
ओ. एन. जी. सी. (ONGC) ऑयल एंड नेचुरल गैस कमीशन
ओ. एम. आर. (OMR) ऑप्टीकल मार्क रीडर
ओ. जी. एल. (OGL) ओपन जनरल लाइसेंस
ओ. बी. यू (OBU) ऑफ्शोरे बैंकिंग यूनिट
ओ.आर.एस. (ORS) ओरल रिहाईडरेशन सोल्यूशन
ओके (OK) ओल कोरेक्ट
के. वी. आई. सी. (KVIC) खादी एंड विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन
के.एफ.सी. (KFC) केंटकी फ्राइड चिकन
क्यू. एम. एस. (QMS) क्‍वालिटी मेनेजमेंट सिस्‍टम
क्यू.आर. कोड (QR Code) क्विक रेस्पोंस कोड
क्यू.ए. (QA) क्वेश्चन आंसर
जी. आई. सी. (GIC) जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन
जी. आर. टी. (GRT) ग्रास रेटेड टनेज
जी. ए. ए. आर. (GAAR) जनरल एंटी अवॉय्डेंस रूल्स
जी. ए. टी. टी. (GATT) जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ्स एंड ट्रेड
जी. एन. पी. (GNP) ग्रॉस नेशनल प्रोडक्ट
जी. एम. (GM)  जनरल मैनेजर
जी. एम. टी. (GMT) ग्रीनविच मीन टाइम
जी. एस. एल. वी. (GSLV) जियोसिंक्रोनेस सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल
जी. पी. एस. (GPS) ग्लोबल पॉज़िशनिंग सिस्टम
जी. पी. ओ. (GPO) जनरल पोस्ट ऑफिस
जी. सी. सी. (GCC) गल्फ कॉर्पोरेशन काउंसिल
जी.एस.एम. (GSM) द ग्लोबल सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन
जी.एस.टी. (GST) गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स
जी.पी.आर.एस. (GPRS) जनरल पैकेट रेडियो सर्विस
जे. एन. एन. यू. आर. एम. (JNNURM) जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन
जे. के. एल. एफ. (JKLF) जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट
जे.आर.डी. टाटा (JRD TATA) जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा
जे.ई.ई. (JEE) जॉइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन
जे.सी.बी. (JCB) जोसफ सायरिल बम्बोर्ड
जेड एस. (ZS) जूलोजिकल सोसाइटी
जेड. आई. पी. (ZIP) ज़ोनल इम्प्रूवमेंट प्लान
जेपीईजी/ जेपीज (JPEG/ JPG) जॉइंट फोटोग्राफिक एक्सपर्ट्स ग्रुप
टी एन. टी. (TNT) ट्राई नाइट्रो टॉलुइन
टी. आर. ए. आई. (TRAI) टेलिकॉम रेग्यूलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया
टी. ई. एल. सी. ओ. (TELCO) टाटा इंजिनियरिंग एंड लोकोमोटिव कम्पनी
टी. एम. ओ. (TMO) टेलिग्राफ मनीऑर्डर
टी. डब्ल्यू. ए. (TWA) ट्रांस वर्ल्ड एयरलाइन्स
टी. बी. (TB) ट्यूबरक्लोसिस
टी. सी. (TC) ट्रस्टीशिप काउंसिल
टी.आर.पी. (TRP) टेलीविज़न रेटिंग पॉइंट
टी.डी.एस. (TDS) टैक्स डिडक्शन एट सोर्स
टी.सी. (TC) टेक केयर
डब्ल्यू. ए. डी. ए. (WADA) वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी
डब्ल्यू. ए. वाई. (WAY) वर्ल्ड एसेम्बली ऑफ यूथ
डब्ल्यू. एफ. टी. यू. (WFTU) वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियन्स
डब्ल्यू. एल. एल. (WLL) वायरलेस लोकल ग्रुप
डब्ल्यू. टी. ओ. (WTO) वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन
डब्ल्यू. डब्ल्यू. एफ. (WWF) वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड
डब्ल्यू.डब्ल्यू.ई. (WWE) वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट
डब्ल्यू.डब्ल्यू.डब्ल्यू. (WWW) वर्ल्ड वाइड वेब
डी. आर. डी. ए. (DRDA) डिस्ट्रिक्ट रूरल डिवलॉप्मेंट एजेंसी
डी. आर. डी. ओ. (DRDO) डिफेंस रिसर्च एंड डिवलॉपमेंट ऑर्गेनाइजेशन
डी. एन. ए. (DNA) डिऑक्सी राईबोस न्यूक्लिक एसिड
डी. टी. एच. (DTH) डायरेक्ट टू होम
डी. बी. एस. (DBS) द डिवलॉपमेंट बैंक ऑफ सिंगापुर लिमिटिड
डी. बी. ओ. डी. (DBOD) डिपार्टमेंट ऑफ बैंकिंग ऑपरेशन्स एंड डिवलॉप्मेंट
डी. वी. डी. (DVD) डिजिटल वर्सेटाइल डिस्क
डी.एन.ए. (DNA) डिओक्सीराइबो न्यूक्लिक एसिड
डी.एन.डी. (DND) डू नोट डिस्टर्ब
डी.पी. (DP) डिस्प्ले पिक्चर
नासा (NASA) नेशनल एयरोनॉटिकल एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन
न्यूज़ (NEWS) नार्थ ईस्ट वेस्ट साउथ
पी. आई. एन. (PIN) पोस्टल इंडेक्स नम्बर
पी. आई. बी. (PIB) प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो
पी. ए. एन. (PAN) परमानेंट अकाउंट नम्बर
पी. एन. बी. (PNB) पंजाब नेशनल बैंक
पी. एम. (PM) पोस्ट मेरीडियम
पी. ओ. टी. ए. (POTA) प्रिवेंशन ऑफ टैरेरिस्ट एक्टिविटी
पी. टी. आई. (PTI) फिजिकल ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर
पी. डी. ए. (PDA) प्रिवेंटिड डिटेक्शन एक्ट
पी. पी. पी. (PPP) पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप
पी. वी. सी. (PVC) पॉली विनायल क्‍लोराइड
पी.एच.डी. (PhD) डॉक्टर ऑफ़ फिलॉसफी
पी.एम. (PM) पोस्ट मेरीडियन
पी.सी.ओ. (PCO) पब्लिक कॉल ऑफिस
फीफा (FIFA) इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ एसोसिएशन फुटबॉल
बी. आई. एस. (BIS) बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स
बी. ई. एल. (BEL) भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटिड
बी. ए. (BA)  बैचलर ऑफ आर्ट्स
बी. ए. आर. सी. (BARC) भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर
बी. ए. एम. एस. (BAMS) बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी
बी. एस. ई. (BSE) बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज
बी. एस. एफ. (BSF) बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स
बी. बी. सी. (BBC) ब्रिटिश ब्राडकस्टिंग कॉर्पोरेशन
बी. सी.  (BC) बिफोर क्राइस्ट
बी. सी. एस. बी. आई. (BCSB) बैंकिंग कोड्स एंड स्टैंडर्ड्स बोर्ड ऑफ इंडिया

बी. सी. बी. एस. (BCBS) बेसल कमेटी फॉर बेंकिंग सुपरविज़न
बी. सी. सी. आई. (BCCI) बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया
बी.एम.डब्ल्यू. (BMW)  बवेरियन मोटर वर्क्स
बी.सी. (BC) बिफोर क्राइस्ट
यू. एन. आई. (UNI) यूनइनाइटिउड न्यूज ऑफ इंडिया
यू. एन. ई. एस. सी. ओ. (UNESCO) यूनाइटिड नेशन्स एजुकेशनल साइंटीफिक एंड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन
यू. एन. ई. सी. ई. एफ. (UNICEF) यूनाइटिड नेशन्स इंटरनेशनल चिल्ड्रन्स एमरजेंसी फंड
यू. एन. एफ. सी. सी. सी. (UNFCCC) यूनाइटिड नेशन्स फ्रेमवर्क कंवेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज
यू. एन. एस. सी. (UNSC) यूनाइटिड नेशन्स सिक्योरिटी काउंसिल
यू. एन. सी. टी. ए. डी. (UNCTAD) यूनाइटिड नेशन्स कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डिवलॉपमेंट
यू. सी. ओ. (UCO) यूनाइटिड कॉमर्सियल बैंक
यू.ए.ई. (UAE) यूनाइटेड अरब एमिरेट्स
यू.एस.ए (USA) उनित्द स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका
यू.एस.बी. (USB) यूनिवर्सल सीरियल बस
यू.पी.एस. (UPS) अनइंटरपटीड पॉवर सप्लाई
रोफ्ल (ROFL) रोलिंग ओन द फ्लोर लाफिंग
वाई. एम. सी. ए. (YMCA) यंग मेन्स क्रिश्चियन एसोसिएशन
वाई. डब्ल्यू. सी. ए. (YWCA) यंग विमेन्स क्रिश्चियन एसोसिएशन
वाई-फाई (WIFI) वायरलेस फिडेलिटी
वायरस (VIRUS) विटल इनफार्मेशन रिसोर्स अंडर सीज
वी. ए. टी. (VAT) वैल्यू एडिड टैक्स
वी. ए. पी. पी. (VAPP) वैक्सीन एसोसिएटिड पैराइलाइटीक पोलियो
वी. वी. पी. ए. टी. (VVPAT) वोट वैरिफायर पेपर ऑडीट ट्रेल
वीजा (VISA) वीजा इंटरनेशनल सर्विस एसोसिएशन
सिम (SIM) सब्सक्राइबर आइडेंटिफिकेशन मोड्यूल
सी. आई एल. (CIL) कोल इंडिया लिमिटिड
सी. आई. ए. (CIA) क्रीमिनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी
सी. आई. डी. (CID) क्रीमिनल इंवेस्टीगेशन डिपार्ट्मेंट
सी. ए. डी. ए. (CADA) कमांड एरिया डिवलॉप्मेंट एजेंसी
सी. ओ. डी. (COD) कैश ऑन डिलिवरी
सी. ओ. पी. (COP) कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज
सी. डब्ल्यू. सी. (CWC) केमिकल वेपंस कनवेंशन
सी. बी. एस. (CBS) कोर बैंकिंग सोल्यूशन
सी. बी. डी. टी. (CBDT) सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस
सी. वी. सी. (CVC) चीफ विजिलेंस कमीशन
सी.इ.ओ. (CEO) चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर
सी.डी.एम.ए. (CDMA) कोड डिवीज़न मल्टीप्ल एक्सेस
सीवी (CV) करिकुलम विटी

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विश्व की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय रेखाएँ और महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

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विश्व की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय रेखाएँ और महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

विश्व की प्रमुख महत्वपूर्ण सीमा अंतरराष्ट्रीय रेखाएँ: (Important International Boundary Lines in Hindi)

प्रत्येक देश अपने देश की सीमा की रक्षा करने के लिए एक निश्चित सीमा का निर्धारण करता है। इस सीमा को पार करना देश की सीमा में घुसपैठ माना जाता है। इन सीमाओं के निर्धारण का एक फायदा यह भी है कि देशों को यह बात पता होती है कि उन्हें कहां तक अपने राज्य की सीमा का विस्तार करना है। ऐसी ही कुछ प्रमुख सीमाओं का वर्णन इस लेख में किया गया है।

विश्व की मुख्य अंतरराष्ट्रीय सीमा रेखाएं:

  • डूरंड रेखा (Durand Line): अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर 2,640 किलोमीटर लम्बी सीमा रेखा को डूरंड रेखा कहते हैं। यह रेखा सन 1893 में ब्रिटिश इंडिया और अफ़ग़ान प्रतिनिधियों के बीच हई एक सहमती का नतीजा है। इस रेखा का नाम ब्रिटिश इंडिया के तत्कालीन विदेश मंत्री सर मॉर्टिमर डूरंड के नाम पर रखा गया था।
  • मैकमोहन रेखा (Macmahon Line): 700 किमी. लम्बी इस रेखा को 1914 में सर मैकमोहन (ब्रिटेन) ने भारत-चीन सीमा के विवाद को सुलझाने के लिए तैयार किया था।
  • रेडक्लिफ रेखा (Radcliffe Line): रेडक्लिफ रेखा भारत और पाकिस्तान के मध्य सीमाओं का निर्धारण करती है। यह सीमा 3310 किमी लम्बी है। 15 अगस्त 1947 को सर रेडक्लिफ ने इस सीमा का निर्धारण किया था।
  • हिंडनबर्ग रेखा (Hindenburg Line): यह रेखा जर्मनी और पोलैंड के मध्य स्थित है। प्रथम विश्व युद्ध के समय जर्मनी की सेना इसी रेखा से लौटी थी।
  • मैनरहीन रेखा: मैनरहीन रेखा सोवियत रूस और फ़िनलैंड के बीच की रेखा है।
  • मैगीनाट रेखा (Maginot Line): मैगीनाट रेखा फ़्रांस द्वारा खिंची गयी जर्मनी और फ़्रांस के बीच की सीमा रेखा है। यह रेखा कंक्रीट, लोहा इत्यादि से मिलकर बनी है। इसका निर्माण 1929 से 1938 के बीच किया गया था।
  • 17 वीं समानांतर रेखा (17th Parallel): 17 वीं समानांतर रेखा उत्तरी वियतनाम तथा दक्षिण वियतनाम के बीच स्थित थी। वियतनाम के एकीकरण के पहले यह देश को दो भागों में बांटती थी। अब यह रेखा नही है क्योंकि वियतनाम अब संयुक्त हो गया है।
  • 24वीं समानांतर रेखा (24th Parallel): 24वीं समानांतर रेखा रेखा भारत तथा पाकिस्तान के बीच कच्छ के पास स्थित है। पाकिस्तान के अनुसार यह रेखा भारत पाकिस्तान के बीच सीमा का निर्धारण करती है लेकिन भारत इस रेखा को स्वीकार नहीं करता है।
  • 38वीं समानांतर रेखा (38th Parallel): 38वीं समानांतर रेखा उत्तर कोरिया तथा दक्षिण कोरिया को दो भागों में बांटती है।
  • 1410 पश्चिमी देशांतर रेखा: 1410 पश्चिमी देशांतर रेखा अलास्का (USA) और कनाडा के बीच की सीमा रेखा है।
  • 49वीं समानांतर रेखा (49th Parallel): 49वीं समानांतर रेखा उत्तरी अमेरिका तथा कनाडा को दो भागों में बांटती है।
  • ओडरनीसे रेखा (Order-Neisse Line): ओडरनीसे रेखा पूर्व जर्मनी तथा पोलैंड के बीच स्थित है और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद निर्धारित की गई।
  • सीजफ्राइड रेखा (Seigfrid Line): सीजफ्राइड रेखा जर्मनी तथा फ्रांस के बीच है और इसे जर्मनी ने बनाया है।

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परमवीर चक्र से सम्मानित व्यक्तियों के नाम एवं वर्ष की सूची

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परमवीर चक्र से सम्मानित व्यक्तियों के नाम एवं वर्ष की सूची

परमवीर चक्र हासिल करने वाले विजेताओं की सूची: (Recipients of Param Vir Chakra  in Hindi)

परमवीर चक्र:

परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। ज्यादातर स्थितियों में यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया है। इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गयी थी। भारतीय सेना के किसी भी अंग के अधिकारी या कर्मचारी इस पुरस्कार के पात्र होते हैं एवं इसे देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है। इससे पहले जब भारतीय सेना ब्रिटिश सेना के तहत कार्य करती थी तो सेना का सर्वोच्च सम्मान विक्टोरिया क्रास हुआ करता था।

परमवीर चक्र का अर्थ:

