वायुमंडल संरचना, संघटन, प्रमुख परतें एवं मुख्य गैसों की सूची: (Atmosphere Structure their Layers and GK Facts in Hindi)
वायुमंडल किसे कहते है?
पृथ्वी के चारों ओर जितने स्थान में वायु रहती है उस गैसीय आवरण को वायुमंडल कहते हैं। वायुमंडल अनेक गैसों का मिश्रण हैं। वायुमंडल के अतिरिक्त पृथ्वी का स्थलमंडल ठोस पदार्थों से बना और जलमंडल जल से बने हैं। वायुमंडल की सबसे निचली परत क्षोभमंडल हैं। उसके ऊपर के भाग को समतापमंडल और उसके और ऊपर के भाग को आयनमंडल कहते हैं। क्षोभमंडल और समतापमंडल के बीच के बीच के भाग को “शांतमंडल” और समतापमंडल और आयनमंडल के बीच को स्ट्रैटोपॉज़ कहते हैं। साधारणतया ऊपर के तल बिलकुल शांत रहते हैं। वायुमंडल की ऊंचाई 16 से 29 हजार किमी तक बतायी जाती है परन्तु धरातल से केवल 800 किमी तक ऊंचा वायुमण्डल ही अधिक महत्त्चपूर्ण है।
वायुमंडल की मुख्य गैसें:
वायुमंडल अनेक गैसों का मिश्रण हैं। वायुमंडल में मौजूद मुख्य गैसों के नाम निम्नलिखित है:
गैस का नाम | आयतन के अनुसार प्रतिशत |
नाइट्रोजन | 78.08 |
ऑक्सीजन | 20.9 |
आर्गन | 0.93 |
कार्बन डाईऑक्साइड | 0.03 |
निऑन | 0.0018 |
हीलियम | 0.0005 |
ओज़ोन | 0.00006 |
हाइड्रोजन | 0.00005 |
मीथेन | अल्प मात्रा |
क्रिप्टन | अल्प मात्रा |
ज़ेनॉन | अल्प मात्रा |
वायुमण्डल की परतें:
वायुमण्डल का घनत्व ऊंचाई के साथ-साथ घटता जाता है। वायुमण्डल को 5 विभिन्न परतों में विभाजित किया गया है।
- क्षोभमण्डल
- समतापमण्डल
- मध्यमण्डल
- तापमण्डल
- बाह्यमण्डल
1. क्षोभमण्डल
- यह पृथ्वी की सतह के सबसे नजदीक होती है। इसकी ऊचाई विषुवत रेखा (16 किमी) से ध्रुवों (8 किमी) की ओर जाने पर घटती है। सभी मौसमी घटनाएँ इसी परत में सम्पन्न होती हैं।
- यह अन्य सभी परतों से घनी है और यहाँ पर जलवाष्प, धूलकण, आर्द्रता आदि मिलते हैं। मौसम सम्बन्धी अधिकांष परिवर्तनों के लिए क्षोममण्डल ही उत्तरदायी है।
- इस परत में ऊंचाई के साथ-साथ तापमान घटता है। प्रत्येक 165 मीटर पर 1°C तापमान की कमी हो जाती है। इसे सामान्य ताप हास दर कहते हैं।
- तापहास दर केवल ऊंचाई से ही नहीं बल्कि अक्षांशों से भी प्रभावित होती है। इस नियम के अनुसार यह दर उच्च तापमान वाले धरातल के ऊपर उच्च तथा निम्न तापमान वाले धरातल के ऊपर निम्न होती है।
- क्षोभमण्डल के ऊपर षीर्ष पर स्थित क्षोभमण्डल सीमा इसे समताप मण्डल से अलग करती है। इसको संवहन मंडल भी कहा जाता है।
2. समताप मण्डल:
- इसकी ऊंचाई 50 किमी तक होती है।
- समताप मण्डल में तापमान में ऊंचाई के साथ वष्द्धि नहीं होती है। तापमान समान रहता है।
- यह परत वायुयान चालकों के लिए आदर्ष होती है।
- समताप मण्डल की ऊपरी सीमा को ‘स्ट्रैटोपाज’ कहते हैं।
- इस मण्डल में जल-वाष्प, धूलकण आदि नहीं पाये जाते हैं। इसमें बादलों का अभाव होते है।
- इस मण्डल के निचले भाग में ओज़ोन गैस बहुतायात में पायी जाती है। इस ओज़ोन बहुल मण्डल को ओज़ोन मण्डल कहते हैं।
- इस मण्डल में ओजोन परत होती है, जो सूर्य की पराबैंगनी किरणों का अवषोषण करती है और उन्हें भूतल तक नहीं पहुंचने देती है तथा पृथ्वी को अधिक गर्म होने से बचाती हैं।
3. मध्य मण्डल:
- यह 80 किमी की ऊंचाई तक होता है।
- इसमें ऊंचाई के साथ तापमान में गिरावट होती है और 80 किमी. की ऊंचाई पर तापमान दृ100°ब् तक हो जाता है।
4. आयन मंडल:
- इसे तापमंडल भी कहा जाता है।
- इस मंडल का फ़ैलाव 50 किमी. से लेकर 400 किमी. की ऊंचाई तक है।
- इस मंडल में तापमान तेजी से बढ़ता है।
- पृथ्वी से प्रेषित रेडियों तरंगें इसी मंडल में टकराकर पुनः पृथ्वी पर वापस लौटती है।
5. बाह्य मंडल:
- यह वायुमंडल की सबसे ऊपरी परत है।
- इसकी बाह्य सीमा पर तापमान लगभग 5568°C तक होता है।
- इसमें हाइड्रोजन व हीलियम गैसों की प्रधानता होती है।
वायुमंडलीय दाब किसे कहते है?
