फसलो को हानि पहुँचाने वाले रोगों के नाम: (Name of Diseases and affected crops in Hindi)
पादप रोग विज्ञान या फायटोपैथोलोजी (Phytopathology) शब्द की उत्पत्ति ग्रीक के तीन शब्दों जैसे पादप, रोग व ज्ञान से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है “पादप रोगों का ज्ञान (अध्ययन)”। अत: पादप रोगविज्ञान, कृषि विज्ञान, वनस्पति विज्ञान या जीव विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत रोगों के लक्ष्णों, कारणों, हेतु की, रोगचक्र, रागों से हानि एवं उनके नियंत्रण का अध्ययन किया जाता हैं।
पादप रोग विज्ञान के उद्देश्य:
इस विज्ञान के निम्नलिखित प्रमुख उद्देश्य है:
- पादप-रोगों के संबंधित जीवित, अजीवित एवं पर्यावरणीय कारणों का अध्ययन करना।
- रोगजनकों द्वारा रोग विकास की अभिक्रिया का अध्ययन करना।
- पौधों एवं रोगजनकों के मध्य में हुई पारस्परिक क्रियाओं का अध्ययन करना।
- रोगों की नियंत्रण विधियों को विकसित करना जिससे पौधों में उनके द्वारा होने वाली हानि न हो या कम किया जा सके।
फसलो को हानि पहुँचाने वाले रोगों की सूची
फसल का नाम | रोगों के नाम |
सरसों | सफेद किटट रोग |
मूँगफली | टिक्का रोग |
आलू | अंगमारी, पछेला अंगमारी |
चना | विल्ट रोग |
आम | चूर्णिल आसिता व गुच्छा शीर्ष रोग |
गेहूँ | भूरा रस्ट एवं किटटु रोग |
धान | खैरा रोग, झुलसा रोग एवं झोंका रोग |
तम्बाकू | मोजैक रोग |
गन्ना | लाल सड़न रोग |
टमाटर | उकठा रोग |
अमरूद | उकठा |
सुपारी | महाली अथवा कोलिरोगा रोग |
अरहर | उकठा |
सब्जियां | जडग्रन्थि व मोजेक |
काफी एवं चाय | किटट |
धान | झोंका तथा भूरा पर्णचित्ती रोग |
पटसन | तना विगलन |
केले | गुच्छ शीर्ष रोग |
कपास | शकाणु झुलसा, म्लानि एवं श्यामव्रण |
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