‘परमवीर चक्र’ का शाब्दिक अर्थ है “वीरता का चक्र”। संस्कृति के शब्द “परम”, “वीर” एवं “चक्र” से मिलकर यह शब्द बना है।

लेफ्टीनेंट या उससे कमतर पदों के सैन्य कर्मचारी को यह पुरस्कार मिलने पर उन्हें (या उनके आश्रितों को) नकद राशि या पेंशन देने का भी प्रावधान है। हालांकि पेंशन की न्यून राशि जो सैन्य विधवाओं को उनके पुनर्विवाह या मरने से पहले तक दी जाती है अभी तक विवादास्पद रही है। मार्च 1999 में यह राशि बढ़ाकर 1500 रुपये प्रतिमाह कर दी गयी थी। जबकि कई प्रांतीय सरकारों ने परमवीर चक्र से सम्मानित सैन्य अधिकारी के आश्रितों को इससे कहीं अधिक राशि की पेंशन मुहैय्या करवाती है।

परमवीर चक्र हासिल करने वाले शूरवीरों में सूबेदार मेजर बन्ना सिंह ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो कारगिल युद्ध तक जीवित थे। सूबेदार सिंह जम्मू कश्मीर लाइट इनफेन्ट्री के आठवें रेजीमेंट में कार्यरत थे।

परमवीर चक्र हासिल करने वाले विजेताओं की सूची:

सम्मानित व्यक्ति का नाम वर्ष टिप्पणी
मेजर सोमनाथ शर्मा 03 नवंबर, 1947 मरणोपरांत
लांस नायक करम सिंह 13 अक्टूबर, 1948
सेकेंड लेफ़्टीनेंट राम राघोबा राणे 08 अप्रैल, 1948
नायक यदुनाथ सिंह फरवरी 1948 मरणोपरांत
कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह 17-18 जुलाई, 1948 मरणोपरांत
कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया 5 दिसम्बर, 1961 मरणोपरांत
मेजर धनसिंह थापा 20 अक्टूबर, 1962
सूबेदार जोगिंदर सिंह 23 अक्टूबर, 1962 मरणोपरांत
मेजर शैतान सिंह 18 नवंबर, 1962 मरणोपरांत
कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हामिद 10 सितंबर, 1965 मरणोपरांत
लेफ्टीनेंट कर्नल आर्देशिर तारापोर 15 अक्टूबर, 1965 मरणोपरांत
लांस नायक अलबर्ट एक्का 03 दिसम्बर, 1971 मरणोपरांत
फ्लाईंग आफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों 14 दिसम्बर, 1971 मरणोपरांत
लेफ्टीनेंट अरुण क्षेत्रपाल 16 दिसम्बर, 1971 मरणोपरांत
मेजर होशियार सिंह 17 दिसम्बर, 1971
नायब सूबेदार बन्ना सिंह 23 जून, 1987
मेजर रामास्वामी परमेश्वरन 25 नवंबर, 1987 मरणोपरांत
लेफ्टीनेंट मनोज कुमार पांडे 03 जुलाई, 1999 मरणोपरांत
ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव 04 जुलाई, 1999
राइफलमैन संजय कुमार 05 जुलाई, 1999
कैप्टन विक्रम बत्रा 06 जुलाई, 1999 मरणोपरांत

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और जानिये : परमवीर चक्र से सम्मानित व्यक्तियों के नाम एवं वर्ष की सूची


प्रोटीन के स्त्रोत, उनके कार्य, लाभ और कमी से होने मुख्य रोगों की सूची

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प्रोटीन के स्त्रोत, उनके कार्य, लाभ और कमी से होने मुख्य रोगों की सूची

प्रोटीन के मुख्य स्त्रोत, उनके कार्य, मात्रा और लाभ: (Major Sources of Protein their functions and benefits in Hindi)

प्रोटीन किसे कहते है?

प्रोटीन वास्तव में एक ग्रीक शब्द है जिसका अर्थ है– सबसे जरुरी। प्रोटीन या प्रोभूजिन एक जटिल भूयाति युक्त कार्बनिक पदार्थ है जिसका गठन कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन एवं नाइट्रोजन तत्वों के अणुओं से मिलकर होता है। कुछ प्रोटीन में इन तत्वों के अतिरिक्त आंशिक रूप से गंधक, जस्ता, ताँबा तथा फास्फोरस भी उपस्थित होता है। ये जीवद्रव्य (प्रोटोप्लाज्म) के मुख्य अवयव हैं एवं शारीरिक वृद्धि तथा विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए आवश्यक हैं।

रासायनिक गठन के अनुसार प्रोटीन को सरल प्रोटीन, संयुक्त प्रोटीन तथा व्युत्पन्न प्रोटीन नामक तीन श्रेणियों में बांटा गया है। सरल प्रोटीन का गठन केवल अमीनो अम्ल द्वारा होता है एवं संयुक्त प्रोटीन के गठन में अमीनो अम्ल के साथ कुछ अन्य पदार्थों के अणु भी संयुक्त रहते हैं। व्युत्पन्न प्रोटीन वे प्रोटीन हैं जो सरल या संयुक्त प्रोटीन के विघटन से प्राप्त होते हैं। अमीनो अम्ल के पॉलीमराईजेशन से बनने वाले इस पदार्थ की अणु मात्रा 10000 से अधिक होती है। प्राथमिक स्वरूप, द्वितीयक स्वरूप, तृतीयक स्वरूप और चतुष्क स्वरूप प्रोटीन के चार प्रमुख स्वरुप है।

प्रोटीन के मुख्य स्त्रोत:

प्रोटीन के शाकाहारी मुख्य स्त्रोत:

  • चना, मटर, मूंग दाल, मसूर दाल, उड़द दाल, सोयाबीन, राजमा, लोभिया, गेहूँ, मक्का, अरहर दाल, काजू, बादाम,कद्दू के बीज, सीसम, दूध

प्रोटीन के मांसाहारी मुख्य स्त्रोत:

  • मांस, मछली, अंडा, यकृत प्रोटीन

प्रोटीन खाद्य पदार्थों में बड़ी संख्या में मिलता है, जैसे: अंडा, मीट, मछली, सोयाबीन, दूध तथा दूध से बने उत्पाद आदि। पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों में सोयाबीन में सबसे अधिक मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। इसमें 40 प्रतिशत से अधिक प्रोटीन होता है। 16 से 18 वर्ष के आयु वर्ग वाले लड़के, जिनका वजन 57 किलोग्राम है, उनके लिए प्रतिदिन 78 ग्राम प्रोटीन की आवश्यकता होती है।

आवश्यक प्रोटीन और उनके कार्य:

शारीरिक प्रोटीन कार्य
 एंजाइम जैव उतप्रेरक, जैव रासायनिक अभिक्रियाओं में सहायक।
 हार्मोन्स शरीर की क्रियाओं का नियमन करते हैं।
 परिवहन प्रोटीन हीमोग्लोबिन, विभिन्न पदार्थों का परिवहन करती हैं।
 संरचनात्मक प्रोटीन कोशिका एवं ऊतक निर्माण करती है।
 रक्षात्मक प्रोटीन संक्रमण में रक्षा करने में सहायक है।
 संकुचन प्रोटीन ये पेशी संकुचन एवं चलन हेतु उत्तरदाई है, उदाहरण-मायोसीन, एक्टिन आदि।

मुख्य खाद्य पदार्थ और प्रोटीन की मात्रा:

भोज्य पदार्थ प्रोटीन की मात्रा
सोयाबीन 43.2
बंगाल चना, काला चना, हरा चना, मसूर, और लाल चना 22
मूंगफली, काजू, बदाम 23
मछली 20
मांस 22
दूध (गाय ) 3.2
अंडा 13.3(प्रति अंडा)
भैंस 4.3

प्रोटीन के लाभ (फायदे): (Benefits of Protein in Hindi)

  • शरीर की कार्यप्रणाली को दुरूस्त रखता है।
  • भूख को नियंत्रित रखता है।
  • तनाव को कम करता है।
  • मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
  • ऊतकों की मरम्मत होती है।
  • वजन कम करने में सहायक।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता शक्तिशाली होती है।
  • बालों और त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाता है।
  • हड्डियों, लिंगामेंट्स और दूसरे संयोजी ऊतकों को स्वस्थ रखने में सहायक।
  • प्रोटीन से बाल, नाखुन, त्वचा, मांसपेशी, हड्डी और रक्तकोशिका बनती हैं।
  • शरीर में पाए जाने वाले रसायनों, जैसे कि हार्मोन, न्यूरोट्रांसमीटर और एंजाइम में भी प्रोटीन है।

प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग (नुकसान): (Disadvantage of Protein in Hindi)

  • किडनी से संबंधित रोग।
  • मूत्र में पीएच बैलेंस का बिगड़ना।
  • किडनी की पथरी का खतरा।
  • कुल कैलोरी का 30 प्रतिशत से अधिक सेवन नुकसानदायक।
  • शरीर में कीटोन की मात्रा बढ़ जाती है जो कि एक विषैला पदार्थ है।
  • अत्यधिक प्रोटीन से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है, जिससे हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर हो सकता है।
  • प्रोटीन की मात्रा बढ़ने से कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम हो जाता है जिससे शरीर को फाइबर कम मिलता है।
  • प्रोटीन के मेटाबॉलिज्म से निकलने वाले व्यर्थ पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में शरीर को परेशानी होती है।

इन्हें भी पढ़े: शरीर के लिए आवश्यक विटामिन, रासायनिक नाम व प्रमुख स्रोतो की सूची

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भारत के संविधान में किए गए प्रमुख संशोधनों की सूची

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भारत के संविधान में किए गए प्रमुख संशोधनों की सूची

भारतीय संविधान के संशोधन:  (Amendment of Indian Constitution in Hindi)

संविधान संशोधन किसे कहते है?

विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ‘संशोधन’ कहा जाता है। भारतीय संविधान का संशोधन भारत के संविधान में परिवर्तन करने की प्रक्रिया है। इस तरह के परिवर्तन भारत की संसद के द्वारा किये जाते हैं।

इन्हें संसद के प्रत्येक सदन से पर्याप्त बहुमत के द्वारा अनुमोदन प्राप्त होना चाहिए और विशिष्ट संशोधनों को राज्यों के द्वारा भी अनुमोदित किया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया का विवरण संविधान के लेख 368, भाग XX में दिया गया है।

संविधान संशोधन की प्रक्रिया:

संविधान के भाग-20 के अंतर्गत अनुच्छेद-368 में संविधान संशोधन से संबंधित प्रक्रिया के बारे विस्तृत जानकरी उपलब्ध है। संविधान के संशोधन हेतु किसी विधेयक को संसद में पुनः स्थापित करने हेतु राष्ट्रपति की स्वीकृति आवश्यक नहीं है। संविधान में संशोधन की प्रक्रिया की दृष्टि से भारतीय संविधान के अनुच्छेदों को निम्नलिखित तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-

  1. वे अनुच्छेद, जिन्हें संसद में साधारण बहुमत से संशोधित किया जा सकता है।
  2. वे अनुच्छेद, जिन्हें संसद में दो-तिहाई (⅔) बहुमत से संशोधित किया जा सकता है।
  3. वे अनुच्छेद, जिन्हें संसद में दो-तिहाई (⅔) बहुमत के साथ भारत के आधे राज्यों के विधान्मंदलों के संकल्पों की स्वीकृति द्वारा संशोधित किया जा सकता है।

अनुच्छेद-368 के अनुसार संसद संविधान में संशोधन तीन प्रकार से ला सकती है:

  1. साधारण बहुमत द्वारा
  2. दो-तिहाई बहुमत द्वारा
  3. दो-तिहाई बहुमत के साथ देश के आधे राज्यों के विधानमण्डलों की स्वीकृति से।
  • संशोधन अधिनियम पर दोनों सदनों में गतिरोध उत्पन्न होने पर संयुक्त अधिवेशन का प्रावधान नहीं है।
  • पारित संशोधन अधिनियम पर अपनी स्वीकृति प्रदान करने हेतु राष्ट्रपति बाध्य है।
  • मौलिक अधिकारों में संशोधन सम्भव है जबकि संविधान के आधारिक लक्षणों में संशोधन नहीं किया जा सकता।
  • सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार आधारिक लक्षणों की संख्या 19 है।

संविधान में अब तक किए गए संशोधनो की सूची:

  • पहला संविघान (संशोधन) अधिनियम (1951): इसके माध्यम से स्वतंत्रता, समानता एवं संपत्ति से संबंधित मौलिक अधिकारों को लागू किए जाने संबंधी कुछ व्यवहारिक कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास किया गया। भाषण एवं अभिव्यक्ति के मूल अधिकारों पर इसमें उचित प्रतिबंध की व्यवस्था की गई। साथ ही, इस संशोधन द्वारा संविधान में नौंवी अनुसूची को जोड़ा गया, जिसमें उल्लिखित कानूनों को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्तियों के अंतर्गत परीक्षा नहीं की जा सकती है।
  • दूसरा संविघान (संशोधन) अधिनियम (1952): इसके अंतर्गत 1951 की जनगणना के आधार पर लोक सभा में प्रतिनिधित्व को पुनर्व्यवस्थित किया गया।
  • तीसरा संविघान (संशोधन) अधिनियम (1954): अंतर्गत सातवीं अनुसूची को समवर्ती सूची की 33वीं प्रविष्टी के स्थान पर खाद्यान्न, पशुओं के लिए चारा, कच्चा कपास, जूट आदि को रखा गया, जिसके उत्पादन एवं आपूर्ति को लोकहित में समझने पर सरकार उस पर नियंत्रण लगा सकती है।
  • चौथा संविघान (संशोधन) अधिनियम (1955): इसके अंतर्गत व्यक्तिगत संपत्ति को लोकहित में राज्य द्वारा हस्तगत किए जाने की स्थिति में, न्यायालय इसकी क्षतिपूर्ति के संबंध में परीक्षा नहीं कर सकती।
  • पांचवा संविघान (संशोधन) अधिनियम (1955): इस संशोधन में अनुच्छेद 3 में संशोधन किया गया, जिसमें राष्ट्रपति को यह शक्ति दी गई कि वह राज्य विधान- मंडलों द्वारा अपने-अपने राज्यों के क्षेत्र, सीमाओं आदि पर प्रभाव डालने वाली प्रस्तावित केंद्रीय विधियों के बारे में अपने विचार भेजने के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित कर सकते हैं।
  • छठा संविघान (संशोधन) अधिनियम (1956): इस संशोधन द्वारा सातवीं अनुसूची के संघ सूची में परिवर्तन कर अंतर्राज्यीय बिक्री कर के अंतर्गत कुछ वस्तुओं पर केंद्र को कर लगाने का अधिकार दिया गया है।
  • 07वा संविघान (संशोधन) अधिनियम (1956): इस संशोधन द्वारा भाषीय आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया गया, जिसमें अगली तीन श्रेणियों में राज्यों के वर्गीकरण को समाप्त करते हुए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में उन्हें विभाजित किया गया। साथ ही, इनके अनुरूप केंद्र एवं राज्य की विधान पालिकाओं में सीटों को पुनर्व्यवस्थित किया गया।
  • 08वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1959): इसके अंतर्गत केंद्र एवं राज्यों के निम्न सदनों में अनुसूचित जाती, अनुसूचित जनजाति एवं आंग्ल भारतीय समुदायों के आरक्षण संबंधी प्रावधानों को दस वर्षों अर्थात 1970 तक बढ़ा दिया गया।
  • 09वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1960): इसके द्वारा संविधान की प्रथम अनुसूची में परिवर्तन करके भारत और पाकिस्तान के बीच 1958 की संधि की शर्तों के अनुसार बेरुबारी, खुलना आदि क्षेत्र पाकिस्तान को दे दिए गए।
  • 10वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1961): इसके अंतर्गत भूतपूर्व पुर्तगाली अंतः क्षेत्रों दादर एवं नगर हवेली को भारत में शामिल कर उन्हें केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया।
  • 11वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1962): इसके अंतर्गत उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के प्रावधानों में परिवर्तन कर, इस सन्दर्भ में दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को बुलाया गया। साथ ही यह भी निर्धारित की निर्वाचक मंडल में पद की रिक्तता के आधार पर राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को चुनौती नहीं दी जा सकती।
  • 12वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1962): इसके अंतर्गत संविधान की प्रथम अनुसूची में संशोधन कर गोवा, दमन एवं दीव को भारत में केंद्रशासित प्रदेश के रूप में शामिल कर लिया गया।
  • 13वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1962): इसके अंतर्गत नागालैंड के संबंध में विशेष प्रावधान अपनाकर उसे एक राज्य का दर्जा दे दिया गया।
  • 14वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1963): इसके द्वारा केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पुदुचेरी को भारत में शामिल किया गया। साथ ही इसके द्वारा हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, गोवा, दमन और दीव तथा पुदुचेरी केंद्र शासित प्रदेशों में विधान पालिका एवं मंत्रिपरिषद की स्थापना की गई।
  • 15वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1963): इसके अंतर्गत उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवामुक्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई तथा अवकाश प्राप्त न्यायाधीशों की उच्च न्यायालय में नियुक्ति से सबंधित प्रावधान बनाए गए।
  • 16वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1963): इसके द्वारा देश की संप्रभुता एवं अखंडता के हित में मूल अधिकारों पर कुछ प्रतिबंध लगाने के प्रावधान रखे गए साथ ही तीसरी अनुसूची में भी परिवर्तन कर शपथ ग्रहण के अंतर्गत ‘मैं भारत की स्वतंत्रता एवं अखंडता को बनाए रखूंगा’ जोड़ा गया।
  • 17वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1964): इसमें संपत्ति के अधिकारों में और भी संशोधन करते हुए कुछ अन्य भूमि सुधार प्रावधानों को नौवीं अनुसूची में रखा गया, जिनकी वैधता परीक्षा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नहीं की जा सकती थी।
  • 18वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1966): इसके अंतर्गत पंजाब का भाषीय आधार पर पुनर्गठन  करते हुए पंजाबी भाषी क्षेत्र को पंजाब एवं हिंदी भाषी क्षेत्र को हरियाणा के रूप में गठित किया गया। पर्वतीय क्षेत्र हिमाचल प्रदेश को दे दिए गए तथा चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया।
  • 19वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1966): इसके अंतर्गत चुनाव आयोग के अधिकारों में परिवर्तन किया गया एवं उच्च न्यायालयों को चुनाव याचिकाएं सुनने का अधिकार दिया गया।
  • 20वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1966): इसके अंतर्गत अनियमितता के आधार पर नियुक्त कुछ जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति को वैधता प्रदान की गई।
  • 21वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1967): इसके द्वारा सिंधी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची के अंतर्गत पंद्रहवीं भाषा के रूप में शामिल किया गया।
  • 22वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1969): इसके द्वारा असम से अलग करके एक नया राज्य मेघालय बनाया गया।
  • 23वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1969): इसके अंतर्गत विधान पालिकाओं में अनुसूचित जाती एवं अनुसूचित जनजाति के आरक्षण एवं आंग्ल भारतीय समुदाय के लोगों का मनोनयन और दस वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया।
  • 24वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1971): इस संशोधन के अंतर्गत संसद की इस शक्ति को स्पष्ट किया गया की वह संशोधन के किसी भी भाग को, जिसमें भाग तीन के अंतर्गत आने वाले मूल अधिकार भी हैं संशोधन कर सकती है ,साथ ही यह भी निर्धारित किया गया कि संशोधन संबंधी विधेयक जब दोनों सदनों से पारित होकर राष्ट्रपति के समक्ष जाएगा तो इस पर राष्ट्रपति द्वारा संपत्ति दिया जाना बाध्यकारी होगा।
  • 26वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1971): इसके अंतर्गत भूतपूर्व देशी राज्यों के शासकों की विशेष उपाधियों एवं उनके प्रिवी पर्स को समाप्त कर दिया गया।
  • 27वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1971): इसके अंतर्गत मिजोरम एवं अरुणाचल प्रदेश को केंद्र शासित प्रदेशों के में स्थापित किया गया।
  • 29वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1972): इसके अंतर्गत केरल भू-सुधार (संशोधन) अधिनियम, 1969 तथा केरल भू-सुधार (संशोधन) अधिनियम, 1971 को संविधान की नौवीं अनुसूची में रख दिया गया, जिससे इसकी संवैधानिक वैधता को न्यायालय में चुनौती न दी जा सके।
  • 31वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1973): इसके द्वारा लोक सभा के सदस्यों की संख्या 525 से 545 कर दी गई तथा केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व 25 से घटकर 20 कर दिया गया।
  • 32वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1974): संसद एवं विधान पालिकाओं के सदस्य द्वारा दबाव में या जबरदस्ती किए जाने पर इस्तीफा देना अवैध घोषित किया गया एवं अध्यक्ष को यह अधिकार है कि वह सिर्फ स्वेच्छा से दिए गए एवं उचित त्यागपत्र को ही स्वीकार करे।
  • 34वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1974): इसके अंतर्गत विभिन्न राज्यों द्वारा पारित बीस भू सुधार अधिनियमों को नौवीं अनुसूची में प्रवेश देते हुए उन्हें न्यायालय द्वारा संवैधानिक वैधता के परीक्षण से मुक्त किया गया।
  • 35वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1974): इसके अंतर्गत सिक्किम का सरंक्षित राज्यों का दर्जा समाप्त कर उसे संबंद्ध राज्य के रूप में भारत में प्रवेश दिया गया।
  • 36वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1975): इसके अंतर्गत सिक्किम को भारत का बाइसवां राज्य बनाया गया।
  • 37वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1975): इसके तहत आपात स्थिति की घोषणा और राष्ट्रपति, राजयपाल एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनिक प्रधानों द्वारा अध्यादेश जारी किए जाने को अविवादित बनाते हुए न्यायिक पुनर्विचार से उन्हें मुक्त रखा गया।
  • 39वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1975): इसके द्वारा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं लोक सभाध्यक्ष के निर्वाचन संबंधी विवादों को न्यायिक परीक्षण से मुक्त कर दिया गया।
  • 41वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1976): इसके द्वारा राज्य लोकसेवा आयोग के सदस्यों की सेवा मुक्ति की आयु सीमा 60 वर्ष कर दी गई, पर संघ लोक सेवा आयोग के सदस्यों की सेवा निवृति की अधिकतम आयु 65 वर्ष रहने दी गई।
  • 42वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1976): इसके द्वारा संविधान में व्यापक परिवर्तन लाए गए, जिनमें से मुख्य निम्लिखित थे।
  • (क) संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ ‘धर्मनिरपेक्ष’ एवं ‘एकता और अखंडता’ आदि शब्द जोड़े गए।
  • (ख) सभी नीति निर्देशक सिद्धांतो को मूल अधिकारों पर सर्वोच्चता सुनिश्चित की गई।
  • (ग) इसके अंतर्गत संविधान में दस मौलिक कर्तव्यों को अनुच्छेद 51(क), (भाग-iv क) के अंतर्गत जोड़ा गया।
  • (घ) इसके द्वारा संविधान को न्यायिक परीक्षण से मुख्यत किया गया।
  • (ङ) सभी विधान सभाओं एवं लोक सभा की सीटों की संख्या को इस शताब्दी के अंत तक के स्थिर कर दिया गया।
  • (च) लोक सभा एवं विधान सभाओं की अवधि को पांच से छह वर्ष कर दिया गया,
  • (छ) इसके द्वारा यह निर्धारित किया गया की किसी केंद्रीय कानून की वैधता पर सर्वोच्च न्यायालय एवं राज्य के कानून की वैधता का उच्च न्यायालय परिक्षण करेगा। साथ ही, यह भी निर्धारित किया गया कि किसी संवैधानिक वैधता के प्रश्न पर पांच से अधिक न्यायधीशों की बेंच द्वारा दी तिहाई बहुमत से निर्णय दिया जाना चाहिए और यदि न्यायाधीशों की संख्या पांच तक हो तो निर्णय सर्वसम्मति से होना चाहिए।
  • (ज) इसके द्वारा वन संपदा, शिक्षा, जनसंख्या- नियंत्रण आदि विषयों को राज्य सूचि से समवर्ती सूची के अंतर्गत कर दिया गया।
  • (झ) इसके अंतर्गत निर्धारित किया गया कि राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद एवं उसके प्रमुख प्रधानमंत्री की सलाह के अनुसार कार्य करेगा।
  • (ट) इसने संसद को राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए कानून बनाने के अधिकार दिए एवं सर्वोच्चता स्थापित की।
  • 44वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1978): इसके अंतर्गत राष्ट्रीय आपात स्थिति लागु करने के लिए आंतरिक अशांति के स्थान पर सैन्य विद्रोह का आधार रखा गया एवं आपात स्थिति संबंधी अन्य प्रावधानों में परिवर्तन लाया गया, जिससे उनका दुरुपयोग न हो। इसके द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों के भाग से हटा कर विधेयक (क़ानूनी) अधिकारों की श्रेणी में रख दिया गया। लोक सभा तथा राज्य विधान सभाओं की अवधि 6 वर्ष से घटाकर पुनः 5 वर्ष कर दी गई। उच्चतम न्यायालय को राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधी विवाद को हल करने की अधिकारिता प्रदान की गई।
  • 50वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1984): इसके द्वारा अनुच्छेद 33 में संशोधन कर सैन्य सेवाओं की पूरक सेवाओं में कार्य करने वालों के लिए आवश्यक सूचनाएं एकत्रित करने, देश की संपत्ति की रक्षा करने और कानून तथा व्यवस्था से संबंधित दायित्व भी दिए गए। साथ ही, इस सेवाओं द्वारा उचित कर्तव्यपालन हेतु संसद को कानून बनाने के अधिकार भी दिए गए।
  • 52वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1985): इस संशोधन के द्वारा राजनितिक दल बदल पर अंकुश लगाने का लक्ष्य रखा गया। इसके अंतर्गत संसद या विधान मंडलों के उन सदस्यों को आयोग्य गोश्त कर दिया जाएगा, जो इस दल को छोड़ते हैं जिसके चुनाव चिन्ह पर उन्होंने चुनाव लड़ा था, पर यदि किसी दल की संसदीय पार्टी के एक तिहाई सदस्य अलग दल बनाना चाहते हैं तो उन पर अयोग्यता लागू नहीं होगी। दल बदल विरोधी इन प्रावधानों को संविधान की दसवीं अनुसूची के अंतर्गत रखा गया।
  • 53वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1986): इसके अंतर्गत अनुच्छेद 371 में खंड ‘जी’ जोड़कर मिजोरम को राज्य का दर्जा दिया गया।
  • 54वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1986): इसके द्वारा संविधान की दूसरी अनुसूची के भाग ‘डी’ में संशोधन कर न्यायाधीशों के वेतन में वृद्धि का अधिकार संसद को दिया गया।
  • 55वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1986): इसके अंतर्गत अरुणाचल प्रदेश को राज्य बनाया गया।

  • 56वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1987): इसके अंतर्गत गोवा को एक राज्य का दर्जा दिया गया तथा दमन और दीव को केंद्रशासित प्रदेश के रूप में ही रहने दिया गया।
  • 57वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1987): इसके अंतर्गत अनुसचित जनजातियों के आरक्षण के संबंध में मेघालय, मिजोरम, नागालैंड एवं अरुणाचल प्रदेश की विधान सभा सीटों का परिसीमन इस शताब्दी के अंत तक के लिए किया गया।
  • 58वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1987): इसके द्वारा राष्ट्रपति को संविधान का प्रामाणिक हिंदी संस्करण प्रकाशित करने के लिए अधिकृत किया गया।
  • 60वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1988): इसके अंतर्गत व्यवसाय कर की सीमा 250 रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष कर दी गई।
  • 61वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1989): इसके द्वारा मतदान के लिए आयु सीमा 21 वर्ष से घटाकर 18 लेन का प्रस्ताव था।
  • 65वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1990): इसके द्वारा अनुच्छेद 338 में संशोधन करके अनुसूचित जाति तथा जनजाति आयोग के गठन की व्यवस्था की गई है।
  • 69वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1991): दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र बनाया गया तथा दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए विधान सभा और मंत्रिपरिषद का उपबंध किया गया।
  • 70वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1992): दिल्ली और पुदुचेरी संघ राज्य क्षेत्रों की विधान सभाओं के सदस्यों को राष्ट्रपति के लिए निर्वाचक मंडल में सम्मिलित किया गया।
  • 71वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1992): आठवीं अनुसूची में कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली भाषा को सम्मिलित किया गया।
  • 73वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1992-93): इसके अंतर्गत संविधान में ग्याहरवीं अनुसूची जोड़ी गई। इसके पंचायती राज संबंधी प्रावधानों को सम्मिलित किया गया है।
  • 74वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1993): इसके अंतर्गत संविधान में बारहवीं अनुसूची शामिल की गई, जिसमें नगरपालिका, नगर निगम और नगर परिषदों से संबंधित प्रावधान किए गए हैं।
  • 76वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1994): इस संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान की नवीं अनुसूची में संशोधन किया गया है और तमिलनाडु सरकार द्वारा पारित पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में 69 प्रतिशत आरक्षण का उपबंध करने वाली अधिनियम को नवीं अनुसूची में शामिल कर दिया गया है।
  • 78वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1995): इसके द्वारा नवीं अनुसूची में विभिन्न राज्यों द्वारा पारित 27 भूमि सुधर विधियों को समाविष्ट किया गया है। इस प्रकार नवीं अनुसूची में सम्मिलित अधिनियमों की कुल संख्या 284 हो गई है।
  • 79वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (1999): अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण की अवधि 25 जनवरी 2010 तक के लिए बढ़ा दी गई है। इस संशोधन के माध्यम से व्यवस्था की गई कि अब राज्यों को प्रत्यक्ष केंद्रीय करों से प्राप्त कुल धनराशि का 29 % हिस्सा मिलेगा।
  • 82वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (2000): इस संशोधन के द्वारा राज्यों को सरकारी नौकरियों से आरक्षित रिक्त स्थानों की भर्ती हेतु प्रोन्नति के मामलों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों के लिए न्यूनतम प्राप्ताकों में छूट प्रदान करने की अनुमति प्रदान की गई है।
  • 83वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (2000): इस संशोधन द्वारा पंचायती राज सस्थाओं में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण का प्रावधान न करने की छूट प्रदान की गई है। अरुणाचल प्रदेश में कोई भी अनुसूचित जाति न होने के कारन उसे यह छूट प्रदान की गई है।
  • 84वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (2001): इस संशोधन अधिनियम द्वारा लोक सभा तथा विधान सभाओं की सीटों की संख्या में वर्ष 2016 तक कोई परिवर्तन न करने का प्रावधान किया गया है।
  • 85वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (2001): सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था।
  • 86वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (2002): इस संशोधन अधिनियम द्वारा देश के 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता देने संबंधी प्रावधान किया गया है, इसे अनुच्छेद 21 (क) के अंतर्गत संविधान जोड़ा गया है। इस अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 51 (क) में संशोधन किए जाने का प्रावधान है।
  • 87वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (2003): परिसीमन में संख्या का आधार 1991 की जनगणना के स्थान पर 2001 कर दी गई है।
  • 88वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (2003): सेवाओं पर कर का प्रावधान
  • 89वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (2003): अनुसूचित जनजाति के लिए पृथक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की व्यवस्था।
  • 90वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (2003): असम विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों और गैर अनुसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व बरक़रार रखते हुए बोडोलैंड, टेरिटोरियल कौंसिल क्षेत्र, गैर जनजाति के लोगों के अधिकारों की सुरक्षा।
  • 91वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (2003): दल बदल व्यवस्था में संशोधन, केवल सम्पूर्ण दल के विलय को मान्यता, केंद्र तथा राज्य में मंत्रिपरिषद के सदस्य संख्या क्रमशः लोक सभा तथा विधान सभा की सदस्य संख्या का 15 प्रतिशत होगा (जहां सदन की सदस्य संख्या 40-50 है, वहां अधिकतम 12 होगी)।
  • 92वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (2003): संविधान की आंठवीं अनुसूची में बोडो, डोगरी, मैथली और संथाली भाषाओँ का समावेश।
  • 93वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (2005): शिक्षा संस्थानों में अनुसूचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों के नागरिकों के दाखिले के लिए 25 प्रतिशत सीटों के आरक्षण की व्यवस्था, संविधान के अनुच्छेद 15 की धरा 4 के प्रावधानों के तहत की गई है।
  • 94वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (2006): इस अधिनियम के माध्यम से संविधान के अनुच्छेद-164(1) को संशोधित करके छत्तीसगढ़ और झारखण्ड में जनजातीय मामलों की देख-रेख हेतु पृथक् मंत्री की नियुक्ति का अनिवार्य प्रावधान किया गया है, जबकि बिहार को इससे बाहर कर दिया गया है। अब इस संशोधित सूची में ओडीशा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश हैं, जहां जनजातीय मामलों की देखरेख हेतु पृथक मंत्री की नियुक्ति की जानी अनिवार्य है।
  • 95वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (2009): इस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान के अनुच्छेद 334 में संशोधन किया गया है। इसके अंतर्गत लोक सभा एवं राज्य विधानसभाओं में आरक्षण की व्यवस्था को 10 वर्ष के लिए और आगे बढ़ा दिया गया है। 1999 के 79वें संविधान संशोधन द्वारा बढ़ाई 10 वर्ष की अवधि 25 जनवरी, 2010 को समाप्त हो गई। इससे पूर्व इसकी अवधि 10-10 वर्ष के लिए 8वें, 23वें, 45वें, 62वें एवं 79वें संविधान संशोधन द्वारा बढ़ाई जाती रही है।
  • 96वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (2011): इस संविधान संशोधन द्वारा संविधान की आठवीं अनुसूची [अनुच्छेद 344(1) और अनुच्छेद 351] में 15वें स्थान पर आने वाली भाषा उड़िया का नाम परिवर्तन कर ओडिया कर दिया गया है।
  • 97वां संविघान (संशोधन) अधिनियम (2011): इस अधिनियम को 12 जनवरी, 2012 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई। इसके द्वारा संविधान के भाग-III में अनुच्छेद 19 के खण्ड (1) के उपखण्ड (ग) में या संघ के बाद या सहकारी समितियां शब्द जोड़ा गया है। भाग-IV में अनुच्छेद 43ख जोड़ा गया है तथा भाग-9क के पश्चात् भाग-9ख जोड़ा गया है। इनमें सहकारी समितियों के गठन, विनियमन एवं विधि संबंधी प्रावधान किए गए हैं।