धरातल पर या सागर तल पर क्षेत्राफल की प्रति इकाई पर ऊपर स्थित वायुमंडल की समस्त परतों के पड़ने वाले भार को ही वायुदाब कहा जाता है। इसे बैरोमीटर द्वारा मापा जाता है। सागर तल पर वायु दाब अधिकतम होता है। वायुमंडल में जल वाष्प की मात्रा बढ़ने पर वायुदाब में कमी आ जाती है। कम दबाव वाले क्षेत्रों में उन स्थानों के ऊपर वायुमंडलीय द्रव्यमान कम होता है, जबकि अधिक दबाव वाले क्षेत्रों में उन स्थानों के ऊपर अधिक वायुमंडलीय द्रव्यमान होता है। इसी प्रकार, जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती जाती है उस स्तर के ऊपर वायुमंडलीय द्रव्यमान कम होता जाता है, इसलिए बढ़ती ऊंचाई के साथ दबाव घट जाता है।
वायुदाब की पेटियाँ:
1. विषुवतरेखीय निम्न वायुदाब पेटी:
- इसका विस्तार दोनों गोलार्द्ध में 0° अक्षांश से 5° अक्षांश तक है।
- यहाँ अधिकतम सूर्यताप प्राप्त होता है, अतः वायु गर्म होकर हल्की हो जाती है और उ$पर उठ जाती है। इससे यहाँ निम्न दाब उत्पन्न हो जाता है।
- इस क्षेत्रा में वायु लगभग गतिहीन या षान्त होती है। अतः इसे शान्त कटिबन्ध भी कहते हैं।
2. उपोष्ण कटिबन्धीय उच्चदाब पेटी:
- इसका विस्तार दोनों गोलाद्धों में 30° से 35° अक्षांशों तक है। अधिक तापमान रहते हुए भी यहाँ उच्च वायुदाब रहता है इसका कारण पृथ्वी दैनिक गति एवं वायु में अवकलन एवं अपसरण है।
- भूमध्य रेखा से लगातार पवनें उठकर यहाँ एकत्रित हो जाती है एवं साथ ही उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी से भी हवाएँ एकत्रित होती है। इस कारण यहाँ वायुदाब अधिक होता है।
- इस पेटी को अश्व अक्षांश भी कहते हैं क्योंकि प्राचीन काल के नाविकों को इस क्षेत्रा में उच्चदाब के कारण काफी कठिनाई होती थी। अतः उन्हें जलयानों का बोझ हल्का करने के लिए कुछ घोड़े समुद्र में फ़ेकने पड़ते थे।
3. उपध्रुवीय निम्न दाब पेटी:
- इसका विस्तार दोनों गोलाद्धों में 60° से 65° अक्षांशों तक है।
- यहाँ तापमान कम होने के बावजूद भी दाब निम्न है क्योंकि पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण यहाँ से वायु बाहर की ओर फ़ैलकर स्थानारित हो जाती है, अतः वायुदाब कम हो जाता है।
- इसका दूसरा कारण ध्रुवों पर अत्यधिक उच्च दाब की उपस्थिति है।
4. ध्रुवीय उच्च दाब पेटी
- अत्यधिक शीत के कारण दोनों ध्रुवों पर उच्च दाब पाया जाता है।
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