इन्हें भी पढे: भारतीय संविधान के भाग, अनुच्छेद एवं अनुसूचियों की सूची

और जानिये : भारत के संविधान में किए गए प्रमुख संशोधनों की सूची

विश्व के प्रमुख मरुस्थलो (रेगिस्तानों) के नाम और उनके स्थान की सूची

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विश्व के प्रमुख मरुस्थलो (रेगिस्तानों) के नाम और उनके स्थान की सूची

विश्व के प्रमुख मरुस्थलो के नाम और उनके स्थान की सूची: (List of World’s Desert Names and their places in Hindi)

मरुस्थल या रेगिस्तान किसे कहते है?

मरुस्थल या रेगिस्तान ऐसे भौगोलिक क्षेत्रों को कहा जाता है जहां जलपात (वर्षा तथा हिमपात का योग) अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा काफी कम होती है। प्राय: (गलती से) रेतीले रेगिस्तानी मैदानों को मरुस्थल कहा जाता है जोकि गलत है। यह बात और है कि भारत में सबसे कम वर्षा वाला क्षेत्र (थार) एक रेतीला मैदान है। मरूस्थल (कम वर्षा वाला क्षेत्र) का रेतीला होना आवश्यक नहीं। मरुस्थल का गर्म होना भी आवश्यक नहीं है। अंटार्कटिक, जोकि बर्फ से ढका प्रदेश है, विश्व का सबसे बड़ा मरुस्थल है। विश्व के अन्य देशों में कई ऐसे मरुस्थल हैं जो रेतीले नहीं है।

मरुस्थल के प्रकार:
मरुस्थलों को वर्षा, औसत तापमान, साल में बिना वर्षा (या हिमपात) के दिनों की संख्या इत्यादि के आधार पर बांटा जा सकता है। भारत का थार मरुस्थल एक ऊष्ण कटिबंधीय मरुस्थल है जिसके कारण ही यह रेतीला भी है।

जलपात की दृष्टि से:
वर्षा तथा हिमपात के कुल को जलपात कहते हैं। यदि किसी क्षेत्र का जलपात 200 मिलिमीटर से भी कम हो तो वह एक प्रकार का प्रदेश है। इसी प्रकार 250-500 मिलिमीटर तक के क्षेत्र को अलग वर्ग में रखा जा सकता है। इसी प्रकार अन्य क्षेत्र भी वर्गीकृत किए जा सकते हैं।

तापमान की दृष्टि से:
इन क्षेत्रों को तापमान की दृष्टि से भी वर्गीकृत किया जा सकता है।

  • उष्ण कटिबंधीय मरुस्थल
  • उपोष्ण कटिबेधीय मरुस्थल
  • शीत कटिबंधीय मरुस्थल

विश्व के प्रमुख मरुस्थलो की सूची:

नाम देश क्षेत्रफल (किमी.)
सहारा मरुस्थल उत्तरी अफ्रीका 90,65,000
लिबयान मरुस्थल उत्तरी अफ्रीका 16,83,500
आस्ट्रेलियन मरुस्थल ऑस्ट्रेलिया 15,54,000
ग्रेट विक्टोरिया मरुस्थल ऑस्ट्रेलिया 3,38,000
अटाकामा मरुस्थल उत्तरी चिली 1,80,000
पेंटागोनियन मरुस्थल अर्जेंटीना 6,73,000
सीरियन मरुस्थल अरब 3,23,800
अरब रेगिस्तान मरुस्थल अरब 2,30,00,00
गोबी मरुस्थल मंगोलिया 10,36,000
रब आल खाली मरुस्थल अरब 6,47,500
कालाहारी मरुस्थल बोत्स्वाना 5,18,000
ग्रेट सेंडी मरुस्थल ऑस्ट्रेलिया 3,40,000
ताकला माकन मरुस्थल चीन 3,27,000
अरुनता मरुस्थल ऑस्ट्रेलिया 310800
कराकुम मरुस्थल दक्षिण-पश्चिमी तुर्किस्तान 2,97,900
नूबियन मरुस्थल उत्तरी अफ्रीका 2,59,000
थार मरुस्थल उत्तरी-पश्चिमी भारत 2,59,000
किजिलकुल मरुस्थल मध्य तुर्किस्तान 2,33,100
तनामी मरुस्थल ऑस्ट्रेलिया 37,500
नेगेव मरुस्थल इजराइल 12,170
मोजावे मरुस्थल अमेरिका  –
दि ग्रेट बेसिन मरुस्थल अमेरिका 4,09,000
नामीब मरुस्थल नामीबिया 1,35,000
डेथ वैली मरुस्थल पूर्वी कैलिफ़ोर्निया  –
चिहोहुआ मरुस्थल उत्तरी अमेरिका 5,18,000
सिम्पसन मरुस्थल ऑस्ट्रेलिया 170,000
गिब्सन मरुस्थल पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया 156,000
मंगोलिया मरुस्थल एशिया व रुस के बीच 10,00,000
नूबियन मरुभूमि सूडान  –
मोजेव मरुस्थल संयुक्त राज्य अमेरिका  –
कालाहारी रेगिस्तान दक्षिणी-पश्चिमी अफ्रीका 90,00,000
अटाकामा मरुस्थल चिली 1,05,000
रूब-अल-खाली मरुस्थल सऊदी अरब  –
सोनोरान मरुस्थल मैक्सिको  –

इन्हें भी पढ़े: विश्व की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय रेखाएँ और महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

और जानिये : विश्व के प्रमुख मरुस्थलो (रेगिस्तानों) के नाम और उनके स्थान की सूची

भारतीय राज्यों के वर्तमान राज्यपाल एवं उप-राज्यपालों के नाम एवं उनका कार्यकाल

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भारतीय राज्यों के वर्तमान राज्यपाल एवं उप-राज्यपालों की सूची: (List of Governors of Indian States 2017 in Hindi)

राज्यपाल किसे कहते है?

भारत गणराज्य में राज्यपाल 29 राज्यों में राज्य प्रमुख का संवैधानिक पद होता है। राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति पाँच वर्ष के लिए करते हैं और वे राष्ट्रपति की मर्जी पर पद पर रहते हैं। राज्यपाल राज्य सरकार का विधित मुखिया होता है जिसकी कार्यकारी कार्रवाई राज्यपाल के नाम पर सम्पन्न होती है।

इन्हें भी पढे: भारतीय राज्यों के वर्तमान मुख्यमंत्रियों के नाम एवं उनकी राजनीतिक पार्टी

 भारतीय राज्यों के वर्तमान राज्यपालों की सूची:-

राज्य का नाम राज्यपाल का नाम पदग्रहण (कार्यकाल अवधि)
अरुणाचल प्रदेश पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य (अतिरिक्त प्रभार) 27 जनवरी 2017
असम पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य 12 दिसम्बर 2014 (01 वर्ष, 139 दिन)
आन्ध्र प्रदेश ई॰एस॰एल॰ नरसिंहन 28 दिसम्बर 2009 (06 वर्ष, 123 दिन)
उत्तर प्रदेश राम नाईक 14 जुलाई 2014 (01 वर्ष, 290 दिन)
उत्तराखण्ड कृष्णकांत पॉल 08 जनवरी 2015 (01 वर्ष, 112 दिन)
ओडिशा एस॰सी॰ जमीर 21 मार्च 2013 (03 वर्ष, 39 दिन)
कर्नाटक वजूभाई वाला 01 सितम्बर 2014 (01 वर्ष, 241 दिन)
केरल पलनिस्वामी सदाशिवम 05 सितम्बर 2014 (01 वर्ष, 237 दिन)
गुजरात ओम प्रकाश कोहली 16 जुलाई 2014 (01 वर्ष, 288 दिन)
गोवा मृदुला सिन्हा 31 अगस्त 2014 (01 वर्ष, 242 दिन)
छत्तीसगढ बलराम जी दास टंडन 25 जुलाई 2014 (01 वर्ष, 279 दिन)
जम्मू और कश्मीर नरिंदर नाथ वोहरा 25 जून 2008 (07 वर्ष, 309 दिन)
झारखण्ड द्रौपदी मुर्मू 18 मई 2015 (0 वर्ष, 347 दिन)
तमिलनाडु कोनिजेटी रोसैया 31 अगस्त 2011 (04 वर्ष, 242 दिन)
तेलंगाना ई॰एस॰एल॰ नरसिंहन 02 जून 2014 (01 वर्ष, 332 दिन)
त्रिपुरा तथागता रॉय 20 मई 2015 (345 दिन)
नागालैण्ड पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य 19 जुलाई 2014 (01 वर्ष, 285 दिन)
पंजाब कप्तान सिंह सोलंकी 22 जनवरी 2015 (01 वर्ष, 98 दिन)
पश्चिम बंगाल केशरी नाथ त्रिपाठी 24 जुलाई 2014 (01 वर्ष, 280 दिन)
बिहार केसरी नाथ त्रिपाठी (अतिरिक्त प्रभार) 22 जून 2017
मणिपुर वी. शांमुगन्थन 30 सितम्बर 2015 ( 212 दिन)
मध्य प्रदेश राम नरेश यादव 08 सितम्बर 2011 (04 वर्ष, 234 दिन)
महाराष्ट्र चेन्नामनेनी विद्यासागर राव 30 अगस्त 2014 (01 वर्ष, 243 दिन)
मिज़ोरम निर्भय शर्मा 26 मई 2015 (339 दिन)
मेघालय बनवारीलाल पुरोहित (अतिरिक्त प्रभार) 27 जनवरी 2017
राजस्थान कल्‍याण सिंह 04 सितम्बर 2014 (01 वर्ष, 238 दिन)
सिक्किम श्रीनिवास दादासाहेब पाटील 20 जुलाई 2013 (02 वर्ष, 284 दिन)
हरियाणा कप्तान सिंह सोलंकी 27 जुलाई 2014 (01 वर्ष, 277 दिन)
हिमाचल प्रदेश आचार्य देव व्रत 12 अगस्त 2015 (261 दिन)

अंतिम संशोधन: 22 जून 2017

इन्हें भी पढे: भारत के कैबिनेट मंत्रियों के नाम और उनके विभागों की सूची 2016

केन्द्रशासित प्रदेशों के वर्तमान प्रशासक और उप-राज्यपालों की सूची:-

केन्द्रशासित प्रदेश नाम पद ग्रहण(कार्यकाल अवधि)
अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह (उपराज्यपाल) जगदीश मुखी 22 अगस्त, 2016
चण्डीगढ़ (प्रशासक) वी.पी. सिंह बदनोर 22 अगस्त, 2016
दमन और दीव (प्रशासक) प्रफुल्ल पटेल 29 अगस्त, 2016
दादरा और नगर हवेली (प्रशासक) प्रफुल्ल पटेल 30 दिसम्बर, 2016
दिल्ली (उपराज्यपाल) अनिल बैजल 31 दिसम्बर, 2016
पुदुच्चेरी (उपराज्यपाल) किरन बेदी 29 मई, 2016
लक्षद्वीप (प्रशासक) फ़ारुक़ ख़ान 06 सितम्बर, 2016

अंतिम संशोधन: 22 जून 2017

राज्यपाल के पद में लिए योग्ताएं:

अनुच्छेद 157 के अनुसार राज्यपाल पद पर नियुक्त किये जाने वाले व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यताओं का होना अनिवार्य है:-

  • वह भारत का नागरिक हो।
  • वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
  • वह राज्य सरकार या केन्द्र सरकार या इन राज्यों के नियंत्रण के अधीन किसी सार्वजनिक उपक्रम में लाभ के पद पर न हो
  • वह राज्य विधानसभा का सदस्य चुने जाने के योग्य हो।

राज्यपाल की नियुक्ति:

संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार- राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से की जाएगी, किन्तु वास्तव में राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा भारत के प्रधानमंत्री की सिफ़ारिश पर की जाती है। राज्यपाल की नियुक्ति के सम्बन्ध में निम्न दो प्रकार की प्रथाएँ बन गयी थीं:-

  • किसी व्यक्ति को उस राज्य का राज्यपाल नहीं नियुक्त किया जाएगा, जिसका वह निवासी है।
  • राज्यपाल की नियुक्ति से पहले सम्बन्धित राज्य के मुख्यमंत्री से विचार विमर्श किया जाएगा।

यह प्रथा 1950 से 1967 तक अपनायी गयी, लेकिन 1967 के चुनावों में जब कुछ राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकारों का गठन हुआ, तब दूसरी प्रथा को समाप्त कर दिया गया और मुख्यमंत्री से विचार विमर्श किए बिना राज्यपाल की नियुक्ति की जाने लगी।

राज्यपाल की उन्मुक्तियाँ तथा विशेषाधिकार:

राज्यपाल को निम्नलिखित विशेषाधिकार तथा उन्मुक्तियाँ प्राप्त हैं:-

  • राज्यपाल अपने पद की शक्तियों के प्रयोग तथा कर्तव्यों के पालन के लिए किसी न्यायालय के प्रति उत्तरदायी नहीं है।
  • राज्यपाल की पदावधि के दौरान उसके विरुद्ध किसी भी न्यायालय में किसी भी प्रकार की आपराधिक कार्यवाही प्रारम्भ नहीं की जा सकती।
  • जब राज्यपाल पद पर आरूढ़ हो, तब उसकी गिरफ्तारी या कारावास के लिए किसी भी न्यायालय से कोई आदेशिका जारी नहीं की जा सकती।
  • राज्यपाल का पद ग्रहण करने से पूर्व या पश्चात उसके द्वारा व्यक्तिगत क्षमता में किये गये कार्य के सम्बन्ध में कोई सिविल कार्यवाही करने के पहले उसे दो मास पूर्व सूचना देनी पड़ती है।

और जानिये : भारतीय राज्यों के वर्तमान राज्यपाल एवं उप-राज्यपालों के नाम एवं उनका कार्यकाल

भारत की प्रमुख जांच समितियाँ एवं आयोगों के नाम तथा उनके क्षेत्रों की सूची

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भारत की प्रमुख जांच समितियाँ एवं आयोगों के नाम तथा उनके क्षेत्रों की सूची

भारत की प्रमुख जांच समिति एवं आयोगों की सूची: (Important Committees and Commissions of India in Hindi)

यहां पर भारत की प्रमुख जांच समिति एवं आयोग के बारे में महत्वपूर्ण सामान्य ज्ञान जानकारी दी गयी है। सामान्यतः इस सूची से सम्बंधित प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते है। यदि आप विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे: आईएएस, शिक्षक, यूपीएससी, पीसीएस, एसएससी, बैंक, एमबीए एवं अन्य सरकारी नौकरियों के लिए तैयारी कर रहे हैं, तो आपको भारत की प्रमुख जांच समिति एवं आयोग के बारे में अवश्य पता होना चाहिए।

भारत की प्रमुख जांच समिति एवं आयोगों की सूची

आयोग /समति जाँच/क्षेत्र
नीरजकुमार गुप्ता समिति कैशलेस लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए गठित की गयी
नानावटी आयोग गोधरा कांड
लिब्राहन आयोग बाबरी मस्जिद
फुकन आयोग तहलका टेपकांड
हिटले कमीशन श्रम
जैन आयोग राजीव गाँधी हत्याकांड
हंटर आयोग जलियाँवाला बाग कांड
नरसिम्हन समिति बैंकिग सुधर
ज्ञान प्रकाश समिति चीनी घोटाला
रंगराजन समिति भुगतान संतुलन
राजा चेलैया समिति कर सुधार
ठक्कर आयोग इंदिरा गाँधी हत्याकांड
बलवंतराय मेहता समिति पंचायती राजव्यवस्था
सत्यम समिति वस्त्र नीति
नरेश चन्द्र समिति एविएशन सेक्टर
श्रीकृष्ण आयोग मुंबई दंगा ( 1993 )
सरकारिता आयोग केन्द्र – राज्य संबंध
गोइपोरिया समिति बैंकिंग सेवा सुधार
जानकी रमन समिति प्रतिभूति घोटाला

इन्हें भी पढ़े: भारत की प्रमुख स्वतंत्र संस्थाओं की सूची

और जानिये : भारत की प्रमुख जांच समितियाँ एवं आयोगों के नाम तथा उनके क्षेत्रों की सूची

भारत के रेलवे क्षेत्रों के नाम, स्थापना वर्ष एवं उनके मुख्यालयों की सूची

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भारत के रेलवे क्षेत्रों के नाम, स्थापना वर्ष एवं उनके मुख्यालयों की सूची

भारतीय रेलवे क्षेत्र एवं उनके मुख्यालयों की सूची ( List of Indian Railways Zones and Headquarters in Hindi)

भारतीय रेल (आईआर) एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है तथा एकल प्रबंधनाधीन यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह पिछले 106 वर्षों से भी अधिक समय तक भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य संघटक रहा है। यह विश्व का सबसे बड़ा नियोक्ता है, इसके 13 लाख से भी अधिक कर्मचारी हैं।

भारत में रेलों की शुरुआत:

भारत में रेलों की शुरुआत 1853 में अंग्रेजों द्वारा अपनी प्राशासनिक सुविधा के लिये की गयी थी परंतु आज भारत के ज्यादातर हिस्सों में रेलवे का जाल बिछा हुआ है और रेल, परिवहन का सस्ता और मुख्य साधन बन चुकी है। सन् 1853 में बहुत ही मामूली शुरूआत से जब पहली अप ट्रेन ने मुंबई से थाणे तक (34 कि॰मी॰ की दूरी) की दूरी तय की थी।

भारतीय रेलवे क्षेत्र, स्थापना वर्ष एवम उनके मुख्यालयों की सूची:-

नाम स्थापना मुख्यालय मण्डल
उत्तर रेलवे 14 अप्रैल, 1952 दिल्ली अंबाला, फिरोजपुर, लखनऊ, मुरादाबाद
पूर्वोत्तर रेलवे 1952 गोरखपुर इज्जत नगर, लखनऊ, वाराणसी
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे 1958 गुवाहाटी अलीपुर द्वार, कटिहार, लामडिंग, रंगिया, तिनसुकिया
पूर्व रेलवे अप्रैल, 1952 कोलकाता हावड़ा, सियालदह, आसनसोल, मालदा
दक्षिणपूर्व रेलवे 1955 कोलकाता आद्रा, चक्रधरपुर, खड़गपुर, राँची
दक्षिण मध्य रेलवे 2 अक्टूबर, 1966 सिकंदराबाद सिकंदराबाद, हैदराबाद, गुंटकल, गुंटूर, नांदेड़, विजयवाड़ा
दक्षिण रेलवे 14 अप्रैल, 1951 चेन्नई चेन्नई, मदुरै, पालघाट, तिरुचुरापल्ली, त्रिवेंद्रम, सलेम (कोयंबतूर)
मध्य रेलवे 5 नवंबर, 1951 मुंबई मुंबई, भुसावल, पुणे, शोलापुर, नागपुर
पश्चिम रेलवे 5 नवंबर, 1951 मुंबई मुंबई सेंट्रल, वदोदरा, रतलाम, अहमदाबाद, राजकोट, भावनगर
दक्षिण पश्चिम रेलवे 1 अप्रैल, 2003 हुबली हुबली, बैंगलोर, मैसूर
उत्तर पश्चिम रेलवे 1 अक्टूबर, 2002 जयपुर जयपुर, अजमेर, बीकानेर, जोधपुर
पश्चिम मध्य रेलवे 1 अप्रैल, 2003 जबलपुर जबलपुर, भोपाल, कोटा
उत्तर मध्य रेलवे 1 अप्रैल, 2003 इलाहाबाद इलाहाबाद, आगरा, झांसी
दक्षिणपूर्व मध्य रेलवे 1 अप्रैल, 2003 बिलासपुर बिलासपुर, रायपुर, नागपुर
पूर्व तटीय रेलेवे 1 अप्रैल, 2003 भुवनेश्वर खुर्दा रोड, संबलपुर, विशाखापत्तनम
पूर्वमध्य रेलवे 1 अक्टूबर, 2002 हाजीपुर दानापुर, धनबाद, मुगलसराय, समस्तीपुर, सोनपुर
कोंकण रेलवे† 26 जनवरी, 1998 नवी मुंबई कोई नहीं

इन्हें भी पढे: भारतीय इतिहास में हुई सबसे बडी रेल दुर्घटनाएं

भारतीय रेलवे से सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:

  • भारतीय रेल, एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है तथा यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है।
  • वर्तमान केंद्रीय रेलवे मंत्री- सुरेश प्रभु और रेलवे बोर्ड अध्यक्ष है- ए.के. मित्तल.
  • इस 1376000 समय इंडियन रेलवे में लाख कर्मचारी है।
  • यह न केवल देश की मूल संरचनात्‍मक आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है बल्कि बिखरे हुए क्षेत्रों को एक साथ जोड़ने में और देश राष्‍ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है।
  • राष्‍ट्रीय आपात स्थिति के दौरान आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में भारतीय रेलवे अग्रणी रहा है।
  • यह लोगों के आने जाने के लिए बड़ा ही आदर्श एवं उपयुक्त है, बड़ी मात्रा में वस्तुओं को लाने ले जाने तथा लंबी दूरी की यात्रा के लिए अत्यन्त उपयुक्त है।
  • यह देश की जीवन धारा है और इसके सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए इनका महत्वपूर्ण स्थान है। सुस्थापित रेल प्रणाली देश के दूरतम स्‍थानों से लोगों को एक साथ मिलाती है और व्यापार करना, दृश्य दर्शन, तीर्थ और शिक्षा संभव बनाती है।
  • यह जीवन स्तर सुधारती है और इस प्रकार से उद्योग और कृषि का विकासशील त्वरित करने में सहायता करता है।

और जानिये : भारत के रेलवे क्षेत्रों के नाम, स्थापना वर्ष एवं उनके मुख्यालयों की सूची

भारत का कौन-सा बांध किस राज्य में स्थित है पर आधारित सामान्य ज्ञान

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भारत का कौन-सा बांध किस राज्य में स्थित है पर आधारित सामान्य ज्ञान

भारत के सबसे बड़े बांधो के नाम और उनका राज्य: (List of Largest Dams of India in Hindi)

उत्तराखंड में भारत का सबसे ऊंचा और विशाल टिहरी बांध है। टिहरी बांध एशिया का दूसरा सबसे ऊँचा बांध और दुनिया में आठवाँ सबसे ऊँचा बांध है। यह बांध 857 फीट (260.5 मीटर) ऊंचाई का है, जबकि इसकी लंबाई 575 मीटर है। इससे 2400 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। दुनिया के सबसे लंबे बांधों में से एक हीराकुंड बांध ओडिशा के संबलपुर में है। महानदी पर बने इस बांध की लंबाई 26 किलोमीटर है, जो देश का सबसे लंबा और दुनिया के लंबे बांधों में से एक है। 1956 में बने इस बांध से सिंचाई की जरूरतों को काफी बेहतर तरीके से पूरा किया जाता रहा है।

आधुनिक तकनीक से बना नागार्जुन सागर बांध अपनी मजबूती के साथ-साथ अपनी भव्य बनावट और खूबसूरती के लिए भी प्रसिद्ध है।

आंध्र प्रदेश के नलगोंडा जिले में कृष्णा नदी पर बना यह बांध आंध्र प्रदेश के लिए सिंचाई का अहम साधन है। नागार्जुन सागर डैम की ऊंचाई 124 मीटर और लंबाई 1450 मीटर है। गुजरात की नर्मदा नदी पर बना सरदार सरोवर बांध अपनी खूबसूरती के लिए बहुत प्रसिद्ध है। इस बांध की ऊंचाई 163 और लंबाई 1210 मीटर है। आइये जानते है कि भारत का कौन-सा बांध किस नदी पर बना हुआ है तथा किस राज्य में स्थित है:-

भारत के 25 सबसे बड़े बांधो की सूची इस प्रकार है:-

बांध का नाम किस नदी पर बना हुआ है किस राज्य में स्थित है
टेहरी बांध भागीरथी नदी प्रतापनगर, उत्तराखंड
लखवार बांध यमुना नदी देहरादून, उत्तराखंड
इडुक्की (एब)/इडुक्की आर्च बांध पेरियार नदी तोडुपुलै, केरल
भाखडा बांध सतलुज नदी बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश
पकाल दुल बांध मरुसूदर नदी किश्तवाड़, जम्मू कश्मीर
सरदार सरोवर गुजरात बांध नर्मदा नदी राजपीपल, गुजरात
श्रीसैलम बांध कृष्णा नदी नन्दीकोटकुर, आंध्र प्रदेश
रंजीत सागर बांध रवि नदी पठानकोट, पंजाब
बगलिहार बांध चेनाब नदी रामबाण, जम्मू कश्मीर
चेमेराई बांध रवि नदी भटियात, हिमाचल प्रदेश
चेरुठोणी बांध चेरुठोणी नदी तोडुपुलै, केरला
पांग बांध बीस नदी गोपीपुर, हिमाचल प्रदेश
जमरनी बांध गोला नदी नैनीताल, उत्तराखंड
सुबनसिरी लोअर बांध सुबनसिरी नदी सुबनसिरी, अरुणाचल प्रदेश
रामगंगा बांध रामगंगा नदी लैंसडौन, उत्तराखंड
नागार्जुन सागर बांध कृष्णा नदी गुरुजला, आंध्र प्रदेश
कक्की (एब) बांध कक्की नदी रानी, केरल
नगी बांध नगी नदी जमुई, बिहार
सलाल (रॉकफिल एंड कंक्रीट) बांध चेनाब नदी गुलाब गढ़, जम्मू कश्मीर
लख्या बांध लख्या होल नदी मुदिगेरे, कर्नाटक
शोलयर बांध शोलयर नदी पोलाची, तमिलनाडु
कोयना बांध कोयना नदी पतन, महाराष्ट्र
इदमलयर (एब) बांध इदमलयर नदी देवीकोलम, केरल
सुपा बांध काली नदी सुपा, कर्नाटक
कर्जन बांध कर्जन नदी राजपीपला, गुजरात

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और जानिये : भारत का कौन-सा बांध किस राज्य में स्थित है पर आधारित सामान्य ज्ञान


भारत के प्रमुख राष्ट्रीय अभ्यारण्य व उद्यानों की सूची

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भारत के प्रमुख राष्ट्रीय अभ्यारण्य व उद्यानों की सूची

भारत के प्रमुख राष्ट्रीय अभ्यारण्य व उद्यानों की सूची: (National Parks and Reserves of India in Hindi)

1936 में भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान था- हेली नेशनल पार्क, जिसे अब जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता है। १९७० तक भारत में केवल ५ राष्ट्रीय उद्यान थे। 1980 के दशक में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और प्रोजेक्ट टाइगर योजना के अलावा वन्य जीवों की सुरक्षार्थ कई अन्य वैधानिक प्रावधान लागू हुए. अप्रेल 2012 में देश में राष्ट्रीय उद्यानों की संख्या 102 थी, जिनका कुल क्षेत्रफल 39919 वर्गकिलोमीटर है, जो भारत के सम्पूर्ण भू क्षेत्रफल का 1.21 प्रतिशत भाग है।

भारत में 500 से अधिक अभयारण्य हैं, जिन्हें वन्य जीवन अभयारण्य कहा जाता है। कई राष्ट्रीय उद्यान पहले वन्य जीवन अभयारण्य ही थे। कुछ वन्य जीवन अभयारण्य अपनी कुछ मुख्य प्राणी प्रजातियों के संरक्षण के कारण राष्ट्रीय महत्व रखते हैं:

क्र:सं: राष्ट्रीय उद्यान/अभ्यारण्य  राज्य  प्रमुख वन्यजीव प्राणी
1 पलामू अभ्यारण्य झारखंड हाथी, हिरण, तेंदुआ, सांभर, जंगली सूअर
2 दाल्मा वन्य जीव अभ्यारण्य झारखंड हाथी, हिरण, तेंदुआ, भालू, जंगली सूअर
3 हजारीबाग वन्य जीव अभ्यारण्य झारखंड चीता, भालू, तेंदुआ, चीतल, सांभर, जंगली सूअर
4 कैमूर वन्य जीव अभ्यारण्य बिहार बाघ, नीलगाय, घड़ियाल, सांभर, जंगली सूअर
5 गिर राष्ट्रीय उद्यान गुजरात शेर, सांभर, तेंदुआ, जंगली सूअर
6 नल सरोवर अभ्यारण्य गुजरात जल-पक्षी
7 जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड हाथी, बाघ, चीता, हिरण, भालू, नीलगाय, सांभर, जंगली सूअर
8 दुधवा राष्ट्रीय उद्यान उत्तर प्रदेश हाथी, बाघ, चीता, हिरण, नीलगाय, तेंदुआ
9 चन्द्रप्रभा अभ्यारण्य उत्तर प्रदेश चीता, भालू, नीलगाय, तेंदुआ, सांभर
10 बन्दीपुर राष्ट्रीय उद्यान कर्नाटक हाथी, चीता, तेंदुआ, हिरण, चीतल, सांभर,
11 भद्रा अभ्यारण्य कर्नाटक भालू, हाथी, सांभर, तेंदुआ, हिरण
12 सोमेश्वर अभ्यारण्य कर्नाटक चीता, जंगली कुत्ता, हिरण, तेंदुआ, सांभर
13 तुंगभद्रा अभ्यारण्य कर्नाटक तेंदुआ, चीतल, काला हिरण, चौसिंगा और पक्षी
14 पाखाल वन्य जीव अभ्यारण्य आंध्र प्रदेश चीता, तेंदुआ, सांभर, भालू, जंगली सूअर
15 कावला वन्य जीव अभ्यारण्य आंध्र प्रदेश चीता, तेंदुआ, सांभर, भालू, जंगली सूअर, चीतल
16 मानस राष्ट्रीय उद्यान असम हाथी, चीता, भालू, एक सींग वाला गेंडा, लंगूर, हिरण
17 काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान असम चीता, एक सींग वाला गेंडा, हुन्गली सूअर, भैंसा
18 घाना पक्षी विहार राजस्थान सांभर, काला हिरण, जंगली सूअर, मुर्गा, घड़ियाल, साइबेरियन क्रेन.
19 रणथम्भौर अभ्यारण्य राजस्थान चीता, बाघ, शेर, तेंदुआ, लक्कड़बग्घा, भालू, नीलगाय, सांभर
20 कुंभलगढ़ अभ्यारण्य राजस्थान चीता, नीलगाय, सांभर, भालू, नीलगाय
21 पेंच राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश चीता, नीलगाय, सांभर, भालू, जंगली सूअर
22 तंसा अभ्यारण्य महाराष्ट्र तेंदुआ, सांभर, चौसिंगा, जंगली सूअर, चीतल, पक्षी
23 वोरिविली राष्ट्रीय उद्यान महाराष्ट्र लंगूर, हिरण, सांभर, तेंदुआ, जंगली सूअर
24 अबोहर अभ्यारण्य पंजाब जंगली सूअर, हिरण, नीलगाय, काला हंस, कबूतर
25 चिक्ला अभ्यारण्य ओडिशा क्रेन, जलकौवा, पेलिवन,प्रवासी पक्षी
26 सिम्लिपाल अभ्यारण्य ओडिशा हाथी, बाघ, चीता, तेंदुआ, सांभर, हिरण, मगरमच्छ, जलीय पक्षी
27 वेदांतगल अभ्यारण्य तमिलनाडु जलीय पक्षी
28 इंदिरा गांधी अभ्यारण्य तमिलनाडु हाथी, बाघ, चीतल, तेंदुआ, सांभर, रीछ, जंगली कुत्ता, लंगूर
29 मुदुमलाई अभ्यारण्य तमिलनाडु हाथी, चीता, तेंदुआ, सांभर, हिरण, जंगली कुत्ते
30 डाम्फा अभ्यारण्य मिजोरम कोबरा, चीता, बिल्ली, फीजेंट
31 पेरियार अभ्यारण्य केरल चीता, हाथी, तेंदुआ, सांभर, हिरण, भालू, नीलगाय, जंगली सूअर
32 पराम्बिकुलम अभ्यारण्य केरल चीता, हाथी, तेंदुआ, सांभर, हिरण, नीलगाय, जंगली सूअर
33 कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश बाघ, चीतल, तेंदुआ, सांभर, बारहसिंघा
34 पंचमढ़ी अभ्यारण्य मध्य प्रदेश बाघ, तेंदुआ, सांभर, नीलगाय, चीतल, हिरण, भालू, जंगली भैंसा.
35 डाचिगम राष्ट्रीय उद्यान जम्मू-कश्मीर तेंदुआ, काला भालू, लाल भालू, हिरण,
36 किश्तवार राष्ट्रीय उद्यान जम्मू-कश्मीर काला हिरण, जंगली याक, तिब्बती गधा
37 बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश बाघ, तेंदुआ, सांभर, भालू, चकोर
38 राजीव गांधी अभयारण्य (नागरहोल राष्ट्रीय उद्यान) कर्नाटक चीता, हाथी, तेंदुआ, सांभर, भालू, चकोर, तीतर,
39 पखुई वन्य जीवन अभ्यारण्य अरुणाचल प्रदेश हाथी, अजगर, हिरण, सांभर
40 सुल्तानपुर झील अभ्यारण्य हरियाणा विभिन्न जल पक्षी
41 रोहिला राष्ट्रीय उद्यान हिमाचल प्रदेश कस्तूरी हिरण, भूरा भालू, पहाड़ी मुर्गा, पहाड़ी तेंदुआ
42 सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान पश्चिम बंगाल बाघ, चीता, हिरण, मगरमच्छ
43 भगवान् महावीर उद्यान गोवा हिरण, चूहा, साही, सांभर
44 नोंगखाइलेम अभ्यारण्य मेघालय हाथी, चीता, बाघ, हिरण, सांभर, भालू
45 कीबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान मणिपुर हिरण, जंगली बकरी, विभिन्न जल पक्षी

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और जानिये : भारत के प्रमुख राष्ट्रीय अभ्यारण्य व उद्यानों की सूची

भारत में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की मिट्टियों से सम्बंधित सामान्य ज्ञान

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भारत की प्रमुख मिट्टियाँ और उनके प्रकार | Types of Indian Soils in Hindi

भारत की मिट्टियों के प्रकार और उनका विवरण: (Major Soils of India GK in Hindi)

मृदा या मिट्टी किसे कहते है?

मिट्टी का अर्थ या परिभाषा: पृथ्वी ऊपरी सतह पर मोटे, मध्यम और बारीक कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों को मृदा (मिट्टी) कहते हैं। मिट्टी का निर्माण टूटी चट्टानो के छोटे महीन कणों, खनिज, जैविक पदार्थो, बॅक्टीरिया आदि के मिश्रण से होता है| मिट्टी के कई परतें होती हैं, सबसे उपरी परत में छोटे मिट्टी के कण, गले हुए पौधे और जीवों के अवशेष होते हैं यह परत फसलों की पैदावार के लिए महत्त्‍वपूर्ण होती है। दूसरी परत महीन कणों जैसे चिकनी मिट्टी की होती है और नीचे की विखंडित चट्टानो और मिट्टी का मिश्रण होती है तथा आख़िरी परत में अ-विखंडित सख्‍त चट्टानें होती हैं। ‘मृदा विज्ञान’  भौतिक भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें मृदा के निर्माण, उसकी विशेषताओं एवं धरातल पर उसके वितरण का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता हैं।

भारत में मिट्टी के प्रकार (वर्गीकरण) | Types of Indian Soils in Hindi:

मिट्टी या मृदा कई तरह की होती है और हर प्रकार की मिट्टी का इस्तेमाल गुणों के मुताबिक अलग-अलग होता हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् ने भारत की मिट्टी को 8 वर्गों में बांटा है। मृदा संरक्षण के लिए 1953 में केन्द्रीय मृदा संरक्षण बोर्ड की स्थापना की गयी थी। मरूस्थल की समस्या के अध्ययन के लिए राजस्थान को जोधपुर में अनुसंधान केन्द्र बनाये गये हैं। भारत में मिलने वाली मिट्टी की प्रमुख किस्में इस प्रकार हैं:-

  • जलोढ़ या कांप मिट्टी (Alluvial Soil)
  • लाल मिट्टी (Red Soil)
  • काली मिट्टी (Black Soil)
  • लैटेराइट मिट्टी (Laterite Soil)
  • क्षारयुक्त मिट्टी (Saline and Alkaline Soil)
  • हल्की काली एवं दलदली मिट्टी (Peaty and Other Organic soil)
  • रेतीली मिट्टी (Arid and Desert Soil)
  • वनों वाली मिट्टी (Forest Soil)

1. जलोढ़ या कांप मिट्टी किसे कहते है?

जलोढ़ मिट्टी उत्तर भारत के पश्चिम में पंजाब से लेकर सम्पूर्ण उत्तरी विशाल मैदान को आवृत करते हुए गंगा नदी के डेल्टा क्षेत्र तक फैली है। अत्यधिक उर्वरता वाली इस मिट्टी का विस्तार सामान्यतः देश की नदियों के वेसिनों एवं मैदानी भागों तक ही सीमित है। हल्के भूरे रंगवाली यह मिट्टी 7.68 लाख वर्ग किमी को आवृत किये हुए है। इसकी भौतिक विशेषताओं का निर्धारण जलवायविक दशाओं विशेषकर वर्षा तथा वनस्पतियों की वृद्धि द्वारा किया जाता है। इस मिट्टी में उत्तरी भारत में सिंचाई के माध्यम से गन्ना, गेहूँ, चावल, जूट, तम्बाकू, तिलहन Fसलों तथा सब्जियों की खेती की जाती है।

2. लाल मिट्टी किसे कहते है?

लाल मिट्टी का निर्माण जलवायविक परिवर्तनों के परिणाम स्वरूप रबेदार एवं कायन्तरित शैलों के विघटन एवं वियोजन से होता है। इस मिट्टी में कपास, गेहूँ, दालें तथा मोटे अनाजों की कृषि की जाती है। ग्रेनाइट शैलों से निर्माण के कारण इसका रंग भूरा, चाकलेटी, पीला अथवा काला तक पाया जाता है। इसमें छोटे एवं बड़े दोनों प्रकार के कण पाये जाते हैं। छोटे कणों वाली मिट्टी काफ़ी उपजाऊ होती है, जबकि बड़े कणों वाली मिट्टी प्रायः उर्वरताविहीन बंजरभूमि के रूप में पायी जाती है। इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस तथ जीवांशों की कम मात्रा मिलती है, जबकि लौह तत्व, एल्युमिना तथा चूना पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। इस मिट्टी का संघटन इस प्रकार है-

  • अघुलनशील तत्व- 90.47%
  • लोहा-: 3.61%
  • एल्यूमिनीयम: 2.92%
  • जीवांश: 1.01%
  • मैग्निशिया: 0.70%
  • चूना: 0.56%
  • कार्बन डाई ऑक्साइड: 0.30%
  • पोटाश: 0.24%

3. काली मिट्टी किसे कहते है?

काली मिट्टी को ‘रेगड़ मिट्टी’ या ‘काली कपास मिट्टी’ के नाम से भी जाना जाता है। काली मिट्टी एक परिपक्व मिट्टी है, जो मुख्यतः दक्षिणी प्राय:द्वीपीय पठार के लावा क्षेत्र में पायी जाती है। इसका निर्माण चट्टानों के दो वर्ग दक्कन ट्रैप एवं लौहमय नीस और शिस्ट से हुआ है। ये मिट्टी भारत के कछारी भागों में मुख्य रूप से पाई जाती है। कपास की खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होने के कारण इसे ‘काली कपास मिट्टी’ अथवा ‘कपासी मृदा’ भी कहा जाता है। इस मिट्टी की जल धारण क्षमता अधिक है। यही कारण है कि यह मिट्टी शुष्क कृषि के लिए अनुकूल है। इस मिट्टी का रासायनिक संघटन इस प्रकार है-

  • फेरिक ऑक्साइड: 11.24%
  • एल्यूमिना: 9.39%
  • जल तथा जीवांश: 5.83%
  • चूना: 1.81%
  • मैग्निशिया: 1.79%

इसकी मिट्टी की मुख्य फसल कपास है। इस मिट्टी में गन्ना, केला, ज्वार, तंबाकू, रेंड़ी, मूँगफली और सोयाबीन की भी अच्छी पैदावार होती है।

4. लैटेराइट मिट्टी किसे कहते है?

लैटेराइट मिट्टी उष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों में पायी जाती है। यह मिट्टी प्राय: उन उष्ण कटिबन्धीय प्रदेशों में पायी जाती है, जहाँ ऋतुनिष्ठ वर्षा होती है। इस मिट्टी का रंग लाल होता है, लेकिन यह ‘लाल मिट्टी’ से अलग होती है। शैलों की टूट-फूट से निर्मित होने वाली इस मिट्टी को गहरी लाल लैटराइट तथा भूमिगत जल वाली लैटराइट के रूप में वर्गीकत किया जाता है। गहरी लाल लैटराइट में लौह आक्साइडों तथा पोटाश की मात्रा अत्यधिक मिलती है। इसमें उर्वरता कम होती है, किन्तु निचलें भागों में कुछ खेती की जाती है। सफ़ेद लैटराइट की उर्वरता सबसे कम होती है और केओलिन की अधिकता के कारण इसका रंग सफ़ेद हो जाता है। इस मिट्टी का रासायनिक संघटन इस प्रकार है-

  • लोहा- 18.7%
  • सिलिका: 32.62%
  • एल्यूमिना: 25.2%
  • फास्फ़ोरस: 0.7%
  • चूना: 0.42%

5. क्षारयुक्त मिट्टी किसे कहते है?

शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रों, दलदली द अधिक सिंचाई वाले क्षेत्रों में यह मिट्टी पाई जाती है। इन्हे थूर(Thur), ऊसर, कल्लहड़, राकड़, रे और चोपन के नामों से भी जाना जाता है। शुष्क भागों में अधिक सिंचाई के कारण एवं अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में जल-प्रवाह दोषपूर्ण होने एवं जलरेखा उपर-नीचे होने के कारण इस मिट्टी का जन्म होता है। इस प्रकार की मिट्टी में भूमि की निचली परतों से क्षार या लवण वाष्पीकरण द्वारा उपरी परतों तक आ जाते हैं। इस मिट्टी में सोडियम, कैल्सियम और मैग्निशियम की मात्रा अधिक पायी जाने से प्रायः यह मिट्टी अनुत्पादक हो जाती है।

6. हल्की काली एवं दलदली मिट्टी किसे कहते है?

इस मिट्टी में ज़्यादातर जैविक तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। यह सामान्यतः आद्रप्रदेशों में मिलती है। दलदली मिट्टी उड़ीसा के तटीय भागों, सुंदरवन के डेल्टाई क्षेत्रों, बिहार के मध्यवर्ती क्षेत्रों, उत्तराखंड के अल्मोड़ा और तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी एवं केरल के तटों पर पाई जाती है।

7. रेतीली मिट्टी किसे कहते है?

यह मिट्टी शुष्क और अर्धशुष्क प्रदेशों जैसे: पश्चिमी राजस्थान और आरवाली पर्वत के क्षेत्रों, उत्तरी गुजरात, दक्षिणी हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पाई जाती है। सिंचाई के सहारे गेंहू, गन्ना, कपास, ज्वार, बाजरा  उगाये जाते हैं। जहाँ सिंचाई की सुविधा नहीं है वहाँ यह भूमि बंजर पाई जाती है।

अन्य प्रकार की विभिन्न मिट्टियां:

पीली-सफेद मिट्टी किसे कहते है?

पीली-सफेद मिट्टी तालाबों, खेतों और दरिया के किनारों पर पाई जाती है। किसी भी व्यक्ति कें रोगों को ठीक करने में इसी तरह की मिट्टी को काम में लिया जाता है।

सज्जी मिट्टी किसे कहते है?

सज्जी को भी एक प्रकार की मिट्टी ही कहा जाता है ये कपड़ों को साफ़ करने के काम मे आती है।

मुल्तानी मिट्टी किसे कहते है?

ये एक ख़ास किस्म की मिट्टी होती है, जिसे स्त्रियां उबटन की तरह शरीर पर मलती है और बालों पर भी लगाती है। मुल्तानी मिट्टी लगाने से स्त्रियों की त्वचा और बालों में चमक आ जाती है।

बालू मिट्टी किसे कहते है?

बालू भी मिट्टी को ही बोला जाता है जो किसी भी मनुष्य के लिए उसी तरह जरूरी है जिस तरह भोजन और पानी। लेकिन बालू मिट्टी के गुणों को केवल प्राकृतिक चिकित्सक ही अच्छी तरह जानते हैं। प्राकृतिक दशा में खाई जाने वाली खाने की चीज़ें जैसे साग-सब्जी, खीरा, ककड़ी आदि के साथ हमेशा बालू मिट्टी का कुछ भाग ज़रूर होता है, जिसे हम जानकारी ना होने के कारण गंवा देते है। ये बालू मिट्टी के कण हमारी भोजन पचाने की क्रिया को ठीक रखने मे मदद करते हैं।

इन्हें भी पढ़े: भारत में कृषि का महत्व और प्रमुख फसलें

और जानिये : भारत में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की मिट्टियों से सम्बंधित सामान्य ज्ञान

विश्व के प्रमुख देश, राजधानी एवं उनकी मुद्राओं की सूची

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विश्व के प्रमुख देश, राजधानी एवं उनकी मुद्राओं की सूची

विश्व के प्रमुख देश, राजधानी एवं उनकी मुद्राओं की सूची: (World’s Countries, Capitals & Currencies List in Hindi)

मुद्रा (currency, करन्सी) पैसे के उस रूप को कहते हैं जिससे दैनिक जीवन में सभी प्रकार की वस्तुअो और सामानों की ख़रीद और बिक्री होती है। इसमें सिक्के और काग़ज़ के नोट दोनों आते हैं। किसी देश में प्रयोग की जाने वाली मुद्रा उस देश की सरकारी व्यवस्था द्वारा बनाई जाती है।

यह भी पढे: विश्व के प्रमुख देश और उनके सर्वोच्च सम्मान

यहां पर विश्व के प्रमुख देश, राजधानी एवं उनकी मुद्राओं की सूची की सूची दी गई हैं। सामान्यतः इस सूची से सम्बंधित कई प्रश्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते है। यदि आप विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे: आईएएस, शिक्षक, यूपीएससी, पीसीएस, एसएससी, बैंक, एमबीए एवं अन्य सरकारी नौकरियों के लिए तैयारी कर रहे हैं, तो आपको विश्व के प्रमुख देश, राजधानी एवं उनकी मुद्राओं के बारे में अवश्य पता होना चाहिए।

विश्व के प्रमुख देश, राजधानी एवं उनकी मुद्राओं की सूची:

देश राजधानी मुद्राएं
एशिया
भारत दिल्ली रुपया
पाकिस्तान इस्लामाबाद रुपया
नेपाल कांठमांडू रुपया
श्रीलंका श्री जयवर्धनापुरा-कोट्टी रुपया
बांग्लादेश ढाका टका
भूटान थिम्पू गुलटुम
म्यांमार नेपयिडाव क्यात
अफ़ग़ानिस्तान काबुल अफगानी
चीन बीजिंग युआन
मंगोलिया उलानबटोर तुगरिक
जापान टोक्यो येन
ताइवान ताइपे डॉलर
थाईलैंड बैंकॉक थाईबेहत
वियतनाम हनोई डोंग
कम्बोडिया नाम पेन्ह रिएल
उतरी कोरिया प्योंगयांग वॉन
दक्षिण कोरिया सियोल वॉन
हॉंग कांग विक्टोरिया डॉलर
फिलीपींस मनीला पेसो
सिंगापुर सिंगापुर सिंगापुरी डॉलर
इंडोनेशिया जकार्ता रुपया
मलेशिया क्वालालम्पुर डॉलर
ईरान तेहरान रियाल
इराक बगदाद इराकी दिनार
तुर्की अंकारा लीरा
संयुक्त अरब  अमीरात आबूधाबी दिरहम
सऊदी अरब रियाद सऊदी रियाल
कुवैत कुवैत सिटी कुवैती दिनार
सीरिया दमिश्क सीरियन पॉउण्ड
लेबनान बेरुत पाउंड
कजाकिस्तान अलमाटा रूबल
जॉर्डन अम्मान जॉर्डन दिनार
इजरायल जेरुसलम इजरायली नई शेकेल
क़तर दोहा रियाल
मिस्र काहिरा पाउंड
दक्षिण अफ्रीका प्रिटोरिया रैंड
लीबिया हूँ (त्रिपोली ) दिनार
मोरक्को रबात दरहम
नाइजीरिया लागोस नैरा
अंगोला लुआंडा क्वांज़ा
नामीबिया विंडहॉक रैंड
सूडान खारतूम पाउंड
दक्षिणी सूडान जुबा पाउंड
कांगो किंशासा ज़ैरे
सोमलिया मोगादिश शिलिंग
सेशेल्स विक्टोरिया रुपया
इथोपिया अदिस अबाबा बिर्र
युगांडा कम्पाला शिलिंग
बोत्सवाना गेबोरोन पुला
कीनिया नैरोबी शिलिंग
मोरिशस पोर्ट लुइस रुपया
तंजानिया दारेस्सलाम शिलिंग
जाम्बिया लुसाका क्वाचा
अल्जीरिया अल्जीयर्स दिनार
रवांडा केगाली फ्रैंक
जिम्बाब्वे हरारे डॉलर
सेनेगल डकार फ्रैंक
बुर्किनाफासो क्वागदौगो फ्रैंक
कांगो ब्राजविले फ्रैंक
माली बमाको फ्रैंक
मोजाम्बिक मपूतो मेटिकल
यूरोप
ग्रीस एथेंस यूरो
बेल्जियम ब्रुसेल्स यूरो
डेनमार्क कोपेनहेगन क्रोन
फ्रांस पेरिस यूरो
स्पेन मेड्रिड यूरो
पुर्तगाल लिस्बन यूरो
इटली रोम यूरो
बुल्गारिया सोफिया लेवा
ग्रेट ब्रिटेन लन्दन पाउंड स्टर्लिंग
रूस मास्को रूबल
पोलैंड वारसा जिलोटी
हंगरी बुडापेस्ट फ्रोरिंट
नॉर्वे ओस्लो क्रौन
जर्मनी बर्लिन यूरो
नीदरलैंड एम्स्टरडम यूरो
चेक गणराज्य प्राग कोरुना
स्वीडन स्टॉकहोम क्रोना
स्विट्ज़रलैंड बर्न फ्रैंक
यूक्रेन कीव हिरविनिया
जॉर्जिया तिब्लिसी रूबल
साइप्रस निकसिया यूरो
ऑस्ट्रिया वियना यूरो
स्लोवाक गणराज्य ब्रातिस्लावा यूरो
रोमानिया बुखारेस्ट ल्यू
आयरलैंड डबलिन यूरो
उतरी अमेरिका एवं कैस्पियन सागर के देश
संयुक्त राज्य अमेरिका वांशिगटन डॉलर
कनाडा ओटावा डॉलर
मैक्सिको मैक्सिको सिटी पीसो
क्यूबा हवाना पीसो
ग्रीनलैंड रुक (गड्याव) क्रोन
पनामा पनामा सिटी वाल्बोआ
बारबाडोस ब्रिजटाउन डॉलर
अलसल्वाडोर सान सल्वाडोर कोलन
हैती पोटओ प्रिंस गौर्ड
जमैका किंग्स्टन डॉलर
त्रिनिदाद एंड टोबैगो पोर्ट ऑफ़ स्पेन डॉलर
दक्षिण अमेरिका
अर्जेंटीना ब्यूनस आयर्स आस्ट्रल
ब्राजील ब्रासीलिया ब्राजीली रियल
चिली सेंटियागो पीसो
कोलम्बिया बोगोटा पीसो
फ्रेंच गुयाना कोयेन्ने फ्रैंक
पराग्वे असंस्यान गुआरानी
पेरू लीमा न्यवोसोल
उरुग्वे मोंटेवीडियो पीसो
वेनेजुएला कराकस बोलिवर
ऑस्ट्रेलिया कैनबरा डॉलर
फिजी सूवा डॉलर
न्यूजीलैंड वेलिंग्टन डॉलर
सामोआ अपिया समोअन टाला
तंजानिया डोडोमा तंजानिया शिलिंग
बहरीन मनामा बहरीनी दीनार

नोट: प्रिय पाठकगण यदि आपको इस पोस्ट में कंही भी कोई त्रुटि (गलती) दिखाई दे, तो कृपया कमेंट के माध्यम से उस गलती से हमे अवगत कराएं, हम उसको तुरंत सही कर देंगे।

और जानिये : विश्व के प्रमुख देश, राजधानी एवं उनकी मुद्राओं की सूची

दिल्ली सल्तनत काल के प्रमुख राजवंश, शासकों के नाम एवं महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

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दिल्ली सल्तनत काल के प्रमुख राजवंश, शासकों के नाम एवं महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

दिल्ली सल्तनत काल के प्रमुख राजवंश एवं शासकों की सूची: (Delhi Saltnat Rulers and History in Hindi)

दिल्ली सल्तनत काल का इतिहास:

दिल्ली सल्तनत (1210 से 1526 तक) भारत पर शासन करने वाले 5 वंश के सुल्तानों के शासनकाल को कहा जाता है। दिल्ली सल्तनत पर राज पाँच वंशों में चार वंश मूल रूप तुर्क थे जबकि अंतिम वंश अफगान था। ये पाँच वंश गुलाम वंश (1206-1290), ख़िलजी वंश (1290- 1320), तुग़लक़ वंश (1320-1423), सैय्यद वंश (1424-1452), तथा लोदी वंश (1452-1526) हैं।

मोहम्मद ग़ौरी का गुलाम कुतुब-उद-दीन ऐबक इस वंश का पहला सुल्तान था। ऐबक का साम्राज्य पूरे उत्तर भारत तक फैला था। इसके बाद ख़िलजी वंश ने मध्य भारत पर कब्ज़ा किया परन्तु भारतीय उपमहाद्वीप को संगठित करने में असफल रहा।

इस सल्तनत ने न केवल बहुत से दक्षिण एशिया के मंदिरों का विनाश किया साथ ही अपवित्र भी किया, पर इसने भारतीय-इस्लामिक वास्तुकला के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दिल्ली सल्तनत मुस्लिम इतिहास के कुछ कालखंडों में है जहां किसी महिला ने सत्ता संभाली। 1526 में मुगल सल्तनत द्वारा इस इस साम्राज्य का अंत हुआ।

गुलाम वंश के शासक एवं उनका शासनकाल:

गुलाम वंश के शासक शासनकाल
कुतुबुद्दीन ऐबक 1206 -1210
आरामशाह 1210
इल्तुतमिस 1210 – 1236
रुकनुद्दीन 1236
रजिया 1236 – 1240
बहरामशाह 1240 – 1242
मसूदशाह 1242 – 1246
नसीरुद्दीन महमूद 1246 – 1266
ग्यासुद्दीन बलबन 1266 – 1287
कैकुबाद 1287 – 1290

गुलाम वंश के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • गुलाम वंश का संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक था, वह मोहम्मद गौरी का गुलाम था।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक को उसकी उदारता के लिए लाख बख्श ( लाखो दान करने वाला ) कहा जाता था ।
  • कुतुबमीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने सूफी संत ‘शेख ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी‘ की याद में प्रारंभ कराया था जिसे बाद में इल्तुतमिस ने पूर्ण कराया।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक ने अजमेर में अढाई दिन का झोपडा नामक मस्जिद का निर्माण कराया था।
  • कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु चोगम खेलते समय घोड़े से गिरने से हुई थी।
  • इल्तुतमिस ने अपनी राजधानी लाहौर से दिल्ली स्थानांतरित किया।
  • इल्तुतमिस ने कुतुबमीनार की ऊपर की दो मंजिल का निर्माण पूर्ण कराया था।
  • इल्तुतमिस ने 40 गुलाम सरदारों का संगठन बनाया था जिसे ‘तुर्कान-ए-चिहलगानी’ कहा गया।
  • रजिया दिल्ली की के सिंहासन पर बैठने वाली पहली महिला सुल्तान थी।
  • रजिया सुल्तान का विवाह अल्तुनिया से हुआ था।
  • नसीरुद्दीन मुहम्मद ऐसा सुल्तान था जो अपनी रोजी रोटी कुरान की नकल करके बेचकर एवं टोपी सीकर चलाता है।
  • ग्यासुद्दीन बलवन दिल्ली सल्तनत का क्रूर शासक था उससे अपने विरोधियों के साथ ‘लोह एवं रक्त’ की नीति अपनाई।
  • बलवन ने सिजदा प्रथा ( झुककर नमस्कार ) एवं पाबौस प्रथा ( सुल्तान के पांव छूना ) प्रारंभ किया। तथा फारसी परम्परा का ‘नवरोज उत्सव’ आरंभ किया।

खिलजी वंश के शासक एवं उनका शासनकाल:

खिलजी वंश के शासक शासनकाल
जलालुद्दीन फिरोज खिलजी 1290-1296
अलाउद्दीन खिलजी 1296- 1316
कुतुबुद्दीन मुबारक शाह 1316- 1320
नासिरुद्दीन खुसरो शाह 1320

ख़िलजी वंश के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • गुलाम वंश के अंतिम शासक को मारकर जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की।
  • फिरोज खिलजी की हत्या उसके भतीजे व दमाद अलाउद्दीन खिलजी ने की।
  • अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी सफलता से प्रोत्साहित होकर ‘सिकंदर – ए – सानी’ या सिकंदर द्वितीय की उपाधि धारण कर लिया था।
  • अलाउद्दीन खिलजी द्वारा जजिया कर ( गैर मुस्लिम से ), जकात कर ( धार्मिक कर सम्पत्ति का 40 वा हिस्सा ) एवं आवास और चराईं कर भी लिया जाता था।
  • अलाउद्दीन ने बाजार नियंत्रण के लिए दीवान- ए-रियासत नामक अधिकारी नियुक्त किया।
  • अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु के बाद मलिक काफूर नामक हिजडे ने 6 वर्षीय बालक शहाबुद्दीन उमर को गद्दी पर बैठाया।
  • मलिक काफूर ने सत्ता के लालच में शहावुद्दीन को अंधा करवा कर स्वयं शासन करने लगा ।
  • मलिक काफूर सत्ता का सुख मात्र 35 दिन तक ही भोग सका,  मुबारक शाह खिलजी ने उसकी हत्या करवा दिया।
  • कुतुबुद्दीन मुबारक शाह सुल्तान बनने के बाद आलस्य, विलासिता, वासना आदि दुर्गुणों का शिकार हो गया।
  • मुबारक शाह नग्न स्त्री पुरुष के साथ दरबार में आता था एवं कभी कभी स्वयं नग्न होकर दरबार में दौड़ता था।
  • खुसरो शाह हिन्दू धर्म परिवर्तित करके मुसलमान बना था तथा उसने स्वयं ‘पैगंबर का सेनापति’ की उपाधि धारण की।
  • गाजी मलिक तुगलक ने खुसरो को युद्ध में परास्त कर तुगलक वंश की स्थापना की।

इन्हे भी पढ़े: भारतीय इतिहास के प्रमुख राजवंशो की सूची

तुगलक वंश के शासक एवं उनका शासनकाल:

तुगलक वंश के शासक शासनकाल
ग्यासुद्दीन तुगलक शाह 1320 – 1325
मुहम्मद बिन तुगलक 1325- 1351
फिरोज तुगलक 1351- 1388
ग्यासुद्दीन तुगलक द्वितीय 1388 – 1389
अबू वक्र 1389
नसीरुद्दीन मुहम्मद शाह 1390 – 1394
अलाउद्दीन सिकंदर शाह 1394
नसीरुद्दीन महमूदशाह 1394 – 1414

तुगलक वंश के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • तुगलक वंश के संस्थापक ग्यासुद्दीन तुगलक ने अपने नाम के साथ गाजी ( काफिरों का धातक ) शब्द का प्रयोग किया था।
  • ग्यासुद्दीन तुगलक ने सिंचाई के लिए कुंओं व नहरों का निर्माण करवाया। संभवतः यह पहला सुल्तान था जिसने नहरों का निर्माण कराया।
  • ग्यासुद्दीन तुगलक की मृत्यु के बाद उसका पुत्र जौना खां मुहम्मद बिन तुगलक गद्दी पर बैठा।
  • मुहम्मद बिन तुगलक दिल्ली के सभी सुल्तानो मे सबसे ज्यादा शिक्षित तथा विद्वान था।
  • मुहम्मद बिन तुगलक ने शासन चलाने के विभिन्न विवादास्पद नीतियों बनाईं जो असफल रही।
  • मुहम्मद बिन तुगलक की प्रमुख असफल नीतियां – 1. दोआब क्षेत्र में कर की वृद्धि, 2.राजधानी परिवर्तन दिल्ली से देवगिरी, 3.सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन, 4. खुरासान एवं कराचिल का अभियान।
  • मुहम्मद बिन तुगलक के काल में ही हरिहर एवं बुक्का नामक दो भाइयों ने विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की थी।
  • अफ्रिकी यात्री इब्नबतूता मुहम्मद बिन तुगलक के काल में भारत आया था।
  • मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु पर इतिहासकार बदायूनी ने लिखा – ‘राजा को अपनी प्रजा से और प्रजा को अपने राजा से मुक्ति मिल गई’।
  • फिरोजशाह तुगलक ने अपने शासन काल में 24 कष्टदायक करों को समाप्त कर केवल चार कर खराच ( लगान ) , खुम्स ( युद्ध में लूट का माल ) , जजिया , जकात वसूल किए।
  • फिरोजशाह तुगलक ब्राह्मणों पर भी जजिया कर लगाने वाला पहला सुल्तान था ।
  • फिरोजशाह तुगलक ने खिज्राबाद ( टोपरा ) एवं मेरठ से अशोक स्तंभ को लाकर दिल्ली में स्थापित कराया।
  • फिरोजशाह तुगलक ने जाजनगर ( उड़ीसा ) के शासक भानुदेव को हराया तथा जगन्नाथ मंदिर को ध्वस्त किया ।
  • फिरोजशाह ने नगरकोट स्थित ज्वालामुखी मंदिर को ध्वस्त कर 1300 ग्रंथों लूटकर कुछ का फारसी अनुवाद करवाया जिसे दलायते – फिरोजशाही नाम दिया।
  • फिरोजशाह तुगलक ने अपनी आत्मकथा ‘फतूहात -ए – फिरोजशाही’ लिखी थी।
  • तुगलक वंश का अंतिम शासक नसीरुद्दीन महमूद शाह था
  • नसीरुद्दीन महमूद शाह शासन काल में तैमूरलंग ने दिल्ली में आक्रमण किया था।

सैय्यद वंश के शासक एवं उनका शासनकाल:

सैय्यद वंश के शासक शासनकाल
खिज्र खां 1414- 1421
मुबारक खां 1421- 1434
मुहम्मद शाह 1434- 1445
अलाउद्दीन आलमशाह 1445 – 1450

सैय्यद वंश के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

  • सैय्यद वंश का संस्थापक खिज्र खां ने सुल्तान की उपाधि ग्रहण नहीं की वह ‘रैयत- ए – आला’ के नाम से संतुष्ट रहा।
  • खिज्र खां की मृत्यु के बाद उसका पुत्र मुबारक खां गद्दी पर बैठा तथा शाह उपाधि धारण की।
  • मुबारक शाह के दरबार में प्रसिद्ध लेखक सरहिन्दी था जिसने ‘तारीख – ए – मुबारक शाही’ लिखी थी।
  • यमुना के तट पर मुबारक शाह ने मुबारकबाद नामक एक नगर बसाया था।

लोदी वंश के शासक एवं उनका शासनकाल:

लोदी वंश के शासक शासनकाल
बहलोल लोदी 1451 – 1489
सिकंदर लोदी 1489 – 1517
इब्राहिम लोदी 1517 – 1526

लोदी वंश के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

  • बहलोल लोदी दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाला पहला अफगान शासक था। उसने ‘बहलोल शाह गाजी’ नामक उपाधि धारण की।
  • बहलोल लोदी का पुत्र निजाम खां ‘सुल्तान सिकंदर शाह लोदी’ उपाधि के साथ गद्दी पर बैठा।
  • सिकंदर लोदी ने 1504 ई. में आगरा शहर की स्थापना की तथा उसे अपनी राजधानी बनाया।
  • सिकंदर शाह लोदी द्वारा माप का एक पैमाना ‘ गज-ए-सिकंदरी’ प्रचलित कराया।
  • सिकंदर लोदी ने ज्वालामुखी मंदिर की मूर्तियों तुडवाकर कसाइयों को मांस तौलने के लिए दे दिया था।
  • सिकंदर लोदी के आदेश पर संस्कृत ग्रंथ ‘ आयुर्वेद ‘ का फारसी अनुवाद ‘ फरहंगे – सिकंदरी ‘ नाम से किया गया।
  • गले के कैंसर से सिकंदर लोदी की मृत्यु होने के बाद उसका पुत्र इब्राहिम लोदी गद्दी पर बैठा।
  • इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खां तथा पंजाब के शासक दौलत खां लोदी ने काबुल के शासक बाबर को दिल्ली पर आक्रमण का निमंत्रण दिया था
  • बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच 21 अप्रैल 1526 में पानीपथ का प्रथम युद्ध हुआ जिसमें इब्राहिम लोदी बुरी तरह हार गया
  • इब्राहिम लोदी उसी युद्ध में मारा गया और दिल्ली के सल्तनत काल का अंत हो गया।
  • बाबर ने इब्राहिम लोदी को मारकर दिल्ली में मुगल साम्राज्य की स्थापना की।

और जानिये : दिल्ली सल्तनत काल के प्रमुख राजवंश, शासकों के नाम एवं महत्वपूर्ण तथ्यों की सूची

भारतीय पुलिस अधिकारियों की रैंकों के नाम एवं उनके बैज की सूची

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भारतीय पुलिस अधिकारियों की रैंकों के नाम एवं उनके बैज की सूची

भारतीय पुलिस अधिकारियों की रैंक एवं उनके बैज की सूची: (List of Indian Police Ranks and their Insignia in Hindi)

भारतीय पुलिस सेवा:

भारतीय पुलिस सेवा, जिसे आम बोलचाल में भारतीय पुलिस या आईपीएस, के नाम से भी जाना जाता है, भारत सरकार के अखिल भारतीय सेवा के एक अंग के रूप में कार्य करता है, जिसके अन्य दो अंग भारतीय प्रशासनिक सेवा या आईएएस और भारतीय वन सेवा या आईएफएस हैं जो ब्रिटिश प्रशासन के अंतर्गत इंपीरियल पुलिस के नाम से जाना जाता था।

भारतीय पुलिस सेवा परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग, दिल्ली (यूपीएससी) द्वारा प्रत्येक वर्ष मई से शुरु होकर जनवरी तक आयोजित की जाती है। जिसका उद्देश्य विभिन्न प्रकार के भारतीय पुलिस पदो को भरना है। और जिसमें प्रत्येक वर्ष हजारों की संख्या मैं युवा परीक्षा देते हैं जिसमे से की श्रेष्ठ युवा को इस पद के लिए चुना जाता हैं।

कांस्टेबल से पुलिस महानिदेशक (DGP) तक, बैज देखके ऐसे कर सकते हैं भारतीय पुलिस अधिकारियों की रैंक की पहचान:

भारतीय पुलिस विभाग में एक कंपनी की तरह अलग-अलग रैंक के अधिकारी काम करते हैं। लेकिन ज्यादातर लोग इन सभी के बारे में नहीं जानते हैं। पुलिस व्यवस्था में भी पद के अनुसार सभी पुलिसकर्मियों की एक अलग पहचान होती है एवं सभी पुलिसकर्मियों की वर्दियों पर अलग-अलग “बैज” लगे रहते हैं। आप इस बैज को देखकर अंदाजा लगा सकते हैं कि कौन-सा अधिकारी किस पद पर आसीन है। आम जनता के साथ-साथ ये जानकारी ऐसे कैंडिडेट्स के लिए भी लाभकारी हैं जो इंडियन पुलिस को ज्वाइन करना चाहते हैं या उससे जु़ड़ने जा रहे हैं। उनके लिए इन रैंक और बैज के बीच का फर्क पता होना चाहिए। हम यहां पर भारतीय पुलिस की सभी रैंक के बारे में बता रहे हैं।

आइए अब जानते हैं कि भारतीय पुलिस सेवा के विभिन्न राजपत्रित अधिकारियों एवं गैर-राजपत्रित अधिकारियों के “बैज” क्या है?

भारतीय पुलिस सेवा के राजपत्रित अधिकारी एवं उनके बैज:

  • खुफिया ब्यूरो (IB) के निदेशक (भारत सरकार) (DIB): खुफिया ब्यूरो (IB) के निदेशक की वर्दी पर अशोक स्तम्भ, एक स्टार और एक तलवार का निशान होता है।
  • पुलिस आयुक्त (राज्य) या पुलिस महानिदेशक (CP या DGP): पुलिस आयुक्त (राज्य) या पुलिस महानिदेशक की वर्दी पर अशोक स्तम्भ और एक तलवार का निशान होता है। कई स्थानों पर DGP को “कमिश्नर ऑफ पुलिस” (CP) भी कहते हैं। यह पद ब्रिटेन के “चीफ कांस्टेबल” के पद के बराबर होता है।
  • संयुक्त पुलिस आयुक्त या पुलिस महानिरीक्षक (JCP या IGP): संयुक्त पुलिस आयुक्त या पुलिस महानिरीक्षक के वर्दी पर एक स्टार और एक तलवार का निशान होता है। कई स्थानों पर IGP को “जवाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस” (JCP) भी कहते हैं। यह पद ब्रिटेन के “डिप्टी चीफ कांस्टेबल” के पद के बराबर होता है।
  • अतिरिक्त पुलिस आयुक्त या पुलिस उप महानिरीक्षक (ADL.CP या DIG): अतिरिक्त पुलिस आयुक्त या पुलिस उप महानिरीक्षक के वर्दी पर अशोक स्तम्भ और तीन स्टार का निशान होता है। कई स्थानों पर DIG को “एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस” (Add.CP) भी कहते हैं। यह पद ब्रिटेन के “असिस्टेंट चीफ कांस्टेबल” के पद के बराबर होता है।
  • पुलिस उपायुक्त या वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (DCP या SSP): पुलिस उपायुक्त या वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के वर्दी पर अशोक स्तम्भ और दो स्टार का निशान होता है। कई स्थानों पर SSP को “डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस” (DCP) भी कहते हैं। यह पद ब्रिटेन के “चीफ सुप्रिटेन्डेन्ट” के पद के बराबर होता है।
  • पुलिस उपायुक्त या पुलिस अधीक्षक (DCP या SP): पुलिस उपायुक्त या पुलिस अधीक्षक के वर्दी पर अशोक स्तम्भ और एक स्टार का निशान होता है। कई स्थानों पर SP को “डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस” (DCP) भी कहते हैं। यह पद ब्रिटेन के “चीफ सुप्रिटेन्डेन्ट” के पद के बराबर होता है।
  • अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त या अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ADL.DCP या ASP): अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त या अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के वर्दी पर अशोक स्तम्भ का निशान होता है। कई स्थानों पर ASP को “एडिशनल डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस” (ADL.DCP) भी कहते हैं।
  • सहायक पुलिस आयुक्त या पुलिस उपाधीक्षक (ACP या DSP): सहायक पुलिस आयुक्त या पुलिस उपाधीक्षक के वर्दी पर तीन स्टार का निशान होता है। कई स्थानों पर DSP को “असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ पुलिस” (ACP) भी कहते हैं। यह पद ब्रिटेन के “चीफ इन्स्पेक्टर” के पद के बराबर होता है।
  • सहायक पुलिस अधीक्षक (सेवा के 2 साल बाद) (ASST.SP): सहायक पुलिस अधीक्षक (सेवा के 2 साल बाद) के वर्दी पर दो स्टार का निशान होता है।
  • सहायक पुलिस अधीक्षक (सेवा के 1 साल बाद) (ASST.SP): सहायक पुलिस अधीक्षक (सेवा के 1 साल बाद) के वर्दी पर एक स्टार का निशान होता है।

भारतीय पुलिस सेवा के गैर-राजपत्रित अधिकारी एवं उनके बैज:

  • पुलिस निरीक्षक (इंस्पेक्टर) (INS): पुलिस निरीक्षक (इंस्पेक्टर) के वर्दी पर तीन स्टार का निशान होता है। इसके अलावा लाल और नील रंग की लाईन बनी होती है।
  • सहायक पुलिस निरीक्षक (API): सहायक पुलिस निरीक्षक (इंस्पेक्टर) या असिस्टेंट पुलिस निरीक्षक (इंस्पेक्टर) (API) के वर्दी पर तीन स्टार का निशान होता है। इसके अलावा लाल रंग की लाईन बनी होती है।
  • पुलिस उप निरीक्षक (SI): पुलिस उप निरीक्षक या सब-इंस्पेक्टर (SI) के वर्दी पर दो स्टार का निशान होता है। इसके अलावा लाल और नील रंग की लाईन बनी होती है।
  • सहायक पुलिस उप निरीक्षक (ASI): सहायक पुलिस उप निरीक्षक या असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (ASI) के वर्दी पर एक स्टार का निशान होता है। इसके अलावा लाल और नील रंग की लाईन बनी होती है।
  • पुलिस हेड कांस्टेबल (HPC): पुलिस हेड कांस्टेबल (HPC) के वर्दी पर काले पट्टी के ऊपर पीले रंग की तीन लाईन बनी होती है। इसके अलावा उनके वर्दी पर लाल रंग की तीन धारियों वाला बिल्ला भी होता है।
  • वरिष्ठ पुलिस कांस्टेबल (SPC): वरिष्ठ पुलिस कांस्टेबल (SPC) के वर्दी पर काले पट्टी के ऊपर पीले रंग की दो लाईन बनी होती है। इसके अलावा उनके वर्दी पर लाल रंग की दो धारियों वाला बिल्ला भी होता है।
  • पुलिस कांस्टेबल (PC): इनके वर्दी पर कोई बैज नहीं रहता है।

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